नाख़ून में फंगस | हिंदी में
हाथ पैरों की सुन्दरता बढाने में नाखुनो की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है. और ये बात भी अक्सर सुनने में आती है की नाख़ून स्वस्थ शरीर का आइना होते है.
पर अगर इन्ही नाखुनो में फंगल हो जाये तो ये दर्शता है की कई और गंभीर रोग हमारे शरीर में आने वाले है.
इस लेख में हम पढेंगे नेल फुंग्स के बारे में.
नाखूनों का फंगस जिसे हिंदी में कवक भी कहा जाता है, नाख़ून कवक एक संक्रमण होता है जो हाथ और पैरों की अँगुलियों पर और अंगूठे पर हो जाता है. एक या एक से अधिक कवक नाखुनो को संक्रमित करता है. इस स्थिति , में नाखुनो के ऊपर सफ़ेद या पिली रंग की परत सी चढ़ जाती है. जिससे नाखुनो की शोभा ख़राब सी लगती है. इस स्थिति में नाखुनो की आस पास की जगह को भी संक्रमण अपने प्रभाव में ले लेता है, जिससे उस जगह की त्वचा भी ख़राब हो जाती है और साथ में उसमे खुजली व् दर्द भी होता है.
तकनीकी भाषा में इस संक्रमण को ऑनिओमाइकोसिस (Onychomycosis) के नाम से जाना जाता है.
नाख़ून का फंगस कई प्रकार का होता है.
यदि समय पर इसका इलाज न कराया गया तो पुरे नाख़ून ही साफ हो जाते है, कई बार इनमे से पास भी निकलता है.
पर्यावरण में मौजूद फंगस और इस्ट जो नाखुनो में प्रवेश कर जाते है ये मुख्य कारण है नेल फंगस का.कारण कोई भी हो, रोगों के लिए होमियोपैथी में बेहतर उपचार उपलब्ध है.
नाख़ून में फंगस के लिए होम्योपैथिक दवाए :
दवा:
सबसे पहले silicea 1m की 3 पुडिया. जिसे आप 10 मिनट के अंतर से ले ।
Adel No. 73 की 15-20 बुँदे 3 बार (सुबह, दोपहर, शाम ) ले.
इसके बाद Natr. Sulp. 6x की 4 गोली 3 बार सुबह , दोपहर , शाम ले.
साथ Ranunculus Bul. 30 में 2 बुँदे 3 बार (सुबह, दोपहर, शाम )15 दिन लगातार , इसके बाद इसे बंद कर दे। इसके बाद भी पस बंद न हो तो 15 दिन बाद फिर से आप Silicea 1 M की 3 dose (पुडिया) ले लें।