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इस रोग में आंखों की पलकों के ऊपर या नीचे एक तरफ फुंसियां हो जाती है अर्थात आंखों को नमी देने वाली ग्रन्थि में छोटी सी फुंसी हो जाती है जिसे अंजनी या गुहेरी कहते हैं। जब तक इसका प्रभाव आंखों पर नहीं होता है तब तक इसका दृष्टि पर कोई भी प्रभाव नहीं पड़ता है।

कारण : यह रोग अधिकतर बैक्टीरिया के कारण होता है। सर्दी लगना एवं शरीर में अधिक कमजोरी होना आदि कारणों से यह रोग होता है।

लक्षण : जब यह रोग हो जाता है तो पलक पर लाली आ जाती है, दर्द होने लगता है और असहनीय सूजन हो जाती है। इस रोग के होने के कुछ दिनों बाद इसके फोड़े पर मुंह निकल आता है और मवाद निकल जाता है। पलकों पर खुजली भी होती है।
साथ ही इनके कुछ अन्य लक्षण भी है जैसे :-
आंखे झपकने में दर्द
जलन
सूजन
छूने में दर्द
प्रभावित छेत्र से पस निकलना आदि।

जानते है गुहेरी के लिए कुछ होम्योपैथिक दवाएं :
गुहेरी का होमियोपैथी में पूर्ण रूप से इलाज उपलब्ध है और साथ ही होम्योपैथिक उपचार के बाद गुहेरी के दोबारा होने की सम्भवना भी कम हो जाती है. जानते है गुहेरी के लिए होम्योपैथिक दवाये :
Staphysagria 1m की ४ पुड़िया बनवा लें , और इनको 10-10 मिनट के अंतर से लें ।
Pulsatilla Nigricans 200 की 5 बुँदे, पांच साल से ऊपर के लोगों के लिए, और २ बुँदे छोटे बच्चों के लिए एक बार दें , सवेरे उठते उठते ।
Belladonna 30, की 2-2 बुँदे , दिन में ३ बार लें, (२ बुँदे सवेरे, २ बुँदे दिन में , और २ बुँदे शाम को )
REPL 96 ,15-20 बुँदे दिन में ३ बार आधे कप पानी में मिला कर लें , (15-20 बुँदे सवेरे,15-20 बुँदे दिन में , 15-20 बुँदे शाम को )।

गुहेरी होने पर बताई गयी होम्योपैथिक दवाइयों का सेवन करें ,इन दवाओं से आपको इस रोग में बेहद फायदा होगा साथ ही धूल मिट्टी से अपने आँखों को बचाये और गुनगुनगे पानी से प्रभवित जगह को सेकते रहें ।