सनबर्न या त्वचा का झुलसना : धुप के कारण रक्त धमनियां फ़ैल जाती है ,जिससे त्वचा लाल दिखाई देने लगती है , सनबर्न अकसर उन लोगों में ज्यादा होता है जिनकी त्वचा संवेदनशील होती है. सनबर्न के कारण त्वचा का रंग बदल जाता है और त्वचा में जलन और खुजली होने लगती है. त्वचा में , हाथो और चेहरे पर कत्थई, काले से धब्बे होजाते है जो सुन्दरता में कमी लाते है. धुप से त्वचा की नमी कम हो जाती है जिस कारण त्वचा सुखी होकर रंग बदल जाता है.
घर से बाहर जाने से जरुरी नही सिर्फ गर्मी में ही बल्कि ठन्डे और बरसात में भी सनबर्न के शिकार आप हो सकते है. सनबर्न के लिए आप होमियोपैथीक पद्यति से भी उपचार करा सकते है.
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सनबर्न का मुख्य कारण है आधिक यू वी किरणों के कारण त्वचा का झुलसना, जब भी हम इन यू वी किरणों के संपर्क में आते है तो हमारा शरीर ज्यादा मात्रा में मलेलिन उत्पादन करता है जिससे हमारी त्वचा का रंग काला जो जाता है

सनबर्न के कारण त्वचा गुलाबी लाल रंग की होने लगती है , त्वचा में गर्माहट आ जाती है, कभी कभी तो सुजन तक आ जाती है और खुजली होने लगती है
अगर ज्यादा सनबर्न हुआ हो तो सिर में दर्द, उलटी होना जैसी संभावना भी होती है

सनबर्न से बचाव

तेज धूप से हाथ, पैर, गर्दन, चेहरे की त्वचा का रंग काला पड़ने लगता है, तथा त्वचा झुलसने लगती  है. इसे सनबर्न कहते हैं.
सनबर्न से बचने के लिए:
 बाहर जाने से पूर्व चेहरे को ठंडे पानी से धोना चाहिए और शीतल पानी पीकर बाहर जाना चाहिए.
दिन में एक बार बर्फ का छोटा टुकड़ा चेहरे पर 5 मिनट के लिए जरूर लगाना चाहिए.
चंदन का बुरादा बेसन गुलाब जल और नींबू मिलाकर चेहरे पर लेप करें.
धुप के कारण चेहरे की त्वचा बहुत अधिक बढ़ जाती है इस स्थिति में कच्चे दूध को सुबह-शाम चेहरे पर लगाना चाहिए और शीतल जल से धो लेना चाहिए.
साथ ही धुप में निकलने पर छाते का प्रयोग करें शरीर को ढक लें.
और आप होमियोपैथी का उपचार अजमाकर भी सनबर्न से राहत पा सकते है :
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