क्या आपका टीएलसी बढ़ रहा है?

अगर आपका टीएलसी बढ़ जाता है तो घबराने की कोई बात नहीं इसका मतलब यह है कि शरीर की इम्युनिटी होने वाले इन्फेक्शन को खत्म करने की कोशिश कर रही है। यह बताता है कि शरीर इंफेक्शन से लड़ रही है तथा शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कार्य कर रही है। आइये सबसे पहले जानते है टीएलसी क्या है। टीएलसी कुल फेफड़ों की क्षमता कहते है। यह अधिकतम प्रेरणा के अंत में फेफड़ों में निहित हवा की अधिकतम मात्रा होती है। जब फेफड़ों को पूरी तरह से फुलाया जाता है तो हवा होती है। टीएलसी ज्वारीय मात्रा, प्रेरणादायक आरक्षित मात्रा, समाप्ति आरक्षित मात्रा, अवशिष्ट मात्रा का योग होता है। आप अगर टीएलसी की समस्या से जूझ रहे है तो आपको घबराने की जरूरत नहीं है आप होम्योपैथिक विधि से इसका उपचार कर सकते है। आइये जानते है टीएलसी बढने के कारण-

टीएलसी के बढ़ने का प्रमुख कारण.

शरीर में जीवाणु का संक्रमण
शरीर में चोट लगना
शरीर के किसी भाग में सूजन हो
एलर्जी होना
अजीत मात्रा में व्यायाम
काली खांसी

होम्योपैथिक उपचार-

अगर आप भी टीएलसी से परेशान है तो आप ऊपर दिये गये वीडियो को देखकर पूरी जानकारी ले सकते है। आप होम्योपैथिक दवाओं का सेवन कर टीएलसी की समस्या से छुटकारा पा सकते है। अगर आपको होम्योपैथिक उपचार में कोई समस्या आये तो आप साहस होम्योपैथिक क्लीनिक के डाॅक्टर एनसी पाण्डेय सेे संपर्क कर पूरी जानकारी ले सकते है।

आंखों में कमजोरी के कारण

आंख हमारे शरीर की सबसे कोमल अंगों में से एक है। अगर आपका बच्चा अक्सर अपनी आंखों को मलता रहता है इसके अलावा किसी भी वस्तु को देखने के लिए वो अपनी आंखों पर जोर डालता है या आंखों को आगे करके देखने का प्रयास करता है तो समझ जाएं कि कहीं न कहीं ये आंखों की कमजोरी की निशानी है। आप होम्योपैथिक विधि से इसका उपचार कर सकते है। आप डाॅक्टर की सलाह के बाद अपने बच्चे को होम्योपैथिक दवा खिला सकते है। आइये सबसे पहले जानते है क्यों आंखे कमजोर होती है।

आइये जानते है इसके लक्षण-

एक आंख बंद कर दूसरी से देखना
सिर में दर्द
आंखों में दर्द
दूर की चीज साफ न दिखना
तेज रोशनी नहीे सह जाना
आंखों का तिरछापन
आंखों का लाल होना

आंखें में कमी के कारण-

रक्तचाप में वृद्धि
दिल का दौरा
पहले का हार्ट सर्जरी
विषाणु संक्रमण
सर्जरीए निमोनिया
नींद न आना
कोरोनरी आर्टरी की बीमारी
असामान्य हार्ट वाल्व
जन्मजात हृदय दोष
सिक साइनस सिंड्रोम
फेफड़े की बीमारी

होम्योपैथिक उपचार-

अगर आपका बच्चा की आंखों की रोशनी की कमी से जूझ रहे है तो आप ऊपर दिये गये वीडियो को देखकर पूरी जानकारी ले सकते है। अगर आपको होम्योपैथिक उपचार में कोई समस्या आये तो आप साहस होम्योपैथिक क्लीनिक के डाॅक्टर एनसी पाण्डेय सेे संपर्क कर पूरी जानकारी ले सकते है।

क्या आपके प्लेट्स कम हो रहे है?

साल दर साल बढ़ते जा रहे हैं। जैसे अनीमिया, वायरल इन्फेक्शन, डेंगू, विटामिन की कमी आदि तो ब्लड प्लैटिलेट्स का बनना कम हो जाता है। ब्लड टेस्ट से ये पता चल सकता है कि शरीर में किस तरह का इन्फेक्शन हो रहा है। इन दिनों वैसे तो जीका वायरस का खतरा भी भारत में फैल रहा है पर एक और बीमारी है जिसके मरीजों की संख्या बढ़ रही है। वो है ब्लड प्लैटिलेट काउंट कम होने वाले मरीज आम तौर पर जब शरीर में ब्लड प्लैटिलेट कम होते हैं तो मरीजों को डेंगू का डर सताता हैए क्योंकि डेंगू का ये अहम लक्षण हैए लेकिन ऐसा जरूरी नहीं कि प्लेटस की कमी का मतलब डेंगू ही हो। शरीर में कई कारणों से इसकी कमी हो सकती है और मरीज को कमजोरी से लेकर किसी खतरनाक बीमारी तक बहुत कुछ हो सकता है। आप होम्योपैथिक विधि से अपने प्लटे्स बढा सकते है।

आइये जानते है इसके लक्षण-

दांतों और मसूढ़ों से खून निकलना।
यूरीन से खून निकलनाण।
स्प्लीन का साइज बढ़ जाना।
कोशिकाओं का स्किन के ऊपर दिखने लग जाना।
नाक से खून निकलना।
महामारी में ज्यादा खून निकलना।
कमजोरी होना।

प्लेट्स के कारण-

जब रक्त में वायरस का संक्रमण तेजी से फैलता है। खून में संक्रमण बढ़ने के बाद खून से पानी अलग होने लगता है और ब्लड में छोटे कणों के रूप में मौजूद प्लेटलेट्स की संख्या के कम होने के कारण खून का थक्का नहीं जम पाता। ऐसे में आरबीसी व प्लाज्मा की अपेक्षा प्लेटलेट्स का जीवनचक्र केवल 7 से 8 दिन का होता हैए इसलिए वायरस प्लेटलेट्स को सबसे पहले प्रभावित करता है।

होम्योपैथिक उपचार-

अगर आप भी प्लेट्स की कमी से जूझ रहे है तो आप ऊपर दिये गये वीडियो को देखकर पूरी जानकारी ले सकते है। अगर आपको होम्योपैथिक उपचार में कोई समस्या आये तो आप साहस होम्योपैथिक क्लीनिक के डाॅक्टर एनसी पाण्डेय सेे संपर्क कर पूरी जानकारी ले सकते है।

कही आप डिप्रेशन के शिकार तो नहीं

किसी बुरी ख़बर के आने पर या कुछ काम के बिगड़ जाने पर जब हम ये कहते हैं कि हम डिप्रेस्ड फ़ील कर रहे हैं, वो दरअसल डिप्रेशन नहीं उदासी है। उदासी, डिप्रेशन, एंग्ज़ाइटी अलग-अलग हैं। डिप्रेशन एक आम मानसिक बीमारी है। डिप्रेशन आमतौर पर मूड में होने वाले उतार-चढ़ाव और कम समय के लिए होने वाले भावनात्मक प्रतिक्रियाओं से अलग है। आइये जानते है इसके लक्षण और कारण-

डिप्रेशन के लक्षण-

अवसाद
उलझन में एवं हारा हुआ महसूस करना
आत्मविश्वास की कमी
कार्य में ध्यान केन्द्रित न होना
अकेले रहना पसन्द
खुशी में उदास रहना
चिड़चिड़ा

डिप्रेशन के कारण-

हॉर्मोन्स में बदलाव
सफलता न मिलना
कर्ज में डूबना
माता.पिता की उम्मीदों पर खरा उतरने का दबाव
शिक्षा और रोजगार की समस्या
पारिवारिक समस्याएं
रिलेशनशिप की समस्याएं

होम्योपैथिक उपचार-

अगर आप डिप्रेशन के शिकार है तो आपको परेशान होने की जरूरत नहीं हैं आप ऊपर दिये गये वीडियो को देखकर पूरी जानकारी ले सकते है। अगर आपको होम्योपैथिक उपचार में कोई समस्या आये तो आप साहस होम्योपैथिक क्लीनिक के डाॅक्टर एनसी पाण्डेय से संपर्क कर पूरी जानकारी ले सकते है।

बार-बार पेट दर्द से है परेशान

हर कोई समय.समय पर खाने या पीने के बाद पेट में गड़बड़ी, अपच, दर्द या ऐंठन का अनुभव करता है। पेट दर्द की शिकायत कुछ समय या लंबे समय तक हो सकती है। ये दर्द कम या तेज हो सकता है। इसकी जगह भी पेट में दाएं या बाएं किनारे हो सकती है। पेट में दर्द आम से लेकर गंभीर स्थिति के हो सकते है। पेट की तकलीफ पर वह शुरुआत में तो ध्यान नहीं देता। स्वयं ही मान लेता है कि कल रात खाने में ऐसा हो गया था या परसों रात देर से खाना खाया था। अगर आप पेट दर्द से परेशान है तो आप होम्योपैथिक उपचार से इसे ठीक कर सकते है। आइये सबसे पहले जानते है पेट दर्द के लक्षणों के बारें में-

आइये जानते है पेट दर्द के लक्षण-

वजन का गिरना
भूख कम लगना
बुखार आना
पीठ में दर्द
डाइट का कम होना
माहवारी का चढ़ जाना
कमजोरी लगना
मल का काना होना

पेट दर्द के कारण-

खाने या पीने के बाद पेट में गड़बड़ी
अपच
दर्द या ऐंठन का अनुभव
दर्द कम या तेज होना
पेट में दाएं या बाएं किनारे में दर्द

होम्योपैथिक उपचार-

अगर आप पेट दर्द से परेशान है तो आपको परेशान होने की जरूरत नहीं हैं आप ऊपर दिये गये वीडियो को देखकर पूरी जानकारी ले सकते है। अगर आपको होम्योपैथिक उपचार में कोई समस्या आये तो आप साहस होम्योपैथिक क्लीनिक के डाॅक्टर एनसी पाण्डेय से संपर्क कर पूरी जानकारी ले सकते है।

मर्दो में शुक्राणु की कमी

कई बार देखने में आता है कि पुरूषों में शुक्राणुओं की कमी की समस्या हो जाती है। जिसका अर्थ है कम शुक्राणुओं की संख्या। एक संभोग के दौरान पुरूष के वीर्य में सामान्य से कम शुक्राणु होते हैं। लो स्पर्म काउंट को ओलिगोस्पर्मिया भी कहा जाता है। यदि किसी पुरूष के प्रति मिलीलीटर वीर्य में 15 मिलियन से कम शुक्राणु है तो आपके शुक्राणु की संख्या सामान्य से कम मानी जाती है। स्पर्म काउंट कम होने पर पुरूष के शुक्राणु महिला के अंडे को निषेचित करते हैं। जिसके कारा गर्भधारण करने में परेशानी आती है। अगर आप भी किसी ऐसी समस्या से जूझ रहे है तो आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है। आप होम्योपैथिक विधि से इसका समाधान कर सकते है।

पुरुषों में नि:संतानता के कारण शुक्राणु की खराब क्वालिटीए कम संख्या और निल शुक्राणु होता है। वीर्य में स्पर्म काउंट कम होने या निल शुक्राणु के कारण महिला के गर्भधारण होने में समस्या आती है।

आइये जानते है इसके कारण-

संक्रमण यानि इन्फेक्शन
टेस्टिकल पर गर्मी के कारण वीर्य में शुक्राणुओं में कमी
गर्म पानी से नहाना।
मोटापा
बार-बार वीर्य निकलना
अधिक रेडिएशन
प्रोस्टेट ग्लैंड की समस्या
अधिक शारीरिक और मानसिक परिश्रम करना
धूम्रपान
शराब का सेवन करना
तनाव

होम्योपैथिक उपचार-

अगर आप भी शुक्राणु की कमी से चलते परेशान है तो आपको घबराने की कोई जरूरत नहीं है। आप ऊपर दिये गये वीडियो को देखकर होम्योपैथिक विधि से दवाओं का सेवन कर अपना बेहतर उपचार सकते है। इससे आपकी की समस्या का समाधान हो जायेगा। अधिक जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट में दिये गये लेखों को अध्ययन कर वीडियो भी देखें।

कही आपका बच्चा बिस्तर में पेशाब तो नहीं करता?

कई बच्चों को बिस्तर पर पेशाब करने की आदत होती हैं। बच्चा छोटा हो तो इसे हम अक्सर ज्यादा गंभीरता से नहीं लेते हैं। लेकिन कई बार ये समस्या बढ़ती उम्र के बच्चों में भी देखी जाती हैंए जिससे कारण दूसरी जगह हमें शर्मिंदा होना पड़ता हैं। अगर आपका बच्चा भी बिस्तर में पेशाब करता है तो आप होम्योपैथिक विधि से उसका उपचार कर सकते है। होम्योपैथिक दवाइयों के द्वारा बिना किसी साइड इफ़ेक्ट के रोग के कारण को दूर करके बच्चों की सोते समय बिस्तर पर पेशाब करने की समस्या को हमेशा के लिए ठीक किया जा सकता है।

आइये जानते है बच्चों का बिस्तर में पेशाब करने के लक्षण-

बार.बार बिस्तर गीला करना
कपड़ों में ही बिस्तर गीला करना
सप्ताह में कम से कम दो बार बिस्तर गीला करना

आइये जानते है इसके कारण-

रात में जागने में असमर्थ
मूत्राशय का अधिक क्रियाशील होना
मूत्राशय के नियंत्रण में देरी होना
मूत्र विसर्जन पर नियंत्रण न होना
नाक संबंधित अवरोध
गहरी नींद
कब्ज का होना।
कॉफी का सेवन करने से।
मनोवैज्ञानिक समस्या
आनुवांशिक

होम्योपैथिक उपचार-

अगर आपका बच्चा भी बिस्तर में पेशाब करता है तो आपको परेशान होने की जरूरत नहीं हैं आप ऊपर दिये गये वीडियो को देखकर पूरी जानकारी ले सकते है। अगर आपको होम्योपैथिक उपचार में कोई समस्या आये तो आप साहस होम्योपैथिक क्लीनिक के डाॅक्टर एनसी पाण्डेय से संपर्क कर पूरी जानकारी ले सकते है।

बहरेपन का होम्योपैथिक

अगर आपको सुनने के लिए परेशानी का सामना करना पड़ रहा है तो आपको सुनने की समस्या हो सकती है। यह बहुत हल्के से शुरू होती है लेकिन धीरे-धीरे यह बहरेपन जैसी गंभीर समस्या बन जाती है। कम सुनाई देना या बिल्कुल भी सुनाई न देना बहरापन कहलाता है। आइये जानते है इसके कारण और लक्षण।

ये है लक्षण-

ध्वनि धीमी सुनाई देना।
कुछ विशेष तरह के शब्दों को न समझ पाना।
शब्दों को समझने में मुश्किल होना।
विशेषकर भीड़ में किसी के बोलने व पीछे से आने वाली आवाजों को समझने में मुश्किल होना।
लोगों को स्पष्ट, धीमी गति से और जोर से बोलने के लिए बार-बार कहना।
रेडियो और टीवी को तेज आवाज में सुनना।
सामाजिक कार्यों से बचना।
सामने वाले की बात समझ न आने पर बात को बीच में ही छोड़ देना।

होम्योपैथिक उपचार-

अगर आपको सुनने की समस्या से परेशान है तो आप इसका होम्योपैथिक उपचार कर सकते है। अधिक जानकारी के लिए आप ऊपर दिये गए वीडियो को देखकर अपना उपचार कर सकते है।

नाक बंद की होने की समस्या से परेशान है़?

अक्सर ठंड के मौसम में चाहे बच्चे हों या बड़े, हर किसी को सर्दी−जुकाम या नाक बंद होने की समस्या का सामना करना ही पड़ता है। भले ही यह समस्या मामूली-सी हो और तीन से पांच दिन में ठीक हो जाए लेकिन इस समस्या के दौरान व्यक्ति को काफी परेशानी होती है। आज हम आपको इस समस्या से निजात के लिये होम्योपैथिक उपचार बताये है।

आईये जानते है इसके लक्षण

सिर और आंखों में तेज़ दर्द
आवाज़ में भारीपन
हलका बुखार और बेचैनी
जबड़े, गालों और दांतों में दर्द।
सूंघने की क्षमता प्रभावित होना।
भोजन में अरुचि।
नाक से पानी गिरना और छींकें आना।

होम्योपैथिक उपचार-

अगर आप नाक बंद होने को समस्या से परेशान है तो आप इसका होम्योपैथिक उपचार कर सकते है। अधिक जानकारी के लिए आप ऊपर दिये गए वीडियो को देखकर अपना उपचार कर सकते है।

खूनी बवासीर का होम्योपैथिक उपचार

खूनी बवासीर में किसी प्रकार की पीड़ा नहीं होती है। इसमें मलत्याग करते समय खून आता है। इसमें गुदा के अन्दर मस्से हो जाते हैं। जिसके चलते मलत्याग के समय खून मल के साथ थोड़ा.थोड़ा टपकता है या फिर पिचकारी के रूप में आने लगता है। मल त्यागने के बाद मस्से अपने से ही अन्दर चले जाते हैं। गंभीर अवस्था में यह हाथ से दबाने पर भी अन्दर नहीं जाते। इस तरह के बवासीर का तुरंत उपचार कराएं। अगर आप खूनी बवासीर से परेशान है तो आपकों घबराने की जरूरत नहीं है आप होम्योपैथिक विधि से इसका उपचार करा सकते है।

खूनी बवासीर के लक्षण-

स्टूल के रंग में बदलाव
स्टूल पास करते समय दर्द।
हर समय एनस मार्ग में दर्द।
सिर दर्द।
चक्कर आना।
उल्टी और जी मिचलाना।
बुखार आना।
शरीर का वजन कम होना।

खूनी बवासीर के कारण-

गलत खानपान
कब्ज की समस्या
अंदरूनी या बाहरी बवासीर
कठोर मल।
एनल सेक्स।
बढ़ती उम्र।
मोटापा।

होम्योपैथिक उपचार-

अगर आप खूनी बवासीर की समस्या से परेशान है तो आपको परेशान होने की जरूरत नहीं हैं आप ऊपर दिये गये वीडियो को देखकर पूरी जानकारी ले सकते है। अगर आपको होम्योपैथिक उपचार में कोई समस्या आये तो आप साहस होम्योपैथिक क्लीनिक के डाॅक्टर एनसी पाण्डेय से संपर्क कर पूरी जानकारी ले सकते है।