घुटनों में दर्द की समस्या

अब घुटनों या पैरों में दर्द की समस्या बेहद आम हो चुकी है। इस परेशानी से न केवल बड़े बुजुर्ग बल्‍कि कम उम्र के लोग भी दुखी रहते हैं। हालांकि बढ़ती उम्र में घुटने के दर्द की समस्या पैदा होती थी। लेकिन वर्तमान में युवा वर्ग के लोग भी इस तरह के दर्द की शिकायत करते हैं। वैसे तो घुटने में दर्द की समस्या आम मानी जाती है। लेकिन वास्तव में यह काफी तकलीफदेह हो सकती है। इस स्थिति में लोग अक्सर दर्द से छुटकारा पाने के लिए दवाइयों का सहारा लेते हैं। लेकिन अगर आप इसका होम्योपैथिक विधि से उपचार करते है तो यह कारगार सिद्ध हो सकता है।

सबसे पहले जानते है घुटनों में दर्द का कारण-

ऑस्टियोआर्थराइटिस से
पेटेलोफेनियल दर्द सिंड्रोम से भी होता है।
पेटेलर टेंडिनिटिस के कारण
इलियोटिबियल बैंड सिंड्रोम से।
पटेला अव्यवस्था से।
बर्साइटिस के चलते।
स्पोट्र्स इंजरी होने पर।

अब जानते है इसके लक्षण-

अगर आपके पैरों या घुटनों में दर्द हो रहा है तो इसके कई लक्षण दिखाई देते है।
जैसे आपके घुटनों को मोडऩे में परेशानी होना
घुटना सीधा करने पर तकलीफ होना।
घुटने के आसपास सूजन होना।
पैरो को हिलाते वक्त घुटने से हड्डी टकराने की आवाज आने पर।
दर्द से प्रभावित हिस्से में लालिमा छा जाने पर।

उपचार-

अगर आप पैरों या घुटनों के दर्द से परेशान है तो आप इसका होम्योपैथिक उपचार बड़ी आसानी से कर सकते है। आप साहस होम्योपैथिक क्लीनिक से परामर्श लेकर
होम्योपैथिक विधि का प्रयोग कर सकते है। अधिक जानकारी के लिए आप ऊपर दिये गये वीडियो को देखकर डॉक्टर एनसी पाण्डेय जी के बताये अनुसार अपन

उपचार कर सकते है।

टॉन्सिल की बीमारी से है परेशान

अक्सर बदलते मौसम के कारण कई लोग गले में दर्द की शिकायत करते दिख रहे हैं। गले और फिर कानों में होने वाले दर्द को जुखाम से जोडक़र देखा जाता है, ब भी कोई व्यक्ति टॉन्सिल की बीमारी से परेशान होता है तो उसका खाना-पीना बंद हो जाता है। ऐसे में गले में बराबर दर्द होता रहता है। टॉन्सिल के कारण गले में जलन और सूजन हो जाती है। आमतौर पर जब किसी को टॉन्सिल रोग होता है तो रोगी होम्योपैथिक दवाओं का उपयोग करता है। आइये जानते है क्या है इसके कारण क्यों होते है टॉन्सिल।

आइये जाने है इसके कारण-

वायरल इन्फेक्शन का होना।
टॉन्सिलाइटिस में होने वाला सबसे सामान्य रोग है।
स्टेफिललोकोकस ऑरियस, निमोनिया
इन्फ्लुएंजा के कारण टॉन्सिल्स
कोरोनावायरस के कारण
बहुत ज्यादा ठण्डा खाने या पीने से
रोगप्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने से।

इसके लक्षण-

अगर गले में दर्द और खरास हो।
निगलने में दिक्कत होने पर।
आवाज प्रभावित होने पर।
गले से लेकर कानों तक दर्द होने तक।
गले में दर्द के साथ सिरदर्द होने पर।
टॉन्सिल्स में दर्द होना व गला सूज जाना
बुखार आने पर।
गर्दन में दर्द व अकडऩ महसूस होने पर।

कैसे करें उपचार-

गले में टॉन्सिल होने पर मुंह के जरिए बैक्टीरिया के एंटर होने पर आपका इम्यून सिस्टम अलर्ट हो जाता है और पहले डिफेंस के रूप में टॉन्सिल्स में परेशानी होना शुरू हो जाती है। इससे बचने के लिए साफ.-सफाई का खास ध्यान रखें। बिना हाथ धोएं कुछ न खाएं। साथ ही बाहर का खाना खाने से बचें। टॉन्सिल को दूर करने के लिए हम होम्योपैथिक विधि का प्रयोग कर सकते है। अधिक जानकारी के लिए आप ऊपर दिये गये वीडियो को देखकर डॉक्टर एनसी पाण्डेय जी के बताये अनुसार उपचार कर सकते है।

क्या आपके बलगम के साथ खून आता है?

अगर आपको खांसी के साथ खून आने लगे तो डॉक्टर के पास तुरंत जाना चाहिए क्योंकि यह हीमोप्टाइसिस नामक बीमारी का संकेत है। यह एक गंभीर स्थिति का संकेत हो सकता है। चिकित्सकों की माने तो ज्यादातर मामलों में वायरस के कारण खांसी होती है और साधारण खांसी बिना इलाज के ही ठीक भी हो जाती है, लेकिन खांसी में खून आना, वो स्थिति है, जिसमें तत्काल इलाज की जरूरत होती है।

आइये जानते है इसके लक्षण-

सीने में भी दर्द होना।
बुखार, हल्का सिरदर्द या सांस लेने में तकलीफ।
भूख कम लगना।
वजन कम होता है
पेशाब में या मल में भी रक्त आता है।

खांसी में रक्त आने के कारण-

यदि लंबे समय से, गंभीर खांसी
छाती में संक्रमण।
बुखार है, या आपको अपनी छाती में खिंचाव महसूस होता हो।
ब्रॉकिक्टेसिस – आपको घरघराहट या सांस लेने में भी कठिनाई होती है।
गले से रक्तस्राव होना भी आपके खांसते समय आपकी लार से रक्त आने का कारण हो सकता है।

उपाय
अगर आप बलगम में खून आने से परेशान है तो सबसे पहले आप अपने नजदीकी चिकित्सक को दिखाए। इसके अलावा आप होम्योपैथिक विधि से इसका बेहतर उपचार कर सकते है। अधिक जानकारी के लिए आप ऊपर दिये गए वीडियो को देखें।

दमा की बीमारी से पाये निजात

कई लोगों में दमा रोग या अस्थमा के लक्षण अक्सर तीव्र खाँसी, घरघराहट और रोगी को सांस लेने में तकलीफ के साथ शुरू होते हैं। दमा के रोगी को नियमित रूप से अस्थमा के इलाज का पालन करने की आवश्यकता होती है। अस्थमा के उपचार में दवा, इनहेलर या अस्थमा पंप और पल्मनरी रीहैब / फुफ्फुसीय पुनर्वास (पीआर) शामिल हैं। आप दमा रोग से परेशान है तो आप इसका होम्योपैथिक विधो से उपचार कर सकते है। आइए जानते है दमा रोग के कारण और लक्षणों के बारे में साथ ही इस बीमारी का उपचार कैसे किया जाय।
दमा रोग के लक्षण

दमा रोग में साँस चढ़ना / साँस फूलना जैसी समस्या।
सीने में जकड़न या दर्द की शिकायत।
सांस की तकलीफ।
खांसी या घरघराहट के कारण नींद में परेशानी होना।
सांस छोड़ते समय सीटी बजना या घरघराहट की आवाज आना (छाती में घरघराहट होना।
सर्दी या फ्लू जैसे वायरस द्वारा बढ़ जाते हैं।

आईये जानते है इसके कारण

धूम्रपान करना- दमा फेफड़े की बीमारी है, इसी कारण जिन लोगों को स्मोकिंग करने का शौक है, उन्हें दमा की बीमारी हो सकती है।
मोटापा होना- मोटापा कई सारी बीमारियों का कारण बन सकता है।
एलर्जी -दमा की शुरूआत एलर्जी के साथ होती है।
स्ट्रेस लेना- आज के समय में कई सारी बीमारियां फैल रही हैं। इनमें दमा भी शामिल है।
प्रदूषण होना- दमा की बीमारी के होने की संभावना उस स्थिति में काफी बढ़ जाती है।

दमा का उपचार
दमा को कंट्रोल करना काफी लंबी लड़ाई है, जिसे दमा के मरीज को लड़ना पड़ता है। लेकिन, डॉक्टर की मदद से इस काम को आसानी से किया जा सकता है। आप होम्योपैथिक विधि से इस बीमारी से छुटकारा पा सकते है । अधिक जानकारी कब लिए आप ऊपर दिये गए वीडियो को देखें।

पेट मे जलन से है परेशान

कभी-कभी पेट में जलन होना एक आम बात है लेकिन आमतौर पर माना जाता है कि गलत खानपान के कारण व्यक्ति को पेट में जलन होती है और इससे आराम पाने के लिए लोग दवाई का सेवन भी कर लेते हैं। पेट में जलन के लिए आपका खानपान और खाने का तरीका काफी हद तक जिम्मेदार होता है। लेकिन सिर्फ इन्हीं कारणों से ही पेट में जलन नहीं होती। बल्कि अन्य भी कई कारण होते हैं जो पेट में जलन पैदा करते हैं। आप होम्योपैथिक विधि से इसका उपचार कर सकते है।

आईये जानते है पेट मे जलन के कारण-

मोटापा के कारण पेट पर अधिक दबाव पड़ना।
गर्भावस्था के समय पेट में जलन
हर्निया की समस्या।
शराब का सेवन करने से।
स्क्लेरोडर्मा (एक तरह का ऑटोइम्यून रोग)
खाना खाने के तीन घंटों में ही लेट जाना।
धूम्रपान करने से।

क्या है पेट मे जलन के लक्षण

पेट, सीने और गले में जलन की शिकायत।
अगर आपका जी मिचल रहा हो या उल्टी होना।
मुंह से दुर्गंध आने पर
गले में खराश होने पर।
खांसी या घबराहट।
हिचकी आने पर
निगलने में कठिनाई होना।

होम्योपैथिक उपाय-
अगर आप पेट की जलन से परेशान है तो घबराने की जरूरत नहीं है। आप होम्योपैथिक विधि से पेट की जलन से छुटकारा पा सकते है। अधिक जानकारी के लिए आप ऊपर दिये गए वीडियो को देखकर अपनी समस्या का समाधान कर सकते है।

सफेद पानी का आना

महिलाओं को अक्सर पीरियड्स से पहले सफेद पानी यानि व्हाइट डिस्चार्ज की समस्या का सामना करना पड़ता है। वैसे तो महिलाओं में सफेद पानी की समस्या होना एक सामान्य प्रक्रिया है। लेकिन योनि में एक सेल्फ.क्लिन्जिंग मेकॅनिज्म होता है जो किसी भी बाहरी कण को हल्के निर्वहन के माध्यम से समाप्त कर देता है। यह पूरी तरह से सामान्य है और इसके बारे में चिंता करने की कोई बात नहीं है। लेकिन अगर आपकी योनी मार्ग से एक चिपचिपा, सफेद, पीले, हरे या भूरे रंग का पानी निकलने लगे और उसमें जलन, गंध और खुजली होने लगे तो यह शायद चिंता की बात है।

योनि से सफेद पानी आने के कारण-

प्राइवेट पार्ट की ठीक तरह से सफाई न रखना।
ज्यादा घबराहट होना।
बीमार पुरुष के साथ संबंध बनाना।
बार-बार अबॉर्शन की स्थिति में
शरीर में पोषक तत्वों की कमी होना।

सफेद पानी के लक्षण-

अगर चक्कर आ रहे है।
थकावट महसूस होना।
प्राइवेट पार्ट में खुजली होना।
कमजोरी महसूस करना।
प्राइवेट पार्ट से बदबू आना।
कब्ज या सिरदर्द की समस्या।

उपचार-
अक्सर योनी से सफेद निर्वहन उसे साफ रखने का एक उपाय होता है। तरल पदार्थ योनि के अंदर ग्रंथियों द्वारा उत्पादित किया जाता है और इसके बाद गर्भाशय ग्रीवा बैक्टीरिया और मृत कोशिकाओं को ले जाता है। इसके अलावा होम्योपैथिक उपचार सफेद पानी से मुक्ति से बेहतार उपाय है।

माहवारी बंद होने के बाद समस्या

मेनोपॉज यानी पीरियड्स का बंद होना एक स्वाभाविक शारीरिक बदलाव है। लेकिन अगर मेनोपॉज समय से पहले हो जाए तो क्यों होता है ऐसा और इसका असर अपनी जिंदगी पर कैसे कम से कम होने दें। आमतौर पर 40 या 50 वर्ष की आयु के बाद महिलाओं में मेनोपॉज आता है। मेनोपॉज यानी मासिक धर्म का बंद हो जाना। कुछ महिलाओं को 30 से 40 वर्ष के बीच में मेनोपॉज की स्थिति आ जाती है। इस स्थिति को प्री-मेनोपॉज कहते हैं। समय पूर्व मेनोपॉज बाहरी तत्वों जैसे कीमोथेरेपी, आनुवंशिक बीमारियों, रेडिएशन थेरेपी, सर्जरी, ऑटो-इम्यून बीमारी, धूम्रपान और जेनिटल टीबी की वजह से भी हो सकता है।

आइये जानते है माहवारी बंद होने के लक्षणों को-

सामान्य मासिक धर्म से अलग लग रहा है तो डॉक्टर से संपर्क करें।
बुखार आने के लक्षण भी इसके संकेत है।
मलती आना भी लक्षण है।
उल्टी आना भी बड़ा संकेत है।
सात दिन से अधिक ब्लीडिंग होने से।

माहवारी बंद होने शरीर पर असर-

माहवारी बंद होने से एस्टोजेन हारमोन बनना बंद हो जाता है।
30-35 वर्ष तक हड्डियां बनती हैं फिर धीर-.धीरे हड्डियां बनाने की प्रक्रिया में कमी आने लगती हैं।
महिलाओं को जागरूक रहना होगा।
मौसमी फल, पौष्टिक आहार, दूध के सेवन से करना चाहिए।
विटामिन डी की दवा सेवन से भी लाभ होगा।
हड्डियों की जांच भी कराने से उनकी मजबूती की जानकारी मिलती है।

होम्योपैथिक उपाय-

माहवारी बंद होने के बाद आप समस्या से जूझ रहे है तो इससे बचने के लिए खूब सारा पानी और अन्य तरल पदार्थ पिएं। इसे अलावा आप होम्योपैथिक विधि से अपना उपचार कर सकते है। अधिक जानकारी के लिए आप ऊपर दिये गये वीडियो पर क्लीक कर पूरी जानकारी देख सकते है। इससे आपको बेहतर उपचार मिल सकता है।

क्या आप एलर्जी के परेशान है?

आमतौर पर एलर्जी होने का कोई मौसम नहीं होता है, लेकिन गर्मियों में तेज धूप और उमस के कारण एलर्जी के मामले काफी बढज़ाते हैं। इस मौसम में वायु हल्की होने के कारण तेज चलती है, जिससे परागकण, धूल, मिट्टी और दूसरे प्रदूषक अधिक मात्रा में एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंच जाते हैं। एलर्जी वास्तव में हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता का ऐसा असर है। जिस पदार्थ या रसायन की वजह से शरीर में एलर्जी होती है उसे एलर्जेन कहा जाता है और एलर्जेन्स कहीं भी पाए जा सकते हैं। भोजन, पेय पदार्थों से लेकर पेड़. पौधों और यहां तक कि दवाओं में भी इन्हें देखा जा सकता है। ज्यादातर एलर्जेन हानिकारक नहीं होते है। लेकिन जिनका शरीर एलर्जेन्स के प्रति संवेदनशील होता है, उनके लिए एलर्जी की समस्या बेहद घातक हो सकती है।

एलर्जी के लक्षण-

उल्टी और दस्त की समस्या एलर्जी के लक्षण।
भूख न लगना एलर्जी के लक्षण।
मुंह, गला, आंख, त्वचा में खुजली एलर्जी के संकेत।
पेट में दर्द एलर्जी के लक्षण।
रक्त का दबाव कम होना एलर्जी के लक्षण।

आइये जानते एलर्जी किन-किन चीजों से होती है-

डेयरी उत्पाद, मूंगफली, मक्का, अंडा, मछली, सोयाबीन आदि से एलर्जी होती है।
टेट्रा साइक्लीन, पेनिसिलिन, डिलानटिन, सल्फोनामाइड्स आदि से एलर्जी होती है।
परागकण, फफूंद, धूल, आद्र्रता आदि से एलर्जी होती है।
कुत्ते और बिल्ली समेत अनेक पालतू जानवर आदि से एलर्जी होती है।
कोबाल्ट, निकिल, क्रोमियम समेत अनेक रसायन आदि से एलर्जी होती है।

होम्योपैथिक उपचार-

पहले किसी भी उपचार पद्धति में एलर्जी का स्थायी उपचार नहीं था, लेकिन अब होम्योपैथिक में उपचार उपलब्ध है, जिसके द्वारा एलर्जी को जड़ से दूर किया जा सकता है। हम होम्योपैथिक विधि से एलर्जी का बेहतर उपचार कर सकते है। अधिक जानकारी के लिए आप होम्योपैथिक डॉक्टर से संपर्क कर इस बीमारी का उपचार कर सकते है।

बदन दर्द से है परेशान तो ये होम्योपैथिक उपाय

लोगों में अक्‍सर बदन दर्द की शिकायत रहती है। ऑफिस में शाम तक आप बहुत ही थका हुआ महसूस करने लगते है। इसके पीछे की वजह दिन भर की थकान मानी जाती है और लोग बदन दर्द की टेबलेट कही जाने वाली कोई दवा लेकर इसे अनदेखा कर देते हैं। इसके बाद थोड़े दिनों में बुखार और बदन दर्द की दवा लेते हैं या शरीर दर्द की दवा आपके बैग में हमेशा रहती है। कई अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि अवसाद व्यक्ति के दिमाग में दर्द पैदा करने वाले हिस्सों को ऐक्टिव कर देता है, जिससे मसल्स पेन, जाइंट पेन, चैस्ट पेन, हैडेक आदि हो सकता है।

बदन दर्द के कारण-

अगर आपको फ्लू है।
थायरॉइड भी शरीर में थकान पैदा करता है।
अगर आपका ब्‍लड प्रेशर का सामान्‍य न हो।
तनाव भी बॉडी में दर्द का एक कारण है।
विटामिन डी की कमी भी बदन दर्द होता है।
देर बैठने का काम करने से।
गलत तरीके से वजन उठाने से।
बहुत ज्‍यादा व्‍यायाम करना।

लक्षण-

लंबे समय तक कंप्यूटर अथवा मोबाइल पर काम करने से
पोस्चर भी ठीक नहीं रखते।
कमर दर्द और गरदन में दर्द की समस्या।
दिन-रात बिस्तर में दुबके रहना
शरीर और जोड़ों में दर्द

उपाय-
अक्सर लोगों में लगातार घर-ऑफिस में काम करने को लेकर बदन दर्द की शिकायत रहती है। वह अपने इस दर्द से छुटकारा पाने के लिए कई तरह के जुगत में लगा रहता है। अगर आप भी बदन दर्द से परेशान है तो डॉक्टर से सलाह लेकर होम्योपैथिक विधि से उपचार करें। अगर आपको किसी तरह की दिक्कत या परेशानी हो तो आप ऊपर दिये गये वीडियो को देखकर बदन दर्द की समस्या से छुटकारा पा सकते है।

पेट में गैस की समस्या

गैस की समस्या अब आम हो गई है क्यों आजकल का खान-पान ऐसा हो गया है कि पेट में गैस बनना, एसिडिटी जैसी बीमारियों को जन्म देता हैं। सर्दियों में तो खासतौर पर हम तरह-तरह की तली-भुनी चीजें हम खाते रहते हैं जिनसे एसिडिटी के रूपे में पेट में, सीने में या कई बार तो सिर में भी दर्द होता है। वही अगर आप ज्य़ादा खट्टा, तीखा, मसाले वाला खाना खाते है, देर रात तक जागते है, पानी कम पीते है, गुस्सा, चिंता, बहुत देर तक एक ही जगह बैठे रहने आदि से गैस बनने लगती है। कुछ दाल व सब्जयि़ां भी ऐसी होती हैं जो गैस बनाती हैं। ज्य़ादा चाय पीने से भी गैस बनती है। इसके लिए ये घरेलू नुस्खे आपके काम आ सकते हैं। लेकिन होम्योपैथिक विधि आपके लिए कारगार साबित हो सकती है।

आइये जानते है गैस के लक्षण-
अगर आपकों भूख नहीं लग रही है।
अगर आपकी सांसें बदबूदार आ रही है और पेट में सूजन है।
अगर आपकों दस्त और या उलटी हो।
अगर आपका पेट फूल रहा हो।

पेट में गैस बनने के कारण –
अत्यधिक भोजन करना भी पेट में गैस का कारण है।
बैक्टीरिया का पेट में ज्यादा उत्पादन होनापेट में गैस का कारण है।
भोजन करते समय बातें करना पेट में गैस का कारण है।
पेट में अम्ल का निर्माण होना पेट में गैस का कारण है।
किसी-किसी को दूध के सेवन से भी गैस की समस्या हो सकती है।
अधिक शराब पीना से पेट में गैस का कारण है।
मानसिक चिंता या स्ट्रेस पेट में गैस का कारण है।

आइये जानते है इसके उपाय-

गैस की समस्या से हर कोई परेशान है। ऐसे में लोग तुंरत इससे छुटकारा चाहते है। सबसे पहले आपकों अपना खानपान और दिनचर्या बदलनी होगी। इसे अलावा आप डॉक्टर की सलाह पर होम्योपैथिक उपचार कर सकते है।