Homeopathic Treatment for Jaundice

पीलिया रोग में रोगी के शरीर की त्वचा पीली हो जाती है, आंखों के अन्दर का सफेद भाग तक भी पीला हो जाता है।
आंखों और रोगी की त्वचा से पता चलता है कि उसे पीलिया हुआ है। ये पीलापन खून में मौजूद बिलरूबिन की मौजूदगी के कारण होता है। ये तत्व लाल रक्त कोशिकाओं के नष्ट होने से बनता है। लक्षण- पीलिया रोग के लक्षणों में रोगी की त्वचा, आंखे, नाखून पीले रंग के हो जाते हैं। रोगी पेशाब करता है तो वह भी बिल्कुल पीले रंग का आता है। यह लक्षण नन्हें-नन्हें बच्चों से लेकर 80 साल तक के बूढ़ों में उत्पन्न हो सकता है।

पीलिया के कारण :
पीलिया के कई कारण है, जिनमे से कुछ प्रमुख कारण हैं :
बाजार की गन्दी चीजें खाना
किसी बीमार व्यक्ति का झूठा खाना व पिने से
खून की कमी होने से
लिवर की कमजोरी से

पीलिया के लक्षण :

आंखें पिली पढ़ जाती हैं
चेहरे के साथ शरीर भी पीला-पीला हो जाता हैं
नाख़ून पर पीलापन आ जाता हैं
भूख नहीं लगती हैं साथ ही उल्टियां होती हैं
बुखार व पेट में दर्द भी होता हैं
पेशाब हलके गहरे रंग की आने लगती हैं आदि यह सभी पीलिया रोग के लक्षण हैं.
हाथों में खुजली चलना
बिलिरुबिन का स्तर खून में बढ़ने से, त्वचा, नाखून और आंख का सफेद हिस्सा तेजी से पीला होने लगता है।
लिवर की किसी भी अन्य परेशानी की ही तरह, पीलिया में भी स्पष्ट तौर पर लिवर में तकलीफ होती है। एक तरह से असुविधाजनक खुजली होती है।
अक्सर फ्लू-जैसे लक्षण विकसित होते हैं और मरीज को ठंड लगने के साथ ही या उसके बिना भी बुखार चढ़ने लगता है।

पीलिया का होम्योपैथिक उपचार :
Hepatica 6ch , 2 बुँदे , दिन में 3 बार ( 2 बुँदे सवेरे,2 बुँदे दिन में,2 बुँदे शाम को ) सात दिन के तक लें
Liv-Card, को आधे ढक्कन , दिन में तीन बार, खाने से पहले
Liv-Card tablet, 4 गोली , दिन में तीन बार
इन दवाओं के साथ , पीलिया रोग में रोजाना गन्ने का रस पीना बहुत ही लाभकारी रहता है क्योंकि गन्ने के रस को पीलिया रोग का बहुत बड़ा दुश्मन माना जाता है। पीलिया के रोगी को रोजाना ताजी सब्जियों का 2-3 गिलास रस पीना चाहिए। रोगी को, दूध, पनीर और मांसाहारी चीजों का सेवन नहीं कराना चाहिए। पीलिया के रोगी को शराब नहीं पीनी चाहिए। रोगी को बहुत ज्यादा मात्रा में ठण्डा पानी पीना चाहिए। गुनगुना पानी का सेवन करें ।