कील-मुंहासों की समस्या से कैसे पाये निजात

युवाओं में कील-मुंहासों की समस्या से देखने को मिलती है जिससे वह अक्सर परेशान रहते हैं। इनसे निजात पाने के लिए वो हर संभव नुस्खा और इलाज अपनाते हैं। कई लोग इन कील-मुंहासों को दबाते भी है जिससे उनसे सफेद रंग का कुछ पदार्थ निकलता है। इन्हें दबाना ठीक नहीं होता क्योंकि इसके बाद चेहरे पर गहरे दाग-धब्बे बन जाते हैं जिनसे छुटकारा पाना और भी मुश्किल हो जाता है। वैसे कील-मुंहासे यानि पिंपल्स होने की सबसे बड़ी वजह है जंक फूड और तला-भुना खाना। हालांकि मुहांसे उग आने की वजह हमारे गड़बड़ाए हुए हॉर्मोन्स नहीं होते हैं। बल्कि हमारे पेट में जमा कब्ज, हमारे दिमाग पर चढ़ा तनाव और हमारे शरीर में मौजूद अन्य बीमारियां भी होती हैं। कई बार शरीर की अंदरूनी नहीं बल्कि स्किन प्रॉब्लम के कारण भी हमें मुहांसे होते हैं। यूं तो कील- मुंहासों की समस्या त्वचा और सौन्दर्य से संबधित है। मुंहासे हमारे शरीर और चेहरे पर लाल रंग के फोड़े- फुंसी और दाना के रूप में होते है, चेहरे के अलावा कील मुँहासे कभी कभार छाती, पीठ और कंधे के आस-पास वाली जगहों पर भी निकल आते हैं।

मुंहासे होने के कारण –
आम तौर पर मुंहासे होने के कई सारे कारण है लेकिन उनमें से आहार और जीवनशैली प्रमुख है जिनके कारण मुंहासा होता है। आहार योजना या डायट/ ज्यादा तैलीय ,आनुवांशिक ,संक्रमण , मानसिक तनाव, त्वग्वसीय ग्रन्थि अवरोध , पित्त व कफ दोष की प्रधानता, गर्भनिरोधक दवायें मुंहासे के कारण है।होम्योपैथी हमेशा ही कील-मुंहासे जैसी समस्याओं से लडऩे के लिए सर्वश्रेष्ठ दवाएं प्रदान की है। तो आइये जानते है कैसे आप मुंहासों से राहत पा सकते है। पूरी जानकारी के लिए आप नीचे दिये गये वीडियो को देखें।

ऐसे करें बचाव-
इनसे बचने के लिए हमें अपनी जीवनशैली बदलाव में बदलाव की जरूरत है। आप रोज सुबह खाली पेट 1-2 गिलास गुनगुना पानी पीये। रात में हल्का भोजन जैसे- दलिया, खिचड़ी, मूँग की दाल, ओट्स आदि खाना चाहिए। इसके बाद कुछ देर टहलना चाहिए ताकि खाना अच्छे से पच सकें। समय से सोये। साथ ही 10-12 गिलास पानी रोज पीये। बाहर की चीजों पिज्जा, बर्गर, आइक्रीम, चॉकलेट और समोसे आदि नहीं खाने से बचना चाहिए।

बवासीर है तो घबराये नहीं, आजमाये ये होम्योपैथिक उपाय

लोग बवासीर की बीमारी से परेशान रहते है। बवासीर की बीमारी होने पर एनस के अंदर और बाहरी हिस्से की शिराओं में सूजन आ जाती है। इसके चलतेे गुदा के अंदरूनी हिस्से में या बाहर के हिस्से में कुछ मस्से जैसे बन जाते हैं, जिनमें से कई बार खून निकलता है और बेतहासा दर्द भी होता है। आमतौर पर लोग इस बीमारी नजरअंदाज करते हैं। जिससे व्यक्ति को कब्ज, मल त्याग के दौरान दर्द व जलन व अन्य कई तरह की समस्याएं होती है। वैसे तो बवासीर की समस्या किसी को भी हो सकती है, लेकिन अगर आप जानना चाहते हैं कि बवासीर की परेशानी किन कारणों से होती है तो आइये जानते है इसके कारण-

मल त्याग करते समय तेज चमकदार रक्त का आना या म्यूकस का आना।
एनस के आसपास सूजन या गांठ सी महसूस होना।
एनस के आसपास खुजली का होना।
मल त्याग करने के बाद भी ऐसा लगते रहना जैसे पेट साफ न हुआ हो।
पाइल्स के मस्सों में सिर्फ खून आता है, दर्द नहीं होता।
अगर दर्द है तो इसकी वजह है इंफेक्शन।

बवासीर में कैसे करें होम्योपैथिक दवाओं का इस्तेमाल देखिये वीडियो-

बाहरी बवासीर- यह बवासीर मलाशय में होता है। जहां से स्टूल पास होता।
अंदरूनी बवासीर – यह बवासीर रेक्टम के अंदर होते हैं। कई बार इन्हें बाहर से नहीं देखा जा सकता है।
प्रोलेप्सेड बवासीर-यह बवासीर अंदरूनी बवासीर के बाद होता है। अंदरूनी बवासीर में सूजन होती है ।
खूनी बवासीर -खूनी बवासीर होने पर आस-पास की नसों में खून के थक्के बनने लगते हैं। यह एनस के बाहर और अंदर दोनों जगह हो सकता है।

बवासीर के लिए होम्योपैथी में बहुत अच्छा इलाज है और कई मामलों में स्टेज 3 के होम्योपैथी को भी इसकी मदद से ठीक किया जा सकता है। बवासीर के बहुत कम मामले ऐसे होते हैं, जिनमें सर्जरी की जरूरत होती है। बाकी बवासीर दवाओं से ही ठीक हो सकते हैं। साथ ही शुरुआती स्टेज के बवासीर में एकदम सर्जरी की ओर जाने से बचना चाहिए। अगर आपको होम्योपैथिक उपचार को लेकर कोई शंका या फिर प्रश्न है तो आप साहस होम्योपैथिक के विशेषज्ञ डॉ एन सी पांडेय जी से राय लेकर उपचार कर सकते है।

बहरा न बना दें कान का दर्द, पढिय़े होम्योपैथिक उपाय

अक्सर कान का दर्द (Ear Pain) सभी लोगों को कभीन कभी परेशान करता ही है। कई लोग इसे आम समस्या समझते हैं और इसी कारण वे इसका समाधान सामान्य घरेलू नुस्खों के द्वारा ही करना चाहते हैं। उनका ये रवैया नुकसानदायक साबित हो सकता है क्योंकि यह एक गंभीर समस्या बनती जा रही है और इससे लगभग 10 प्रतिशत लोग प्रभावित हैं। अधिकतर लोग इसका इलाज सही समय पर नहीं कराते हैं, इसी कारण वे बेहरेपन का शिकार भी हो जाते हैं। इसका सबसे अच्छा इलाज होम्योपैथी विधि से किया जा सकता है।

आईये जानते है क्या है कान दर्द के कारण-

कभी कभी यदि सर्दी या फिर ठण्डी हवा में कान में दर्द होता है।
दांतों में दर्द या फोड़े आदि होना।
बच्चों के दांत आना।
कान में वैक्स बनना।
कान में कुछ फंसना।
कान के परदे में छेद होना।
निगलने के दौरान दर्द, गले में दर्द या टॉन्सिलाइटिस।
बुखार, कान में संक्रमण या जुकाम।
कान के चारों ओर सूजन आना।
कान से द्रव पदार्थ का निकलना।
कान में कुछ फंस जाना।
सुनने में कमी या बदलाव
अन्य लक्षण होना।
चक्कर आना, सिर में दर्द या कान के चारों ओर सूजन आना।
इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपको किस प्रकार की कान की समस्या है। आप होम्योपैथिक विधि से इसका बड़ी कुशलता से उपचार कर सकते हैं। वयस्कों और बच्चों द्वारा कान की परेशानी का अनुभव किया जा सकता है। और होम्योपैथिक उपचार उन सभी के इलाज के लिए जाने जाते हैं। अगर आपको होम्योपैथिक उपचार को लेकर कोई शंका या फिर प्रश्न है तो आप साहस होम्योपैथिक के विशेषज्ञ डॉ एन सी पांडेय जी से राय लेकर उपचार कर सकते है।

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