Parkinson Disease
पार्किंसन रोग केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र का एक ऐसा रोग है जिसमें रोगी के शरीर के अंग कंपन करते रहते हैं। पार्किंसन का आरम्भ आहिस्ता-आहिस्ता होता है। पता भी नहीं पड़ता कि कब लक्षण शुरू हुए। अनेक सप्ताहों व महीनों के बाद जब लक्षणों की तीव्रता बढ़ जाती है तब अहसास होता है कि कुछ गड़बड़ है। लेकिन घबराइए नहीं क्योंकि आयुर्वेदिक की मदद से पार्किंसंस के प्राकृतिक उपचार में मदद मिलती है, जिससे बीमारी से छुटकारा पाकर आपका शरीर पूरी तरह स्वस्थ हो जाता है। यह एक ऐसा इलाज है जिसमें पूरे शरीर का इलाज किया जा सकता है। आयुर्वेदिक उपचार तथ्य पर आधारित होता है, जिसमें अधिकतर समस्याएं त्रिदोष में असंतुलन यानी कफ, वात और पित्त के कारण उत्पन्न होती है।
पार्किंसन रोग के लक्षण
इस रोग के कोई विशेष लक्षण नहीं हैं अलग अलग व्यक्तियों में इसके अलग अलग लक्षण देखने को मिलते हैं, कुछ सामान्य लक्षण हैं
कम्पन
कठोर मांसपेशियां
लिखावट में परिवर्तन
असंतुलन व बिगड़ी हुई मुद्रा
आवाज में बदलाव
कार्य करने की छमता में कमी आना
पार्किंसन रोग के कारण
इस रोग के कोई विशेष कारण नहीं है , परन्तु कुछ कारक निम्न है
बढ़ती उम्र
महिलाओ की तुलना में ये पुरुषों में अधिक पाया जाता हैं
अनुवांशिक कारण
वातावरण व पर्यावरण से सम्बंधित कारण
पार्किंसन रोग के लिए होम्योपैथिक उपचार
Gelsemium Sempervirens 1000 या 1m को शुगर मिल्क पॉवडर के साथ ३ पुड़िया बनवा लें और 10 -10 मिनट के अंतर से ३ बार लें,
5 phos 6x की गोली दिन में ३ बार ।
Avena sativa Q आधे कप पानी में 20 बुँदे, दिन में ३ बार (खाना खाने से पहले )।
पार्किंसन रोग होने पर इन होम्योपैथिक दवाओं का उपयोग कर आप इस रोग को काफी हद तक कण्ट्रोल कर सकते है।