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Whooping Cough

Pertussis सूखी खाँसी होम्योपैथी चिकित्सा

कई बार तो खाँसी के दौरे के चलते हम उल्टी भी कर देते हैं, क्योंकि खाँसी का दबाव पेट पर भी पड़ता था। ऐसी खाँसी को काली खाँसी या सूखी खांसी भी कहा जाता है, जो श्वांस तंत्र में संक्रमण होने से होता है।

काली खाँसी किसी भी उम्र के लोगो को हो सकती है । कुछ दिनों बाद तीव्र खाँसी का दौरा पड़ने लगता है ।

काली खांसी का दूसरा नाम – पार्टुसिस है। साधारणत: 2 वर्ष के नीचे के बच्चों को ही यह बीमारी हुआ करती है।
अगर यह बीमारी एपिडेमिक हुई तो 8 वर्ष तक की उम्र तक भी आक्रमण कर सकती है।

यह बीमारी जीवन में सिर्फ एक बार होती है। हु‍पिंग कफ की तीन स्टेज या अवस्थाएँ हैं। –
1. कैटेरैल
2. कन्वसिव
3. क्रिटिकल

हुपिंग कफ में ब्रोंकाइटिस के सभी साउण्ड मौजूद रहते हैं। इसके प्रधान उपसर्ग-ब्रोंकोनिमोनिया, निमोनिया, एम्फाईसीमा इत्यादि हैं।
खसरा, चेचक, स्कार्लेटिना (आरक्त ज्वर) आदि रोगों के उपसर्ग में भी हुपिंग कफ होना है। इस रोग की साधारणतया पहचान आसान होती है। लगातार खाँसी, मुखमंडल लाल हो जाना, श्वास तेज चलना, बेचैनी बढ़ जाना तथा छाती में स्टेथेस्कोप या कान लगाकर सुनने पर धड़-धड़ की आवाज सुनाई पड़ती है।

सूखी खांसी के लिए होम्योपैथिक उपचार

सुखी खांसी के लिए होमेओपथी में कुशल उपचार संभव है, जानते हैं सुखी खांसी के लिए होम्योपैथिक दवाइयाँ ।
Justicia Q, 10 -15 बुँदे, दिन में 3 बार (10 -15 बुँदे सवेरे ,10 -15 बुँदे दिन में,10 -15 बुँदे शाम को )।
Aconite 2 बुँदे , 10-10 मिनट के अंतर से, दिन में 2 बार ।
Drosera Rotundifolia Q , 2-5 बुँदे , दिन में 3 बार (2-5 बुँदे सवेरे ,2-5 बुँदे दिन में,2-5 बुँदे शाम को)।

बताई गयी दवाओं का सही मात्रा में और सही समय में प्रयोग कर आप काली खांसी से निजात पा सकते हैं ।

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Mental Stress

होम्योपैथी से तनाव का इलाज
आज के युग में तनाव, चिंता अवसाद, इत्यादि आम समस्याएं बन गई हैं और आज लोगों को जिस तरह की जीवन शैली अपनानी पड़ती है वह इन समस्याओं को और बढ़ावा देता है। होम्योपैथिक उपचार आपकी तंत्रिका प्रणाली को दुरुस्त करके तनाव, चिंता, अवसाद इत्यादि समस्याओं से मुक्ति दिलाता है साथ हीं साथ आपकी भावनाओं से जुडी समस्याओं में भी काफी लाभ पहुंचाता है एवं आपको दुःख से उबरने की शक्ति प्रदान करता है।
मानसिक समस्याओं के शुरूआती लक्षणों को पहचानना जरूरी है जिससे की आप जल्द से जल्द उनका उपचार शुरू कर सकें। चिड़चिड़ापन,अनिद्रा, भय या अपराध की भावना से ग्रस्त होकर दुखी रहना; ये सब मानसिक रोग होने के संकेत हैं जिनका शीघ्र उपचार किया जाना चाहिए। ज्यादातर विशेषज्ञों का मानना है की अवसाद इत्यादि जैसी बीमारियाँ पुरानी मानसिक बीमारी हो चुकी होती हैं जिनका लम्बी अवधि तक उपचार चल सकता है।
जानते है तनाव के लक्षण
हमें नींद नहीं आती है।
भोजन का न पचना।
ब्लड सरकुलेशन सही तरह से नहीं होता।
एकदम से ब्लड प्रेशर कम ज्यादा हो जाना।
बिना काम के थकान महसूस होना।
हमेशा उदास रहना, तेज सांस चलना।
हमेशा चिड़चिड़ा रहना।
बेवजह की बातों पर गुस्सा होना।
सिर दर्द , बदन दर्द जैसा महसूस करना।
आत्मविश्वास कम होना।
बालों का झड़ना व शरीर पर कई तरह के परिवर्तन
इसके अलावा भी कई तरह के लक्षण हो सकते हैं जिन्हें हम नजरअंदाज कर देते हैं।
तनाव के कारण
अस्वस्थ आहार का सेवन
नींद की कमी
बदलती जीवनशैली
वातावरण का प्रभाव आदि कारण है तनाव के
तनाव के लिए होम्योपैथी दवाएं
ADEL 85 को दो चम्मच , आधे कप पानी के साथ सुबह , शाम लें
इस दवा के सेवन के साथ ही व्यायाम करें, संतुलित आहार लें और सुबह ताज़ी हवा में सैर करें ।

Homeopathic Treatment for Toothache

दांत का दर्द
दांत का दर्द एक आम समस्या बनती जा रही है । दन्त का दर्द असहनीय होता है, जिससे न सिर्फ बच्चे बल्कि बुजुर्ग व्यक्ति भी परेशान रहते हैं । इस दर्द में लोग अच्छे से न खाना खा पाते है न बोल पाते है और साथ में चहरे पर सूजन आती है । दांत के दर्द का इलाज थोड़ा मुश्किल हो जाता है. किसी को अपने दांतों के दर्द के बारे में बताया जाए तो नमक के पानी के गरारे और लौंग की सलाह देते हैं ।
दांत दर्द के लक्षण
दांत का दर्द हल्के से गंभीर तक हो सकता है, और यह स्थिर या अस्थायी हो सकता है ।
आप महसूस कर सकते हैं, जैसे-
अपने दांत या गम में या उसके आसपास दर्द या सूजन झुकाव
बुखार
सांस लेने में तकलीफ
जब आप अपने दाँत को छूते हैं या काटते हैं तो तेज दर्द होता है
आपके दांत में या उसके आस-पास कोमलता और चंचलता
गर्म या ठंडे खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों के जवाब में आपके दाँत में दर्दनाक संवेदनशीलता।
जलन या सदमे की तरह दर्द, जो असामान्य है।
दांत में दर्द के कारण
दांत में फोड़ा होना
दांतो की बाहरी परत में कमजोरी
मसूड़ों के रोग के कारण
दांत पीसना
बहुत ज्यादा ठंडा/ गरम खाने से दांतो में संवेदनशीलता
दांतों के दर्द का होम्योपैथिक उपचार
Mercurius soulb 30ch की २ बुँदे, दिन में तीन बार लें (2 बुँदे सवेरे, 2 बुँदे दिन में , 2 बुँदे शाम को)।
Repl 99 की 15 से 20 बुँदे, दिन में तीन बार लें (15 से 20 बुँदे सवेरे, 15 से 20 बुँदे दिन में , 15 से 20 बुँदे शाम को)।
दांतो के दर्द में बताई गयी होम्योपैथिक दवाओं का सेवन करें और दांतो को साफ रखे, स्वस्थ आहार लें, दिन में 2 बार ब्रश करें ।दांत का दर्द
दांत का दर्द एक आम समस्या बनती जा रही है । दन्त का दर्द असहनीय होता है, जिससे न सिर्फ बच्चे बल्कि बुजुर्ग व्यक्ति भी परेशान रहते हैं । इस दर्द में लोग अच्छे से न खाना खा पाते है न बोल पाते है और साथ में चहरे पर सूजन आती है । दांत के दर्द का इलाज थोड़ा मुश्किल हो जाता है. किसी को अपने दांतों के दर्द के बारे में बताया जाए तो नमक के पानी के गरारे और लौंग की सलाह देते हैं ।
दांत दर्द के लक्षण
दांत का दर्द हल्के से गंभीर तक हो सकता है, और यह स्थिर या अस्थायी हो सकता है ।
आप महसूस कर सकते हैं, जैसे-
अपने दांत या गम में या उसके आसपास दर्द या सूजन झुकाव
बुखार
सांस लेने में तकलीफ
जब आप अपने दाँत को छूते हैं या काटते हैं तो तेज दर्द होता है
आपके दांत में या उसके आस-पास कोमलता और चंचलता
गर्म या ठंडे खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों के जवाब में आपके दाँत में दर्दनाक संवेदनशीलता।
जलन या सदमे की तरह दर्द, जो असामान्य है।
दांत में दर्द के कारण
दांत में फोड़ा होना
दांतो की बाहरी परत में कमजोरी
मसूड़ों के रोग के कारण
दांत पीसना
बहुत ज्यादा ठंडा/ गरम खाने से दांतो में संवेदनशीलता
दांतों के दर्द का होम्योपैथिक उपचार
Mercurius soulb 30ch की २ बुँदे, दिन में तीन बार लें (2 बुँदे सवेरे, 2 बुँदे दिन में , 2 बुँदे शाम को)।
Repl 99 की 15 से 20 बुँदे, दिन में तीन बार लें (15 से 20 बुँदे सवेरे, 15 से 20 बुँदे दिन में , 15 से 20 बुँदे शाम को)।
दांतो के दर्द में बताई गयी होम्योपैथिक दवाओं का सेवन करें और दांतो को साफ रखे, स्वस्थ आहार लें, दिन में 2 बार ब्रश करें ।

Dengue & Chikungunya

डेंगू
डेंगू एक प्रकार का बुखार है जो जानलेवा भी हो सकता है । यह बुखार एडीज मादा मच्‍छर के काटने से फैलता है यह मछर जमा साफ पानी में पनपता है, जैसे मटके में, गमले में, कूलर में जमे पानी में ये मछर पनपता है। डेंगू एक तरह का वायरल इन्फेक्शन है जिसमे ब्लड प्लेटलेट की संख्या कम हो जाती है।जब कोई एडीज मच्छर डेंगू के किसी रोगी को काटने के बाद किसी अन्य स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो वह डेंगू वायरस को उस व्यक्ति के शरीर में पहुंचा देता है।
डेंगू के लक्षण
डेंगू के अनेक लक्षण देखे गए है, जिनमे से कुछ खास लक्षण है :
तेज बुखार, बदन टूटना डेंगू का प्रमुख लक्षण है।
शरीर में बहुत तेज दर्द होता है, विशेषकर जोड़ों और अस्थियों में।
सिर में बहुत तेज दर्द होता है।
हाथ-पैर में चकत्ते होना, खासकर दबे हुए हिस्‍से में।
मतली और उल्‍टी होना।
डेंगू में छोटे लाल चकत्ते या रैशेस हो जाते है।
जानते है डेंगू के लिए होम्योपैथिक दवाइयां
Eupatorium Per. की 2 -3 बुँदे , दिन में 3 से 6 बार लें
Children को 7 -10 ml, दिन में 3 से 5 बार लें ।
इन दवाओं को लेने से आपको डेंगू से रहत मिलेगी,साथ ही अपने आस पास स्वछता बनाये रखे और डेंगू के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें ।

Diabetes

डायबिटीज
डायबिटीज जिसे मधुमेह या शुगर के नाम से भी जाना जाता है ,भारत में शुगर के मरीजों की तादात हर वर्ष बढ़ते जा रही है शुगर को ३ प्रकारों में बाटा गया है
टाइप 1 डायबिटीज़: इन्सुलिन के न बनने के कारण जो डायबिटीज होता हैं , उसे टाइप 1 डायबिटीज के अंदर रखा गया है
टाइप 2 डायबिटीज़:शरीर में इन्सुलिन की कमी के कारण, जो डायबिटीज होता हैं, उसे टाइप 2 डायबिटीज के अंदर रखा गया है
गर्भावधि मधुमेह: गर्भावधि मधुमेह (जैस्टेशनल डायबिटीज) तब होती है, जब गर्भावस्था के दौरान गर्भवती स्त्री के खून में शर्करा (ग्लूकोस) की मात्रा काफी ज्यादा हो जाती है
मधुमेह/ शुगर / डायबिटीज के कारण
मधुमेह के कई कारण हैं चलिए जानते है मधुमेह के कुछ मुख्य कारण
मधुमेह के कारणों में एक मुख्य कारण अनुवांशिक कारण हैं, यदि माता पिता को मधुमेह है तो सम्भावना है उनके बच्चों को भी मधुमेह हो जाये
मोटापा या जरूर से ज्यादा वजन बढ़ना भी मधुमेह का एक मुख्य कारण है
बढ़ती उम्र के साथ भी कई लोगों में ये रोग पाया जाता है
मानसिक तनाव के कारण भी मधुमेह होने का खतरा बढ़ जाता है
जरूरत से ज्यादा दवाओं का सेवन , या नशा करना , धूम्रपान ,शराब का सेवन भी मधुमेह या शुगर जैसी बीमारी पैदा करता है
व्यायाम की कमी के कारण या गर्भवस्ता में भी शुगर होने का खतरा रहता हैं
मधुमेह/ शुगर / डायबिटीज के लक्षण
मधुमेह के कई लक्षण देखे गए है, जिसमे से कुछ मुख्य लक्षण है :-
मधुमेह में शरीर में पानी की कमी हो जाती है , जिस कारण प्यास अधिक लगती है ।
शरीरिक कमजोरी महसूस करना और भूख ज्यादा लगना ।
शरीर के घाव पुरे होने में देरी होना ।
वजन की कमी, आँखों की रोशिनी काम होना, बार बार पेशाब आना, बाल गिरना , त्वचा में इन्फेक्शन , शरीर में रूखापन और खुजली आदि लक्षण ।
मधुमेह के लिए होम्योपैथिक उपचार
मधुमेह एक गंभीर रोग है जिस कारण रोगी के शरीर के कई अंगो को नुकसान पहुँचता है।
होम्योपैथिक उपचार से, खान पान का ख्याल रख, व्यायाम कर और कुछ चीजों से परहेज कर रोगी न सिर्फ शुगर को कण्ट्रोल कर सकता है बल्कि अन्य अंगों में नुकसान होने से भी बचा सकता है।
जानते है शुगर के लिए कुछ होम्योपैथिक दवाएं :
Syzygium jambolanum Q की 10 बुँदे, दिन में तीन बार ( 3 बुँदे सवेरे, 3 बुँदे दोपहर
में, 3 बुँदे रात में )
Pancreatinum 3x या 6x, 2 गोली दिन में तीन बार ( 2 गोली सवेरे, 2 गोली दोपहर
में, 2 गोली रात में )
Bio-Combination 7 की 4 गोली सवेरे, 4 गोली दिन में , 4 गोली शाम को लें ।
इन होम्योपैथिक दवाओं को समय से और सही मात्रा में लें और खान पान का ध्यान रखे ।

Stomach Cramps

पेट की मरोड़

पेट का मरोड़ वैसे तो सामान्य परेशानी है। पेट के ऊपरी या निचले हिस्से में दर्द की भावना को पेट में दर्द कहा जाता है। पेट का दर्द के कई कारण हो सकते है, किसी गंभीर बीमारी के कारण, आंतो के विकार कारण, गुर्दे की परेशानी कारणों से पेट दर्द की समस्या पैदा होती है।
पेट में दर्द के मुख्य 3 प्रकार होते है : सामान्य पेट दर्द, स्थानीय दर्द, और ऐंठन

पेट दर्द के कारण
गैस्ट्राइटिस, लीवर में खराबी, आमाशय में छेद होने के कारण पेट का दर्द पैदा होता है। पित्त की थैली में पथरी होने पर आमतौर पर पेट के दाएं तरफ दर्द होता है।
अकसर पैन्क्रियाज की खराबी के कारण पेट के बीच में दर्द होता है। महिलाओं में पेट के निचले हिस्से में दर्द के कई कारण हो सकते हैं जैसे गर्भाशय में किसी तरह की खराबी, फाइब्रायड, एंड्रीयोमेट्रीयोसि‍स, माहवारी या कोई अन्य बीमारी ।
पेट के एक तरफ दर्द का कारण गुर्दे में पथरी या गुर्दे की अन्य कोई बीमारी हो सकती है। एसीडिटी या अल्सर की शिकायत होने पर पेट के बीचो बीच अधिक दर्द होता है।
आंतों में सूजन भी पेट दर्द का कारण होती है इसके कारण पेट दर्द असहनीय हो जाती है।
पेट में दर्द के कई अन्य कारण भी है जैसे :
फ़ूड पोइज़निंग
अल्सर
पथरी
मूत्र पथ में संक्रमण
अपच
कब्ज, दस्त आदि
पेट दर्द के लक्षण
देखा जाये तो पेट में दर्द अपने आप में ही बीमारी का एक लक्षण है,बार बार पेट में उठता दर्द किसी बड़ी बीमारी का संकेत हो सकता है और ऐसे में बिना दरी किये जल्द से जल्द डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए
पेट में दर्द के लिए होम्योपैथिक उपचार
पेट का दर्द किसी भी कारण हो, होमियोपैथी में इसका सफल उपचार उपलब्ध है:
Dysentry co 30 को 2-2 बुँदे, 3 बार ( 2 बुँदे सवेरे, 2 बुँदे दिन में , 2 बुँदे शाम को ) लगातार 15 दिन के लिए लें।
Bio-Combination 3 की 4 गोली सवेरे, 4 गोली दिन में , 4 गोली शाम को लें ।
Bio-Combination 8 की 4 गोली सवेरे, 4 गोली दिन में , 4 गोली शाम को लें ।
इन दवाइयों को बताई गयी मात्रा में , और समय पर ले इनसे आपको पेट दर्द में लाभ मिलेगा इसके अलवा खूब पानी पिए और हरी सब्जी खाये ।

sahas Homeopathic

KIDNEY STONES

किडनी स्टोन्स

किडनी स्टोन्स को गुर्दे की पथरी भी कहा जाता है। रोजमर्रा की भागदौड़ और अव्यवस्थि‍त लाइफस्टाइल के चलते बहुत से लोग किडनी स्टोन के मरीज बन चुके हैं. पथरी का दर्द जब उठता है तो वो असहनीय हो जाता है इसके कारण पेशाब में संक्रमण व किडनी को नुकसान पहुंच सकता है। इसलिए किडनी स्टोन यानि गुर्दे की पथरी का उपचार जरुरी है।

गुर्दे की पथरी के कारण
किडनी स्टोन्स का मुख्य कारण गलत खान-पान व जरुरत से कम पानी पीना हैं ।
कुछ लोगों में अनुवांशिकता के कारण भी गुर्दे की पथरी होने की समस्या रहती है।
कुछ पुरानी बीमारियां गुर्दे की पथरी का कारण हो सकती है।
30 से 50 वर्ष की आयु के पुरुषों में गुर्दे की पथरी पायी जाने की संभावना अधिक देखी गयी है।

गुर्दे की पथरी के लक्षण
पीठ की तरफ या पेट के निचले हिस्से में तेज दर्द अचानक शुरू होना ।
पेशाब में खून आना ।
सामान्य से अधिक बार पेशाब आने की इच्छा होना परन्तु एक बार में थोड़ा सा ही पेशाब आना।
पेशाब करते समय दर्द महसूस करना या पेशाब करने में कठनाई महसूस करना ।
जैसे कुछ लक्षण पथरी के मरीज में पाए जाते है ।

गुर्दे की पथरी का होम्योपैथिक उपचार

गुर्दे की पथरी होने पर सबसे पहले तो अतिरिक्त मात्रा में पानी पिए साथ ही कैल्शियम , सोडियम युक्त आहार लें , पथरी बनाने वाले खाघ प्रदार्थ जैसे कद्दू, बैगन,अमरुद, चुकंदर, पालक, चॉकलेट, चाय,दूध, टमाटर आदि प्रदार्थो से बचे या इन्हे कम से कम लें ।
इसके साथ ही होमियोपैथी में पथरी का कुशल उपचार सम्भव है, इसलिए होम्योपैथिक उपचार को जरूर अपनाये, होमियोपैथी की दवाओं को बताई गयी मात्रा में समय पर लेने से आपको पथरी से तुरंत राहत मिलेगी तो चलिए गुर्दे की पथरी के लिए जानते है होम्योपैथिक दवाइयाँ :
Calcarea Renal 6 , की दो-दो बुँदे, दिन में 3 बार (२ बुँदे सुबह , २ बुँदे दिन में और २ बुँदे शाम को लें )।
Berberis vulgaris Q , की 15-20 बुँदे, दिन में चार बार लें, 1 गिलास पानी में मिला कर।
Sbl कंपनी की Clearstone, की 20 बुँदे सवेरे, 20 बुँदे दिन में, 20 बुँदे शाम को लें. इन दवाओं को सही मात्रा व समय पर लेने से आपको बेहद लाभ मिलेगा।

Arthritis Pain

क्या आपके जोड़ों में दर्द रहता है ? क्या आपके जोड़ों में सूजन रहता है ? यदि हाँ तो सावधान हो जाये ये गठिया रोग यानी अर्थराइटिस भी हो सकता है। अर्थराइटिस, जिसे संधि शोथ भी कहा जाता है, एक प्रकार के जोड़ों की सूजन होती है। जब हड्डियों में यूरिक एसिड जमा हो जाता है तो ये गठिया का रूप ले लेता है। यह एक या एक से अधिक जोड़ों को प्रभावित कर सकती है। गठिया 65 वर्ष से अधिक उम्र वालों में देखा जाता है, हालांकि यह बच्चों टीनएजर और युवाओं में भी विकसित हो सकता है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिकतर इस रोग को देखा जाता है, खासतौर पर उन में जिनका वजन ज्यादा हो।
अर्थराइटिस में सूजन के साथ दर्द और उंगलियों, बाजुओं, टांगों और कलाइयों में अकड़न व मरोड़ सी होती है और यही गठिया के मुख्य लक्षण भी है। इसमें शरीर के जोड़ों में काफी दर्द होता है। यह दर्द सुबह के समय ज्यादा प्रभावित होता है ।

गठिया के प्रकार:

गठिया मुख्य रूप से दो प्रकार के होते है
ओस्टियो आर्थराइटिस : यह ऑस्टियो आर्थराइटिस सबसे आम प्रकार का अर्थराइटिस है। यह बढ़ती उम्र के साथ होता है। यह अंगुलियों और कूल्हों के अलावा पूरे शरीर का भार सहन करने वाले घुटनों को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है। इस समस्‍या के होने पर घुटनों में सूजन और चलते समय घुटने में तेज दर्द होता है।
रूमेटाइड अर्थराइटिस : यह गठिया का बहुत अधिक पाया जाने वाला गंभीर रूप है। इस अर्थराइटिस का समय पर प्रभावी उपचार करवाना आवश्‍यक होता है वरना बीमारी बढ़ने पर एक साल के अन्दर ही शरीर के जोड़ों को काफी नुकसान हो जाता है।
मेडिकल साइंस की भाषा में इसे आटो-इम्यून डिजीज यानी स्‍व-प्रतिरक्षित बीमारी कहा जाता है।ठण्ड के कारन इस बीमारी का दर्द असहनीय हो जाता है ।

गठिया के लक्षण :
गठिया के किसी भी रूप में जोड़ों में सूजन दिखाई देने लगती है। इस सूजन के चलते जोड़ों में दर्द, जकड़न और फुलाव होने लगता है। रोग के बढ़ जाने पर तो चलने-फिरने या हिलने-डुलने में भी परेशानी होने लगती है।

गठिया के कुछ अन्य मुख्य लक्षण है :

जोड़ों में सूजन आ जाना।
जोड़ों में दर्द रहना।
घुमाने या मूव करने में परेशानी होना।
जोड़ों को घुमाने–फिराने में देर लगना।
जोड़ों में भारीपन आ जाना।
जोड़ों में सूजन आ जाना।
जोड़ों में दर्द रहना।
घुमाने या मूव करने में परेशानी होना।
जोड़ों को घुमाने–फिराने में देर लगना।
जोड़ों में भारीपन आ जाना।

गठिया का होम्योपैथिक उपचार :

होमियोपैथी में गठिया का कुशल उपचार सम्भव है। बस शर्त है आप दवाइयों को जैसे बताई गयी है उसी तरह है, और उसी मात्रा में लें :

Polyarthritis 10m : Polyarthritis 10m की sugar milk में 6 Dosage (पुड़िया) बनवा ले, इन पुड़िया को आपको 2 दिन तक , 3 बार लेना है (1 पुड़िया सुबह, 1 दोपहर, 1 शाम) ।
बायो कॉम्बिनेशन 19 (Bio-Combination 19 ) की 4 गोली , 3 बार (4 गोली सुबह , 4 गोली दिन में , 4 गोली शाम को) ।
Adel 4 की 20 बुँदे, दिन में 3 बार, (20 बुँदे सुबह, 20 बुँदे दिन में, 20 बुँदे शाम को )आधे कप पानी के साथ मिला के लें ।

Cold and Flu in Kids

(फ्लू) वायरल बुखार है जो सर्दियों के दौरान बच्चों में आम तौर पर हो जाता है। कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता होने की वजह से बच्चे इसका शिकार जल्दी हो जाते हैं। अचानक बुखार हो जाना, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द और बेचैनी के साथ साथ खराब गला, सरसराहट, नाक बहना और सांस प्रणाली की समस्याएं होना आदि सामान्य फ्लू के लक्षण हैं। बच्चों में फ्लू के लक्षण जुकाम और सांस प्रणाली के ऊपरी हिस्से के संक्रमण जैसे ही होते हैं। इससे मिचली, उल्टी और दस्त भी हो सकते हैं। 

‘फ्लू बहुत तेजी से फैलता है, खासकर तब जब बच्चे स्कूल के बंद कमरों में रहते हैं। जब किसी की छींक या खांसी से निकले नमी कण हवा के जरिए फैलते हैं तो सांस के जरिए दूसरे बच्चों के अंदर भी चले जाते हैं या फिर जब बच्चे नाक से बहने वाले मवाद या संक्रमित थूक के संपर्क में आते हैं। आज इस परेशानी से निजात दिलाने के लिए कुछ होम्योपैथिक दवाएं बताने जा रहा हूं इससे समस्या काफी हद तक दूर हो जाएगी।

Nisikind (4 टेबलेट दिन में 3-6 बार)

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Synostosis

कुछ लोगों को हमेशा सर्दी-जुकाम की शिकायत रहती है। यह मामले अधिकतर साइनोसाइटिस यानी साइनस के होते हैं। सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि यह क्या है? दरअसल, हमारी खोपड़ी में बहुत-सारी कैविटीज़ (खोखले छेद) होती हैं। ये हमारे सिर को हल्का बनाए रखने और सांस लेने में मदद करती हैं। इन छेदों को साइनस कहते हैं। अगर इन छेदों में बलगम भर जाती है तो सांस लेने में परेशानी होने लगती है। इस समस्या को ही साइनोसाइटिस कहते हैं। आम बोलचाल में इसे साइनस भी कहा जाता है। पिछले कई सालों में इस बड़ी संख्या लोग इस बीमारी का शिकार हुए जिन लोगों को एलर्जिक साइनस होता है, उन्हें पोलन सीजन और सर्दियों में स्मॉग होने पर समस्या बढ़ने का खतरा रहता है। पहले जुकाम और प्रदूषण की वजह से गले में खिचखिच पैदा होती है। इसी के साथ नाक बंद होना, नाक बहना और बुखार जैसी शिकायतें होने लगती हैं। अगर ये लक्षण कई दिनों तक बने रहें तो ये एक्यूट साइनस हो सकता है। अगर यह समस्या बार-बार होने लगे या तीन महीने से ज्यादा समय तक बनी रहे तो यह क्रॉनिक साइनस हो सकता है। आज वीडियो के माध्यम से आपकों इस परेशानी से निजात दिलाने के लिए कुछ होम्योपैथिक दवाएं बता रहा हूं।

दवाएं
• Lemna Minor 30 ( दो-दो बूंदे दिन में तीन बार )
• Sino Care (20-20 बूंदे दिन में तीन बार )