Cataract
मोतियाबिंद
आंखों की दोनों पलकों के अन्दर की लाल श्लैष्मिक-झिल्ली को चक्षु-कला (कनजेक्टीव) कहते हैं। इन पलकों के बाद आंखों में सफेदी दिखाई देती है जिसे कनीनिका (कॉर्निया) कहते हैं। इसके आगे आंखों के पर्दे में एक छेद दिखाई देता है जिसे आंखों का तारा (पूल) कहते हैं। इसके बाद आंखों में एक लैंस होता है जिसमें से बाहर की वस्तुओं की प्रतिबिम्ब गुजरकर आंख के अन्दर चित्र-पट (रेटिना) पर पड़ती है और जिसके फलस्वरूप हम देखते हैं। आंख का वह लैंस जब तक पारदर्शक रहता है तब तक हमें सब वस्तुएं दिखाई पड़ती हैं लेकिन आयु के बढ़ने के साथ ही यह पारदर्शक लैंस धीरे-धीरे अपारदर्शक होने लगता है। इस लैंस के अपारदर्शक हो जाने से धुंधली दिखाई देती है। जब यह बिल्कुल ही अपारदर्शक हो जाते हैं तो कुछ दिखाई नहीं देता है। इसी को कैटेरैक्ट या मोतियाबिन्द कहते हैं। होम्योपैथिक औषधि का प्रयोग इस लैंस को अपारदर्शक होने और पकने से बचाने के लिए उपयोग में लाया जाता है।
मोतियाबिन्द रोग के कारण
शरीर में अधिक कमजोरी या शारीरिक स्वास्थ्य में गिरावट होने के कारण मोतियाबिन्द का रोग होता है। यह केवल आंखों का रोग नहीं है क्योंकि शरीर का स्वास्थ्य बना रहने पर यह रोग नहीं हो सकता है। मोतियाबिन्द और भी अनेकों कारणों से होता है जैसे गठिया, वातरोग, सिफिलिस आदि और इनमें सुधार करके मोतियाबिन्द रोग से बचा जा सकता है।
मोतियाबिन्द रोग होने के तीन कारण हैं :-
किसी गंभीर बीमारी के कारण
भोजन में अधिक नमक का उपयोग करना: भोजन में अधिक नमक का उपयोग करने से आंखों पर इसका बहुत अधिक प्रभाव होता है जिसके कारण लैंस सूख जाते हैं, कठोर हो जाते हैं, लैंस का पानी तथा उसकी तराई खत्म हो जाती है जिसके परिणामस्वरूप मोतियाबिन्द रोग हो जाता है।
अधिक मीठे पदार्थों का सेवन करना : जिस व्यक्ति के शरीर में शुगर की मात्रा अधिक होती है उसकी आंखों का लैंस जल्दी ही अपारदर्शक हो जाते हैं।
धूम्रपान व शराब का सेवन
खान पान में पोषण की कमी के कारण
कठोर जल पीना : कठोर जल में अधिक चूने की मात्रा होती है और जो लोग पहाड़ों पर रहते हैं, झरनों के चूना मिले जल को पीते हैं। उन्हें भी मोतियाबिन्द की शिकायत हो जाती है.
मोतियाबिंद के लक्षण
साफ साफ न दिखना
आँखों में चुभन
रंग में परिवर्तन नजर आना
चश्मे का नंबर बार बार बदलना
मोतियाबिंद के लिए होम्योपैथिक उपचार
Rota G 30 की २ बुँदे सवेरे, २ बुँदे शाम को (१५-२० दिन तक लें )
Cineraria Martima 30 की २-२ बुँदे दिन में ३ बार
Adel 17 की 20 बुँदे, आधे कप पानी में मिलते हुए, दिन में ३ बार लें
Cineraria Martima की २-२ बुँदे दिन में ३ बार
इन दवाओं के सेवन से आपको मोतियाबिंद में बेहद लाभ मिलेगा।