cold Urticaria

Cold Urticaria , ठण्ड के मौसम में हाथ-पैर की अंगुलियों में सुजन या दर्द का होम्योपैथिक उपचार

जैसे ही ठन्डे का मौसम आता है , अपने साथ बहुत से रोगों को भी लाता हैं , इनमे से कुछ सामान्य रोग होते हैं और कुछ असामान्य होते हैं , यदि इन रोगों या परेशानी पर ध्यान नही दिया जाता तो यह और बढ़ जाते हैं , अक्सर ठण्ड के मौसम में जब ज्यादा ठण्ड होती हैं तो कई लोगो के हाथ और पैरों की अंगुलियों में सुजन , लालिमा , और खुजली के साथ साथ तेज दर्द होता हैं , इसके साथ ही साथ अन्य लक्षण भी नजर आ सकते हैं , जब आपको या को भी इस तरह की कोई परेशानी हो तो आप तुरंत होमियोपैथी की दवाईयाँ ले ताकि आपको इस परेशानी से जल्द से जल्द छुटकारा मिल सके , ठण्ड बढने पर आप खुद भी इस बात का ध्यान रखे की आपको ठण्ड से बचना हैं , और आप होमियोपैथी में ये दवाएं ले आपको इनसे जरुर लाभ होगा

दवाईयाँ :
सबसे पहले आप Petroleum 30 की 5 बुँदे सवेरे , 5 बुँदे दिन में, और 5 बुँदे शाम को और साथ में Nat. Sulph. 6x की 4 गोली सवेरे , 4 गोली दिन में , और 4 गोली शाम को लें
अगर अंगुलियों में खुजली , लालिमा किसी ज्यादा हैं , तो आप Petrolium Cream को लगा भी सकते हैं

  • Petroleum 30 : 5 बुँदे सवेरे , दिन में , और शाम को
  • Nat. Sulph. 6x : 4 गोली सवेरे , दिन में , और शाम को
  • Petroleum Cream : लगाना हैं
homeopathic treatment fo piles

Piles treatment, बवासीर का होम्योपैथिक उपचार

बवासीर को piles या hemorrhoids कहा जाता है यह रोग अधिकतर 45 से 65 वर्ष की आयु वालो को होता है , परन्तु आजकल यह समस्या किसी को भी हो जाती है जब गुदा और मलाशय की नसों में किसी कारण सूजन और इन्फ्लेम्शन होने लगता है तब यह रोग उत्पन्न होता है
बवासीर दो प्रकार की होती है :-
बाहर की बवासीर : बाहर की बवासीर में रोगी के गुदा द्वार के आस पास मस्से होते है , जिनमे दर्द तो नहीं होता परन्तु खुजली होती रहती है , ज्यादा खुजलाने की वजह से कई बार इन मस्सो से खून भी निकल आता है

अंदर की बवासीर : इसमें गुदा के अन्दर मस्से होते है , मल करते समय ज्यादा जोर लगाने पर ये मस्से फट जाते है , जिस कारण दर्द होता है व खून भी निकलता है

कारण :

  • आलस्य  या शारीरिक गतिविधि कम करना
  • लगातार कब्ज रहना
  • मोटापा
  • गर्भावस्था
  • पानी कम पीना
  • भोजन में फाइबर की कमी होना
  • जंक फ़ूड
  • ज्यादा मिर्च मसाला (गरिष्ट भोजन का सेवन )
  • रात को ज्यादा देर तक जागना आदि बवासीर के कारण हो सकते है

होम्योपैथिक में इसका उपचार संभव हैं:

दवाईया:  होमियोपैथी में आप सबसे पहले Aesculus. Hipp 200 की 5 बुँदे सुबह , शाम लगातार 1 माह तक लें इसके साथ आप WSI की Aesculus Pentarkan की 20-20 बुँदे दिन में 3 बार आधे (1/2 ) कप पानी के साथ लें इसी के साथ बायो-कॉम्बिनेशन (B.C) 17 की 4-4 गोली दिन में 3 बार लें , B.C -17 के साथ SBL कंपनी की F.P tab की 2-2 गोली दिन में 3 बार लें

urine incontinence treatment in homeopathy

Urine incontinence , मूत्र असंयम का होम्योपैथिक उपचार

यूरिन असंयम या यूरिन को न रोक पाने के लिए, ओवर एक्टिव ब्लैडर, तंत्रिका की क्षत, मूत्र मार्ग का संक्रमण, पेल्विक की मसल्स कमजोर व बढ़ती उम्र जैसे कई कारण हो सकते हैं। युरिन को रोक ना पाना वह स्थिति है जब किसी व्यक्ति का अपने यूरिन पर नियंत्रण नहीं रहता, यह एक समान समस्या है पुरुषों में तो यह समस्या 60 वर्ष के बाद यदि उनके प्रोस्टेट ग्लैंड बढ़ते हैं तब देखने को मिलती है। परंतु कई महिलाओं में यह आम समस्या है ज्यादातर महिलाएं झिझक के कारण इस समस्या को नहीं बता पाती है। अधिकतर यह कब्ज और दस्त जैसी समस्याओं से पैल्विक मांसपेशियों पर खिंचाव बढ़ता है जिसके कारण मूत्राशय उतेजित होता है यूरीन रोकना पाने की परेशानी बढ़ जाती है।
लक्षण: इसके कुछ खास लक्षण नजर आने वाले नहीं होते यूनियन रोक ना पाना यूरिन के लिए भाग कर जाना कई बार पेट में दर्द आदि लक्षण नजर आते हैं
वैसे तो यूरिन जितनी ज्यादा आये शरीर के लिए उतना ही अच्छा है क्यूकी ये शरीर की गंदगी को बाहर निकालने का रास्ता है परंतु किसी को यदि काम आए तो वह भी नुकसान और यदि किसी को यह इतना आए की रोक ना पाए तो उससे भी नुकसान होता है तो आज मैं आपको अपने वीडियो के माध्यम से यूरिन रोक ना पाने का इलाज बताने जा रहा हूं।
दवाइयां : यदि आप भी इस समस्या से पीड़ित हैं तो आप staphysagria 200 की आधे कप पानी में 5 बुँदे सुबह और शाम को लें (इस दवा को केवल 15 दिन ही लेनी है)। इसके साथ आप Equisetum Q को आधा कप पानी में मिलाकर 10 बूंदें सुबह दोपहर शाम को लें।आपको आराम मिलेगा।

Homeopathic treatment for Anal Fissure

Anal fissure, गुदा में दरार या गुदाचीर | Homeopathic treatment

सामान्यतः , लोग गुदा अर्थात एनल सम्बन्धी किसी भी समस्या को बवासीर मान लेते है , परन्तु एनल सम्बन्धी हर समस्या बवासीर नहीं होती हैं। Anal fissure को हिंदी में गुदा में दरार या गुदाचीर भी कहा जाता हैं पाचन तंत्र के विभिन्न रोगों जैसे gastritis , पेप्टिक अलसर , बवासीर , गुदा दरारे हो सकते है। पुरानी कब्ज वाले व्यक्ति को यह हो सकती हैं , दिनचर्या अस्त-व्यस्त होना, पेट साफ न होना , पानी कम पीना आदि , इसके कारण भी गुदा दरार हो सकता है, कई बार इसमें बहुत तेज दर्द होता है

लक्षण :

  •  शौच के समय लाल रक्त निकलना
  • लगातार गुदा क्षेत्र में खुजली
  • तेज चुभन वाला दर्द होना
  • कब्ज रहना

दवाईयां :
होम्योपैथिक दवा में आप एनल फिशर के लिये Nux Vomica 30 की 5 बुँदे सिर्फ रात में (7 :00 pm) पर लें , इसके साथ Sulphur 30 की 5 बुँदे सवेरे खाली पेट लें, और Acid Nit . 30 की 5 बुँदे दिन में एक बार लेनी हैं , इनके साथ Aesculus Q की 15 बुँदे दिन में 3 बार लें होम्योपैथिक दवाओं के साथ ही साथ आप अपने खाने पीने का ख्याल भी रखें , साथ में खूब सारा पानी पिये , और जो दवाएं बताई गयी हैं उन्हें खाये आपका लाभ होगा

homeopathic treatment for Belly Fat

Belly Fat , कमर की चर्बी का होम्योपैथिक उपचार

आजकल लोग मोटापे और बढ़ते वजन से तो परेशान हैं ही साथ में पेट की चर्बी भी उनके लिए एक बड़ी समस्या बनती जा रही हैं बदलते लाइफस्टाइल और भागदौर भरी जिंदगी के अलावा खाने पीने की गलत आदते पेट और अन्य जगहों की चर्बी बढ़ने की मुख्य वजह हैं यह तो सभी जानते है की शरीर में चर्बी कैसे जमती हैं , उनके क्या  कारण हैं फिर भी लोगो को अपने लिए इतना वक़्त ही नहीं है, की थोडा टाइम निकाल कर योग, व्यायाम किया जाये , न खाने का सही वक़्त और न सोने का , इन दोनों ही कारणों से फैट बढता है

आज के इस विडियो में मै डॉ हरीश चन्द्र पाठक जी, जो योग एक्सपर्ट हैं, उनके द्वारा कुछ आसन से व्यायाम और कुछ  अपनी होम्योपैथिक दवा बताने जा रहा हूँ , आप अपनी दिनचर्या से थोडा सा वक़्त निकल कर योग व व्यायाम करें, चाहे वो वक़्त सुबह निकले या शाम को , शुरुआत में थोडा थोडा वक़्त दे , जैसे शुरू में 10-15 मिनट फिर धीरे धीरे इस वक़्त को आप बढ़ा सकते हैं, बस ये ध्यान रहे की योग करने से 1 से 2 घंटे पहले आप खली पेट रहे

दवाये : आप होमियोपैथी की Phytolacca Berry Q की आधे कप में २० बुँदे, 3 बार ( सवेरे , दिन में और शाम को ) लें और साथ में खूब सारा शुद्ध पानी पीये

Homeopathic treatment for fistula

Fistula ,भगंदर का होम्योपैथिक उपचार

भगंदर इसे फिसुला भी कहते हैं। यदि बावसीर बहुत पुराना होने लगे तो यह भगंदर हो जाता है इसलिए बवासीर को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए यदि समय पर इसका उपचार ना कराया जाये तो कई बार यह कैंसर का रूप भी ले सकता है। यह एक प्रकार से नाड़ी में होने वाला रोग है. जो गुदा और मलासय के पास के भाग में होता है। भगन्दर रोग अधिक कष्टकारी होता है। इस रोग में दोनों गुदे के आसपास दाने निकलकर फूट जाते हैं। जिस कारण रोगी को बहुत कष्ट होता है ना रोगी ठीक प्रकार से कोई काम कर पाता ना ही आराम कर पाता है।
लक्षण: गुदा में खुजल, सुई जैसी चुभन, असहाय दर्द, जलन व सूजन,आदि, लक्षण., इसके साथ नाड़ियों में लाल रंग का झाग निकलना इसके लक्षण है। इन्फेक्शन संक्रमण के कारण बुखार होना और ठंड लगना।
कारण: कब्ज रहना, गुदामार्ग के पास फोड़े होना, गुदासय का अस्वच्य रहना, बेक्टारिअल इंफेक्शन के कारण, ज्यादा समय तक किसी सख्त या ठंडी जगह पर बैठना, इसके अलावा यह रोग बूढ़े लोगों में गुदा में रक्त प्रवाह के घटने से होता है।
दवाइयां: Silicea 1m की दो बुँदे 10-10 मिनट के अंतर से ले, 3 बार (महीने में केवल एक बार )
Paeonia Officinalis Q आधे कप पानी में मिलाकर 15 बुँदे सुबह, दोपहर, और शाम को लें
अगर फिसुला में जलन है तो आप Paenia Q की जगह Iris VersiColor Q की आधे कप पानी में 15 बुँदे सुबह/ शाम को ले इनके साथ Cacl Flourica 6x की 4 गोली और इसके साथ मिलाकर Silicea 6x की 4 गोली सुबह, दोपहर, शाम को खाए यदि पस आ रहा है तो आप Gun Powder 3x और 6x की 2 गोली सुबह, शाम लें। आपको आराम मिलेगा।

insulin treatment by homeopathy

Side-Effect of Insulin

डायबिटीज के मरीजों को उनके शुगर लेवल के हिसाब से इन्सुलिन दिया जाता है (जब शुगर बढ़ जाती है और दवाइयों से भी कम नही होती तब ऐसी स्थिति में इन्सुलिन दिया जाता है। इन्सुलिन को इंजेक्शन के माध्यम से लिया जाता है, यदि इन्सुलिन लेने के बाद भी शुगर कण्ट्रोल में नही आती तो इन्सुलिन का लेवल भी बढ़ा दिया जाता है। यदि डायबिटीज कण्ट्रोल में नही होगी तो कई अन्य बीमारियों का शिकार होना पड़ता है, परन्तु इसके साथ यह भी जानना जरुरी है की जो रोगी इन्सुलिन लेते है उसके भी शरीर में दुष्परिणाम होते है। मधुसुदनी अग्नाशय यानि पंक्रेयाज के अंत स्रात्रवी भाग लैंगर हैंस की द्विपिकाओ की कोशिकाओ से निकलने वाला एक जंतु हार्मोन है, जिसकी रचना एमिनो अमल से होती है।यह एक ग्लूकोस को ग्लैकोजन में बदल देता है, जिसके शरीर में एनर्जी मिलती है।

दुष्परिणाम: इन्सुलिन लेने में उतने ही साइड इफ़ेक्ट है जितने अन्य ड्रग्स लेने के। उस जगह पर दर्द होना, जगह का नीला या लाल पड़ना, वजन बढ़ना , त्वचा संक्रमण, इंजेक्शन लगने वाली जगह का कठोर होना।
इन्सुलिन का सेवन डॉक्टर के परामर्श में ही करना चाहिए , क्योंकि अधिक इन्सुलिन लेने से रोगी का ग्लूकोस लेवल बहुत कम हो सकता है। होम्योपैथिक चिकित्सा पद्यति में यदि आप अपना उपचार करा रहे है तो आपको इसकी जरूरत ही नही पड़ेगी।

दवाइयां : इसमें आप Insulinum 10x की गोली (अगर गोली बड़ी है तो 1 गोली और छोटी गोली है तो 2 गोली 3 बार) इसके साथ Bio-combination 7 की 4 गोली सुबह, दोपहर, शाम, 3 बार ले. Cephalandra Indica Q को आधे कप पानी में 10 बुँदे सुबह, दोपहर और शाम को लें।
—–

Dakar ka homeopathic upchar

Burping, डकार का होम्योपैथिक उपचार

सामान्यतः भोजन करने के बाद डकार आना सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन कई बार जिन्हें ज्यादा गैस बनती है तो पेट में अम्लता (एसिडिटी) के बनने के कारण मुँह से हल्का सा तीखा पानी आता है, डाईजेशन में मदद करने वाले कुछ बैक्टीरिया पेट में मौजूद रहते है, इनका संतुलन बिगड़ने पर भी गैस बनती है, और डकार आती है बार बार डकार आना एसिड रेफेल्क्ट्स का कारण हो सकता है।
बार बार डकार आने का सबसे मुख्य कारण होता है। आपका गलत खान पान , कई बार कोई दवा या सुप्ल्य्मनेट भी जिम्मेदार हो सकते है , पित्त की थेली जो लीवर द्वारा निर्मित पित्त रस को स्टोर करता है , इसमें गड़बड़ी के कारण भी डकार आती है।

कारण : ड्रिंक्स , जंक फ़ूड ., गोबी, गाजर, व साबुत दाले, तला भुना भोजन, स्मोकिंग , पानी कम पीना , तनाव , ओवर-ईटिंग (ज्यादा खाना ), अल्सर बनना, कब्ज रहना, डाइटिंग, मिर्च मसाले का ज्यादा प्रयोग करना , गर्भवस्था, आदि कई कारण हो सकते है।
पेट सम्बन्धी कोई भी रोग हो सबके लिए हम ही जिम्मेदार होते है, भागदौर भरी जिंदगी और आलस्य साथ में पानी कम पीना मुख्य वजह होती है कई बीमारियों की, अगर आप स्वस्थ रहना चाहते है तो कुछ नियम जिंदगी में जरुर अपनाये की खूब सारा पानी पिए , योग करें और तनाव मुक्त जीवन जियें, और यदि परेशानी हो तो होम्योपैथिक दवाइयों का प्रयोग करें।

दवाइयां : इसके लिए आप Carbo Veg 30 की 2 बुँदे दिन में 3 से 6 बार तक लें आराम मिल जाये तो बंद कर दें, Bio-combination 25 की 4 गोली 3 से 6 बार तक लें।

pre mature ejaculation treatment in homeopathy

Pre Mature Ejaculation, शीघ्रपतन का होम्योपैथिक उपचार

समय से पूर्व ही वीर्य का सवलित हो जाना शीघ्रपतन कहलाता है। पुरुष के इच्छा के विरुद्ध यदि अचानक वीर्य पात हो जाये तो कई बार इसके कारण असंतुष्टि, हीन-भावना या ग्लानी, आदि नकारात्मक विचारों का सामना करना पडता है, जिस कारण अपने साथी के साथ सम्बन्ध में तानव आना मुमकिन है।

यहाँ यह समझ लेना अनिवार्य है, की वह व्यक्ति जिसका वीर्यपात शीघ्र होता है वह शीघ्रपतन का शिकार है। कई बार व्यक्ति विशेष या किसी शरीरिक विषमता का शिकार हो सकता है। यह एक अस्थाई स्थिति होती है, परन्तु जिन्हें हर बार इस स्थिति का सामना करना पड़ता है , उन्हें अपनी होम्योपैथिक चिकित्सा करवानी चाहिए, एक रिपोर्ट के अनुसार विश्व भर में 30% पुरुष इस यौन व्यधि से परेशान है

कारण : डर, छुपकर सेक्स करना , असुरक्षा , यौन उतेजना, ब्लड प्रेशर, डिप्रेशन में ली जाने वाली दवाइयों के कारण, दवा के सेवन से, ध्रुम्र्पान व मदिरा का सेवन।
यह एक ऐसा विषय है जिस पर लोग खुल कर चर्चा भी नही करते हैं। सेक्स की चर्चा करने पर इस पोर्नोग्राफी से जोड़कर देखते है, जहाँ पोर्नोग्राफी विकृत, अश्लील और घिनोना अपराध है, वही सेक्स स्वाभाविक, प्राकर्तिक, सहज तथा प्रकृति – प्रदत्त शारीरिक व मानसिक प्रक्रिया है, परन्तु वर्तमान की जीवनशैली और आहारशैली में आये बदलाव के कारण यह स्थिति उत्पन होती है।

दवाइयां : इसमें आप पहले दिन Lycopodium 1m की 5 बुँदे 10 मिनट के बाद 5 बुँदे 3 बार ( 15 दिन में दोबारा लेनी है ) इसके साथ Acid Phos Q की आधे कप पानी में 10 बुँदे सुबह, दोपहर,शाम को लें।
इसके साथ आप yohibinum 3x की 2 गोली दिन में सुबह, दोपहर,शाम , को लें और WSI की Damiaplant की आधे कप पानी में 20 बुँदे, सुबह , दोपहर , शाम , 3 बार ले इसको आप 30 बुँदे रात में खाना खाने के आधे घंटे बाद में ले सकते है ।

 

—–

 

 

 

Sleep apnea treatment in homeopathy

Sleep Apnea/Snoring का होम्योपैथिक उपचार

अधिकांश लोग सोते समय कभी न कभी खर्राटे लेते ही है, उम्र बढ़ने के साथ ही साथ खर्राटे सामान्य रूप से होने लग जाते है , तथा 70 वर्ष के बाद यह प्रक्रिया कम हो जाती है खर्राटे की आवाज तब निकलती है जब हवा का बहाव गले की त्वचा में स्थित उतकों में कम्पन पैदा कर देता है, खर्राटे के अक्सर नींद के डिसऑर्डर ओ एस ए से जोड़ा जाता है जरुरी नहीं की जो खर्राटे मरते है उन्हें ये हो पर अगर अगर निम्न से कोई लक्षण नजर आते हो तो बिना देर किए आपको होम्योपैथिक की चिकित्सा करवानी चाहिये

लक्षण : सोने के दौरान नाक से आवाज आना, दिन से ज्यादा नींद आना , गले में खराश होना , नींद में बैचनी , हाई बी पी, कई बार दम घुटने के कारण नींद से जागना

कारण : जब नाक के अन्दर और मुँह वाला रास्ता रुक जाता है, तब खर्राटे की स्थिति पैदा होती है,साइनस के कारण, गले व जीभ की मांसपेशयां जब शिथिल हो जाती है , हमारे गले के बीच में लटक रहे उतक को युव्युला टिश्यू कहते है, जब इसका आकार बढ़ने लगता है तो नाख से गले में खुलने वाला रास्ता बंद हो सकता है, हवा के संपर्क में आकर युल्युला में थरथराहट होती है जिसे खर्राटे कहा जाता है
नाख की हड्डी बढ़ने पर, मुँह से सांस लेने पर आदि कारण हो सकते है , इन सब का होम्योपैथिक में सफल उपचार है

दवाइयां : सबसे पहले आप Kali Carb 200, की 2 बुँदे 10-10 मिनट के अंतर से 3-4 बार लें (अगर 15 दिन तक फायदा न हो दुबारा इसे खा सकते है ) इसके अगले दिन से Lemna Minor 30 की 2 बुँदे सुबह, दोपहर , शाम को लें, इसके साथ Teucriium Marum Virum Q को आधे कप पानी में 10 बुँदे सुबह, दोपहर , शाम को खाए