काली खांसी की समस्या
काली खांसी एक सांस से संबंधी बीमारी है। काली खांसी बच्चों की बीमारी है लेकिन ऐसा नहीं है। यह बड़ों को भी हो जाती है। यह खतरनाक बीमारी है क्योंकि यह संक्रामक होती है यानी इस बीमारी के वायरस हवा के जरिये एक इंसान से दूसरे तक पहुंचते हैं। यह खांसी रात और दिन में बढ़ जाती है। कई बार खांसते-खांसते दम फूलने लगता है। आंखें लाल हो जाती हैं। इस खांसी को कुक्कुर खांसी भी कहते हैं। खांसी शुरू होने के लगभग 2 सप्ताह तक संक्रमित लोग सबसे ज्यादा संक्रामक होते हैं। एंटीबायॉटिक्स इसके संक्रामण से काफी हद तक बचाता है।
यह बीमारी ठंड की तरह के लक्षणों से शुरू होती है। हल्की खांसी या बुखार हो सकता है। शिशुओं में खांसी कम या नहीं भी हो सकती है। काली खांसी बच्चों के लिए सबसे खतरनाक है। 1 वर्ष से कम उम्र के करीब आधे बच्चों को अस्पताल में देखभाल की जरूरत पड़ती है। 1 से 2 सप्ताह के बाद और जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, काली खांसी के पारंपरिक लक्षण दिखाई देते हैं।
तेज खांसी
तीव्र खांसी
ल्टी होना
खांसी के बाद थकावट।
ये है काली खांसी के कारण-
बहती नाक
नाक का बंद होना
लाल, पानी आँखें होना
बुखार आना
खांसी आना
होम्योपैथिक उपचार-
अगर आप भी काली खांसी की समस्या से परेशान है। आप होम्योपैथिक दवाओं के सेवन से इस समस्या से छुटकारा पा सकते है। आप अपने नजदीकी होम्योपैथिक डॉक्टर से संपर्क कर काली खांसी से छुटकारा पा सकते है। किसी तरह की परेशानी होने पर आप साहस होम्योपैथिक के विशेषज्ञ डा. एनसी पाण्डेय से संपर्क कर सकते है। अधिक जानकारी के लिए आप ऊपर दिये गये वीडियो को देखकर डॉक्टर की बताये दवाओं का इस्तेमाल कर अपनी समस्या से छ़ुटकारा पा सकते है।