कैसे करें खर्राटो का होम्योपैथिक उपचार

कोई आपके के बगल में सोकर आपकी नींद हराम कर रहा है। तो खर्राटे लेने वाले को सावधान हो जाना चाहिए। कई बार लोग इसे आम बात समझ कर नजरअंदाज कर देते है। लेकिन ये दिल के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। इस समस्या के दौरान सांस नली संकीर्ण हो जाती है। एयरफ्लो के संकुचित हो जाने के कारण कंपन के साथ ध्वनि पैदा होती है। इसे ही खर्राटे कहते हैं। अगर आपकों भी खर्राटे लेने की आदत है तो सबसे पहले जानिये इसके कारण और लक्षण-

आइये जानते है इसके कारण-

शराब का अधिक मात्रा में सेवन ।
नाक संबंधी समस्या होना।
पर्याप्त मात्रा में नींद न ले पाना।
गलत तरीके से सोने के कारण।
अधिक वजन का होना।

खर्राटे के लक्षण-

नाक, मुंह या गले में हवा कितनी प्रतिबंधित है।
सर्दी में नाक का जाम होना।
गले की सूजन के कारण।
कभी बढ़ी हुई मुंह की कोशिकाएं।
गले में टॉन्सिल के कारण।

आइये जानते है इसके उपाय-

खर्राटे लेना स्लीप एपनिया का भी लक्षण हो सकता हैण् यह तब होता है जब आपकी सांस का चलना काफी धीमा हो जाता है या आपके सोते समय एक बार में 10 सेकंड से अधिक समय तक सांस रूकती है। आप होम्योपैथिक विधि से इसका बेहतर उपचार करा सकते है। अधिक जानकारी के लिए आप ऊपर दिये गये लिंक पर क्लिक कर वीडियो देख सकते है।

क्या आप लीवर की बीमारी से परेशान है?

लीवर शरीर की सबसे महत्वपूर्ण और बड़ी ग्रंथी है। जो शरीर की बहुत सी क्रियाओं को नियंत्रित करता है। लिवर खराब होने पर शरीर की कार्य करने की क्षमता न के बराबर हो जाती है और व्यक्ति को लिवर की खराबी का पता तब चलता है, जबकि वह 90 फीसद खराब हो जाता है। लिवर की खराब के कारण हेपेटाइटिस ए, बी, सी, डी, ईए, होता है और कई बार तो स्थिति यह हो जाती है कि व्यक्ति की मौत तक हो जाती है। अगर आप भी लीवर की बीमारी से परेशान है तो घबराये नहीं। इसका बेहतर उपचार करा सकते है। आइये सबसे पहले जाने है इसके लक्षण और कारण-

लीवर खराबी के कारण-

अधिक तेल मसाले वाला भोजन करने पर।
ज्यादा शराब पीने।
बाहर का खाना अधिक खाने कारण।

लीवर खराबी के लक्षण-

मुंह बदबू आना।
आंखों के नीचे काले धब्बे पडऩा।
पेट में हमेशा दर्द रहना।
भोजन का सही ढंग से न पचना।
त्वचा पर सफेद धब्बे पडऩा।
पेशाब या मल गहरे रंग का होना।

कैसे करें उपचार-

लीवर खराब होने से पीलिया, फैटी लिवर, हेपेटाइटिस, शराब से लिवर को होने वाली बीमारियां और लिवर कैंसर जैसे समस्या होती है। आप होम्योपैथिक विधि से इसका बेहतर उपचार कर सकते है। अधिक जानकारी के लिए ऊपर दिये ये वीडियो को देखकर डॉक्टर की सलाह पर अपना उपचार कराये।

क्या आप एग्जाम्स फोबिया के शिकार तो नहीं

बच्चों के एग्जाम्स शुरू होते ही टेंशन शुरू हो जाती है। इस दौरान उन पर स्टडी प्रेशर बहुत बढ़ जाता है। ऐसे में कुछ बच्चे एग्जाम्स फोबिया का शिकार हो जाते हैं। एग्जाम फोबिया एक ऐसी मानसिक दशा है कि जिसमें एग्जाम के डर और घबराहट की वजह से स्टूडेंट्स का उर्जा स्तर गिरने लगता है और मानसिक और शारीरिक तनाव के साथ-साथ मेमरी भी कम होने लगती है। स्टूडेंट्स को आसान से सब्जेक्ट भी कठिन लगने लगते हैं। उसके लिए बार-बार याद करने पर भी चीजों को याद करना कठिन हो जाता है।

नकारात्मक विचारों का आना-

बच्चे के आसपास नकारात्मक विचारों के व्यक्ति को न आने दें। ऐसे व्यक्तियों का दृष्टिकोण काफी निराशावादी होता है और वे हमेशा नकारात्मक सुझाव देते हैं। ऐसे लोगों का संपर्क आपके बच्चे के आत्मविश्वास को कम कर सकता है। टाइम टेबल बनाएं, तो बीच-बीच में ब्रेक लेने के लिए टाइम निर्धारित करें। आप ब्रेक्स में डिनर, लंच और ब्रेकफास्ट को भी शामिल कर सकते हैं। 3-4 घंटे के अंतराल पर थोड़ी देर संगीत सुनना भी ब्रेक लेने का अच्छा तरीका है। पढ़ाई के दौरान ब्रेक लेने से उत्साह वापस आ जाता है।

उपचार-

अगर आप फोबिया की बीमारी से परेशान है तो मानसिक तनाव को दूर करने के लिए कम से कम छह से आठ घंटे की गहरी नींद बच्चों को दें। पर्याप्त नींद लेने से मानसिक और शारीरिक थकान को दूर करने में सहायता मिलती है। इसके अलावा आप डॉक्टर की सलाह पर होम्योपैथिक विधि से उपचार कर सकते है। अधिक जानकारी के लिए आप ऊपर दिये गये वीडियो को देखकर डॉक्टर की सलाह के बाद उपचार करें।

पेशाब में रूकावट की समस्या

अक्सर पेशाब में संक्रमण होना या मूत्र विसर्जन के दौरान दाह होना जैसी समस्याएं सामने आती है। खान-पान में गड़बड़ी और जीवनचर्या में अचानक आए बदलाव की कारण ऐसी समस्याएं आती है। हालांकि 50 वर्ष की उम्र पार करते ही महिलाओं व पुरुषों में बार-बार लघुशंका की शिकायतें शुरू हो जाती है, इसके अलावा पेशाब में संक्रमण की समस्याएं भी देखने आती हैं। समय पर सटीक इलाज और सावधानी के अभाव में यह बीमारी लगातार बढ़ती जाती है। इसका कारण पेशाब में इंफेक्शन होना ही होता है। आइये जानते है पेशाब के रूकने का कारण-

पेशाब के रूकने का कारण-

यूरिन इंफेक्शन।
ब्लैडर में इंफेक्शन।
ब्लैडर या गुर्दे में पथरी।
गुर्दे में खराबी।
लंबे समय से नशा करने में।

उपचार-

पेशाब अटकने का इलाज करने के लिए पहले अवरोध के कारण का पता लगाना ज़रूरी होता है। आमतौर पर नली लगाना मुश्किल नहीं होता है लेकिन पूरस्थ ग्रंथी की सूजन हो तब नली डालना मुश्किल होता है। आप होम्योपैथिक विधि से पेशाब रूकने की समस्या से निजात पा सकते है। अधिक जानकारी के लिए आप ऊपर दिये गये वीडियो को देखकर डॉक्टर की सलाह के बाद उपचार करें।

क्यों होती है आंखों में जलन

आंखें सबसे महत्वपूर्ण और संवेदनशील अंग हैं।थोड़ी परेशानी पर हम विचलित हो जाते है। रोज की भागदौड़ और ट्रैफिक में धूल-धूप का कारण से आंखों में खुजली और जलन हो सकती है। ये तकलीफ देने के साथ-साथ आंखों को नुकसान भी पहुंचा सकती है। अब आप भी आंखों की खुजली से परेशान है तो घबराने की कोई जरूरत नहीं है। आज हम आपकों बतायेंगे कैसे आप इस समस्या से छुटकारा पा सकते है और आंखों में खुजली या जलन जैसी गंभीर समस्याओं से कैसे बच सकते है। आइये सबसे पहले जानते है इसके कारण-

आंखों में खुजली या जलन के कारण-

आंखों में सूखापन का होना।
रायनाइटिस की परेशानी के चलते।
आंखों में संक्रमण भी इसका कारण है।
कांटेक्ट लेंस का फिट न बैठना भी कारण है।
आंखों में कचरा फंस जाना।
एक्जिमा का होना।

आंखों में खुजली के लक्षण-

सांस लेने में परेशानी।
आंखों में सूजन आना।
आंखों से पानी आना।
आंख का लाल होना।
आंख की पलक सूज जाना।
छींक आना।
धुंधना नजर आना।

उपचार-

आंखों के उपचार को लेकर किसी तरह की लापरवाही न करें। आप चिकित्सक के परामर्श के बाद ही उपचार करें। होम्योपैथिक विधि से आप आंखों में खुजली की समस्या से बच सकते है। अधिक जानकारी के लिए आप ऊपर दिये गये वीडियो को देखकर डॉक्टर की सलाह के बाद उपचार करें।

खांसते-खांसते उल्टी होना

क्या आपको खांसते-खांसते उल्टी हो जाती है। इस बीमारी को गंभीरता से ले। काली खांसी एक श्वसन संबंधी बीमारी है। काली खांसी बच्चों की बीमारी है लेकिन ऐसा नहीं है। यह बड़ों को भी हो जाती है। यह खतरनाक बीमारी है क्योंकि यह संक्रामक होती है यानी इस बीमारी के वायरस हवा के जरिये एक इंसान से दूसरे तक पहुंचते हैं। यह खांसी रात और दिन में बढ़ जाती है। कई बार मरीज का खांसते-खांसते दम फूलने लगता है। आंखें लाल हो जाती हैं। इस खांसी को कुक्कुर खांसी भी कहते हैं। इसके बाद उल्टी भी हो जाती है। आइये जानते है इसके कारण और लक्षण-

सबसे पहले इसके लक्षण-

जुकामनुमा, कुकर खांसी
नाक से द्रव का बहना।
छींक आना।
सूखी और उत्तेजित खाँसी का होना।
हल्का बुखार आना।
आँखों से पानी आना।
गले में खराश पैदा होना।

आइये जानते है इसके कारण-

गाड़े बलगम के साथ खांसी के तीव्र और लम्बे दौर।
सांस लेते समय स्वर की खों-खों की आवाज।
खांसी के बाद उल्टी होना।
थकावट और लालिमा।
सांस लेने की कठिनाई।

उपाय-
अगर आप भी खांसते समय उल्टी आने से परेशान है तो आपकों घबराने की जरूरत नहीं है। आप डॉक्टर की सलाह पर होम्योपैथिक विधि से इसका उपचार कर सकते है। अधिक जानकारी के लिए आप ऊपर दिये गये वीडियो को देखकर डॉक्टर के अनुसार अपना उपचार करा सकते है।

सर्दी-जुकाम और बुखार से है परेशान

सर्दी-जुकाम हर बदलते मौसम के साथ आने वाली समस्या है। खांसी बैक्टीरियल या वायरल इन्फेक्शन, ऐलर्जी, साइनस इन्फेक्शन या ठंड के कारण हो सकती है हालांकि जुकाम वैसे तो बेहद आम बीमारी है लेकिन यह आपकी दिनचर्या को अस्त-व्यस्त कर देता है। कंजेशन की वजह से सांस लेने में भी तकलीफ होती है और हर समय थकान महसूस होता है। आइये सबसे पहले जानते है इसके लक्षण और क्या कारण है।

खांसी-जुकाम लक्षण-

बार-बार सर्दी हो, खांसी, जुकाम, गला खराब होना
छींक का से सही समय पर इलाज न हो
एडेनोइडाइटिसए साइनस

आइये जानते है इसके कारण-

बहुत ठंडी चीज खा लेने पर।
रोगप्रतिरोधक क्षमता का कम हो जाना।
ठंडा- गरम हो जाना।
वायरस व बैक्टीरिया से इन्फेक्शन होना।
धुल- धुंए से एलर्जी का होना।
मिट्टी वाली जगहों पर रहना।
सर्दी से बचाव न करना।

उपाय-
अगर आप सर्दी -जुकाम से परेशान है तो आप यहां बताये गये टिप्स को अपनाये इससे आपका नजला, खांसी, सर्दी व जुकाम बहुत ही जल्दी ठीक हो जायेगा और आपको आराम मिलेगा। आप होम्योपैथिक विधि से अपना उपचार कर सकते है। अधिक जानकारी के लिए आप ऊपर दिये गये वीडियो को देखकर डॉक्टर की सलाह पर अपना उपचार कराये।

घुटनों से कट-कट की आवाज

कभी-कभी अचानक से जब हम उठते-बैठते समय हमारे घुटनों से कट-कट की आवाज आती है जिसे हम सुन कर भी अनसुना कर देते हैं घुटनों में दर्द नहीं होता है और न ही सूजन। वैसे तो ये कोई बीमारी नहीं है लेकिन बीमारी का संकेत जरूर है। अगर आपकी हड्डियां कमजोर हैं या हड्डियों में आवाज आती है तो आप ऑस्टियोपीनिया बीमारी से पीडि़त हो सकते हैं। ऑस्टियोपीनिया हड्डियों की एक बीमारी है जिसमें हड्डियां कमजोर होने लगती है। उम्र के साथ जोड़ों में या हड्डियों में आवाज आना या दर्द होना आम बात हो सकती है लेकिन कम उम्र में भी कई लोगों इस समस्या से परेशान रहते हैं। आइये जानते है इसका कारण-

हड्डियां कमजोरी के कारण-

अंगुलियां चटकाना मनोवैज्ञानिक रूप से व्यक्ति से जुड़ी होती है जो तनाव, अतिउत्साह, जिज्ञासा आदि की अवस्था में हमें राहत देती है।अंगुली चटकाते हैं, फिर दूसरी और फिर एक-एक करके सभी अंगुलियां। ऐसे में हमें सुकून मिलता है लेकिन धीरे-धीरे यह आदत बन जाता है। हड्डियों के कमजारे होने से जोड़ों में दर्द रहने लगता है। कई बार तो सर्दी में भी इनमें दर्द होना शुरू हो जाता है।

आइये जानते है इसके लक्षण-

कमर या जोड़ों में दर्द, मामूली चोट लगने पर भी हड्डियों में फ्रैक्चर, रह-रहकर न सहे जाने वाला दर्द, हड्डियों को दबाने पर मुलायम लगना और उनमें दर्द होना, ये सब ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षण हैं। यह हड्डियों की ऐसी परेशानी है, जिससे हड्डियां धीरे-धीरे कमजोर हो जाती हैं।

उपचार-
अगर आपके घुटनों से कट-कट की आवाज आती है जिससे आप लगातार परेशान है तो आपको घबराने की जरूरत नहीं है। आप डॉक्टर की सलाह पर होम्योपैथिक विधि से इसका उपचार कर सकते है। अधिक जानकारी के लिए ऊपर दिये गये वीडियो को देखें।

पेचिश से परेशान है तो आजमाये ये उपाय

पेचिश आंतों का संक्रमण है। इसकी वजह से गंभीर दस्‍त और मल में खून आने की समस्‍या हो जाती है। कुछ मामलों में मल में म्‍यूकस भी आ सकता है। आमतौर पर पेचिश तीन से सात दिनों तक रहता है। यदि आप दूषित भोजन करते हैं या भोजन के परजीवी या बैक्‍टीरिया से के संपर्क में हाथों के आने पर उन्‍हीं गंदे हाथों से खाना खाने पर पेचिश हो सकता है। दूषित पानी में स्‍विमिंग करने से भी पेचिश हो सकता है। वही संक्रमित व्‍यक्ति से बाकी लोगों को भी पेचिश हो सकता है। आप होम्योपैथिक विधि द्वारा इसका उपचार कर सकते है।

आइये जानते है इसका कारण-

दूषित पानी का पीना।
दूषित भोजन करना।
संक्रमित मल का आना।
संक्रमित व्यक्ति से संपर्क आना।

पेचिश के लक्षण –

दस्त लगना।
बुखार आना।
पेट में दर्द होना।
मल के साथ रक्त का आना।

उपचार-
अगर का पेचिश की समस्या से परेशान है तो घबराये नहीं। आप डॉक्टर की सलाह पर होम्योपैथिक विधि से इसका उपचार कर सकते है। अधिक जानकारी के लिये आप ऊपर दिये गये वीडियो को देखकर पेचिश से जुड़ी समस्या का समाधान कर रहे है।

गुर्दे में पथरी की समस्या

गुर्दे में पथरी की समस्या आजकल बहुत सारे लोगों में देखने को मिल रही है। किडनी स्टोन आपकी सेहत पर बुरा प्रभाव डाल सकते हैं। कई बार गलत खान-पान की आदत किडनी को नुकसान पहुंचा सकती है। जिससे किडनी से जुड़ी कई समस्याएं हो सकती हैं। इन्हीं में से एक है किडनी स्टोन या गुर्दे की पथरी किडनी स्टोन आपको कभी न भुला, जाने वाला दर्द दे सकता है। और इसके होने पर सर्जरी या चीरे के बाद ही इसे ऑपरेशन के दौरान निकाला जाता है। आप होम्योपैथिक विधि से गुर्दे की पथरी का उपचार कर सकते है। आइये सबसे पहले जानते है इसके लक्षण और कारण-

गुर्दे की पथरी के लक्षण-

पेशाब करते समय दर्द का होना।
बार-बार पेशाब आना।
उल्टी का आना।
बुखार आना।
पेशाब का रूक-रूक कर होना।
पेशाब में खून का आना।

आइये जानते है इसके कारण-
अधिक मात्रा में प्रोटीन, नमक या ग्लूकोश युक्त डाइट करना।
थायराइड की समस्या।
वजन का अधिक बढ़ जाना।
बाइपास सर्जरी कराना पर।
डिहाइड्रेशन का होने पर।

आइये जानते है इसका उपचार-

जब पथरी रोग का उपचार किसी अन्य तरीके से नहीं होता है, तब डॉक्टर ऑपरेशन का पथरी हटाने की सर्जरी कराने की सलाह देते हैं। लेकिन आप होम्योपैथिक विधि से पथरी का बड़ी आसानी से उपचार कर सकते है। अधिक जानकारी के लिए आप ऊपर दिये गये वीडियो को देखकर डॉक्टर की सलाह से उपचार करा सकते है।