Typhoid treatment

Prevention from Typhoid | Typhoid Treatment

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Peptic Ulcer Homeopathic Treatment in Hindi

Peptic Ulcer Homeopathic Treatment in Hindi : Peptic Ulcer Homeopathic Treatment in Hindi explained here.

Peptic Ulcer Homeopathic Treatment

पेप्टिक अल्सर का होम्योपैथिक उपचार हिंदी में – आइये जानतें हैं पेप्टिक अल्सर का होम्योपैथिक द्वारा उपचार कैसे करते हैं।

पेप्टिक अल्सर सामान्य भाषा में इसे पेट की आंतों की परतों मैं हुए छालों या घावों को कहा जाता है इस रोग में पेट में लगातार दर्द व जलन रहना एक सामान्य लक्षण है अल्सर को ठीक होने में कुछ दिनों से लेकर कुछ हफ्तों तक लग जाते हैं लग जाते हैं परंतु समय पर सही उपचार ना मिले तो कुछ केस में ऑपरेशन की आवश्यकता होती है इस रोग को ठीक होने में अधिक समय लगता है आप कुछ खाते हैं या गैस्टिक की दवा लेते हैं तो यह कुछ समय तक यह रुक जाता है

लक्षण- पेप्टिक अल्सर या पेट के छालों के निम्न लक्षण इस प्रकार है पेट में दर्द पेट फूलना गैस बनना *उल्टी में खून आना *मल में गाढ़ा खून आना *उल्टियां होना या जी मिचलाना *वजन का घटना खून में कमी *बिना खाना खाए भी पेट भरा सा लगना. कारण- पेप्टिक अल्सर होने के कारण अधिक मात्रा में धूम्रपान और शराब का सेवन करना ज्यादा मिर्च मसाला व गरिष्ठ भोजन का प्रयोग करना ज्यादा तनाव में रहना आदि इसके कारण है

दवाइयां- इस रोग में capsicum 200 में दो ड्राप सुबह शाम ले इसके बाद Adel. 16 की 20 तीन बार खाना खाने से आधा घंटा पहले इसके साथ B C 25 की 4-4 गोली तीन बार लें इसके साथ Alpha Acid की एक गोली दिन में 3से6 बार तक ले दवा के साथ ही साथ आप इस बात का भी ध्यान रखें कि रोगी ज्यादा देर तक खाली पेट ना रहे वह समय-समय पर कुछ ना कुछ हल्का फुल्का खाते रहे।

जानें होम्योपैथी द्वारा हैजा का उपचार कैसे किया जाता है।

Leucorrhoea Homeopathic Treatment in Hindi

Leucorrhoea Homeopathic Treatment in Hindi : Leucorrhoea Homeopathic Treatment in Hindi language available here.

Leucorrhoea Homeopathic Treatment in Hindi language

 

ल्‍यूकोरिया का होम्योपैथिक उपचार हिंदी में – आइये जानतें हैं ल्‍यूकोरिया का होम्योपैथिक द्वारा उपचार कैसे करते हैं।

क्या है ल्‍यूकोरिया ?

महिलाओं में योनि मार्ग से आने वाले सफेद और चिपचिपे गाढ़े स्राव को ल्‍यूकोरिया कहते हैं। ल्यूकोरिया या श्वेत प्रदर स्वयं में एक आम बीमारी है लेकिन नजरअंदाज करने पर यह गंभीर बीमारी का रूप ले सकती है।ये महिलाओ में युवावस्था के बाद किसी भी उम्र में हो सकता है, इस समस्या से महिलाएं परेशान रहती हैं. ये सिर्फ भारतीयों की परेशानी नहीं बल्कि सम्पूर्ण विश्व की महिलाएं इस समस्या से परेशान रहती हैं. ये सामान्य तौर से सफ़ेद रंग का होता हैं परन्तु किसी इंफक्शन के कारण ये द्रव्य नीला, पीला, या लाल रंग का भी हो जाता है और साथ ही इसमें से बदबू आने लगती हैं। अलग अलग महिलाओं में ये समस्या अलग अलग रूप से दिखाई देती हैं .इतना ही नहीं बल्कि इस समस्या के अवधी भी महिलाओं में अलग अलग होती हैं.

ल्‍यूकोरिया के कारण

महिलाओं में ल्‍यूकोरिया की समस्या आम हैं इसके कई सामान्य कारण हैं, जिसमे कुछ मुख्य कारण निम्न हैं :-
शरीर में पोषण की कमी
योनि के अंदर ‘ट्रिकोमोन्‍स वेगिनेल्‍स’ नामक बैक्‍टीरिया की मौजूदगी
तीखे, तेज मसालेदार और तले हुए खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन,
योनि या गर्भाशय के मुख पर छाले,
बार-बार गर्भपात होना या कराना,
मूत्र स्थान में संक्रमण,
योनि की अस्वच्छता,
खून की कमी,
गलत तरीके से सेक्‍स,
अत्यधिक उपवास,
बहुत अधिक श्रम,
शरीर की कमजोर रोगप्रतिरोधक क्षमता और डायबिटीज के कारण योनि में सामान्यतः फंगल यीस्ट नामक संक्रामक रोग के कारण यह समस्‍या होती है।

ल्‍यूकोरिया के लक्षण

ल्‍यूकोरिया के कुछ सामन्य लक्षण हैं
शारीरिक कमजोरी
कमजोरी का अनुभव,
हाथ-पैरों और कमर-पेट-पेडू में दर्द,
पिंडलियों में खिंचाव,
शरीर भारी रहना,
चिड़चिड़ापन
चक्कर आना,
आंखों के सामने अंधेरा छा जाना,
भूख न लगना,
शौच साफ न होना,
बार-बार यूरीन,
पेट में भारीपन,
जी मिचलाना,
योनि में खुजली आदि शामिल है।
मासिक धर्म से पहले, या बाद में सफेद चिपचिपा स्राव होना इस रोग के लक्ष्ण हैं। इससे रोगी का चेहरा पीला हो जाता है।
योनि से सफ़ेद स्राव निकलने लगता हैं।

ल्‍यूकोरिया के लिए होम्योपैथिक दवाये :

ल्‍यूकोरिया के लिए Sepia 30ch की, २ ड्राम बनवा लें, और इसकी ४-४ गोली दिन में ३ बार लें, ४ गोली सवेरे, ४ गोली दिन में, और ४ गोली शाम को.
Hertone टॉनिक को १ चम्मच, दिन में ३ बार.
Ova Tosta 6 , की २ ड्राम बनवा लें, और इसकी इसकी ४-४ गोली दिन में ३ बार लें, ४ गोली सवेरे, ४ गोली दिन में, और ४ गोली शाम को

 

जानें पेप्टिक अल्सर का होम्योपैथिक द्वारा उपचार कैसे करते हैं।

Tonsils Homeopathic Treatment in Hindi

Wrist Pain

कलाई का दर्द एक आम समस्या हैं। जो कई कारणों से होती हैं, वैसे तो कलाई में दर्द होना एक आम समस्या मानी जाती हैं परन्तु यदि ये दर्द ज्यादा हो तो आपको तुरंत ही डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए। कलाई में दर्द होने पर आप काम करने में असमर्थ होते हैं और कलाई में दर्द, सूजन, और लाली आने लगती हैं.

कलाई के दर्द का कारण

कलाई में दर्द के कई कारण होते हैं, जिनमे से कुछ निम्न कारण हैं :
हाथ में चोट लगना
बार-बार हाथ में दबाव पड़ना
गठिया रोग के कारण
कलाई में ओस्ट्रोरटाइटिस
गठिया रोग या किसी अन्य गंभीर रोग के कारण
दोहराये जाने वाले कार्य को करने के कारण जैसे बुनाई ऐसे कार्यों को बिना रुके करने से कलाई में दर्द होने लगता है।

कलाई में दर्द के लक्षण :

कलाई में दर्द होने के कई लक्षण देखे गए है, जैसे किसी कार्य को करने में असमर्थ होना
कलाई में सूजन, दर्द या लाली होना
कलाई में अकड़न, किसी वस्तु को पकड़ने में तकलीफ होना आदि लक्षण देखे गए हैं.

कलाई में दर्द का होम्योपैथिक उपचार

कलाई में दर्द होने पर इस होम्योपैथिक दवा का सेवन करने से आपको लाभ मिलेगा।
Calc. Phos. 6x की ४ गोली सवेरे, ४ गोली दिन में और ४गोली शाम को लें
साथ ही R11 की २० बुँदे सवेरे , २० बुँदे दिन में और २० बुँदे शाम को लें आधे कप पानी में मिलाते हुए.
साथ ही हड्डियों को मजबूत बनाये, जिस काम में हाथ का इस्तेमाल हो उस कार्य को लगातार न करें।

Itching

जानते है खुजली के कारण

खुजली के कई कारण होते जिसमे से चर्म रोग होना एक मुख्य कारण हैं जानते है कुछ अन्य कारण खुजली के :
सुखी त्वचा
त्वचा में चकत्ते
किसी अंदरूनी बीमारी के कारण
गर्भवस्ता
तंत्रिका संबंधी विकार
दवाओं के सेवन के कारण
एलर्जी व जलन के कारण

खुजली के लक्षण :
त्वचा में खरोंच आना
शरीर पर स्कैली या फ्लेकिंग त्वचा
फटी हुई त्वचा या होंठ
अत्यधिक खुजली
गहरे लाल रंग की त्वचा
त्वचा में दरारें जिससे रक्तस्राव हो रहा हो

खुजली के लिए होम्योपैथिक उपचार :-

खुजली होने पर आप इन होम्योपैथिक दवाओं का सेवन करें :

Scaboil को आपको जिस एरिया में खुजली हो रही है, उस जगह पर इस दवा को रुई की मदद से लगाए ।

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Colic pain in kids

नवजात शिशु में पेट/ कोलिक दर्द
नवजात या छोटे शिशुओं में पेट दर्द को एक आम समस्या माना जाता हैं. अपनी समस्या को बताने में असमर्थ होने के कारण वो रोने लगता हैं और अभिभावक इस बात का अनुमान नहीं लगा पाते की शिशु के पेट में दर्द हैं. शिशु के पेट में दर्द के वैसे तो कई कारण है जिनमे से कुछ दर्द सामान्य होते हैं और एक समय के बाद खुद ही ठीक हो जाते हैं,

नवजात शिशु के पेट दर्द के लक्षण:

नवजात शिशु के पेट में दर्द के कई लक्षण देखे गए है, जिनमे से कुछ सामान्य लक्षण है :

शिशु को बार बार उलटी आना.
बच्चे का बार बार रोना
शिशु के पेट में मरोड़ होना , दस्त होना।
शिशु का चिड़चिड़ा होना, नींद पूरी न होना।
शिशु का उचित आहार न ले पाना या पोषण युक्त आहार की कमी होना।

नवजात शिशु के पेट दर्द के कारण

नवजात शिशु के पेट दर्द के कई कारण हो सकते हैं जिसमे से कुछ सामान्य कारण निम्न है :
कब्ज
दस्त के कारण
कोलिक के कारण पेट में दर्द
गैस की समस्या के कारण
पेट के फ्लू के कारण

नवजात शिशु के पेट की होम्योपैथिक दवा :
आपके नवजात शिशु के पेट में दर्द है तो इस दवा के सेवन से शिशु को बेहद आराम मिलेगा।
Colikind की २ गोली सवेरे, २ गोली दिन में , २ गोली शाम को लें.

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Teething trouble special medicine of homeopathy

बच्चे जैसे जैसे बड़े होते हैं अभिभवकों को उनके दांत निकलने का इंतजार होता हैं क्योंकि दांत निकलने के बाद ही बच्चे खाने में समर्थ होते हैं लेकिन दांत निकलना अपने आप में एक समस्या भी बन जाते है. क्योंकि दांत निकलते समय बच्चों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है बच्चों को दस्त होने हैं, जिस कारण बच्चे चिड़चिड़े से हो जाते हैं.

जानते है दांत निकलने के लक्षण :
दांत निकलते समय बच्चे को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं. जिसमे से कुछ लक्षण निम्न हैं :
दांत निकलने वक्त बच्चे को दस्त, पेट दर्द और कब्ज होने लगता हैं।
दांत निकलते वक्त मसूढ़ों में खुजली, सूजन और दर्द रहता है।
गंदी बोतलों से दूध पीने या मिट्टी खाने वाले बच्चे दांत निकलते समय ज्यादा बीमार पड़ते हैं।
सिर गरम होना, आँखे दुखना और बार बार दस्त होना।
मसूढे सख्त होना और उनमें सूजन भी आ जाती है।
बच्चा चिडचिडा हो जाता है, अकसर रोता भी रहता है।
बच्चों के मसूढे के मांस को चीर कर दांत बाहर निकलते हैं, इसलिए उनमें दर्द और खुजली होती है। इस तकलीफ से राहत पाने के लिए वह इधर-उधर की चीजें उठा कर उन्हें चबाने की कोशिश करता है।

बच्चे के दांत निकलने पर होम्योपैथिक दवा
बच्चे के दांत निकलने पर chamodent की २ गोली सवेरे, २ गोली दिन में, २ गोली शाम को दें
और साथ ही बच्चे को कैल्शियम, आयरन, पोषण युक्त आहार दें.