गले में कप और छाती में बलगम की शिकायत

गले में कफ (बलगम) एक बड़ी समस्या है। हर व्यक्ति को अपना गला साफ करने की जरूरत होती है। लोगों को गले में कफ जमने पर भारीपन और जलन या खुजली का अहसास होता है। ऐसे में बेचैनी सी पैदा कर देती हैं। जब गले में कफ जमने लगे तो यह छाती में भी चिपक जाता है। आमतौर पर किसी चीज से एलर्जी होने पर
भी गले में बलगम बनने लगता है। सामान्य तौर पर शरीर में बनने वाला कफ चिंता का विषय नहीं होता है। लेकिन कफ की मात्रा बढऩे और इसके रंग में बदलाव होने पर यह खतरनाक हो सकता है। यह स्थिति किसी अन्य बीमारी या स्वास्थ्य समस्या का संकेत हो सकती है। आप होम्योपैथिक विधि से इसका उपचार कर सकते है।

कप के लक्षण-

आपके गले में खरोंच या इंफेक्शन का होना।
अगर आपकों उबकाई आये तो पेट में अधिक कफ होने का अहसास होता है।
अगर आप बार -बार गला साफ कर रहे है।
आपके बार-बार खांसने और थूंकने में लक्षण।
अगर आपके मुंह से बदबू आ रही है।
रात के समय खांसी का बदतर होना।

आइये जानते है कप के कारण-

आमतौर पर आपके आसपास के वातावरण में बदलाव होने पर गले में बलगम की समस्या होती है। कफ की समस्या मुख्यरूप से एलर्जी जिम्मेदार होती है। खासतौर पर मौसमी एलर्जी भी गले में बलगम का कारण बनती है। इसके अलावा सर्दियां या ठंडी हवा गले में बलगम का एक बड़ा कारण होती है। ठंडी हवा लेना या रूखी नमी रहित हवा हमारी नाक और गले में खुजली पैदा करती है। ऐसे स्थिति में हमारे शरीर में कफ बनाती है, जो गले में कफ का कारण बनता है। हालांकि, सर्दियों के मौसम में वायरल इंफेक्शन जैसे फ्लू, साइनस इंफेक्शन और सामान्य सर्दी जुकाम होता है। यह इंफेक्शन कई लक्षणों जैसे गले में कफ के लिए जिम्मेदार होते हैं।

कैसे करें उपचार-

गले में कफ या छाती में बलगम की समस्या के निजात पाने के कई उपाय है लेकिन हम होम्योपैथिक विवि से इस समस्या से छुटकारा पा सकते है। कई मरीजों से होम्योपैथिक विधि से उपचार कर कफ और बलगम की समस्या से निजात पायी है। अगर आपको भी कफ और बलगम की समस्या हो तो आप होम्योपैथिक विधि से इसका उपचार करें। अगर उपचार को लेकर कोई शंका या समस्या हो तो आप साहय होम्योपैथिक क्लीनिक के विशेषज्ञ डा. एनसी पाण्डेय से राय ले सकते है।

गर्दन के पीछे गांठ की समस्या

शरीर में कभी-कभी ये गांठ छोटी तो कभी बड़ी होती है जिसे लोग नजरअंदाज करते हैं। लेकिन यह गांठ आगे चलकर जानलेवा बीमारी का कारण बन सकती है। कई लोगों के गर्दन के आसपास गांठ बन जाती है जिसमें दर्द नहीं होता है इसे एपिडरमाइड सिस्ट के नाम से जाना जाता है। यह गांठ की समस्या किसी को भी कभी भी हो
सकती है। इन सिस्ट को सेबेसियस सिस्ट भी कहा जाता है। इसमें दर्द न होने की वजह से कई लोग इसे हटवाते भी नहीं हैं। होम्योपैथिक विधि से इसका उपचार बड़ी आसानी से किया जा सकता है।

आइये जानते है इसके कारण-

थायराइड ग्रंथि शरीर का एक नियामक है जो गर्दन के सामने स्थित है। इस ग्रंथि के साथ समस्याएं गर्दन में ठोस या तरल गांठ पैदा कर सकती हैं। वही गर्दन की पीठ पर गांठ भी त्वचा से उत्पन्न हो सकती है जो त्वचा के ऊतकों के नीचे या ऊपर मोटी हो जाती है। हालांकि अधिकांश गांठ कैंसर नहीं है और कुछ लक्षणों का कारण नहीं है। एक थायरोग्लोसल डक्ट पुटी एक बच्चे के गले में एक पुटी या एक गांठ की स्थिति है जो वयस्कता में बढऩा जारी रख सकती है। कंठमाला एक संक्रामक वायरस के चलते होने वाला संक्रमण है। यह वायरस लार ग्रंथि में दर्द के साथ सूजन का कारण बनता है। एक गांठ के रूप में या बाईं गर्दन में एक गांठ के रूप में दिखाई दे सकते हैं। गर्दन के पीछे, दायीं या बायीं ओर गांठ विकसित हो सकती है ।

होम्योपैथिक विधि-

होम्योपैथिक विधि से हम इन गांठों का उपचार कर सकते है। लाइपोमा की गांठें आपकी त्वचा के अंदरूनी हिस्से में होती हैं जो एक से तीन सेंटीमीटर तक मोटी हो सकती हैं।लाइपोमा की गांठें खिसकती भी हैं। ये अपनी पोजीशन बदल सकती हैं। उन्होंने इस बीमारी पर होम्योपैथिक उपचार से रोगी निजात पा सकता है। आपकों इस बीमारी से छुटकारा पाने के लिए डॉक्टर द्वारा बताये गये होम्योपैथिक दवाईयों का उपयोग करना होगा।

होम्योपैथिक उपचार से पाये मोटापे की समस्या से छुटकारा

आज मोटापा एक बड़ी समस्या बन गई है। अब यह एक उम्र तक सीमित न होकर बच्चों से लेकर युवाओं तक को अपनी चपेट में लेता जा रहा है। बच्चों में मोटापा तेजी से फैलता है, जिससे अन्य बीमारियों का खतरा भी बढ़ सकता है। मोटापा आज की जीवनशैली की एक गंभीर समस्या है जिस पर अक्सर आपने भी लोगों को
बातें करतें और मोटापा कम करनी की फ्री एडवाइस भी देते सुना होगा। कुछ लोग मोटापे को लेकर शुरुआत में गंभीरता से नहीं लेते है जिसके चलते समस्या खतरनाक रूप ले लेती है और इंसान को चलने-फिरने तक में दिक्कत धीर-धीरे शुरू हो जाती है। हर साल विश्व स्वास्थ संगठन ने11 अक्टूबर को विश्व मोटापा दिवस रूप में मनाने का आदेश दिया है, जिससे लोगों को इस समस्या के बारे में अधिक से अधिक जानकारी दी जाए। मोटापे को खत्म करने लिए होम्योपैथिक विवि सबसे कारगार साबित हुई है।

मोटापा के लक्षण –

जब हमारी सांस फूलने लगे तो समझो हम मोटापा के शिकार हो रहे है।
मोटापा के कोई भी लक्षण नजर आये तो तुंरत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
अगर आपकों अधिक पसीना आता है, तो यह मोटापा का संकेत हो सकता है।
सोते समय अगर आप खर्राटे मार रहे है तो मोटापा की समस्या है।
अगर आपकों थकान महसूस हो रही है तो इसे गंभीरता से ले।
कमर और जोड़ों में दर्द होना भी मोटापा का संकेत है।

होम्योपैथिक उपचार

अगर आप मोटापा से परेशान है और इसका इलाज कराने की सोच रहे है तो आपके लिए सबसे होम्योपैथिक उपचार सबसे बेहतर है। होम्योपैथिक विवि से उपचार कराने पर आपकों मोटापा से छुटकारा मिलने की पूरी उम्मीद है। इसके अलावा आपको अपने खान-पान में बदलाव करना होगा। खाने में आपको हरी सब्जियों, फल खाना इत्यादि का सेवन करना चाहिए। पौष्टिक भोजन करने के अलावा एक्सराइज़ के द्वारा भी अधिक वजन से छुटकारा मिल सकता है। इसके अलावा आप मानसिक अवसाद से बचे। अधिक जानकारी के लिए आप ऊपर दिये गये डॉक्टर एनसी पाण्डेय जी का वीडियो देख पूरी जानकारी ले सकते है। या फिर किसी भी समस्या के समाधान के लिए उनसे संपर्क कर सकते है।

कील-मुंहासों की समस्या से कैसे पाये निजात

युवाओं में कील-मुंहासों की समस्या से देखने को मिलती है जिससे वह अक्सर परेशान रहते हैं। इनसे निजात पाने के लिए वो हर संभव नुस्खा और इलाज अपनाते हैं। कई लोग इन कील-मुंहासों को दबाते भी है जिससे उनसे सफेद रंग का कुछ पदार्थ निकलता है। इन्हें दबाना ठीक नहीं होता क्योंकि इसके बाद चेहरे पर गहरे दाग-धब्बे बन जाते हैं जिनसे छुटकारा पाना और भी मुश्किल हो जाता है। वैसे कील-मुंहासे यानि पिंपल्स होने की सबसे बड़ी वजह है जंक फूड और तला-भुना खाना। हालांकि मुहांसे उग आने की वजह हमारे गड़बड़ाए हुए हॉर्मोन्स नहीं होते हैं। बल्कि हमारे पेट में जमा कब्ज, हमारे दिमाग पर चढ़ा तनाव और हमारे शरीर में मौजूद अन्य बीमारियां भी होती हैं। कई बार शरीर की अंदरूनी नहीं बल्कि स्किन प्रॉब्लम के कारण भी हमें मुहांसे होते हैं। यूं तो कील- मुंहासों की समस्या त्वचा और सौन्दर्य से संबधित है। मुंहासे हमारे शरीर और चेहरे पर लाल रंग के फोड़े- फुंसी और दाना के रूप में होते है, चेहरे के अलावा कील मुँहासे कभी कभार छाती, पीठ और कंधे के आस-पास वाली जगहों पर भी निकल आते हैं।

मुंहासे होने के कारण –
आम तौर पर मुंहासे होने के कई सारे कारण है लेकिन उनमें से आहार और जीवनशैली प्रमुख है जिनके कारण मुंहासा होता है। आहार योजना या डायट/ ज्यादा तैलीय ,आनुवांशिक ,संक्रमण , मानसिक तनाव, त्वग्वसीय ग्रन्थि अवरोध , पित्त व कफ दोष की प्रधानता, गर्भनिरोधक दवायें मुंहासे के कारण है।होम्योपैथी हमेशा ही कील-मुंहासे जैसी समस्याओं से लडऩे के लिए सर्वश्रेष्ठ दवाएं प्रदान की है। तो आइये जानते है कैसे आप मुंहासों से राहत पा सकते है। पूरी जानकारी के लिए आप नीचे दिये गये वीडियो को देखें।

ऐसे करें बचाव-
इनसे बचने के लिए हमें अपनी जीवनशैली बदलाव में बदलाव की जरूरत है। आप रोज सुबह खाली पेट 1-2 गिलास गुनगुना पानी पीये। रात में हल्का भोजन जैसे- दलिया, खिचड़ी, मूँग की दाल, ओट्स आदि खाना चाहिए। इसके बाद कुछ देर टहलना चाहिए ताकि खाना अच्छे से पच सकें। समय से सोये। साथ ही 10-12 गिलास पानी रोज पीये। बाहर की चीजों पिज्जा, बर्गर, आइक्रीम, चॉकलेट और समोसे आदि नहीं खाने से बचना चाहिए।

बवासीर है तो घबराये नहीं, आजमाये ये होम्योपैथिक उपाय

लोग बवासीर की बीमारी से परेशान रहते है। बवासीर की बीमारी होने पर एनस के अंदर और बाहरी हिस्से की शिराओं में सूजन आ जाती है। इसके चलतेे गुदा के अंदरूनी हिस्से में या बाहर के हिस्से में कुछ मस्से जैसे बन जाते हैं, जिनमें से कई बार खून निकलता है और बेतहासा दर्द भी होता है। आमतौर पर लोग इस बीमारी नजरअंदाज करते हैं। जिससे व्यक्ति को कब्ज, मल त्याग के दौरान दर्द व जलन व अन्य कई तरह की समस्याएं होती है। वैसे तो बवासीर की समस्या किसी को भी हो सकती है, लेकिन अगर आप जानना चाहते हैं कि बवासीर की परेशानी किन कारणों से होती है तो आइये जानते है इसके कारण-

मल त्याग करते समय तेज चमकदार रक्त का आना या म्यूकस का आना।
एनस के आसपास सूजन या गांठ सी महसूस होना।
एनस के आसपास खुजली का होना।
मल त्याग करने के बाद भी ऐसा लगते रहना जैसे पेट साफ न हुआ हो।
पाइल्स के मस्सों में सिर्फ खून आता है, दर्द नहीं होता।
अगर दर्द है तो इसकी वजह है इंफेक्शन।

बवासीर में कैसे करें होम्योपैथिक दवाओं का इस्तेमाल देखिये वीडियो-

बाहरी बवासीर- यह बवासीर मलाशय में होता है। जहां से स्टूल पास होता।
अंदरूनी बवासीर – यह बवासीर रेक्टम के अंदर होते हैं। कई बार इन्हें बाहर से नहीं देखा जा सकता है।
प्रोलेप्सेड बवासीर-यह बवासीर अंदरूनी बवासीर के बाद होता है। अंदरूनी बवासीर में सूजन होती है ।
खूनी बवासीर -खूनी बवासीर होने पर आस-पास की नसों में खून के थक्के बनने लगते हैं। यह एनस के बाहर और अंदर दोनों जगह हो सकता है।

बवासीर के लिए होम्योपैथी में बहुत अच्छा इलाज है और कई मामलों में स्टेज 3 के होम्योपैथी को भी इसकी मदद से ठीक किया जा सकता है। बवासीर के बहुत कम मामले ऐसे होते हैं, जिनमें सर्जरी की जरूरत होती है। बाकी बवासीर दवाओं से ही ठीक हो सकते हैं। साथ ही शुरुआती स्टेज के बवासीर में एकदम सर्जरी की ओर जाने से बचना चाहिए। अगर आपको होम्योपैथिक उपचार को लेकर कोई शंका या फिर प्रश्न है तो आप साहस होम्योपैथिक के विशेषज्ञ डॉ एन सी पांडेय जी से राय लेकर उपचार कर सकते है।

बहरा न बना दें कान का दर्द, पढिय़े होम्योपैथिक उपाय

अक्सर कान का दर्द (Ear Pain) सभी लोगों को कभीन कभी परेशान करता ही है। कई लोग इसे आम समस्या समझते हैं और इसी कारण वे इसका समाधान सामान्य घरेलू नुस्खों के द्वारा ही करना चाहते हैं। उनका ये रवैया नुकसानदायक साबित हो सकता है क्योंकि यह एक गंभीर समस्या बनती जा रही है और इससे लगभग 10 प्रतिशत लोग प्रभावित हैं। अधिकतर लोग इसका इलाज सही समय पर नहीं कराते हैं, इसी कारण वे बेहरेपन का शिकार भी हो जाते हैं। इसका सबसे अच्छा इलाज होम्योपैथी विधि से किया जा सकता है।

आईये जानते है क्या है कान दर्द के कारण-

कभी कभी यदि सर्दी या फिर ठण्डी हवा में कान में दर्द होता है।
दांतों में दर्द या फोड़े आदि होना।
बच्चों के दांत आना।
कान में वैक्स बनना।
कान में कुछ फंसना।
कान के परदे में छेद होना।
निगलने के दौरान दर्द, गले में दर्द या टॉन्सिलाइटिस।
बुखार, कान में संक्रमण या जुकाम।
कान के चारों ओर सूजन आना।
कान से द्रव पदार्थ का निकलना।
कान में कुछ फंस जाना।
सुनने में कमी या बदलाव
अन्य लक्षण होना।
चक्कर आना, सिर में दर्द या कान के चारों ओर सूजन आना।
इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपको किस प्रकार की कान की समस्या है। आप होम्योपैथिक विधि से इसका बड़ी कुशलता से उपचार कर सकते हैं। वयस्कों और बच्चों द्वारा कान की परेशानी का अनुभव किया जा सकता है। और होम्योपैथिक उपचार उन सभी के इलाज के लिए जाने जाते हैं। अगर आपको होम्योपैथिक उपचार को लेकर कोई शंका या फिर प्रश्न है तो आप साहस होम्योपैथिक के विशेषज्ञ डॉ एन सी पांडेय जी से राय लेकर उपचार कर सकते है।

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