Melasma treatment in homeopathy

Melasma

यदि किसी के चेहरे पर झाइयां हो तो कही न कही यह उनके आत्मविश्वास को भी प्रभावित करता है। चेहरे पर पड़ने वाली झाईया को मेलाज्मा भी कहा जाता है, जब झाइयां ज्यादा बढ़ जाती है तो ये स्थिति उत्पन होती है ।
चेहरे पर पड़ने वाली झाइयों का कारण आपके पेट में गड़बड़ी को भी दर्शाता है झाइयां दूर करने के लिए इन्सान का अन्दर से स्वस्थ रहना भी जरुरी है। इसके लिए आपको संतुलित आहार, चैन की नींद, भरपूर्ण पोषण व ढेर सारा पानी पिने की आवश्यकता होती है, अपने आहार में दूध दही हरी पत्तेदार सब्जी सेब और सलाद आदि को शामिल करें ।
झाइयां होने पर सभी बाहरी पोषण पर तो ध्यान देते है परन्तु शरीर के अन्दर के पोषण की तरफ किसी का ध्यान नही जाता है, अन्दर के पोषण का अर्थ हमारे खान पान को लेकर है शरीर में आये हार्मोनल बदलाव के कारण यह होता है उस समय शरीर को पोषण तत्वों की भी आवश्यकता है, कई बार गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में ये स्थिति ज्यादा देखने को मिलती है, इसलिए आपनी सेहत का ध्यान रखना बहुत जरुरी है। वैसे हमारा झाइयों पर विडियो बन चूका है, परन्तु आज इनकी आगे की स्थिति यानि झाइयां चेहरे में कही भी जैसे गलों पर, माथे पर, नाक आदि में काफी मात्रा में बढ़ जाता है तो इस स्थिति में आप होम्योपैथिक दवाइयों का प्रयोग करें ।

दवाइयां : Sepia 30, में 2 बुँदे सुबह, दोपहर, शाम को दे (केवल 10 दिन ) इसके साथ B.c की 4 गोली और Ferrum Meto 3x की 2 गोली एक साथ मिला कर दे, सुबह दोपहर , शाम। इसके साथ Berberis Aquitolium Q की आधे कप पानी में 10 से 15 बुँदे सुबह, दोपहर, शाम को दें ।

whooping cough treatment

Whooping cough treatment in homeopathy

कुकुरी या कुक्कुर या काली खांसी अंग्रेजी में व्हूपिंग कफ, एक जीवाणु के संक्रमण द्वारा होता है। वैसे यह किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है परंतु अधिकतर यहां 2 वर्ष से कम आयु के बच्चों की स्वास प्रणाली को प्रभावित करता है। जब भी इस रोग से पीड़ित रोगी खांसते हैं, तो उस समय भोंकने जैसी आवाज आती है। इसलिए इसका नाम कुकुर खांसी पड़ा। यह परटूसिस नामक जीवाणु के कारण होता है और जब भी किसी संक्रमण व्यक्ति द्वारा खांसा या छींका जाता है तो स्वस्थ व्यक्ति पर इन जीवाणुओं का संक्रमण फैल जाता है।

लक्षण:
साधारणतय शुरुआत सर्दी जुखाम गले में दर्द के साथ होती है, बुखार आना, खांसी के साथ म्यूकस निकलना. अधिकतर रात के समय इसका प्रकोप बढ़ता है, खांसी का दौरा जैसा पड़ना, खासते खासते रोगी को उल्टी तक हो जाना. थकान महसूस होना. सास बंद हो जाना, गले की नसें फूल जाना, आंख से पानी बहना, आदि लक्षण प्रकट हो प्रकट होते हैं।

कारण :
कुकुरी खासी परटूसिस के संक्रमण से होती है, अधिक सर्दी लगने पर, पानी में अधिक भीगने के कारण, कुछ केस में मूंगफली, अखरोट, मेवा घी आदि चिकनाई युक्त खाद्य पदार्थ खाते हैं, जिस कारण खांसी होने का खतरा बढ़ जाता है।

दवाइयां :
कफ होने पर आप सबसे पहले Aconite 30 की दो बूंदें 10-10 मिनट के अंतर से सवेरे और दो बूंदें 10-10 मिनट के अंतर से शाम को लें ( केवल 1 दिन)। इसके दूसरे दिन Drosera 30 की दो बूंदें सुबह दोपहर शाम को दें (केवल 10 दिन) तक । इसके साथ-साथ Justicia Q को पानी में मिलाकर 10-15 बुँदे , 3 बार (सुबह दोपहर शाम) को दें।

Homeopathic treatment for side-effects of tobbaco

Tobacco Side-effect ,तम्बाकू के दुष्प्रभाव का होमियोपैथी उपचार

नशा एक ऐसी बीमारी है जो हमे और हमारे अपनों को जीवन भर रुलाने की वजह होती हैं आज हर समाज के लोग व हर उम्र के लोग नशे की चपेट में आते जा रहे है , बड़े तो बड़े वर्तमान में युवा व बच्चों के साथ साथ महिलाएं भी नशे की लत की आदि होती जा रही है  तम्बाकू का सेवन धुम्रपान के रूप में करने से सांस की नाली में ऐसा नुकसान पहुचता हैं की यदि एक बार वह हो गया तो वह आपका पीछा नही छोड़ सकता

आज लोग कई कारणों से तम्बाकू का सेवन करना शुरू करते है , कई तनाव कम करने के लिए तो कोई गुस्सा कम करने के लिए  लोग यह पढते तो जरुर हैं की तम्बाकू खाना स्वस्थ के लिए हानिकारक हैं , परन्तु फिर भी खाये जा रहे हैं

सिगरेट, पान , बीडी , गुटखा आदि तम्बाकू किसी भी रूप में लिया जाये इन सबसे नुकसान निश्चित हैं तम्बाकू का नशा कई एक समस्या ना होकर कई समस्याओ की जड़ है यह ना केवल शारीरिक रूप से बल्कि मानसिक रूप से व्यक्ति को बीमार कर रहे हैं

तम्बाकू में ऐसे तत्व होते हैं, जिनसे कैंसर हो सकता हैं , तम्बाकू के प्रयोग से मुँह व गले का कैंसर होने का खतरा रहता हैं इसका ज्यादा प्रयोग ब्लड प्रेशर को बढाता हैं, इनसे दांत व मसूड़े सड़ते हैं , गैस बनती हैं , अनिद्रा आदि रोगों को खतरा होता हैं

दवा :
आप होमियोपैथी की Nicatinum 30 की 2 dram गोली लें, और इस दवा की 4  गोली दिन में 3 बार (सवेरे , दिन में , और शाम को )इसके साथ आप Liv-T सिरप की 2.5 ml 3 बार (सवेरे , दिन में , और शाम को ) खाना खाने के आधा घंटे पहले लें Nicatinum 30 को एक बार 2 dram खाने के बाद बंद कर दें , फिर इसके बाद 20 दिन बाद दोबारा ले सकते हैं

Cervical Spondylosis, गर्दन व पीठ दर्द का होम्योपैथिक एवं एक्यूप्रेशर द्वारा उपचार

Cervical Spondylosis, गर्दन व पीठ दर्द का होम्योपैथिक एवं एक्यूप्रेशर द्वारा उपचार

सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस गर्दन के आसपास के मेरुदंड की  हड्डियों की असामान्य बढ़ोतरी और सर्विकल के बीच कशानो (इसे इन्तेर्वेत्र्ब्ल डिस्क के नाम से भी जाना जाता है ) कैल्शियम का डी जनरेसन और अपने स्थान से सरकने की वजह से होता है यह दर्द गर्दन से शुरू होकर हाथो तक जाता है  लगातार लंबे समय तक कंप्यूटर या लैपटॉप पर बैठकर काम करना या लंबे समय तक गर्दन झुका कर बैठे रहने से यह समस्या होती है इसका दर्द इतना तेज होता है कि रोगी व्याकुल हो जाता है

लक्षण
गर्दन में तेज़ दर्द जो कंधो व हाथों तक हो जाती है, गर्दन में अकड़न, सर को हिलाने में परेशानी, सिर में तेज दर्द, जी मचलना, उल्टी आना, चक्कर आना, मांसपेशियों में ऐंठन, हाथों में सुन्नपन, आदि  लक्षण हो सकते हैं इसलिए मेरे साथ हरीश पाठक जी ने भी इस गंभीर समस्या से छुटकारा पाने हेतु कुछ आसान व्यायाम बताएं हैं आप होमियोपैथी  दवाई के साथ ही साथ इन व्यायामों को आराम से शुरू करके करें आपको इससे सभी लक्षणों से छुटकारा मिल जाएगा

दवाइयां: इस तरह के कुछ भी लक्षण होने पर आप होम्योपैथिक की  R.S. Bhargava कंपनी की spondin drops  को आधे कप पानी में मिलाकर 20 बुँदे सुबह, दोपहर, शाम को लें आपको आराम मिलेगा

Homeopathic treatment for Hirsutism

Hirsutism treatment , चेहरे में बाल का होम्योपैथिक उपचार

महिलाओं व युवतियों के शरीर व चेहरे पर हल्के बालों का होना एक सामान्य बात है। परंतु, जब इनमें विधि होने लगे तो समझ लीजिए कि शायद आपको दवा की जरूरत है। महिलाओं के चेहरे पर हल्की दाढ़ी व मूंछ दिखाई देती है, आप सभी यह जानते होंगे कि हर स्त्री में भी एंड्रोजन नामक एक मेल हार्मोन होता है। हार्मोन के लवण बढ़ते हैं, तब महिलाओं के चेहरे पर व शरीर पर बालों की संख्या बढ़ जाती है। कुछ औषधियां क्रीम भी आपको इस समस्या से निजात दिला सकती हैं। पर, कई बार इनके इस्तेमाल से आपके चेहरे पर फुंसियां निकल सकती हैं।

हार्मोन का बदलाव : युवावस्था (जब लड़कियों में मासिक चक्र शुरू होने लगता है) या रजोनिवृत्ति और गर्भावस्था के दौरान शरीर में हारमोंस में बदलाव आता है जो अतिरोमता का कारण हो सकता है। इसके अलावा एंडोक्राइन ग्रंथि, पिट्यूटरी ग्रंथि थायराइड तथा अग्न्याशय ग्रंथि के प्रभावित होने से यह समस्या उत्पन्न हो सकती है।
आइए जानते हैं इस समस्या से छुटकारा पाने का होम्योपैथिक निदान।

दवाइयां: Sepia 30 की दो बूंद सुबह, दोपहर, शाम, तीन बार लें Pulsatilla 200 की 5 बुँदे दिन में केवल एक बार लें, इसके साथ Oleum Jac 3x या 6x की दो गोली सुबह, दोपहर, शाम को ले। साथ में Sabal serrulata Qआधा कप पानी में 10 बुँदे, ३ बार (सुबह, दोपहर, शाम) लें इसे 1 महीने तक लगातार लें और फिर बंद कर दें और एक बात का ध्यान रखिए कि Sepia 30 और Pulsatilla 200 को 15 दिन लेने के बाद बंद कर दे और अगर जरूरत लगे तो 15 दिन छोड़कर दोबारा ले सकते हैं।

homeopathic treatment for Ovary Cyst

Ovary Cyst : Homeopathic treatment

ओवरी सिस्ट या अंडाशय में सिस्ट महिलाओं के अंडाशय में बनने वाले सिस्ट होते हैं जो बंद थैली नुमा ( Sac like) आकृति से होते हैं इनके  अंदर तरल पदार्थ भरा होता है अंडाशय महिलाओं की प्रजनन प्रणाली ( बच्चा पैदा करने )का हिस्सा होते  है ,यह गर्भाशय के दोनों तरफ पेट के निचले हिस्से में होते हैं इनकी संख्या 2 होती है जो अंडे के साथ ही साथ एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन का निर्माण करते हैं

अंडाशय सिस्ट (ओवरी सिस्ट) के तब तक कोई लक्षण या संकेत नहीं दिखते जब तक वह अधिक बड़े ना हो जाए अधिकतर ओवरी सिस्ट कैंसर का कारण नहीं होते हैं परंतु,  इसका उपचार कराना बहुत जरूरी होता है

लक्षण:

पेट में दर्द होना
पेट में सूजन होना
अपच होना
कमर का आकार बढ़ना
पेट के निचले भाग ओवरी में तेज दर्द होना
कभी-कभी उल्टी व गैस बनना
अनियमित महावारी होना
वजन घटना
ओवरी सिस्ट कई प्रकार के हो सकते हैं या तो आपको अल्ट्रासाउंड द्वारा पता चल सकता है एलोपैथिक में सिस्ट छोटी हो या बड़ी इसका एक निदान है ऑपरेशन परंतु, होमियोपैथी में आप इसे  दवाई द्वारा भी  ठीक कर सकते हैं

दवाइयां : Acid Flour 1M की दो बुँदे 4 बार 10 मिनट के अंतर से लें ( अगर सिस्ट सही नहीं होता तो आप महीने बाद इस दवा को दोबारा ले सकते हैं) इसके अगले दिन Ovarinum 6 में (ना मिले तो थी 30 पावर ) 2 बुँदे , ३ बार (सुबह, दोपहर, शाम )को  10 दिन तक लें  इसके साथCalcarea  flour 6x और Silicea 6x (धीरे-धीरे इनकी पावर 6x के बाद 12x फिर 30x  करते जाएं ) कि 4 गोली 3 बार (सुबह, दोपहर, शाम ) यदि आपकी menses रेगुलर नहीं है आती है तो आप Pulsatilla Q को पानी के साथ 15 बुँदे . तीन बार लें (सुबह दोपहर शाम) और अगर आपको इसके कारण ज्यादा ब्लीडिंग हो तो आप Thlaspi Bursa Pastoris Q की 10बुँदे   ३ से लेकर 6 बार तक ले सकते है  आपको इन दबाव से जरूर फायदा होगा

Polycystic ovary syndrome treatment

PCOD(Polycystic Ovarian Disease) homeopathic treatment |

आजकल हर दस महिला या युवतियों में से एक को PCOD पॉलीसायस्टिकओवरी सिंड्रोम/पॉलीसायस्टिकओवरी डिजीज होता हैं। भागदौर भरी जिंदगी , इतनी व्यस्त व तनावपूर्ण लाइफस्टाइल के चलते अक्सर युवतियाँ या महिलायं अपनी सेहत का सही तरह से ध्यान नही रख पाती हैं , जिस कारण कई समस्यायें होती हैं कई पर तो ध्यान भी नही दिया जाता हैं , शुरुआत में तो यह सामान्य सी दिखाई देती हैं परन्तु यदि समय पर उपचार नही कराया गया तो आगे चलकर यह एक गंभीर समस्या बन जाती हैं , यह महिलाओं के हार्मोनल गड़बड़ी के करण पायी जाती हैं। इसमें महिलाओ के शरीर में मेल हारमोंस (androgen) का स्तर बढ़ जाता हैं , और साथ में ओवरीज में एक से ज्यादा सिस्ट हो जाते हैं ।

लक्षण : अगर लक्षणों (symptoms) की बात करें तो कई बार पता ही नही चल पता की ये समस्या हो रही हैं, पर जो लक्षण नजर आते हैं उनमे से कुछ जसे :- वजन बढ़ना , अनियमित पीरियड्स (कभी कम , कभी ज्यादा , कभी महीनो तक न होना ), शरीर व चेहरों पर बालों का बढ़ना , तैलीय त्वचा होना , चेहरे पे मुहासे होना , बालों का झड़ना , ओवरी पर सिस्ट होना, ब्लड प्रेशर का बढ़ना आदि लक्षण हो सकते हैं ।

यदि आपको इसे कुछ लक्षण नजर आये तो आप अपना टेस्ट कराएँ व निम्मं होम्योपैथिक दवाये खाए

दवाये : सबसे पहले आप Pulsatilla की 5 बुँदे सवेरे खली पेट लें, इसके साथ Janosia Ashoka Q की आधे कप पानी में 1o बुँदे , 3 बार (सवेरे , दिन में , शाम को ) लें । इसके साथ आप Ova tosta 3x की 2 गोली , 3 बार ( सवेरे , दिन में , शाम को) और B.C – 15 की 4 गोली सवेरे, दिन में और शाम को लें।

Pulsatilla: 5 बुँदे सवेरे
Janosia Ashoka Q: 10 बुँदे, 3 बार
Ova tosta: 2 गोली, 3 बार
B.C – 15: ४ गोली 3 बार

 

cold Urticaria

Cold Urticaria , ठण्ड के मौसम में हाथ-पैर की अंगुलियों में सुजन या दर्द का होम्योपैथिक उपचार

जैसे ही ठन्डे का मौसम आता है , अपने साथ बहुत से रोगों को भी लाता हैं , इनमे से कुछ सामान्य रोग होते हैं और कुछ असामान्य होते हैं , यदि इन रोगों या परेशानी पर ध्यान नही दिया जाता तो यह और बढ़ जाते हैं , अक्सर ठण्ड के मौसम में जब ज्यादा ठण्ड होती हैं तो कई लोगो के हाथ और पैरों की अंगुलियों में सुजन , लालिमा , और खुजली के साथ साथ तेज दर्द होता हैं , इसके साथ ही साथ अन्य लक्षण भी नजर आ सकते हैं , जब आपको या को भी इस तरह की कोई परेशानी हो तो आप तुरंत होमियोपैथी की दवाईयाँ ले ताकि आपको इस परेशानी से जल्द से जल्द छुटकारा मिल सके , ठण्ड बढने पर आप खुद भी इस बात का ध्यान रखे की आपको ठण्ड से बचना हैं , और आप होमियोपैथी में ये दवाएं ले आपको इनसे जरुर लाभ होगा

दवाईयाँ :
सबसे पहले आप Petroleum 30 की 5 बुँदे सवेरे , 5 बुँदे दिन में, और 5 बुँदे शाम को और साथ में Nat. Sulph. 6x की 4 गोली सवेरे , 4 गोली दिन में , और 4 गोली शाम को लें
अगर अंगुलियों में खुजली , लालिमा किसी ज्यादा हैं , तो आप Petrolium Cream को लगा भी सकते हैं

  • Petroleum 30 : 5 बुँदे सवेरे , दिन में , और शाम को
  • Nat. Sulph. 6x : 4 गोली सवेरे , दिन में , और शाम को
  • Petroleum Cream : लगाना हैं
homeopathic treatment fo piles

Piles treatment, बवासीर का होम्योपैथिक उपचार

बवासीर को piles या hemorrhoids कहा जाता है यह रोग अधिकतर 45 से 65 वर्ष की आयु वालो को होता है , परन्तु आजकल यह समस्या किसी को भी हो जाती है जब गुदा और मलाशय की नसों में किसी कारण सूजन और इन्फ्लेम्शन होने लगता है तब यह रोग उत्पन्न होता है
बवासीर दो प्रकार की होती है :-
बाहर की बवासीर : बाहर की बवासीर में रोगी के गुदा द्वार के आस पास मस्से होते है , जिनमे दर्द तो नहीं होता परन्तु खुजली होती रहती है , ज्यादा खुजलाने की वजह से कई बार इन मस्सो से खून भी निकल आता है

अंदर की बवासीर : इसमें गुदा के अन्दर मस्से होते है , मल करते समय ज्यादा जोर लगाने पर ये मस्से फट जाते है , जिस कारण दर्द होता है व खून भी निकलता है

कारण :

  • आलस्य  या शारीरिक गतिविधि कम करना
  • लगातार कब्ज रहना
  • मोटापा
  • गर्भावस्था
  • पानी कम पीना
  • भोजन में फाइबर की कमी होना
  • जंक फ़ूड
  • ज्यादा मिर्च मसाला (गरिष्ट भोजन का सेवन )
  • रात को ज्यादा देर तक जागना आदि बवासीर के कारण हो सकते है

होम्योपैथिक में इसका उपचार संभव हैं:

दवाईया:  होमियोपैथी में आप सबसे पहले Aesculus. Hipp 200 की 5 बुँदे सुबह , शाम लगातार 1 माह तक लें इसके साथ आप WSI की Aesculus Pentarkan की 20-20 बुँदे दिन में 3 बार आधे (1/2 ) कप पानी के साथ लें इसी के साथ बायो-कॉम्बिनेशन (B.C) 17 की 4-4 गोली दिन में 3 बार लें , B.C -17 के साथ SBL कंपनी की F.P tab की 2-2 गोली दिन में 3 बार लें

urine incontinence treatment in homeopathy

Urine incontinence , मूत्र असंयम का होम्योपैथिक उपचार

यूरिन असंयम या यूरिन को न रोक पाने के लिए, ओवर एक्टिव ब्लैडर, तंत्रिका की क्षत, मूत्र मार्ग का संक्रमण, पेल्विक की मसल्स कमजोर व बढ़ती उम्र जैसे कई कारण हो सकते हैं। युरिन को रोक ना पाना वह स्थिति है जब किसी व्यक्ति का अपने यूरिन पर नियंत्रण नहीं रहता, यह एक समान समस्या है पुरुषों में तो यह समस्या 60 वर्ष के बाद यदि उनके प्रोस्टेट ग्लैंड बढ़ते हैं तब देखने को मिलती है। परंतु कई महिलाओं में यह आम समस्या है ज्यादातर महिलाएं झिझक के कारण इस समस्या को नहीं बता पाती है। अधिकतर यह कब्ज और दस्त जैसी समस्याओं से पैल्विक मांसपेशियों पर खिंचाव बढ़ता है जिसके कारण मूत्राशय उतेजित होता है यूरीन रोकना पाने की परेशानी बढ़ जाती है।
लक्षण: इसके कुछ खास लक्षण नजर आने वाले नहीं होते यूनियन रोक ना पाना यूरिन के लिए भाग कर जाना कई बार पेट में दर्द आदि लक्षण नजर आते हैं
वैसे तो यूरिन जितनी ज्यादा आये शरीर के लिए उतना ही अच्छा है क्यूकी ये शरीर की गंदगी को बाहर निकालने का रास्ता है परंतु किसी को यदि काम आए तो वह भी नुकसान और यदि किसी को यह इतना आए की रोक ना पाए तो उससे भी नुकसान होता है तो आज मैं आपको अपने वीडियो के माध्यम से यूरिन रोक ना पाने का इलाज बताने जा रहा हूं।
दवाइयां : यदि आप भी इस समस्या से पीड़ित हैं तो आप staphysagria 200 की आधे कप पानी में 5 बुँदे सुबह और शाम को लें (इस दवा को केवल 15 दिन ही लेनी है)। इसके साथ आप Equisetum Q को आधा कप पानी में मिलाकर 10 बूंदें सुबह दोपहर शाम को लें।आपको आराम मिलेगा।