Sleep Apnea/Snoring

खर्राटे

जब सोते हुए व्यक्ति के नाक से अपेक्षाकृत तेज आवाज निकलती है तो इसे खर्राटे लेना (snoring) कहते हैं। इसे ‘ओब्स्टृक्टिव स्लीप अप्निया’ कहा जाता है; अर्थात नींद में आपकी साँस में अवरोध उत्पन्न होता है।
खर्राटे भी कई प्रकार के होते हैं . कुछ लोगों की तो श्वांश नींद में पूरी तरह से अवरुध हो जाती है। यह एक गंभीर अवस्था है और लंबे समय में यह आपके हृदय और मस्तिस्क पर बुरा प्रभाव डालती है। इस अवस्था में नींद पूरी नहीं होती और व्यक्ति को दिन में भी थकान लगती रहती है।खर्राटे साँस अंदर लेते समय आते हैं , पुरुषों में ये समस्या सामान्य मानी जाती हैं।

खर्राटे के कारण :

खर्राटों का वैसे कोई विशेष कारण नहीं है परन्तु इसके सामान्य कारणो में नाक से लेकर श्वांश नली तक कोई भी कारण हो सकता।

कुछ लोगों को खर्राटे सर्दी के कारण व सायनस के कारण भी होती है, नाख के वायुमार्ग में रुकावट के कारण,
मोटापे के कारण खर्राटों की समस्या
ख़राब व कमजोर मांसपेशियां
धूम्रपान व शराब का सेवन करने के कारण
वृद्धावस्था के कारण भी खर्राटे आते है

खर्राटे के लक्षण :

जानते है खर्राटों के कुछ सामान्य लक्षण
सवेरे के समय सर में दर्द
दिन में ज्यादा नींद आना
गले में खराश
नींद में बेचैनी
उच्च रक्तचाप
रात में छाती में दर्द होना आदि लक्षण खर्राटे में देखे गए है

जानते हैं खर्राटों के लिए होम्योपैथिक उपचार :
खर्राटों के लिए होमियोपैथी में कुशल उपचार हैं , आप इन दवाओं का सेवन कर खर्राटों की समस्या से निजात पा सकते हैं :-
Kali Carb 200, की 2 बुँदे 10-10 मिनट के अंतर से 3-4 बार लें (अगर 15 दिन तक फायदा न हो दुबारा इसे खा सकते है )
Kali Carb 200 लेने के अगले दिन से Lemna Minor 30 की 2 बुँदे सुबह, दोपहर , शाम को लें,
इसके साथ Teucriium Marum Virum Q को आधे कप पानी में 10 बुँदे सुबह, दोपहर , शाम को लें

इन दवाओं के साथ साथ, शराब या धूम्रपान का सेवन न करें, और नियमित योग करें।

Slipped Disc

स्लिप डिस्क

स्लिप डिस्क को किसी बीमारी के रूप में नहीं देखा गया है बल्कि ये शरीर में तकनीकी खराबी की तरह देखा गया है जिसमे स्पाइनल कॉर्ड से कुछ बाहर को आ जाता हैं। डिस्क में मौजूद जैली या कुशन जैसा हिस्सा कनेक्टिव टिश्यूज के सर्कल से बाहर की ओर निकल आता है और आगे बढ़ा हुआ हिस्सा स्पाइन कॉर्ड पर दबाव बनाता है। कई बार उम्र के साथ-साथ यह तरल पदार्थ सूखने लगता है या फिर अचानक झटके या दबाव से झिल्ली फट जाती है या कमजोर हो जाती है तो जैलीनुमा पदार्थ निकल कर नसों पर दबाव बनाने लगता है, जिसकी वजह से पैरों में दर्द या सुन्न होने की समस्या होती है।

हमारे शरीर की रीढ़ की हड्डी में 26 कशेरुकाएं होती हैं। एक कशेरुका तथा दूसरे कशेरुका के बीच उपास्थि (कर्टिलेग) का पैड होता है जिससे वह अपने स्थान से हटती नहीं और एक-दूसरे के साथ रगड़ भी नहीं खाती। कभी-कभी यह पैड घिस जाता है तब ये कशेरुका अपने स्थान से हट जाती है और रगड़ खाती रहती है। इसी को कशेरुका का अपने स्थान से हट जाने को ही स्लिप डिस्क कहते हैं। इनके अपने स्थान से हटने के कारण इस स्थान की नर्व कशेरुकाओं के बीच दब जाने से दर्द करने लगती है।
बहुत से लोग कमर के किसी भी प्रकार के दर्द को स्लिप-डिस्क कह दिया करते हैं जो कि बिल्कुल सही नहीं है।

स्लिप डिस्क होने के कारण
गलत तरीके से काम करने,
गलत तरह से बैठ कर पढ़ने,
उठने-बैठने या झुकने से डिस्क पर लगातार जोर पड़ता है इससे स्पाइन के न‌र्व्स पर दबाव आ जाता है जो कमर में लगातार होने वाले दर्द का कारण बनता है
बढ़ती उम्र के साथ भी स्लिप डिस्क का खतरा बना रहता है
अत्यधिक शारीरिक श्रम, गिरने, फिसलने, दुर्घटना में चोट लगने, देर तक ड्राइविंग करने से भी डिस्क पर प्रभाव पड सकता है।
कैल्शियम की कमी के कारण भी स्लिप डिस्क होने का खतरा बना रहता है

स्लिप डिस्क के लक्षण
रीढ की हड्डी पर दवाब पड़ना।
उठने-बैठने और चलने-फिरने में दिक्कत होना।
कभी दर्द का बहुत जल्दी ठीक हो जाना और कभी बहुत देर तक बना रहना।
कमर की मांसपेशियां कमजोर हो जाना।
पैरों की उंगलियां का सुन होना।
प्रभावित अंग में जलन होना
चलने में दर्द होना
रात के समय दर्द का बढ़ना

स्लिप डिस्क के लिए होम्योपैथिक उपचार

जानते हैं स्लिप डिस्क के लिए होम्योपैथिक दवाये :

Arnica Montana 200ch, की ५ बुँदे दिन में २ बार , ५ बुँदे सुबह और ५ बुँदे शाम को
Symphytum Officinals Q, की १५ से २० बुँदे, आधे कप पानी के साथ लें
Magnesium Phos 6x , की ४ गोली दिन में ३ बार, ४ गोली सवेरे, ४ गोली दिन में और ४ गोली शाम को

इन दवाओं को लेने के साथ साथ आप नियमित व्यायाम करें, भारी वजन न उठाये, सही पोस्चर में बैठे या चले ।

Polycystic Ovarian Disease

जानें पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम और होम्योपैथिक उपचार

आजकल महिलाओं में पीसीओएस यानी पोलिसिस्‍टिक ओवरी सिंड्रोम की समस्‍या बहुत तेजी से फैल रही है। पीसीओएस ओवरी में होने वाला एक प्रकार का सिस्‍ट है। शरीर में हार्मोन असंतुलन से पीरियड्स अनियमित होने से ओवरी में छोटे-छोटे सिस्‍ट बन जाते हैं। कुछ सालों पहले यह समस्या 30 से 35 साल के ऊपर की महिलाओ में ही आम होती थी परन्तु आजकल छोटी उम्र की लड़कियां भी इसका शिकर हो रही हैं। यह बीमारी आमतौर पर असंतुलित आहार, शारीरिक व्‍यायाम और पौष्टिकता की कमी, तनाव और कुछ खराब आदतों जैसे स्‍मोकिंग या शराब पीने के कारण होती है।

ओवरी में सिस्‍ट से लड़कियों की प्रजनन क्षमता पर विपरीत असर पड़ने लगता है। इसके अलावा वजन बढ़ना, शरीर पर अधिक बाल, चेहरे और पीठ पर मुंहासे, सिर के बालों का पतला होना, पेटदर्द आदि समस्‍या सामने आने लगती है। हालांकि पोलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम की बीमारी कभी भी जड़ से खत्‍म नहीं हो सकती। इसे हमेशा कंट्रोल कर के रखना पड़ता है। पीसीओएस को कंट्रोल करने के कई इलाज मौजूद हैं, जिनमें से होम्योपैथिक चिकित्सा से पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम को काफी हद तक सही किआ जा सकता हैं और आगे बढ़ने से रोका जा सकता है। यह हार्मोनल असंतुलन को ठीक कर मासिक चक्र को नियमित करने में मदद करता है। इस समस्‍या से शरीर में तेजी से होने वाले हार्मोनल बदलाव के कारण उभरने वाले लक्षणों को होम्‍योपैथी के इलाज की मदद से प्रभावशाली रूप से कंट्रोल किया जा सकता है। होम्‍यापैथी इलाज से शरीर के हार्मोन हमेशा कंट्रोल में रहते हैं। केवल होम्‍योपैथी दवाओं से पीसीओएस का पूरा इलाज करना संभव नहीं है। इसके लिये तनाव और वजन को नियंत्रित करना, सही दिनचर्या और समय पर दवाई लेना भी जरुरी होता है।

पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम के कारण
पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम के कई कारण हैं, चलिए जानते है कुछ सामन्य कारण
शरीर में बढ़ती सूजन के कारण
अनुवांशिकता है एक मुख्य कारण
इंसुलिन प्रतिरोधिता
डायबिटीज व पीरियड में भी अनियमितता है तो ऐसे महिलाओं में भी पीसीओएस होने की संभावना बढ़ जाती है।

पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम के लक्षण
पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम के कुछ मुख्य लक्षणों के बारे में
चहरे पे अनचाहे बालों का बढ़ना
अनियमित माहवारी
महिलाओं में यौन इच्छा में अचानक कमी आ जाना
शरीर में सूजन व वजन बढ़ना
अधिक रक्तस्रव
गर्भधारण में मुश्किल होना
मुहांसे
बढ़ता वजन
डिप्रेशन
जैसे कई अन्य लक्षण पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम में देखने को मिलते हैं

पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम के लिए होम्योपैथिक उपचार

होमियोपैथी में पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम के लिए काफी बेहतर दवाएं उपलब्ध है, जो पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम काफी हद तक कण्ट्रोल कर सही करते है, जानते हैं पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम के लिए होम्योपैथिक दवाएं :

सबसे पहले आप Pulsatilla की 5 बुँदे सवेरे खली पेट लें, इसके साथ Janosia Ashoka Q की आधे कप पानी में 1o बुँदे , 3 बार (सवेरे , दिन में , शाम को ) लें । इसके साथ आप Ova tosta 3x की 2 गोली , 3 बार ( सवेरे , दिन में , शाम को) और B.C – 15 की 4 गोली सवेरे, दिन में और शाम को लें।

इन दवाओं को लेने के साथ साथ पोषण और फाइबर युक्त आहार लें और मानसिक तनाव से दूर रहें।

Safed balon ke lie homeopathy ka chamatkari formula

सफ़ेद बाल
काले लम्बे बाल सुंदरता का प्रतीक है , हर कोई चाहता है उसके बाल काले हों लेकिन आज के युग में देखा जा रहा हैं की सिर्फ बुजुर्ग व्यक्तियों में ही नहीं बल्कि बच्चों में भी बाल सफ़ेद होने की समस्या नजर आने लगी है
लोग अपने बालों को काला रखने के लिए अनेक प्रकार के केमिकल युक्त उत्पाद इस्तेमाल कर रहे हैं, जिसका प्रभाव न सिर्फ उनके बालों में बल्कि आँखों की रौशनी में भी पड़ता है

सफ़ेद बाल होने के कारण
बालों के सफेद होने के कई कारण होते हैं,जिसमे से कुछ कारण निम्न है :-
बालों का काला रंग हमारे स्कैल्प में यानि कि सिर की खाल में मौजूद एक खास तत्व के कारण होता है,
प्रदूषण भी बालों के सफेद होने का एक मुख्य कारण है
खाने में पोषण तत्वों की कमी के कारण
कई बार बिमारियों के कारण भी बाल सफ़ेद हो जाते हैं
शरीर में विटामिन बी की कमी के कारण भी बालों के सफ़ेद होने की समस्या रहती हैं

सफ़ेद बाल के लक्षण

सफ़ेद बालों के कई लक्षण देखे गए है, जिनमे से कुछ लक्षण निम्न है :-
बाल का नाजुक व बेजान होना
उम्र से पहले ही बाल सफेद हो जाना या बालों में सफेदी आना
बालों का पतला हो जाना
बालों का टेक्सचर ख़राब होना आदि लक्षण

सफ़ेद बाल होने पर होम्योपैथिक उपचार
Jaborandi oil, Jaborandi q और bringraj q को बराबर मात्रा में मिला कर हफ्ते में एक बार बालों में लगाए और हो सके तो रोज लगाए,

इन दवाओं को मिला के लगाने से न सिर्फ आपके बाल काले होंगे बल्कि चमकदार और लम्बे भी होने लगेंगे इन दवाओं के साथ साथ , खाने पीने का ध्यान रखे और फाइबर युक्त भोजन लेने के साथ साथ विटामिन बी की मात्रा खाने में बढ़ाएं

Crack Heels treatment in homeopathy | फटी एड़ियों के लिए दवाए

फटी एड़ियां

फटी एड़िया एक आम परेशानी है परन्तु ये एक दर्दनाक बीमारी बन सकती हैं अगर समय रहते फटी एड़ियों का उपचार नहीं किया जाये तो | इतना ही नहीं फटी एड़ियां अक्सर महिलाओं के लिए शर्मिंदगी का कारण भी बन जाती हैं , फटी एड़ियां जहा एक तरफ शर्मिन्दिगी का कारण बनती हैं, वही दूसरी तरफ इनमे से कभी कभी खून भी निकलने लगता हैं |
यह समस्या पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में अधिक देखी गयी है।परन्तु आजकल ये देखने को मिलता हैं की बरसातों के मौसम से ही एड़ियों का फटना शुरू हो जाता हैं |

फटी एड़ियों के कारण

फटी एड़ियों का मुख्य कारण हैं पैरों की सही देख भाल न कर पाना, समय समय पर पैरों को न धोना, पैरों में चपलों का अधिक प्रयोग करना , नंगे पाव घूमना, गर्मियों के मुकाबले ठंडो में ये समस्या ज्यादा देखी जाती हैं…., आदि कारण फटी एड़ियों के कुछ मुख्य कारण हैं।

फटी एड़ियों के लक्षण :

इन परेशानियों का लक्षण है जैसे
पैरों में लाली , खुजली, सूजन
स्किन का फटना और साथ में त्वचा का रूखा व पतला हो जाना है |
इसके पहले कि दरारें (Cracks ) गहरी हो जाए और उसमे से खून (Bleeding ) आने लगे या दर्द हो, हम सही उपचार से बच सकते हैं |

फटी एड़ियों के लिए होम्योपैथिक उपचार

एड़ियों के फटने पर आप कुछ होम्योपैथिक दवाये इस्तेमाल कर पैरो की सुंदरता को बनाये रख फटी एड़ियों से निजात पा सकते हैं :
Calendula officinalis – Q से फटी एड़ियों को रुई की मदद से साफ करें
No crack cream को फटी एड़ियों में दिन में दो बार प्रयोग करें
Petroleum ३० की ५ बुँदे दिन में ३ बार लें ( ५ बुँदे सवेरे, ५ बुँदे दिन में, ५ बुँदे शाम को )
Natrum Sulp 6x की ४ गोली दिन में ३ बार लें, ( ४ गोली सवेरे, ४ गोली दिन में , ४ गोली शाम को )

इन दवाओं को सही मात्रा व सही समय पर प्रयोग करें साथ ही पाव को साफ रखे और गर्म पानी से धोये हो सकते को चपलों से ज्यादा जूतों का इस्तेमाल करें।

Height Growth

लम्बाई बढ़ाने का होम्योपैथिक उपचार

लम्बा कद हर कोई चाहता है। लम्बे कद का आत्मविश्वास बढ़ाने में एक विशेष योगदान रहता हैं यही नहीं सेना और पुलिस में ऊंचे कद का होना जरूरी माना जाता है। और अगर मॉडलिंग जैसे क्षेत्र में कदम जमाने हों, तो लंबाई बहुत काम आती है। हालांकि सबकी लंबाई अच्छी नहीं होती। लेकिन लंबाई बढ़ाने के लिए बचपन से ही ध्यान रखना चाहिए। लंबाई बढ़ने की औसत आयु लड़कियों में लगभग 18 वर्ष और लड़कों में 24 साल मानी जाती हैं।
व्यक्ति के शरीर में लम्बाई को बढ़ाने में सबसे अधिक योगदान ह्यूमन ग्रोथ हार्मोन का होता है।

लम्बाई न बढ़ने के कारण

लम्बाई न बढ़ने के अनेक कारण है, जिनमे से कुछ कारण निम्न हैं :
अनुवांशिक कारण
उचित आहार व पोषण की कमी
हार्मोन्स का विकास
जरूरत से ज्यादा भार नियमित उठाने के कारण

लम्बाई न बढ़ने के लक्षण
लम्बाई न बढ़ने का एक ही लक्षण देखा गया है :-
आयु के अनुसार लम्बाई न बढ़ना

जानते है समय रहते लम्बाई बढ़ाने के लिए होम्योपैथिक उपचार
Syphilinum 1m की ३ पुड़िया, १० -१० मिनट के अंतर से( एक दिन लेनी हैं बस इसके बाद इसको नहीं लेना हैं )।
Hi tex की २ गोली, दिन में ३ बार (२ गोली सवेरे, २ गोली दिन में, २ गोली शाम को )
Acth 30, की २ बुँदे, दिन में ३ बार (२ बुँदे सवेरे, २ गोली दिन में, २ गोली शाम को )
Calcarea Phos. 6x की ४ गोली , ३ बार (४ गोली सवेरे, ४ गोली दिन में, ४ गोली शाम को )
Bryta Carb. 1m की ३ पुड़िया १० -९० मिनट के अंतर से एक दिन लेनी है (Syphilinum 1m के ९० दिन बाद )
Thuja 1m की ३ पुड़िया १० -९० मिनट के अंतर से एक दिन लेनी है ( Bryta Carb. 1m लेने के ९० दिन बाद )
पुड़िया लेने वाले दिन बाकी दवाओं का सेवन न करें।
इन दवाओं को समय पर और सही मात्रा में लें, साथ ही खाने में सही पोषण तत्वों को शामिल करें।

Constipation

Constipation
कब्ज में मलत्याग में परेशानी होने लगती है और कब्ज में व्यक्ति का पाचन तंत्र ख़राब हो जाता हैं, जिसके कारण पाचन होने में समस्या होने लगती हैं हालांकि ये कोई गंभीर समस्या नहीं हैं, मल त्याग की गति हर एक व्यक्ति में अलग अलग होती हैं।
इसमें व्यक्ति को मल त्याग में मुश्किल और अधिक कठिनाई होने लगती हैं।

कब्ज के कारण

कब्ज के कई कारण हो सकते हैं। जानते है कब्ज के कुछ निम्न कारण :

शरीर में पानी की कमी।
फाइबर युक्त भोजन का अभाव।
शारीरिक श्रम में कमी, मेहनत न करना, आलस्य करना।
जरुरत से ज्यादा दवाओं का सेवन करना।
व्रत उपवास करने के कारण या बिना भूख के भोजन करने के कारण।
भोजन खूब चबा-चबाकर न करना अर्थात् जबरदस्ती भोजन ठूँसना। जल्दबाजी में भोजन करना।

कब्ज के लक्षण

सांसों से बदबू।
मुँह का स्वाद खराब होना , जीब मोटी या जीब में सफ़ेद परत या मटमैली होना।
उलटी या मतली आना।
अधूरे मलत्याग की भावना।
पेट साफ़ नहीं होने के कारण चेहरे में दाने।
पेट में दर्द या सूजन होना, आदि लक्षण कब्ज में देखे जाते हैं।

कब्ज के लिए होम्योपैथिक उपचार:

Bryonia alba 30 की ५ बुँदे दिन में २ बार, (५ बुँदे सुबह खली पेट, ५ बुँदे शाम को खाना खाने के बाद )
Bio-combination-4 , की ४ गोली दिन में ३ बार, (४ गोली सुबह, ४ गोली दिन में , ४ गोली शाम को )
Blooume no. 35, २ गोली दिन में ३ बार ( २ गोली सुबह, २ गोली दिन में, २ गोली शाम को )

कब्ज होने पर इन होम्योपैथिक दवाओं का सेवन करें और साथ ही नियमित पानी पिए।

Tinnitus

टिनिटस जिसका मतलब है, कानो का बजना , जिसमे कान में आवाज सुनाई देती है जैसे कान में घंटी बजने की आवाज सुनाई देना जब कोई आवाज बज भी नहीं रही होती है लेकिन ये आवाज परेहान करने वाली फुंकार, सीटी, या भिनभिनाने की तरह भी हो सकती है ।टिनिटस किसी भी उम्र के लोगों में हो सकती हैं । इसे रक्तवाहिनियों की समस्या या उम्र के साथ सुनने की शक्ति क्षीण होने से जोड़कर देखा जा सकता है।
टिनिटस के कारण सुनने की क्षमता कम हो जाती है

टिनिटस के कारण
टिनिटस का कोई स्पष्ट कारण निकलना थोड़ा मुश्किल है, लेकिन इनके कुछ सामान्य कारण निम्न है :
कान की अंदुरुनी चोट या पस भरना
कान के परदे में छेद होना
कान के अंदर संक्रमण या सर्दी जुखाम के कारण

टिनिटस के लक्षण
कानों में सि‍सकारी, दहाड़ जैसी आवाजें बजना
कानों का बजना एवं आवाज का कानों में गूंजते रहना, यह आवाजें समस्या की गंभीरता के अनुसार कम या ज्यादा तीव्रता लिए होती हैं।
कान में शोर इतनी तेज होना की, काम करने में भी समस्या होने लगे

टिनिटस का होम्योपैथिक उपचार

टिनिटस के लिए जानते है कुछ होम्योपैथिक दवाएं
Chamomilla 1000 or 1m शुगर मिल्क के साथ ३ पुड़िया , 10-10 मिनट के अंतर से ३ बार
Aconitum Napellus 30, 2 बुँदे, दिन में 3 बार (10-15 दिन तक)
Chenopodium Q, की 10-15 बुँदे , दिन में ३ बार
Five phos की 4 गोली , दिन में ३ बार
Thiosinaminum 3x की २ गोली , दिन में ३ बार
टिनिटस होने पर इन दवाओं को समय पर और सही मात्रा में लें

Stye

इस रोग में आंखों की पलकों के ऊपर या नीचे एक तरफ फुंसियां हो जाती है अर्थात आंखों को नमी देने वाली ग्रन्थि में छोटी सी फुंसी हो जाती है जिसे अंजनी या गुहेरी कहते हैं। जब तक इसका प्रभाव आंखों पर नहीं होता है तब तक इसका दृष्टि पर कोई भी प्रभाव नहीं पड़ता है।

कारण : यह रोग अधिकतर बैक्टीरिया के कारण होता है। सर्दी लगना एवं शरीर में अधिक कमजोरी होना आदि कारणों से यह रोग होता है।

लक्षण : जब यह रोग हो जाता है तो पलक पर लाली आ जाती है, दर्द होने लगता है और असहनीय सूजन हो जाती है। इस रोग के होने के कुछ दिनों बाद इसके फोड़े पर मुंह निकल आता है और मवाद निकल जाता है। पलकों पर खुजली भी होती है।
साथ ही इनके कुछ अन्य लक्षण भी है जैसे :-
आंखे झपकने में दर्द
जलन
सूजन
छूने में दर्द
प्रभावित छेत्र से पस निकलना आदि।

जानते है गुहेरी के लिए कुछ होम्योपैथिक दवाएं :
गुहेरी का होमियोपैथी में पूर्ण रूप से इलाज उपलब्ध है और साथ ही होम्योपैथिक उपचार के बाद गुहेरी के दोबारा होने की सम्भवना भी कम हो जाती है. जानते है गुहेरी के लिए होम्योपैथिक दवाये :
Staphysagria 1m की ४ पुड़िया बनवा लें , और इनको 10-10 मिनट के अंतर से लें ।
Pulsatilla Nigricans 200 की 5 बुँदे, पांच साल से ऊपर के लोगों के लिए, और २ बुँदे छोटे बच्चों के लिए एक बार दें , सवेरे उठते उठते ।
Belladonna 30, की 2-2 बुँदे , दिन में ३ बार लें, (२ बुँदे सवेरे, २ बुँदे दिन में , और २ बुँदे शाम को )
REPL 96 ,15-20 बुँदे दिन में ३ बार आधे कप पानी में मिला कर लें , (15-20 बुँदे सवेरे,15-20 बुँदे दिन में , 15-20 बुँदे शाम को )।

गुहेरी होने पर बताई गयी होम्योपैथिक दवाइयों का सेवन करें ,इन दवाओं से आपको इस रोग में बेहद फायदा होगा साथ ही धूल मिट्टी से अपने आँखों को बचाये और गुनगुनगे पानी से प्रभवित जगह को सेकते रहें ।

Hoarsen

गला बैठना

गले का बैठना वैसे तो एक आम समस्या है अक्सर इस परेशानी में लोग ज्यादा ध्यान नहीं देते गले के बैठने के कारण गले में दर्द खराश जैसी समस्या आती है हलाकि गले दर्द की समस्या ज्यादा समय के लिए नहीं रहती पर इसका उपचार करा लेना चाहिए क्योंकी गले में खराश कई बड़ी बिमारियों का कारण बन सकती है गले के बैठने पर अकसर आपको बोलने में परेशानी का सामना करना पड़ता है इतना ही नहीं आपको खाना निगलने में भी गले में दर्द होता है

गले बैठने के कारण :

गले के बैठने के वैसे तो कई कारण है, लेकिन कुछ सामान्य कारण निम्न है :-

टॉन्सिल या टॉन्सिल बढ़ने के कारण गला बैठना
जोर से चिल्लाने के कारण गला बैठना
ठंडे के कारण गला बैठना
ठंडे पेय प्रदार्थ, शराब के साथ अधिक मात्रा में बर्फ का सेवन, धूम्रपान , और अधिक तेल ,मसाले वाले खाने का सेवन करने के कारण
ये कुछ सामान्य कारण है जिससे गले बैठने की समस्या

गला बैठने के लक्षण

गला बैठना वैसे तो अपने आप में एक लक्षण है ,परन्तु इसके कुछ सामान्य लक्षण है जैसे :
मुँह से बदबू आना
साँस लेने में दिक्कत होना
निगलने में परेशनी
गले में गाँठ बनना
बोलने में गले में दर्द होना
आवाज में घरघराहट
गले में बलगम जमना
बलगम में खून
आदि लक्षण गले बैठने में दिखाई पड़ते है।

गले बैठने का होम्योपैथिक उपचार :
Aconitum Napellum 30ch की 5-5 बुँदे, दिन में 3 बार (5 बुँदे सवेरे, 5 बुँदे दिन में, 5 बुँदे शाम को ) 1 हफ्ते तक लें ,
एक हफ्ते बाद से,Causticum 30ch, की 5 बुँदे, दिन में ३ बार , 5 बुँदे सवेरे, 5 बुँदे दिन में, 5 बुँदे शाम को),
साथ में , Ferrum Phos. 6x और Kali Mur. 6x की 6-6 गोलिया मिला कर दिन में ३ बार लें

अगर गला बैठ रहा हैं तो , होमियोपैथी की कुछ दवाइयां लें कर आप गले बैठने की समस्या से छुटकारा पा सकते है।