एनल फिशर : Anal Fissure Treatment
फिशर कह ले या एनल फिशर यानि गुदा नलिका में दरार आ जाना. जब मल कठोर आये या फिर बड़े आकर का आये तो अक्सर ये एनल फिशर का कारण बन जाता है. फिशर की समस्या किसी भी उम्र में हो सकती है. पर अधिकतर ये समस्या बच्चों में नजर आती है.
एनल फिशर के कारण मल त्याग में दर्द और ऐठन का अहसास होता है. कई बार मल द्वार से खून भी आने लगता है. परन्तु एनल फिशर की वजह से घबराने की जरूरत नही है. क्योंकी ये कुछ सामान्य से उपचार आजमाकर ठीक हो जाता है पर अगर बार बार एनल फिशर हो तो ये क्रोनिक फिशर बन जाता है.
इसलिए वक़्त रहते ही एनल फिशर का उपचार करा लेना चाहिए. इस समस्या के लिए कई बार सर्जरी का सहारा भी लेना पड़ता है. पर होमियोपैथी को अपनाकर आप न सिर्फ एनल फिशर से बिना सर्जरी के राहत पा सकते है बल्कि अनेको रोगों में होमियोपैथी काफी असरदार है.
इस लेख को पूरा पढने के बाद आप एनल फिशर के लक्षण कारण और उसके लिए होम्योपैथिक उपचार जान जायेंगे
एनल फिशर के कुछ सामान्य लक्षण :
गुदा द्वार पर दर्द और ऐठन होना.
फिशर के कारण मल त्याग में समस्या जैसे खून आना , दर्द होना, जलन होना,
मल में खून और गहरे रंग का मल
गुदे द्वार पर दरार दिखाई देना
जब गुदे द्वार से काढ़ा और ठोस मल निकलता है तो ये गुदा द्वार को नुकसान पहुचता है. जिस कारण गुदे द्वार पर दरार आ जाती है.
एनल फिशर के कारण:
एनल फिशर का मुख्य कारण है कब्ज की समस्या. कब्ज होने के कारण ही मल ठोस आता है और फिशर होने की सम्भावन बढ़ जाती है.
लगातार दस्त की समस्या.
बचपन में बच्चों को एनल फिशर की समस्या होती है.
मलास्य में कैंसर.
गुदे में खरोच या कट लगना.
गर्भवस्ता व प्रसव के कारण.
भोजन में फाइबर की कमी के कारण.
एनल फिशर का उपचार :
एनल फिशर के लिए फाइबर युक्त भोजन जैसे : गेहू का दलीया, साबुत अनाज,ओट्स, बीज और नट्स, फल और सब्जियों को जरुर शामिल करें.
साथ ही होमियोपैथी की कुछ दवाए आजमाकर आप एनल फिशर से राहत पा सकते है.
इन दवाओ का सेवन करें. होम्योपैथिक दवाए लक्षणों के आधार पर काम करती है इसलिए संभव हो तो साहस होम्योपैथिक क्लिनिक में आकर डॉ नवीन चन्द्र पाण्डेय जी से संपर्क करें.
घर बैठ ऑनलाइन परामर्श हेतु 7249999404और कॉल या वाटस्प करें.