Psoriasis
सोरायसिस
सोरायसिस त्वचा या चर्म रोग हैं जो त्वचा की ऊपरी सतह पर होता है। सोरायसिस को एक संकर्मित रोग भी कहा गया हैं ये एक वंशानुगत बीमारी है लेकिन यह कई अन्य कारणों से भी हो सकता है। सोरायसिस में त्वचा पर एक मोटी परत जम जाती है। त्वचा पर सोरायसिस की बीमारी सामान्यतः हमारी त्वचा पर लाल रंग की सतह के रूप में उभरकर आती है और स्केल्प (सिर के बालों के पीछे) हाथ-पांव अथवा हाथ की हथेलियों, पांव के तलवों, कोहनी, घुटनों और पीठ पर अधिक होती है। यह बीमारी कभी भी किसी भी उम्र में और किसी को भी हो सकती है। । गर्मियों की तुलना में सर्दियों के मौसम में यह बीमारी ज्यादा होती है। सोरायसिस को छाल रोग भी कहा जाता है, इसमें त्वचा पर लाल दाग पड़ जाते हैं, कई बार इस रोग से पहले त्वचा पर बहुत अधिक खुजली होने लगती है।
सोरायसिस के कारण :
सोराइसिस के वैसे तो कई सामन्य या मुख्य कारण नहीं हैं, लेकिन देखा गया हैं की सोरायसिस अनुवांशिक कारण से मुख्य रूप से होता हैं.
इसके साथ ही बैक्टीरिया संक्रमण के कारण , जरूरत से ज्यादा ब्यूटी प्रोडक्ट का उपयोग, तनाव और पोषण युक्त आहार की कमी के कारण।
सोराइसिस के लक्षण:
सोरायसिस में त्वचा पर कई लक्षण दिखाई देते है जैसे त्वचा का लाल होना, त्वचा में खुजली, सूजन और त्वचा खुष्क होना, कभी कभी तो त्वचा से खून भी निकलने लगता है.
त्वचा की छाल निकलना, और त्वचा में धब्बे बनना।
सोरायसिस के कारण गठिया रोग होने का खतरा रहता हैं
सोरायसिस का होम्योपैथिक उपचार :
Azadirchata Q की 10 बुँदे, दिन में 3 बार (१० बुँदे सवेरे, १० बुँदे दिन में, १० बुँदे शाम को )
Natrum Sulp 6x , की ६ गोली दिन में ३ बार लें, (६ गोली सवेरे, ६ गोली दिन में, ६ गोली शाम को )
साथ ही azadirchata q को नारियल के तेल के साथ मिला कर प्रभावित स्थान पर लगाए।
सोराइसिस होने पर इन दवाओं का सेवन करें और अपना टॉवल कपडे और कंघा किसी को न दे न ही किसी और का सामान उपयोग करें। साथ ही खूब पानी पिए और अपने आहार में फलों और सब्जियों को शामिल करें,
ध्यान दे – दवाओं का सेवन बताई गयी विधि और मात्रा में ही करें, आप किसी अन्य बीमारी से ग्रस्त हैं तो दवाओं का उपयोग करने से पूर्व अपने निकटतम विश्वसनीय होमोपथिक विशेषज्ञ से जरुर परामर्श कर लें।