बार-बार पेट दर्द से परेशानी

कभी-कभार खाने पीने या गैस की वजह से पेट में दर्द होना सामान्य हो सकता है, लेकिन अगर बिना वजह आपके पेट के किसी विशेष हिस्से में दर्द हो रहा है, तो यह किसी बीमारी की तरफ इशारा करता है। समय-समय पर खाने या पीने के बाद पेट में गड़बड़ी, अपच, दर्द या ऐंठन का अनुभव करता है।अगर आपकों पेट दर्द की शिकायत लंबे समय से है। ये दर्द कम या तेज हो सकता है। इसकी जगह भी पेट में दाएं या बाएं किनारे हो सकती है। पेट में दर्द आम से लेकर गंभीर स्थिति के हो सकते है।आप होम्योपैथिक विधि से पेट दर्द का उपचार कर सकते है।

सबसे पहले जानते है पेट दर्द के कारण-

कभी-कभी जब हम ज्यादा भोजन करने है तो पेट दर्द हो जाता है।
ज्यादा पानी पीने से भी पेट दर्द हो जाता है।
तेल, मिर्च मसाला वाला खाना अधिक समय तक खाने से पेट दर्द हो जाता है।
अगर आप गंदा पानी पी रहे है तो पेट दर्द हो जाता है।
े पिज्जा, बर्गर, समौसा आदि ज्यादा खाने से पेट दर्द हो जाता है।
अगर आप खाली पेट अधिक समय तक काम कर रहे है तो पेट दर्द हो जाता है।
बासी खाना खाने से पेट दर्द हो जाता है।

पेट दर्द के लक्षण-
पेट दर्द और वजन का गिरना।
पेट दर्दऔर भूख कम लगाना।
पेट दर्द और बुखार आना।
पेट का दर्द और पीठ की तरफ आ जाना।
पेट दर्द और खाना एकदम कम हो जाना।
पेट दर्द और माहवारी चढ़ जाना।
पेट दर्द और कमजोरी महसूस होना।
पेट दर्द और मल का काला होना।

होम्योपैथिक उपचार

अगर आप लंबे समय से पेट दर्द की शिकायत से परेशान है तो आपकों घबराने की कोई जरूरत नहीं है। आप डॉक्टर की सलाह से होम्योपैथिक विधि से उपचार कर सकते है। इसके अलावा डॉक्टर से उचित सलाह ले।

सिर में दर्द से है परेशान

अक्सर लोगों को सिर दर्द की शिकायत रहती है। सिरदर्द मुख्य रूप से तनाव, अत्यधिक शारीरिक और मानसिक परिश्रम, अपर्याप्त नींद और भूख, शोरगुल और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के अधिक प्रयोग के कारण हो सकता हैं। सिरदर्द कई प्रकार का होता हैं और उनमें से प्रत्येक के अपने विशिष्ट कारण, लक्षण और उपचार के विकल्प होते हैं। भिन्न सिरदर्दों का संबंध उनकी विशिष्ट लोकेशन के साथ भी होता हैं। अत्धिक तनाव सिरदर्द जैसी अत्यंत आम प्रकार के सिर दर्द पूरे सिर को प्रभावित कर सकते हैं हैं जबकि अन्य गुच्छा अथवा साइनस सिरदर्द जैसे सिरदर्द एक विशिष्ट क्षेत्र को ही प्रभावित करते हैं। अगर आप भी सिरदर्द से परेशान रहते है तो होम्योपैथिक विधि से इसका बेहतर उपचार कर सकते है।

आइये जानते है सिरदर्द के कारण-

तनाव से सिरदर्द होता है।
अगर आपके मन व शरीर में थकावट हो तो सिरदर्द होता है।
असंतुलित शारीरिक तंत्र सिरदर्द होता है।
सिर में अल्प रक्त प्रवाह के चलते सिरदर्द होता है।
नींद पूरी न होने पर सिरदर्द होता है।
अत्यधिक शोर के चलते सिरदर्द होता है।
ज़रूरत से ज़्यादा सोचने से सिरदर्द हो सकता है।

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ये है सिरदर्द के लक्षण-

सिर के एक ओर टीस मारने वाला दर्द इसका लक्षण है।
आपके सिर पर सामान्य से अत्यधिक दर्द का होना
धुंधली दृष्टि, टिमटमाती रोशनियां दिखना सिरदर्द का कारण।
रोशनी, सुगंधों अथवा ऊंचे शोर के प्रति संवेदनशीलता में बढ़ोतरी
चक्कर आना सिर दर्द का बड़ा कारण है।
जी मिचलाना अथवा उल्टी आना सिरदर्द के कारण है।

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होम्योपैथिक उपचार-

सिर दर्द को ठीक करने के लिए आप पर्याप्त मात्रा में पानी पियें। इसके अलावा योग और ध्यान करने के अभ्यास के बाद भी कभी-कभी हमें सिरदर्द हो सकता है। सिरदर्द से मुक्ति के लिए आप होम्योपैथिक विधि से अपना उपचार बड़ी आसानी से कर सकते है। इसके लिए आपको चिकित्सक से सलाह लेकर दवाइयों का सेवन करना होगा। जिसके बाद आपकों सिर दर्द से छुटकारा मिल सकता है। पूरी जानकारी के लिए आप ऊपर दिये गये वीडियो को देखकर सिरदर्द से छुटकारा पा सकते है।

क्या आप गठिया रोग की परेशानी से जूझ रहे हैं?

बुजुर्गो में गठिया रोग एक आम बीमारी है। यह बीमारी दिनों दिन बढ़ती जा रही है। शरीर के जोड़, घुटने, कूल्हे, कंधे या फिर पूरे शरीर में बिना किसी वजह से दर्द और सूजन हो तो सतर्क हो जाएं। गठिया बहुत सामान्य समस्या है जो आपके सामने कई रूपों में आ सकती है। कभी-कभी तकलीफ हो जाती है। गठिया के पीछे सबसे बड़ी वजह है, शरीर में यूरिक एसिड का बढ़ जाना। आप होम्योपैथिक विधि से इसका उपचार कर सकते है। इसके लिए आपको किसी अच्छे चिकित्सक से सलाह लेनी की जरूरत है।

गठिया के लक्षण-

आपके पीठ, जोड़ों या मांसपेशियों में दर्द।
मांसपेशियों की कठोरता, सूजन और कोमलता।
थकान महसूस।
त्वचा पर रेश या लाली का आना।
उंगली जोड़ों पर सूजन आना।
त्वचा पर शारीरिक विकृति, पिन और सुइयों की सनसनी है।

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गठिया से बचने के उपाय-

जोड़ों में जरा सा भी दर्द, शरीर में हल्की अकडऩ है तो भी सबसे पहले डॉक्टर को दिखाएं।
दिनचर्या नियमित रखें।
डॉक्टर की सलाह पर नियमित व्यायाम करें।
नियमित मालिश करें।
सीढयि़ां चढ़ते समय, घूमने-फिरने जाते समय छड़ी का प्रयोग करें।
घुटने के दर्द में पालथी मारकर न बैठें।

रूथेटोइड गठिया वाले लोगों में एरिथ्रोसाइट-अवसादन दर या सी प्रतिक्रियाशील प्रोटीन अधिक है। यह शरीर में सूजन की उपस्थिति की ओर इशारा कर सकता है। इसके उपचार के लिए चिकित्सकों से सुझाव ले। चिकित्सक जोड़ों पर दबाव को कम करने के लिए दैनिक कार्यों को करने के तरीकों का सुझाव दे सकते हैं। आप होम्योपैथिक विधि से इसका उपचार कर सकते है। अगर आपको होम्योपैथिक से उपचार में किसी तरह की परेशानी हो तो आप होम्योपैथिक चिकित्सा के विशेषज्ञ डॉ. एनसी पाण्डेय से संपर्क कर अपनी समस्या का समाधान कर सकते है।

त्वचा पर सफेद दाग का होना

विटिलिगो (ल्यूकोडर्मा) एक प्रकार का त्वचा रोग है। इस बीमारी को समाज में कलंक के रूप में भी देखा जाता है। विटिलिगो किसी भी उम्र में शुरू हो सकता है, लेकिन विटिलिगो के आधा से ज्यादा मामलों में यह 20 साल की उम्र से पहले ही विकसित हो जाता है। आपको बता दें कि विटिलिगो एक प्रकार का त्वचा विकार है, जिसे सामान्यत ल्यूकोडर्मा के नाम से जाना जाता है। इसमें शरीर की स्वस्थ कोशिकाएं प्रभावित होती हैं। इस बीमारी का क्रम बेहद परिवर्तनीय है। हालांकि कुछ रोगियों में घाव स्थिर रहता है, बहुत ही धीरे-धीरे बढ़ता है, जबकि कुछ मामलों में यह रोग बहुत ही तेजी से बढ़ता है और कुछ ही महीनों में पूरे शरीर को ढक लेता है। वही कुछ मामलों में, त्वचा के रंग में खुद ब खुद पुनर्निर्माण भी देखा गया है।

सफेद दाग के कारण-

फैमिली हिस्ट्री, यानी अगर माता-पिता सफेद दाग से पीडि़त रहे हैं तो बच्चों में इसके होने की आशंका रहती है।
यह बीमारी, जिसमें छोटे-छोटे गोले के रूप में शरीर से बाल गायब होने लगते हैं।
स्किन का रंग बदलना शुरू कर देता है।
खराब क्वॉलिटी की चिपकाने वाली बिंदी या खराब प्लास्टिक की चप्पल इस्तेमाल करने से।
ज्यादा केमिकल एक्सपोजर यानी प्लास्टिक, रबर या केमिकल फैक्ट्री में काम करने वाले लोगों को खतरा ज्यादा होता है।
कई बार शरीर में जरूरी मात्रा में विटामिन्स व मिनरल्स की कमी से भी सफेद दाग की समस्या हो जाती है।
कई बार किसी फंगल संक्रमण
लीवर रोग।
जलने या चोट लगने से हो सकता है।
पाचन तंत्र खराब होने के कारण।
शरीर में कैल्शियम की कमी के चलते
बच्चों के पेट में कृमि।

पेशाब में झाग आना बीमारी का संकेत

सफेद दाग के घरेलू उपचार-

बथुए का पत्तियां लगाये या सब्जी खाये।
ऐलोवेरा जेल लगाये।
सरसों तेल का इस्तेमाल।
नीम की पत्ती।
अदरक।
छाछ।

होम्योपैथिक उपचार-

अगर आप सफेद दाद से सफेद दाग से परेशान है तो आप इसे होम्योपैथिक उपचार द्वारा खत्म कर सकते है। चिकित्सक के सलाह पर आप होम्योपैथिक दवाइयों का उपयोग कर इस बीमारी से मुक्ति पा सकते है। अगर आपको होम्योपैथिक से उपचार में किसी तरह की परेशानी हो तो आप होम्योपैथिक चिकित्सा के विशेषज्ञ डॉ. एनसी पाण्डेय से संपर्क कर अपनी समस्या का समाधान कर सकते है।

पेशाब में झाग आना बीमारी का संकेत

लोग पेशाब में झाग आने को नजरअंदाज कर देते हैं। हालांकि पेशाब में झाग आना एक आम बात है। लेकिन अगर पेशाब में झाग या बुलबुले आने लगे तो यह कोई सामान्य बात नहीं है। अगर आपके पेशाब में ऐसी कोई समस्या हो तो इसे नजरअंदाज न करें। पेशाब में झाग या बुलबुले आना व्यक्ति के शरीर में किसी भीतरी गड़बड़ी का संकेत है। इसका साफ कारण है कि आपके शरीर में सब कुछ सही नहीं चल रहा है। इसके कई कारण हो सकते हैं और इसके कई नुकसान भी हो सकते हैं। अगर आपके पेशाब में बुलबुले बनना लगातार कई दिनों तक हो रहा है तो ये किसी रोग की वजह से हो सकता है। पेशाब में झाग आना किडनी की किसी खराबी का लक्षण भी हो सकता है इसलिए डॉक्टर को सभी लक्षण जल्द बता देने चाहिए।

विज्ञान की माने तो पेशाब में प्रोटीन आना भी एक बीमारी है जिससे पेशाब में झाग बनने लगता है। अगर आपके पेशाब में लगातार झाग आने के साथ ही ये लक्षण भी दिख रहे हो तो तुरंत चिकित्सक से सलाह लें। पेशाब में झाग आना किस प्रकार की गंभीर बीमारी का संकेत है।

आइये जानते है क्या है ये बीमारियां-

हाथ, पैर, पेट और चेहरे में सूजन का आना।
आपको थकान महसूस होना।
अक्सर भूख न लगना।
जी मिचलाना या फिर उलटी आना।
सोने में दिक्कत होना।
पेशाब मेंं गाज या धुंधला रंग का आना।

पेशाब में झाग आने के कारण-

अक्सर गर्भवती महिला की किडनी बढ़ जाती है जिससे पेशाब में बुलबुले आने लगते है।
डिहाईड्रेशन यानि शरीर में पानी की कमी से भी पेशाब में झाग आने लगता है।
कई बार हम बहुत प्रेशर से या तेजी से पेशाब करते है ऐसे में टॉयलेट में झाग बन जाता है। यह झाग तुरंत ही खत्म हो जाता है। ऐसे में कोई चिंता की बात नहीं है।

होम्योपैथिक उपचार-
अगर आप भी पेशाब में झाग आने से परेशान है तो घबराये नहीं, होम्योपैथिक विधि से आप इसका बेहतर इलाज कर सकते है। होम्योपैथिक विधि से इलाज करने पर आपकी यह समस्या जड़ से खत्म हो जायेंगी। अगर आपको होम्योपैथिक से उपचार में किसी तरह की परेशानी हो तो आप होम्योपैथिक चिकित्सा के विशेषज्ञ डॉ. एनसी पाण्डेय से संपर्क कर अपनी समस्या का समाधान कर सकते है।

गले में कप और छाती में बलगम की शिकायत

गले में कफ (बलगम) एक बड़ी समस्या है। हर व्यक्ति को अपना गला साफ करने की जरूरत होती है। लोगों को गले में कफ जमने पर भारीपन और जलन या खुजली का अहसास होता है। ऐसे में बेचैनी सी पैदा कर देती हैं। जब गले में कफ जमने लगे तो यह छाती में भी चिपक जाता है। आमतौर पर किसी चीज से एलर्जी होने पर
भी गले में बलगम बनने लगता है। सामान्य तौर पर शरीर में बनने वाला कफ चिंता का विषय नहीं होता है। लेकिन कफ की मात्रा बढऩे और इसके रंग में बदलाव होने पर यह खतरनाक हो सकता है। यह स्थिति किसी अन्य बीमारी या स्वास्थ्य समस्या का संकेत हो सकती है। आप होम्योपैथिक विधि से इसका उपचार कर सकते है।

कप के लक्षण-

आपके गले में खरोंच या इंफेक्शन का होना।
अगर आपकों उबकाई आये तो पेट में अधिक कफ होने का अहसास होता है।
अगर आप बार -बार गला साफ कर रहे है।
आपके बार-बार खांसने और थूंकने में लक्षण।
अगर आपके मुंह से बदबू आ रही है।
रात के समय खांसी का बदतर होना।

आइये जानते है कप के कारण-

आमतौर पर आपके आसपास के वातावरण में बदलाव होने पर गले में बलगम की समस्या होती है। कफ की समस्या मुख्यरूप से एलर्जी जिम्मेदार होती है। खासतौर पर मौसमी एलर्जी भी गले में बलगम का कारण बनती है। इसके अलावा सर्दियां या ठंडी हवा गले में बलगम का एक बड़ा कारण होती है। ठंडी हवा लेना या रूखी नमी रहित हवा हमारी नाक और गले में खुजली पैदा करती है। ऐसे स्थिति में हमारे शरीर में कफ बनाती है, जो गले में कफ का कारण बनता है। हालांकि, सर्दियों के मौसम में वायरल इंफेक्शन जैसे फ्लू, साइनस इंफेक्शन और सामान्य सर्दी जुकाम होता है। यह इंफेक्शन कई लक्षणों जैसे गले में कफ के लिए जिम्मेदार होते हैं।

कैसे करें उपचार-

गले में कफ या छाती में बलगम की समस्या के निजात पाने के कई उपाय है लेकिन हम होम्योपैथिक विवि से इस समस्या से छुटकारा पा सकते है। कई मरीजों से होम्योपैथिक विधि से उपचार कर कफ और बलगम की समस्या से निजात पायी है। अगर आपको भी कफ और बलगम की समस्या हो तो आप होम्योपैथिक विधि से इसका उपचार करें। अगर उपचार को लेकर कोई शंका या समस्या हो तो आप साहय होम्योपैथिक क्लीनिक के विशेषज्ञ डा. एनसी पाण्डेय से राय ले सकते है।

गर्दन के पीछे गांठ की समस्या

शरीर में कभी-कभी ये गांठ छोटी तो कभी बड़ी होती है जिसे लोग नजरअंदाज करते हैं। लेकिन यह गांठ आगे चलकर जानलेवा बीमारी का कारण बन सकती है। कई लोगों के गर्दन के आसपास गांठ बन जाती है जिसमें दर्द नहीं होता है इसे एपिडरमाइड सिस्ट के नाम से जाना जाता है। यह गांठ की समस्या किसी को भी कभी भी हो
सकती है। इन सिस्ट को सेबेसियस सिस्ट भी कहा जाता है। इसमें दर्द न होने की वजह से कई लोग इसे हटवाते भी नहीं हैं। होम्योपैथिक विधि से इसका उपचार बड़ी आसानी से किया जा सकता है।

आइये जानते है इसके कारण-

थायराइड ग्रंथि शरीर का एक नियामक है जो गर्दन के सामने स्थित है। इस ग्रंथि के साथ समस्याएं गर्दन में ठोस या तरल गांठ पैदा कर सकती हैं। वही गर्दन की पीठ पर गांठ भी त्वचा से उत्पन्न हो सकती है जो त्वचा के ऊतकों के नीचे या ऊपर मोटी हो जाती है। हालांकि अधिकांश गांठ कैंसर नहीं है और कुछ लक्षणों का कारण नहीं है। एक थायरोग्लोसल डक्ट पुटी एक बच्चे के गले में एक पुटी या एक गांठ की स्थिति है जो वयस्कता में बढऩा जारी रख सकती है। कंठमाला एक संक्रामक वायरस के चलते होने वाला संक्रमण है। यह वायरस लार ग्रंथि में दर्द के साथ सूजन का कारण बनता है। एक गांठ के रूप में या बाईं गर्दन में एक गांठ के रूप में दिखाई दे सकते हैं। गर्दन के पीछे, दायीं या बायीं ओर गांठ विकसित हो सकती है ।

होम्योपैथिक विधि-

होम्योपैथिक विधि से हम इन गांठों का उपचार कर सकते है। लाइपोमा की गांठें आपकी त्वचा के अंदरूनी हिस्से में होती हैं जो एक से तीन सेंटीमीटर तक मोटी हो सकती हैं।लाइपोमा की गांठें खिसकती भी हैं। ये अपनी पोजीशन बदल सकती हैं। उन्होंने इस बीमारी पर होम्योपैथिक उपचार से रोगी निजात पा सकता है। आपकों इस बीमारी से छुटकारा पाने के लिए डॉक्टर द्वारा बताये गये होम्योपैथिक दवाईयों का उपयोग करना होगा।

होम्योपैथिक उपचार से पाये मोटापे की समस्या से छुटकारा

आज मोटापा एक बड़ी समस्या बन गई है। अब यह एक उम्र तक सीमित न होकर बच्चों से लेकर युवाओं तक को अपनी चपेट में लेता जा रहा है। बच्चों में मोटापा तेजी से फैलता है, जिससे अन्य बीमारियों का खतरा भी बढ़ सकता है। मोटापा आज की जीवनशैली की एक गंभीर समस्या है जिस पर अक्सर आपने भी लोगों को
बातें करतें और मोटापा कम करनी की फ्री एडवाइस भी देते सुना होगा। कुछ लोग मोटापे को लेकर शुरुआत में गंभीरता से नहीं लेते है जिसके चलते समस्या खतरनाक रूप ले लेती है और इंसान को चलने-फिरने तक में दिक्कत धीर-धीरे शुरू हो जाती है। हर साल विश्व स्वास्थ संगठन ने11 अक्टूबर को विश्व मोटापा दिवस रूप में मनाने का आदेश दिया है, जिससे लोगों को इस समस्या के बारे में अधिक से अधिक जानकारी दी जाए। मोटापे को खत्म करने लिए होम्योपैथिक विवि सबसे कारगार साबित हुई है।

मोटापा के लक्षण –

जब हमारी सांस फूलने लगे तो समझो हम मोटापा के शिकार हो रहे है।
मोटापा के कोई भी लक्षण नजर आये तो तुंरत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
अगर आपकों अधिक पसीना आता है, तो यह मोटापा का संकेत हो सकता है।
सोते समय अगर आप खर्राटे मार रहे है तो मोटापा की समस्या है।
अगर आपकों थकान महसूस हो रही है तो इसे गंभीरता से ले।
कमर और जोड़ों में दर्द होना भी मोटापा का संकेत है।

होम्योपैथिक उपचार

अगर आप मोटापा से परेशान है और इसका इलाज कराने की सोच रहे है तो आपके लिए सबसे होम्योपैथिक उपचार सबसे बेहतर है। होम्योपैथिक विवि से उपचार कराने पर आपकों मोटापा से छुटकारा मिलने की पूरी उम्मीद है। इसके अलावा आपको अपने खान-पान में बदलाव करना होगा। खाने में आपको हरी सब्जियों, फल खाना इत्यादि का सेवन करना चाहिए। पौष्टिक भोजन करने के अलावा एक्सराइज़ के द्वारा भी अधिक वजन से छुटकारा मिल सकता है। इसके अलावा आप मानसिक अवसाद से बचे। अधिक जानकारी के लिए आप ऊपर दिये गये डॉक्टर एनसी पाण्डेय जी का वीडियो देख पूरी जानकारी ले सकते है। या फिर किसी भी समस्या के समाधान के लिए उनसे संपर्क कर सकते है।

कील-मुंहासों की समस्या से कैसे पाये निजात

युवाओं में कील-मुंहासों की समस्या से देखने को मिलती है जिससे वह अक्सर परेशान रहते हैं। इनसे निजात पाने के लिए वो हर संभव नुस्खा और इलाज अपनाते हैं। कई लोग इन कील-मुंहासों को दबाते भी है जिससे उनसे सफेद रंग का कुछ पदार्थ निकलता है। इन्हें दबाना ठीक नहीं होता क्योंकि इसके बाद चेहरे पर गहरे दाग-धब्बे बन जाते हैं जिनसे छुटकारा पाना और भी मुश्किल हो जाता है। वैसे कील-मुंहासे यानि पिंपल्स होने की सबसे बड़ी वजह है जंक फूड और तला-भुना खाना। हालांकि मुहांसे उग आने की वजह हमारे गड़बड़ाए हुए हॉर्मोन्स नहीं होते हैं। बल्कि हमारे पेट में जमा कब्ज, हमारे दिमाग पर चढ़ा तनाव और हमारे शरीर में मौजूद अन्य बीमारियां भी होती हैं। कई बार शरीर की अंदरूनी नहीं बल्कि स्किन प्रॉब्लम के कारण भी हमें मुहांसे होते हैं। यूं तो कील- मुंहासों की समस्या त्वचा और सौन्दर्य से संबधित है। मुंहासे हमारे शरीर और चेहरे पर लाल रंग के फोड़े- फुंसी और दाना के रूप में होते है, चेहरे के अलावा कील मुँहासे कभी कभार छाती, पीठ और कंधे के आस-पास वाली जगहों पर भी निकल आते हैं।

मुंहासे होने के कारण –
आम तौर पर मुंहासे होने के कई सारे कारण है लेकिन उनमें से आहार और जीवनशैली प्रमुख है जिनके कारण मुंहासा होता है। आहार योजना या डायट/ ज्यादा तैलीय ,आनुवांशिक ,संक्रमण , मानसिक तनाव, त्वग्वसीय ग्रन्थि अवरोध , पित्त व कफ दोष की प्रधानता, गर्भनिरोधक दवायें मुंहासे के कारण है।होम्योपैथी हमेशा ही कील-मुंहासे जैसी समस्याओं से लडऩे के लिए सर्वश्रेष्ठ दवाएं प्रदान की है। तो आइये जानते है कैसे आप मुंहासों से राहत पा सकते है। पूरी जानकारी के लिए आप नीचे दिये गये वीडियो को देखें।

ऐसे करें बचाव-
इनसे बचने के लिए हमें अपनी जीवनशैली बदलाव में बदलाव की जरूरत है। आप रोज सुबह खाली पेट 1-2 गिलास गुनगुना पानी पीये। रात में हल्का भोजन जैसे- दलिया, खिचड़ी, मूँग की दाल, ओट्स आदि खाना चाहिए। इसके बाद कुछ देर टहलना चाहिए ताकि खाना अच्छे से पच सकें। समय से सोये। साथ ही 10-12 गिलास पानी रोज पीये। बाहर की चीजों पिज्जा, बर्गर, आइक्रीम, चॉकलेट और समोसे आदि नहीं खाने से बचना चाहिए।

बवासीर है तो घबराये नहीं, आजमाये ये होम्योपैथिक उपाय

लोग बवासीर की बीमारी से परेशान रहते है। बवासीर की बीमारी होने पर एनस के अंदर और बाहरी हिस्से की शिराओं में सूजन आ जाती है। इसके चलतेे गुदा के अंदरूनी हिस्से में या बाहर के हिस्से में कुछ मस्से जैसे बन जाते हैं, जिनमें से कई बार खून निकलता है और बेतहासा दर्द भी होता है। आमतौर पर लोग इस बीमारी नजरअंदाज करते हैं। जिससे व्यक्ति को कब्ज, मल त्याग के दौरान दर्द व जलन व अन्य कई तरह की समस्याएं होती है। वैसे तो बवासीर की समस्या किसी को भी हो सकती है, लेकिन अगर आप जानना चाहते हैं कि बवासीर की परेशानी किन कारणों से होती है तो आइये जानते है इसके कारण-

मल त्याग करते समय तेज चमकदार रक्त का आना या म्यूकस का आना।
एनस के आसपास सूजन या गांठ सी महसूस होना।
एनस के आसपास खुजली का होना।
मल त्याग करने के बाद भी ऐसा लगते रहना जैसे पेट साफ न हुआ हो।
पाइल्स के मस्सों में सिर्फ खून आता है, दर्द नहीं होता।
अगर दर्द है तो इसकी वजह है इंफेक्शन।

बवासीर में कैसे करें होम्योपैथिक दवाओं का इस्तेमाल देखिये वीडियो-

बाहरी बवासीर- यह बवासीर मलाशय में होता है। जहां से स्टूल पास होता।
अंदरूनी बवासीर – यह बवासीर रेक्टम के अंदर होते हैं। कई बार इन्हें बाहर से नहीं देखा जा सकता है।
प्रोलेप्सेड बवासीर-यह बवासीर अंदरूनी बवासीर के बाद होता है। अंदरूनी बवासीर में सूजन होती है ।
खूनी बवासीर -खूनी बवासीर होने पर आस-पास की नसों में खून के थक्के बनने लगते हैं। यह एनस के बाहर और अंदर दोनों जगह हो सकता है।

बवासीर के लिए होम्योपैथी में बहुत अच्छा इलाज है और कई मामलों में स्टेज 3 के होम्योपैथी को भी इसकी मदद से ठीक किया जा सकता है। बवासीर के बहुत कम मामले ऐसे होते हैं, जिनमें सर्जरी की जरूरत होती है। बाकी बवासीर दवाओं से ही ठीक हो सकते हैं। साथ ही शुरुआती स्टेज के बवासीर में एकदम सर्जरी की ओर जाने से बचना चाहिए। अगर आपको होम्योपैथिक उपचार को लेकर कोई शंका या फिर प्रश्न है तो आप साहस होम्योपैथिक के विशेषज्ञ डॉ एन सी पांडेय जी से राय लेकर उपचार कर सकते है।