त्वचा में नमी कैसे बढ़ाये

सर्दी, गर्मी या फिर बारिश का मौसम, त्वचा की जरूरतें बदलती रहती हैं। मौसम के अनुसार ही त्वचा की देखभाल भी करनी चाहिए। गर्मी और मानसून सीजन की तो स्किन को ग्लोइंग, सॉफ्ट, सुरक्षित और चमकदार बनान चुनौती का काम होता है। कई बार मानसून में चेहरे पर दाने, फोड़े-फुंसियां होने की समस्या अधिक बढ़ जाती है। कडक़ड़ाती ठंड के मौसम की मार स्किन पर साफ दिखाई देती है। इस मौसम में चलने वाली सर्द हवाएं स्किन की प्राकृतिक नमी को छीन लेती हैं। जिसके कारण स्किन बेहद रूखी व डल नजर आती है। स्किन में दोबारा जान डालने के लिए उसे मॉइश्चराइज करना बेहद आवश्यक होता है। आप होम्योपैथिक विधि से अपने चेहरे में चमक ला सकते है।

आइये जानते है त्वचा रूखी होने के कारण-

कठोर साबुन का इस्तेमाल
मधुमेह
तैरना
सूर्य की किरणें
दवाइयों का प्रभाव
एजिंग स्किन
गर्म पानी से नहाना
त्वचा रोग
शुष्क मौसम
हाइपोथायरायडिज्म

होम्योपैथिक उपचार-

अगर आप भी रूखी त्वचा से जूझ रहे है तो आप होम्योपैथिक दवाओं के सेवन से इस समस्या से छुटकारा पा सकते है। आप अपने

नजदीकी होम्योपैथिक डॉक्टर से संपर्क कर रूखी त्वचा की समस्या से छुटकारा पा सकते है। और होम्योपैथिक दवाइयों का उपयोग करें तो इन

बीमारियों से बच सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए आप ऊपर दिये गये वीडियो को देखकर साहस होम्योपैथिक क्लीनिक के विशेषज्ञ डॉ. एनसी पाण्डेय

से संपर्क कर सकते है।

हाथ पैरों मेें जलन

पैरों में जलन की समस्या को आमतौर पर छोटी समस्या माना जाता है। कुछ लोग यह भी मान लेते हैं कि यह अपने आप ठीक हो जाएगी। अगर आप भी हाथ पैरों की जलन से परेशान है तो इसे हल्के में न लें। यह समस्या शरीर के अन्य हिस्सों में भी तकलीफ पैदा कर सकती है। पैरों से संबंधित बहुत सी ऐसी बीमारियां होती हैं, जो लोगों को परेशान करती हैं। ऐसी ही एक परेशानी है पैरों में जलन की समस्या। पैरों में जलन की वजह कुछ और भी हो सकती है। विटामिन बी, फोलिक एसिड या कैल्शियम की कमी भी इसके कारण हो सकते हैं। आप होम्योपैथिक विधि से पैरों में जलन की समस्या से छुटकारा पा सकते है। आइये जानते है पैरों में जलन के कारण-

न्यूरोपैथी बीमारी
विटामिन बी की कमी
उच्च रक्तचाप
गुर्दे से जुड़ी बीमारी
थाइरॉइड हार्मोन
दवाओं का दुष्प्रभाव
रक्त वाहिकाओं में संक्रमण
डायबिटीज

होम्योपैथिक उपचार-

अगर आप भी हाथ पैरों में जलन की समस्या से जूझ रहे है तो आप होम्योपैथिक दवाओं के सेवन से इस समस्या से छुटकारा पा सकते है। आप अपने

नजदीकी होम्योपैथिक डॉक्टर से संपर्क कर हाथ पैरों में जलन की समस्या से छुटकारा पा सकते है। और होम्योपैथिक दवाइयों का उपयोग करें तो इन बीमारियों से बच सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए आप ऊपर दिये गये वीडियो को देखकर साहस होम्योपैथिक क्लीनिक के विशेषज्ञ डॉ. एनसी पाण्डेय से संपर्क कर सकते है।

स्तन कैंसर की समस्या

स्तर कैंसर से रातों की नींद उड़ जाती है। हालांकि रातों को नींद न आना तो सामान्य बात है लेकिन यह जानना भी जरूरी है कौन सी गांठ कैंसर है और कौन सी नहीं। इससे पहले कि आप ब्रेस्ट कैंसर की दहशत का शिकार हो जाएं। अपने ब्रेस्ट को खुद जांचना सीखें। और यह भी जानें कि कौन सी बीमारियां ब्रेस्ट कैंसर जैसी होती हैंए लेकिन कैंसर नहीं होतीं। अगर आप भी स्तर कैंसर से परेशान है तो आज हम आपकों बतायेंगे कैसे आप होम्योपैथिक विधि से स्तन कैंसर से छुटकारा पा सकते है।

आइये जानते है स्तर कैंसर क्या है

ब्रेस्ट में दर्द के कई कारण हो सकते हैं। अगर आप एक टाइट या खराब फिटिंग की ब्रा पहनती हैं, तो भी ब्रेस्ट में दर्द हो सकता है। अगर आपके ब्रेस्ट का साइज बड़ा है, तो भार के कारण भी दर्द हो सकता है। कई बार सर्दियों में मेरे पास मरीज ब्रेस्ट में दर्द की शिकायत लेकर आते हैं। यह कैंसर के कारण नहीं, तापमान में गिरावट के कारण हो सकता है।

कई बार आपको अपने ब्रेस्ट में कोई गांठ महसूस होती है और आप तुरन्त कैंसर के निष्कर्ष पर पहुंच जाते हैं। लेकिन लेडीज यह फाइब्रोसिस मोटे होने के कारण भी हो सकता है। यह आपके पीरियड्स के दौरान भी हो सकता है। यह हॉर्मोन्स के कारण होता है। कई बार फ्लूइड इक_ा होने के कारण सिस्ट हो सकती है और गांठ बन सकती है। फाइब्रो एडेनोमा को भी अक्सर ब्रेस्ट कैंसर समझा जा सकता है। इसे ब्रेस्ट माउस या ब्रेस्ट मार्बल भी कहते हैं। इसका कारण यह है कि यह लम्प यानी गांठ जगह बदलती रहती है जिससे महिलाएं घबरा जातीं हैं। यह कनेक्टिविटी टिश्यू या ग्लैंड्यूलर टिश्यू होते हैं। जिन्हें देखने के लिए अल्ट्रासाउंड किया जाता है।

अगर आप भी स्तन कैंसर से जूझ रहे है तो सबसे पहले आपको समझने की जरूरत है कि आपको कैसी समस्या है। इसके बाद आप तुंरत डॉक्टर से परामर्श ले। आप होम्योपैथिक विधि से स्तर कैंसर की समस्या का समाधान कर सकते है। अधिक जानकारी के लिए आप डॉ. एनसी पाण्डेय से संपर्क कर सकते है।

होम्योपैथिक उपचार-

अगर आप भी स्तन कैंसर की समस्या से जूझ रहे है तो आप होम्योपैथिक दवाओं के सेवन से इस समस्या से छुटकारा पा सकते है। आप अपने नजदीकी होम्योपैथिक डॉक्टर से संपर्क कर स्तन कैंसर की समस्या से छुटकारा पा सकते है। और होम्योपैथिक दवाइयों का उपयोग करें तो इन बीमारियों से बच सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए आप साहस होम्योपैथिक क्लीनिक के विशेषज्ञ डॉ. एनसी पाण्डेय से संपर्क कर सकते है।

बीमारियों की जड़े है पटाखें

दिवाली में पटाखों से निकलने वाला धुआ मनुष्य के स्वास्थ्य पर असर करता है। ऐसे में कई राज्यों में पटाखें जलाने पर प्रतिबंध लगा दिया है और कई राज्यों में केवल दो घंटे के लिए पटाखें जलाने का समय दिया गया। दिल्ली में पटाखों पर बैन कर दिया गया। एयर क्वालिटी पर निगरानी रखने वाली केंद्र की एजेंसी सफर का कहना है कि अगर दिल्ली में दिवाली पर पटाखे नहीं फोड़े जाते हैं, तो पीएम 2.5 का स्तर बीते चार सालों में सबसे कम रहने की संभावना है। ऐसे में पटाखे पर बैन की बहस से अलग सेहत के लिहाज से देखें्र तो पटाखों का असर पर्यावरण पर ही नहीं बल्कि सेहत के लिए भी पटाखे जलाना खतरनाक है। पटाखें से आपको कई रोग घेर सकते है।

सांस की बीमारी

पटाखों को बनाने में गन पाउडर का इस्तेमाल किया जाता है। पटाखों से हवा में सल्फर डाई ऑक्साइड फैलती है। जिसके कारण वायु प्रदूषण फैलता है और दमा के रोगियों के लिए जहर का काम करता है। यह दमा रोगियों के लिए खतरनाक है।

फेफड़ों का कैंसर

दिवाली में चारों ओर पटाखें जलाते जाते है। पटाखों में मौजूद पोटैशियम क्लोरेट तेज रोशनी पैदा करते हैं जिसकी वजह से हवा जहरीली हो जाती है और फेफड़ों से जुड़ी समस्या होती है।

आंखों की समस्या

दिवाली के पटाखों से होने वाले प्रदूषण से ऐसे जहरीले कण निकलते हैं जिनकी वजह से आंखों में जलन और पानी निकलने की समस्या हो जाती है। ऐसे में आंखों को नुकसान होता है।

बहरापन
दीवाली में अब बड़ी-बड़ी गंूज करने वाले बम आ गये है। ऐसे में कई बार तेज धमाकों के पटाखों की वजह से कान के पर्दे तक फट जाते हैं। जिनसे बहरापन होने का खतरा रहता है।

गर्भवतियों के लिए खतरा

दीवाली के समय पटाखे जलाने पर खतरनाक कार्बन डाइ ऑक्साइड गैस सांस में घुलकर गर्भवती स्त्री के गर्भ में पल रहे बच्चे को नुकसान पहुंचाते हैं जिससे गर्भपात तक होने का खतरा रहता है।

जोड़ो में दर्द की समस्या

सर्दियों के मौसम में अक्सर जोड़ो में दर्द की समस्या बढ़ जाती है। उन लोगों पर सर्दियों का असर जल्दी होता है, जिनकी हड्डियां कमजोर हैं या फिर जिन्हें हड्डियों से संबंधित कोई समस्या है। शरीर में किसी भी प्रकार के विकार के कारण हड्डियों में दर्द और सूजन की दिक्कत उत्पन्न होना आम बात है। इससे जोड़ों का दर्द भी बढऩे लगता है। जोड़ों में यूरिक एसिड के इक_ा होने से भी इसमें दर्द होने लगता है। कई बार अनुवांशिक कारण भी इसके लिए जिम्मेदार होते हैं। आज हम बतायेंगे कैसे आप होम्योपैथिक विधि से जोड़ों के दर्द से छ़ुटकारा पा सकते है।

आइये जानते है इसके लक्षण-

जोड़ो की कोमलता
जोड़ो में गर्मी
जोड़ो की विकृति
गंभीर या मध्यम दर्द
जोड़ो का अकड़ जाना
संयुक्त गतिहीनता
संयुक्त लालिमा
जोड़ का सूजन

जोड़ो में दर्द का कारण-

प्रतिक्रियाशील गठिया
रूमेटिक फीवर
ल्युकेमिया
एडल्ट स्टिल की बीमारी
रीढ़ के जोड़ों में गतिविधि
एवास्क्यूलर नेक्रोसिस
बच्चों को गठिया
सोरियाटिक गठिया

होम्योपैथिक उपचार

अगर आप भी जोड़ों के दर्द से परेशान है तो आप होम्योपैथिक दवाओं का सेवन का जोड़ों की समस्या से छुटकारा पा सकते है। आप ऊपर दिये गये वीडियो को देखकर बतायें गये दवाओं का सेवन का जोड़ों के दर्द से मुक्ति पा सकते है। अधिक जानकारी के लिए आप ऊपर दिये गये वीडियो को देखे।

हाथों का फटना

मानव शरीर की स्किन कई परतों में होती है लेकिन ऊपर की दो मुख्य परतें होती हैं। नीचे वाली परत में पसीना बनता है इसके अलावा नसें भी इसी के ठीक नीचे होती है। उसके नीचे फैट की परत होती है। हाथ से स्किन की परत का उखडऩा हर किसी के साथ होता है। लेकिन, जब कभी यह किसी के साथ होता है तो उसे गुस्सा आता है। हर इंसान को अपनी जिंदगी में इस समस्या से दो-चार होना पड़ता है। हाथों की देखभाल के लिए क्‍या-क्या करती हैं, फिर भी कई बार तेज ठंड और तेज गर्मी में आपके हाथों की त्‍वचा फट जाती है। यह समस्‍या सर्दियों में ज्यादा बढ़ जाती है। अगर आप आपने हाथों की फटी त्‍वचा को गंभीरता से नहीं लेते तो आगे चलकर यह आपके लिए बड़ी समस्या बन जाते हैं। आप होम्योपैथिक विधि से त्वचा के फटने की समस्या से छुटकारा पा सकते है।

आइये जानते है इसके कारण-

ठंड में त्वचा का पानी सूख जाता है। पानी की कमी से त्वचा फटने लगती है। हर त्वचा की प्रकृति अलग-अलग होती है। तैलीय त्वचा की अपेक्षा रूखी त्वचा का रूखापन सर्दियों में और बढ़ जाता है, जिससे त्वचा को नुकसान पहुंचता है। इससे बचने के लिए तेल की मालिश बहुत लाभकारी है। ऐसे कई कारण हैं, जिनकी वजह से आपकी उंगलियों से स्कीन पील होनी शुरु होती है। कुछ कारणों में रूखी त्‍वचा, सन बर्न, एक्‍जिमा, सिरोसिस, ठंड लगना, बार बार हाथों को धोना, कठोर कैमिकल का इस्तेमाल, एलर्जी, विटामिन की कमी या फिर अन्‍य अलग-अलग कारण हो सकते है।

होम्योपैथिक उपचार-

अगर आप भी त्वचा फटने की समस्या से जूझ रहे है तो आप होम्योपैथिक दवाओं के सेवन से इस समस्या से छुटकारा पा सकते है। आप अपने नजदीकी होम्योपैथिक डॉक्टर से संपर्क कर त्वचा की फटने की समस्या से छुटकारा पा सकते है। और होम्योपैथिक दवाइयों का उपयोग करें तो इन बीमारियों से बच सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए आप साहस होम्योपैथिक क्लीनिक के विशेषज्ञ डॉ. एनसी पाण्डेय से संपर्क कर सकते है।

बच्चों लार टपकने की समस्या

अक्सर छोटे बच्चे मुंह से लार गिराते रहते हैं और उनकी माताएं बड़े ही प्यार से उनकी बहती लार को समय-समय पर साफ करती हैं। कुछ मामलों में ऐसा होना बहुत ही सामान्य है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुछ विशेष परिस्थितियों में बच्चों का लार टपकाना किसी समस्या का इशारा भी हो सकता है। इस बारे में बच्चे बोल कर नहीं बता सकते। बच्चों में दो साल की उम्र तक लार का टपकना बहुत ही सामान्य है। ऐसा होने के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें शारीरिक और मानसिक विकास के साथ-साथ दांतों का निकलना भी शामिल है। वहीं कुछ असामान्य कारण भी हैं, जिनकी वजह से बच्चों में लार गिरने की समस्या हो सकती है। आप होम्योपैथिक विधि से इसका उपचार कर सकते है।

आइये जानते है लार टपकने के कारण-

केंद्रीय तंत्रिका तंत्र
रेट सिंड्रोम
टॉन्सिलाइटिस
दांतों में कैविटी
मानसिक विकास में कमी
मुंह में घाव
एसिडिटी
दवाईओं का प्रभाव
रिले-डे सिंड्रोम
विल्सन रोग

होम्योपैथिक उपचार-

अगर आपका बच्चा की लार टपकने की समस्या से जूझ रहे है तो आप होम्योपैथिक दवाओं के सेवन से इस समस्या से छुटकारा पा सकते है। आप अपने नजदीकी होम्योपैथिक डॉक्टर से संपर्क कर लार टपकने की समस्या से छुटकारा पा सकते है। और होम्योपैथिक दवाइयों का उपयोग करें तो इन बीमारियों से बच सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए आप साहस होम्योपैथिक क्लीनिक के विशेषज्ञ डॉ. एनसी पाण्डेय से संपर्क कर सकते है।

कान में फोड़ा होना

कभी-कभी आपको अपने कान के आसपास की त्वचा में या कान की नलिका के अंदर कुछ उभरी हुई सी आकृति महसूस होती है। यह कुछ और नहीं बल्कि कान में फोड़ा फुंसी होने का संकेत है। कान में होने वाले फोड़ा फुंसी या दाने कोई बीमारी नहीं है। यह सिर्फ आपकी त्वचा या खून में आयी कुछ अशुद्धि का परिणाम मात्र है। कान की त्वचा बहुत नाजुक होती है इसलिए किसी भी विकार से तुरंत प्रभावित हो जाती है। यदि यह फोड़ा-फुंसी कान के
बहार या आसपास हो तो इनका इलाज आसान है। आज हम बतायेंगे कान में फोड़े की समस्या को आप कैसे होम्योपैथिक विधि से दूर कर सकते है।

आइये जानते है इसके कारण-

खून में समस्या
कान में पानी अटकना
त्वचा पर तेल
कान में संक्रमण होना
कान सफाई न होना
बच्चे के कान में मैल
त्वचा की किसी विकृति

लक्षण-

कान में या आसपास त्वचा का उभरा होना
त्वचा में उभार और लालामी व जलन
गाँठ सी महसूस होना
त्वचा की गाँठ का कठोर और गर्म होना
फोड़ा-फुंसी या दाना
े कान में दर्द होना
कान से मवाद निकलना
कान बहना
आपके कान से बदबू

होम्योपैथिक उपचार-

अगर आप भी कान में फोड़े की समस्या से जूझ रहे है तो आप होम्योपैथिक दवाओं के सेवन से इस समस्या से छुटकारा पा सकते है। आप अपने नजदीकी

होम्योपैथिक डॉक्टर से संपर्क कर कान में फोड़े की समस्या से छुटकारा पा सकते है। और होम्योपैथिक दवाइयों का उपयोग करें तो इन बीमारियों से बच सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए आप साहस होम्योपैथिक क्लीनिक के विशेषज्ञ डॉ. एनसी पाण्डेय से संपर्क कर सकते है।

फेफड़ों में पानी भरना

कभी यह भी सुनने में आता है कि छाती में नली डलवाकर पानी पूरा निकलवाना। किसी मरीज की छाती से एक बार पानी पूरा निकलवा देने के बाद भी दोबारा से पानी भर गया जिसे फिर से निकलवाना पड़ा। कभी यह भी सुनने में आया होगा कि किसी व्यक्ति की छाती में बार-बार पानी का जमाव हो जाता है और फेफड़े पर दबाव की वजह से साँस फूलने लगती है। फेफड़े और छाती की दीवार के बीच खाली जगह होती है जिसमें फेफड़ा स्वतंत्र रूप से सांस लेने के समय नियमित रूप से फैलता और सिकुड़ता है। इस खाली जगह को मेडिकल भाषा में प्ल्यूरल स्पेस कहते हैं। सामान्यत: फेफड़े की ऊपरी सतह से पानी नियमित रूप से रिसता रहता है, कभी-कभी पानी पेट से भी छेदों के जरिये छाती के अन्दर पहुँचता रहता है।

फेफड़ों में पानी भरने के लक्षण-

शाम को बुखार तेज आना
वजन में गिरावट
साँस फूलना
साँस लेने में छाती में दर्द होना
बलगम का आना

आइये जानते है फेफड़ों में पानी भरने के कारण-

स्वस्थ व्यक्ति में फेफड़े की ऊपरी सतह से पानी का नियमित रिसाव जारी रहता है, कभी-कभी यह पानी पेट से भी छिद्रों के जरिये छाती के अंदर पहुंचता है। छाती की अंदरूनी दीवार इस रिसाव से जमा हुए अतिरिक्त पानी को सोखकर बैलेंस बनाती है। जब व्यक्ति टीबी, कन्जेस्टिव हार्ट फेलियर, लीवर सिरोह्सिस, पुलमोनरी इम्बोलिज्म, ओपन हार्ट सर्जरी के कॉम्प्लीकेशन, निमोनिया, गंभीर किडनी डिसीस और लूपस तथा रह्यूमेटाइड आर्थराइटिस इत्यादि बीमारियों में से किसी से पीडि़त होता है तो इस अतिरिक्त पानी को सोखने की प्रक्रिया बाधित होती है।

होम्योपैथिक उपचार-

अगर आप भी फेफड़ों में पानी भरने की समस्या से जूझ रहे है तो आप होम्योपैथिक दवाओं के सेवन से इस समस्या से छुटकारा पा सकते है। आप अपने नजदीकी होम्योपैथिक डॉक्टर से संपर्क कर फेफड़ों में पानी भरने की समस्या से छुटकारा पा सकते है। और होम्योपैथिक दवाइयों का उपयोग करें तो इन बीमारियों से बच सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए आप साहस होम्योपैथिक क्लीनिक के विशेषज्ञ डॉ. एनसी पाण्डेय से संपर्क कर सकते है।

हिचकी आने की समस्या

हिचकी आने की कई वजह हो सकती है। वैसे हिचकी आना तो आम बात है लेकिन मेडिकल साइंस के अनुसार लगातार हिचकी आना एक बीमारी है। सामान्य उपायों के बाद भी अगर हिचकी नहीं रुक रही है तो डॉक्टर की राय लेना जरूरी है। आपको जब कभी हिचकी आती है, तो आप परेशान हो जाते है। हिचकी आने की ठोस वजह क्या है। हिचकी को हिक्का भी कहते हैं। वात, पित्त एवं कफ विकार के कारण शरीर में कोई भी बीमारी होती है। इसी तरह हिचकी वात एवं कफ दोष विकार के कारण होती है। आप होम्योपैथिक विधि से हिचकी आने की समस्या को दूर कर सकते है।

आइये जानते है हिचकी के कारण-

ज्यादा भोजन करना
कार्बोनेटेड युक्त पेय पदार्थ
अधिक शराब पीना
अस्वस्थ भोजन
ठण्डे आहार
बदहजमी
ठण्डी जगह पर रहना
धुआं, धूल, तेज वायु

हिचकी आने के लक्षण-

विशेषज्ञों के अनुसार अब तक कोविड-19 के कई नए लक्षण सामने आ चुके हैं। इसमें सबसे कॉमन है बुखार, गले में सूजन, सांस लेने में दिक्कत, गंध या स्वाद का अहसास न होना। लेकिन, लगातार हिचकियां आना भी कोरोना वायरस का एक लक्षण हो सकता है।

होम्योपैथिक उपचार-

अगर आप भी हिचकी आने की समस्या से जूझ रहे है तो आप होम्योपैथिक दवाओं के सेवन से इस समस्या से छुटकारा पा सकते है। आप अपने नजदीकी होम्योपैथिक डॉक्टर से संपर्क कर हिचकी आने की समस्या से छुटकारा पा सकते है। और होम्योपैथिक दवाइयों का उपयोग करें तो इन बीमारियों से बच सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए आप साहस होम्योपैथिक क्लीनिक के विशेषज्ञ डॉ. एनसी पाण्डेय से संपर्क कर सकते है।