Gall bladder stones, गालब्लैडर की पथरी
पित्ताशय से मानव शरीर का महत्वपूर्ण अंग है, जो पाचन क्रिया में सहायता करता है। अक्सर पित्त की थैली या जिसे अंग्रेजी में Gall Bladder भी कहा जाडनी स्टोन के साथ-साथ गॉल ब्लैडर की पथरी को भी निकाल सकती है। 80 प्रतिशत गालब्लैडर की पथरी कोलेस्ट्रॉल के जमने या सख्त होने के कारण होती है। पित्ताशय की पथरी से पीड़ित कई लोगों में शुरुवात में प्रकार का कोई लक्षण नहीं नजर आता। लक्षण तब नजर आते हैं जब एक या एक से पथरी पित्ताशय में जमा हो जाती है या जब पित्ताशय से निकलकर पित्त नाली में आ जाती है।
लक्षण : दाहिनी तरफ पेट के पास व पीछे पीठ की तरफ तेज दर्द होना ,मिट्टी के रंग का मल होना, जी मचलना, उल्टी होना, खाना पचाने में दिक्कत होना, गैस बनना, पित्ताशय में सूजन आन, त्वचा में पीलापन, आदि।
पथरी होने पर खाने का विशेष ख्याल रखना चाहिए तली हुई और चिकनाई युक्त व वसायुक्त भोजन ना करें। पालक, टमाटर, भिंडी आदि ना खाएं और साथ में होम्योपैथिक की दवा लें । यदि पथरी का आकार बढ़ रहा है या बड़े आकार की है तो आप इसे ऑपरेशन द्वारा भी निकलवा सकते हैं अन्यथा अधिकांश रोगियों का बिना ऑपरेशन होम्योपैथिक दवाइयों द्वारा सफल इलाज है।
दवाइयां: सबसे पहले Lachesis 1m की चार पुड़ियाँ ( 10-10 मिनट के अंतर से लें) और अगले दिन से Fel Tauri 3x ( यदि 3x में ना मिले तो नहीं मिले तो 6x
में ले ) 2 गोली दिन में तीन बार सुबह, दोपहर, शाम को लें। इस दवाई को खाता है, पित्त की थैली में यदि पथरी हो जाए तो यही कहा जाता है कि यह बिना ऑपरेशन के नहीं निकलेगी पर होमियोपैथी में ऐसी दवाई है जो किने के एक माह बाद cholestrinum 3x या 6x की 2 गोली दिन में तीन बार लें।इसके साथ एसबीएल कंपनी का Liv T syrup को आधे कप पानी में 2.5 मिलीलीटर तीन बार लें। इसके साथ Berbaria Vulgaris Q की 10 बूदे आधा कप पानी में मिलाकर तीन बार लें सुबह दोपहर शाम ।