डकार आने की समस्या

डकार साधारण क्रिया है, जो किसी भी समय आ सकती है। अक्सर ऐसा माना जाता है कि डकार भोजन पच जाने का संकेत है। लेकिन वास्तविकता में ऐसा नहीं है। खाना खाते समय या उसके बाद बार-बार डकार लेने का मतलब है कि खाने के साथ ज्यादा मात्रा में हवा शरीर के अंदर चली गई है। जब हवा अंदर जाती है तो बाहर भी निकलती है, जिसे हम डकार कहते हैं। यह पेट से गैस के बाहर निकलने का एक प्राकृतिक तरीका है और अगर पेट से हवा बाहर न निकले तो यह पेट से संबंधित कई समस्याओं को जन्म दे सकती है। लेकिन अगर डकार ज्यादा आए तो ये कई बार कुछ बीमारियों का संकेत भी हो सकता है। आज हम आपको बतायेंगे होम्योपैथिक उपचार के बारे में जिसे आप डकार आने में इस्तेमाल कर सकते है।

आइये सबसे पहले जानते है इसके कारण-

कब्ज या बदहजमी-जिन लोगों को बहुत ज्यादा डकार आती है, लगभग 30 प्रतिशत लोगों को कब्ज की समस्या होती है। यह समस्या होने पर खाने में पर्याप्त मात्रा में फाइबर को शामिल करें। इसके अलावा बदहजमी के कारण भी ज्यादा डकार आती है।

डिप्रेशन- तनाव कई समस्याओं का कराण होता है। लगभग 65 प्रतिशत मामलों में मूड में त्वरित व बड़ा बदलाव या तनाव का बढऩा ज्यादा डकार आने का कारण बनता है।

ऐरोफेजिया-खाना खाते समय ज्यादा हवा पेट के अंदर ले लेते हैं तो डकार आने लगती है। ऐसी स्थिति को ऐरोफेजिया कहते हैं।

होम्योपैथिक उपचार-

अगर आप भी डकार की समस्या से परेशान है तो आप होम्योपैथिक दवाओं के सेवन से इस समस्या से छुटकारा पा सकते है। आप अपने नजदीकी होम्योपैथिक डॉक्टर से संपर्क कर डकार की समस्या की समस्या से छुटकारा पा सकते है। और होम्योपैथिक दवाइयों का उपयोग करें तो इन बीमारियों से बच सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए आप साहस होम्योपैथिक क्लीनिक के विशेषज्ञ डॉ. एनसी पाण्डेय से संपर्क कर सकते है। इसके अलावाा आपकों अपने घर के पास साफ.-सफाई रखनी चाहिए। कूलर के पानी की सप्ताह में एक बार सफाई जरूर करनी चाहिए।

मलेरिया बुखार की होम्योपैथिक दवा

मलेरिया बुखार एक संक्रामक रोग है। जो व्यक्ति को फीमेल मच्छर एनोफिलीज के काटने से होता है। इस मच्छर में एक विशेष प्रकार का जीवाणु पाया जाता है जिसे डॉक्टरी भाषा में प्लाज्मोडियम कहा जाता है। गौर करने वाली बात यह है कि इस मादा मच्छर में पाई जाने वाले जीवाणु की 5 जातियां होती हैं। मच्छर के काटने से प्लाज्मोडियम नामक जीवाणु शरीर में चला जाता है, समय पर इलाज न होने की स्थिति में यह मर्ज जानलेवा हो सकता है। मलेरिया बुखार प्लॅस्मोडियम वीवेक्स नामक वाइरस के कारण होता है। केवल वही मच्छर व्यक्ति में मलेरिया बुखार संचारित कर सकता है, जिसने पहले किसी मलेरिया से संक्रमित व्यक्ति को काटा हो। ये वायरस लिवर तक पहुंच कर उसके काम करने की क्षमता को बिगाड़ देता है। आज हम आपकों बतायेंगे होम्योपैथिक विधि से मलेरिया बुखार से बचाव के उपाय।

आइये जानते है इसके लक्षण-

सिरदर्द होना
शरीर में दर्द होना
जी मचलना और उल्टी होना
तेज बुखार आना
कंपकंपी छूटना
पसीना आना

होम्योपैथिक उपचार-

अगर आप भी मलेरिया बुखार से परेशान है तो आप होम्योपैथिक दवाओं के सेवन से इस समस्या से छुटकारा पा सकते है। आप अपने नजदीकी होम्योपैथिक डॉक्टर से संपर्क कर मलेरिया बुखार की समस्या से छुटकारा पा सकते है। और होम्योपैथिक दवाइयों का उपयोग करें तो इन बीमारियों से बच सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए आप ऊपर दिये गये वीडियो को देख साहस होम्योपैथिक क्लीनिक के विशेषज्ञ डॉ. एनसी पाण्डेय से संपर्क कर सकते है। इसके अलावाा आपकों अपने घर के पास साफ.-सफाई रखनी चाहिए। कूलर के पानी की सप्ताह में एक बार सफाई जरूर करनी चाहिए।

हॉफने की समस्या

अगर आप बिना कारण हॉफने लगते है, तो इसका कारण कोई रोग हो सकता है। सॉँस का तेजी से चलना, सामान्यत: जवान और प्रौढ व्यक्ति हर मिनट में 16.20 बार श्वसन करते है। अर्थात कसरत के समय ये गती बढ़ जाती है, लेकिन बिना किसी शारीरिक श्रम के हॉफना। ये एक रोग है। हॉफना और कमजोरी दो अलग बातें है, लेकिन कभी-कभी वें एक साथ शुरू होती है। कमजोरी अर्थात श्रम करने की शक्ति की कमी, हॉफने कही तकलीफ हो तो तुरंत अपने डॉक्टर की सलाह ले। हॉफने की यह तकलीफ ज्यादातर हृदय, फेफड़े या खून की बिमारियों के कारण हो सकता है। अगर आप भी हाँफने की समस्या से परेशान है तो होम्योपैथी रोग का जड़ से भी इलाज करती है।

हांफने के लक्षण-

बेहोश होना
चक्कर आना
त्वचा में खुजली
फेफड़ों में जलन
गले में जलन
छाती से आवाज आना
दिल की गति तेज

आइये जानते है इसके कारण-

अस्थमा हांफने का एक कारण है।
पैनिक अटैक
व्यायाम करना
दम घुटना
संक्रमण
खून के थक्के
डायबिटिक

होम्योपैथिक उपचार-

अगर आप भी हॉफने की समस्या से परेशान है तो आप होम्योपैथिक दवाओं के सेवन से इस समस्या से छुटकारा पा सकते है। आप अपने नजदीकी होम्योपैथिक डॉक्टर से संपर्क कर हॉफने की समस्या से छुटकारा पा सकते है। और होम्योपैथिक दवाइयों का उपयोग करें तो इन बीमारियों से बच सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए आप साहस
होम्योपैथिक क्लीनिक के विशेषज्ञ डॉ. एनसी पाण्डेय से संपर्क कर सकते है।

भूख न लगने की समस्या

कई बार बच्‍चे अपनी पसंद का खाना होने पर भी खाने से मना कर देते हैं या हरी सब्जियों को देखकर मुंह बना लेते हैं। वही कुछ बच्‍चे तो रोज बस थोड़ा-सा ही खाना खाते हैं। अगर आपका बच्‍चा भी ऐसा करता है तो ये भूख कम लगने का संकेत हो सकता है। भूख न लगे तो हमारा ध्यान सबसे पहले पेट पर ही जाता है। जो एक दो दिन कभी भूख न लगे तो यह पाचन तंत्र की ऊंच नीच से भी हो सकता है। लेकिन यह भी सच है कि यदि पेट के कारण ही भूख गड़बड़ हो रही है तब भी चिकित्सक को कारण की तलाश तो करनी होगी और यदि भूख खत्म हुए लंबा समय हुआ है या यह एकदम ही खत्म है तो यह कोई सामान्य बात नहीं। आप होम्योपैथिक विधि से भूख न लगने की समस्या का उपचार कर सकते है।

भूख न लगने के कारण-

भूख न लगने के कई कारण हो सकते है। जैसे-बुखार, गले में खरास, पेट दर्द या खराब सेहत की वजह से बच्‍चों को भूख नहीं लगती है। इसके अलावा खाने के बीच-बीच में स्‍नैक्‍स या जंक फूड ज्‍यादा खाने, हाई शुगर बेवरेज पीने और शरीर में कैलोरी बढऩे के कारण भी भूख कम लग सकती है। ग्रोथ और अन्‍य बदलावों की वजह से भी बच्‍चों का ईटिंग पैटर्न प्रभावित हो सकता है। कुछ बच्‍चों को हर वक्‍त उछल-कूद करने की आदत होती है इसलिए ऐसे बच्‍चे एक जगह टिक कर खाना नहीं खाते हैं और खाने को बीच में ही छोड़ देते हैं।

होम्योपैथिक उपचार-

अगर आप भी भूख न लगने की समस्या से परेशान है तो आप होम्योपैथिक दवाओं के सेवन से इस समस्या से छुटकारा पा सकते है। आप अपने नजदीकी होम्योपैथिक डॉक्टर से संपर्क कर भूख न लगने की समस्या से छुटकारा पा सकते है। और होम्योपैथिक दवाइयों का उपयोग करें तो इन बीमारियों से बच सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए आप साहस होम्योपैथिक क्लीनिक के विशेषज्ञ डॉ. एनसी पाण्डेय से संपर्क कर सकते है।

पीलिया की होम्योपैथिक दवा

पीलिया होने पर किसी व्यक्ति को सिर दर्द, लो-ग्रेड बुखार, मतली और उल्टी, भूख कम लगना, त्वचा में खुजली और थकान आदि लक्षण होते हैं। वायरल हैपेटाइटिस या जॉन्डिस को साधारणत: लोग पीलिया के नाम से जानते हैं। यह रोग बहुत ही सूक्ष्म विषाणु के कारण होता है। शुरू में जब रोग धीमी गति से व मामूली होता है तब इसके लक्षण दिखाई नहीं पडते हैं, परन्तु जब यह उग्र रूप धारण कर लेता है तो रोगी की आंखे व नाखून पीले दिखाई देने लगते हैं, लोग इसे पीलिया कहते हैं। अगर आप भी पीलिया की समस्या से परेशान है तो आप होम्योपैथिक उपचार कर सकते है।

आइये जानते है इसके लक्षण-

बुखार आना
पेट में दर्द होना
बदन में खुजली
वजन कम होना
स्किन का पीला पडऩा
आंखों का सफेद होना
पेशाब का रंग गहरा पीला होना
मल का रंग सामान्य न होना

पीलिया के कारण-

हेमोलिटिक एनीमिया
गिल्बर्ट सिंड्रोम
अवरुद्ध पित्त नलिकाएं
अग्नाशय का कैंसर
हेपेटाइटिस
लिवर की तीव्र सूजन
शराब से संबंधित लिवर रोग

होम्योपैथिक उपचार-

अगर आप भी पीलिया से परेशान है तो आप होम्योपैथिक दवाओं के सेवन से इस समस्या से छुटकारा पा सकते है। आप अपने नजदीकी होम्योपैथिक डॉक्टर से संपर्क कर पीलिया से छुटकारा पा सकते है। और होम्योपैथिक दवाइयों का उपयोग करें तो इन बीमारियों से बच सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए आप साहस होम्योपैथिक क्लीनिक के विशेषज्ञ डॉ. एनसी पाण्डेय से संपर्क कर सकते है।

गले में दर्द का होम्योपैथिक उपचार

जलन, खिचखिच जैसी समस्याओं से गले में दर्द होने लगता है, जो कुछ खाने और निगलने के दौरान बदतर हो जाती हैं। गले में दर्द का सबसे आम कारण वायरल संक्रमण होता है, जैसे सर्दी जुकाम या फ्लू। किसी वायरस से होने वाला गले में दर्द, अपने आप होम्योपैथिक विधि से उसे ठीक कर सकते हो। लेकिन गले में दर्द होने पर आपको इन जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए।

क्यों होता है गले में दर्द

गले में दर्द के कारण बुखार, मसल्स पेन, सिर दर्द और आंखों से पानी तक आने लगता है। गर्मी में आप भी गले के दर्द से परेशान हैं तो आप होम्योपैथि दवाओं का सेवन कर गले के इंफेक्शन से निजात पा सकते हैं।

गले में दर्द का लक्षण-

खुजली व खराश जैसी सनसनी
निगलने व बोलते में दर्द
गला सूखना
गर्दन और जबड़े की ग्रंथियों में सूजन व दर्द
टॉन्सिल में सूजन
कर्कश या धीमी आवाज

होम्योपैथिक उपचार-

अगर आप भी गले के दर्द से परेशान है तो आप होम्योपैथिक दवाओं के सेवन से इस समस्या से छुटकारा पा सकते है। आप अपने नजदीकी होम्योपैथिक डॉक्टर से संपर्क कर गले के दर्द से छुटकारा पा सकते है। और होम्योपैथिक दवाइयों का उपयोग करें तो इन बीमारियों से बच सकते हैं। आप ऊपर दिये गये वीडियो को देखकर होम्योपैथिक दवाओं का सेवन कर सकते है। अधिक जानकारी के लिए आप साहस होम्योपैथिक क्लीनिक के विशेषज्ञ डॉ. एनसी पाण्डेय से संपर्क कर सकते है।

खुजली का होम्योपैथिक उपचार

खुजली होना, वैसे तो एक साधारण बीमारी है, लेकिन सच यह है कि यह रोग जब भी किसी व्यक्ति को होता है तो वह व्यक्ति बीमार त्वचा को खुजलाते-खुजलाते परेशान हो जाता है। खुजली होने के कई कारण हो सकते हैं। कई बार खुजली कई रोगों का लक्षण भी हो सकती है। क्या आप भी खुजली से परेशान हैं और खुजली का इलाज ढूंढ रहे हैं। गंदगी, एलर्जी या फिर अन्य कारणों से होने वाली खुजली, आपकी त्वचा को काफी नुकसान पहुंचाती है। कई बार शरीर में छोटी-छोटी फुंसियां होना और उसे खुजाने पर खून निकलने जैसी समस्या भी सामने आती है, जो त्वचा के लिए और भी खतरनाक है। अगर आप भी खुजली से परेशान है तो आप इसका होम्योपैथिक विधि से उपचार कर सकते है।

आइये जानते है इसके कारण-

चिकनपॉक्स
स्किन एलर्जी
हेपेटाइटिस
आयरन की कमी
स्किन एजिंग
डर्मेटाइटिस
साबुन से जलन
रूखी त्वचा
पित्ती
सोरायसिस
रैशज
सनबर्न

होम्योपैथिक उपचार-

अगर आप भी खुजली से परेशान है तो आप होम्योपैथिक दवाओं के सेवन से इस समस्या से छुटकारा पा सकते है। आप अपने नजदीकी होम्योपैथिक डॉक्टर से संपर्क कर सर्दी में खुजली समस्या से छुटकारा पा सकते है। बदलते मौसम में ज्यादातर लोग खुजली से परेशान हो जाते हैं, लेकिन यदि हम थोड़ी सी सावधानी रखें, खान-पान पर नियंत्रण रखें और होम्योपैथिक दवाइयों का उपयोग करें तो इन बीमारियों से बच सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए आप साहस होम्योपैथिक क्लीनिक के विशेषज्ञ डॉ. एनसी पाण्डेय से संपर्क कर सकते है।

सर्दी में बुखार

मानसून का मौसम चल रहा है, यह अपने साथ कई बीमारियों को लेकर आता है। ऐसे मेंं सर्दी में बुखार की समस्या अक्सर नजर आती है। जब भी मौसम बदलता है, तो हमारा इम्यून सिस्टम कमजोर होने लगता है। कई संक्रामक बीमारियों हमें घेर सकती हैं। आप एकदम स्वस्थ होने के बाद भी अचानक से बीमार पड़ सकते हैं। मौसम बदलने पर सर्दी-जुकाम होने से बुखार भी चढ़ जाता है। आप होम्योपैथिक विधि से सर्दी में बुखार से निजात पा सकते है। आज हम बतायेंगे सर्दी में बुखार के लक्षण-

सर्दी-बुखार के लक्षण-

गले में खरास
बंद या बहती नाक
छींक आना
खांसी होना
भारी आवाज
आम तौर पर अस्वस्थ महसूस करना

होम्योपैथिक उपचार-

अगर आप भी सर्दी में बुखार से परेशान है तो आप होम्योपैथिक दवाओं के सेवन से इस समस्या से छुटकारा पा सकते है। आप अपने नजदीकी होम्योपैथिक डॉक्टर से संपर्क कर सर्दी में बुखार की समस्या से छुटकारा पा सकते है। बदलते मौसम में ज्यादातर लोग वायरल बुखार, फ्लू, जुकाम, सर्दी, खांसी, गले में खरास से परेशान हो जाते हैं, लेकिन यदि हम थोड़ी सी सावधानी रखें, खान-पान पर नियंत्रण रखें और होम्योपैथिक दवाइयों का उपयोग करें तो इन बीमारियों से बच सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए आप साहस होम्योपैथिक क्लीनिक के विशेषज्ञ डॉ. एनसी पाण्डेय से संपर्क कर सकते है।

पेशाब में बदबू की समस्या

अक्सर लोगों का पेशाब बहुत ज्यादा बदबू करता है। हालांकि यह एक सामान्य समस्या है, लेकिन हमें इसे नजरअंदाज करना भी सेहत के लिए ठीक नहीं है। पेशाब में बदबू आने के कई कारण हो सकते है। यदि आप भी इस समस्या से परेशान हैं तो आपको घबराने की जरूरत नहीं है आप होम्योपैथिक विधि से इसका उपचार कर सकते है। कुछ बीमारियां आनुवांशिक होती है जिसका अर्थ यह होता है कि कुछ बीमारी है जो हमारे पूर्वजों को हुई थी वह है हमारे शरीर के अंदर भी आ जाना। महिलाओं में एक बीमारी होती है, ट्राईमेथीलेमिनुरिया। इस बीमारी में पेशाब से एक अजीब सी बदबू आती है जिसके कारण महिलाओं में पीरियड्स के अनियमित हो जाते हैं।

क्यों आती है पेशाब में बदबू

आज हम जानते है पेशाब में बदबू क्यों आती है। हमारेशरीर के विषैले पदार्थ पेशाब के रास्ते बाहर निकलते हैं जिस कारण से उसमें से हल्की बदबू आती है। इसके अलावा जब शरीर में गर्मी पड़ जाए या एल्कोहल का सेवन किया हो तो पेशाब का रंग पीला हो जाता है और उसमें से गंदी बदबू भी आने लगती है लेकिन जब हमेशा ही यूरिन में से
अजीब सी बदबू आने लगे तो इसके कई कारण हो सकते हैं ।

पेशाब में बदबू के कारण-

मसालेदार खाने का सेवन
एल्कोहल का सेवन
डायबिटीज की समस्या
गर्भवती होने पर
यूटीआई
साफ.-सफाई न करना

होम्योपैथिक उपचार-

अगर आपके पेशाब में भी बदबू आ रही है तो आप होम्योपैथिक दवाओं के सेवन से इस समस्या से छुटकारा पा सकते है। आप अपने नजदीकी होम्योपैथिक डॉक्टर से संपर्क कर पेशाब में बदबू की समस्या से छुटकारा पा सकते है। अधिक जानकारी के लिए आप साहस होम्योपैथिक क्लीनिक के विशेषज्ञ डॉ. एनसी पाण्डेय से संपर्क कर सकते है।

टाइफाइड का होम्योपैथिक उपचार

मियादी बुखार के रूप में जाना जाने वाला टाइफाइड बुखार एक संक्रामक बुखार है। यह बुखार साल्मोनेला बैक्टीरिया के संपर्क में आने से ही होता है। टाइफाइड बुखार में व्यक्ति के शरीर का तापमान 102 डिग्री सेल्सियस से ऊपर चला जाता है। साल्मोनेला टायफी बैक्टीरिया गंदे पानी और संक्रमित भोजन से फैलता है। टाइफाइड एक गंभीर बीमारी है, यह साल्मोनेला एन्टेरिका सेरोटाइप टाइफी बैक्टीरिया से होता है। यह साल्मोनेला पैराटाइफी बैक्टीरियम से भी फैलता है। टाइफाइड बैक्टीरिया पानी और खाने के जरिए लोगों के अन्दर जाता है और इसके द्वारा बहुत से लोगों में यह फैल जाता है। बैक्टीरिया पानी या सूखे सीवेज में हफ्तों तक जीवित रह सकते हैं। आप होम्योपैथिक विधि से टाइफाइड का उपचार कर सकते है।

टाइफाइड के लक्षण-

सरदर्द होना
104 डिग्री तक बुखार आना
शरीर में दर्द होना
जी मिचलाना
दस्त और कब्ज होना
पेट दर्द होना
कफ की समस्या

होम्योपैथिक उपचार-

अगर आप टाइफाइड की बीमारी से परेशान है तो आप होम्योपैथिक विधि से आसानी से इसका उपचार कर सकते है। यूपेटोरियमप्रफोलिएटम-200 एक होम्योपैथिक दवा है। यह दवा इंडियन सिस्टम ऑफ मेडिसिन एंड होम्योपेथिक डिपार्टमेंट की ओर से रिकोमेंडिड है। इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है तथा स्वाद में मीठी है। इस दवा को किसी भी उम्र का व्यक्ति गर्भवती महिला बच्चा भी ले सकता है। दवा लेने के तरीके के बारे में बताया कि तीन दिन चार गोली सुबह चार शाम को लेनी हैं। फिर हर चौथे दिन चार गोली सुबह खाली पेट चूसनी हैं। अधिक जानकारी के लिए आप साहस होम्योपैथिक क्लीनिक के विशेषज्ञ डॉ. एनसी पाण्डेय से संपर्क कर सकते है।