होमियोपैथी से जुडी भ्रान्तिया

होम्योपैथी से जुड़ी कई सारी भ्रांतियां लोगों के मन में हैं न जाने ये मिथक कैसे उत्पन्न हुए.पर लोगों के मन में कई सारे प्रश्न है जिस कारण वे होमियोपैथी  पूर्ण विश्वास नहीं कर पाते.
आज उन्हीं प्रश्नों का उत्तर आप इस ब्लॉग के माध्यम से जानेगे :

प्रश्न: क्या होमियोपैथी  धीरे काम करने वाली पद्धति है?

उत्तर: दवा का प्रभाव इस पर निर्भर करता है कि रोक तीव्र है या दीर्घकालिक. तीव्र रोग हाल ही में पैदा होता है, जैसे: जुखाम, बुखार, सिरदर्द जो बेहद तेजी से बढ़ते हैं और यदि सही ढंग से चुनी हुई दवा रोगी को दी जाए तो यह बेहद तेजी से परिणाम देते हैं. दीर्घकालिक रोग वे रोग होते है, जिनका लंबा इतिहास होता है जैसे दामा, दाद, जोड़ों का प्रदाह आदि. ये अन्य चिकित्सकीय प्रणालियों द्वारा निरंतर दबाए जाने के फलस्वरूप होता है. इस प्रकार के दीर्घकालिक रोगों के ठीक होने के लिए निश्चित रूप का समय लगता है. यह रोग की जटिलता अवधि और लक्षण दवाए जाने के कारण है कि उपचार में ज्यादा समय लग जाता है ना कि होम्योपैथी के प्रभाव के कारण, जो की अक्सर माना जाता है.

प्रश्न: क्या होम्योपैथी दवाई को छूना नहीं चाहिए ?

उत्तर : कोई व्यक्ति दूसरे व्यक्ति के हाथ से दवा ले सकता है बशर्ते उसके हाथ साफ हो, परंतु जिन औषधियों में लिक्विड औषधि का मिश्रण पड़ा हो उन्हें छुआ नहीं जाता.

प्रश्न : क्या होम्योपैथिक केवल बच्चों के लिए अच्छी है?

उत्तर : होम्योपैथिक दवाई बच्चों और वयस्कों दोनों के लिए समान रूप से अच्छे हैं. यदि बच्चों को शुरुआत से ही होम्योपैथिक उपचार दिया जाता है, तो यह ना केवल रोग को पूरी तरह खत्म करने में मदद करता है. बल्कि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और रोग को दीर्घकालिक बनने से रोकता है और इस प्रकार ज्यादा शक्तिशाली पीढ़ियों का विकास करता है.

प्रश्न: क्या एक दवा ही दी जानी चाहिए ?

उत्तर: होम्योपैथिक सिधान्तों के अनुसार एक समय में एक दवा का सुझाव देना ठीक है परन्तु रोगी द्वारा बताये गये लक्षणों की जटिल रुपरेखा एक समय में एक समन दवा का सुजाव देना कठिन बना देती है. इसलिए दवा का स्योजन देना सामान्य बात है.

प्रश्न : क्या होमियोपैथी में रोग विज्ञान संबंधी जांच की जरूरत नहीं होती?

उत्तर: हालांकि आरंभिक होम्योपैथिक सुझाव के लिए जांच की जरूरत नहीं होती लेकिन रोक को संपूर्णता में ठीक करने के लिए और इसके रोग निदान को जानने के लिए उपयुक्त जांच कराना आवश्यक होता है . ये मामले का समुचित प्रबंधन करने और इसके फॉलोअप में भी मदद करता है.

प्रश्न: क्या उपचार लेने के बाद रोग बढ़ता है?

उत्तर; प्रत्येक व्यक्ति जानता है कि होम्योपैथिक दवाओं को लक्षण की समानता के आधार पर दिया जाता है. दवा का पहला प्रभाव रोगी को उसका रोग बढ़ने के तौर पर महसूस हो सकता है लेकिन वास्तव में यह केवल होम्योपैथिक उद्दीपन है जो कि उपचारात्मक प्रक्रिया का अंग है.

प्रश्न: क्या होम्योपैथी दवाओं के साथ प्याज लहसुन चाय कॉफी आदि पर पाबंदी होती है?

उत्तर: शोधों ने दिखा दिया है कि इन चीजों की दवा पर कोई असर नहीं पड़ता. यदि इन्हें सयम के साथ इस्तेमाल किया जाए. इनके और दवा के बीच पर्याप्त अंतर बनाए रखा जाए. होम्योपैथिक दवाए आदतन कॉफी पीने और पान खाने वालों पर अच्छा काम कर सकती हैं. यदि रोगी का मुँह अन्दर से साफ़ हो.

क्या होम्योपैथिक दवाए लेते समय एलोपैथिक या अन्य उपचार नही कराये जाते?

यदि कोई व्यक्ति लम्बे समय से जरी एलोपथिक उपचार, खासतौर पर जीवन रक्षक दवाओं पर है तो अचानक दवाए रोक देने से लक्षणों का प्रभाव बढ़ सकता है. इसलिए बेहतर है की सुधार आरम्भ होने पर धीरे-धीरे एलोपथिक दवा की खुराक कम की जाये.

ये कुछ इसे प्रश्न है जो कई बार आपके मन में भी उठे होंगे. अगर होम्योपैथिक दवाओं या रोगों से जुड़ा आपका कोई प्रश्न हो तो साहस होम्योपैथिक के youtube चैनल में कमेंट करें.