पेचिश से परेशान है तो आजमाये ये उपाय

पेचिश आंतों का संक्रमण है। इसकी वजह से गंभीर दस्‍त और मल में खून आने की समस्‍या हो जाती है। कुछ मामलों में मल में म्‍यूकस भी आ सकता है। आमतौर पर पेचिश तीन से सात दिनों तक रहता है। यदि आप दूषित भोजन करते हैं या भोजन के परजीवी या बैक्‍टीरिया से के संपर्क में हाथों के आने पर उन्‍हीं गंदे हाथों से खाना खाने पर पेचिश हो सकता है। दूषित पानी में स्‍विमिंग करने से भी पेचिश हो सकता है। वही संक्रमित व्‍यक्ति से बाकी लोगों को भी पेचिश हो सकता है। आप होम्योपैथिक विधि द्वारा इसका उपचार कर सकते है।

आइये जानते है इसका कारण-

दूषित पानी का पीना।
दूषित भोजन करना।
संक्रमित मल का आना।
संक्रमित व्यक्ति से संपर्क आना।

पेचिश के लक्षण –

दस्त लगना।
बुखार आना।
पेट में दर्द होना।
मल के साथ रक्त का आना।

उपचार-
अगर का पेचिश की समस्या से परेशान है तो घबराये नहीं। आप डॉक्टर की सलाह पर होम्योपैथिक विधि से इसका उपचार कर सकते है। अधिक जानकारी के लिये आप ऊपर दिये गये वीडियो को देखकर पेचिश से जुड़ी समस्या का समाधान कर रहे है।

गुर्दे में पथरी की समस्या

गुर्दे में पथरी की समस्या आजकल बहुत सारे लोगों में देखने को मिल रही है। किडनी स्टोन आपकी सेहत पर बुरा प्रभाव डाल सकते हैं। कई बार गलत खान-पान की आदत किडनी को नुकसान पहुंचा सकती है। जिससे किडनी से जुड़ी कई समस्याएं हो सकती हैं। इन्हीं में से एक है किडनी स्टोन या गुर्दे की पथरी किडनी स्टोन आपको कभी न भुला, जाने वाला दर्द दे सकता है। और इसके होने पर सर्जरी या चीरे के बाद ही इसे ऑपरेशन के दौरान निकाला जाता है। आप होम्योपैथिक विधि से गुर्दे की पथरी का उपचार कर सकते है। आइये सबसे पहले जानते है इसके लक्षण और कारण-

गुर्दे की पथरी के लक्षण-

पेशाब करते समय दर्द का होना।
बार-बार पेशाब आना।
उल्टी का आना।
बुखार आना।
पेशाब का रूक-रूक कर होना।
पेशाब में खून का आना।

आइये जानते है इसके कारण-
अधिक मात्रा में प्रोटीन, नमक या ग्लूकोश युक्त डाइट करना।
थायराइड की समस्या।
वजन का अधिक बढ़ जाना।
बाइपास सर्जरी कराना पर।
डिहाइड्रेशन का होने पर।

आइये जानते है इसका उपचार-

जब पथरी रोग का उपचार किसी अन्य तरीके से नहीं होता है, तब डॉक्टर ऑपरेशन का पथरी हटाने की सर्जरी कराने की सलाह देते हैं। लेकिन आप होम्योपैथिक विधि से पथरी का बड़ी आसानी से उपचार कर सकते है। अधिक जानकारी के लिए आप ऊपर दिये गये वीडियो को देखकर डॉक्टर की सलाह से उपचार करा सकते है।

बाल झडऩे की समस्या से परेशान

अक्सर लोगों में बाल झडऩे की शिकायत रहती है। बाल झडऩे को डॉक्‍टरी भाषा में एलोपेशीया कहा जाता है। आज ए‍क-तिहाई पुरुष और महिलाओं में ये बीमारी पाई जाती है। एलोपेशीया का दूसरा प्रकार जिसे एलोपेशीया एरेटा कहा जाता है अस्‍थायी होता है। इस समस्‍या से पीडि़त लोगों के सिर और अन्‍य अंगों से बाल झडऩे लगते हैं। कई लोग अपने बालों पर टिंट, ब्लीच, स्‍ट्रेटनर, डाई जैसे कैमिकल ट्रीटमेंट अपनाते है। इस तरह के ट्रीटमेंट को अगर सही तरीके से अप्‍लाई किया जाए तो इनसें बालों को कोई नुकसान नहीं होता। हालांकि, इनसे आपके बाल कमजोर हो सकते हैं। आइये जानते है इसके कारण और लक्षण-

बाल झडऩे के कारण-

वजन का बढऩा।
दवाईयों के सेवन से
थायराइड जैसे बीमारी का होना
डायबटिज जैसी बीमारी का होना
पीसीओसी

 आइये जानते है इसके लक्षण-

सिर के बीच वाले हिस्से से बालों का कम हो जाना।
बालों का पतला होना भी लक्षण।
शैंपू करते समय बालों का झडऩा।
बालों को कंघी करते समय बालों का झडऩा।
अचानक से बालों का झडऩा

उपचार-
यदि आप बालों के झडऩे की समस्या से परेशान तो इसमें बालों की मालिश करना बेहतर विकल्प साबित हो सकता है।जब बालों का झडऩा किसी अन्य तरीकों से नहीं

रूकता है तब डॉक्टर महिला को दवाई खाने की सलाह देते हैं। आप होम्योपैथिक विधि से बालों का झडऩा रोक सकते है। अधिक जानकारी के लिए ऊपर दिये गये वीडियो को देखें।

क्या आपका ब्लैड प्रेशर बार-बार बढ़ जाता है?

उच्च रक्तचाप केवल बुढ़ापे की बीमारी है, परंतु अब स्थिति तेजी से बदल रही है। 30 साल का युवक भी आज यह कहता सुनाई दे सकता है कि उसे ब्लड प्रेशर है यानी उसका रक्तचाप सामान्य से अधिक है। हाई ब्लड प्रेशर आजकल काफी आम समस्या बनती जा रही है। ज्यादातर लोगों के इसे गंभीरता से न लेने के कारण वे आसानी से इसका शिकार बन जाते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में 8 लोगों में से एक व्यक्ति उच्च रक्तचाप के शिकार हैं। 140-159/90-99 और इससे ज्यादा प्रेशर हाई ब्लड प्रेशर माना जाता है। आमतौर पर ब्‍लड प्रेशर को 85 से ऊपर जाते ही चेतावनी का संकेत माना जाता है लेकिन वहीं युवाओं में सामान्य ब्लड प्रेशर की सीमा 120/80 तक होती है।आइये जानते है सबसे पहले इसके लक्षण और कारण-

उच्च रक्तचाप के लक्षण –

सिर दर्द होना।
चक्कर आना
शिथिलता
घबराहट महसूस करना।
धूंधला दिखाई देना।
कमजोरी महसूस करना
सांस में परेशानी होना।
नींद न आना होना।
जरा सी मेहनत करने पर सांस फूल जाना।
नाक से खून निकलना ।
उल्‍टी महसूस होना।
बेचैनी सी होना।

ब्लैड प्रेशर बढऩे के कारण-

धूम्रपान करने से ब्लैड प्रेशर बढ़ जाता है।
वजन का अधिक होना भी इसका कारण है।
अगर आप व्यायाम नहीं करते है।खाने में ज्यादा नमक खाने से ब्लैड प्रेशर बढ़ जाता है।
अगर आप ज्यादा तनाव में रहते है।

आइये जानते है कैसे करें इसका उपचार-

ब्लैड प्रेशर की बीमारी अधिकांश लोगों में देखने को मिलती है और उनमें से कुछ लोगों की मौत इसकी वजह से भी हो जाती है। ऐसा केवल इस वजह से होता है क्योंकि लोग इसे लाइलाज बीमारी समझते हैं। आप को इससे घबराने की जरूरत नहीं है। आप होम्योपैथिक विधि से इसका उपचार कर सकते है। अधिक जानकारी के लिए ऊपर दिये गये वीडियो को देखें।

आवाज का बैठ जाना

गला बैठना या कर्कश आवाज, जिसे डिस्फोनिया भी कहा जाता है। जब आवाज अनैच्छिक रूप से सांस, कर्कश या तनावपूर्ण लगती है, आवाज बैठने से व्यक्ति को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है क्योंकि गले से शब्द नहीं निकल पाते। व्यक्ति समझता है कि उसका गला रुंध रहा है। अक्सर गले के बैठने का कारण गला सूखना या फिर गले में सूजन होती है या कई बार सर्दी-जुकाम के कारण इस तरह की समस्या पैदा होती है। गले के बैठने से आवाज में बदलाव देखने को मिलता है। अगर किसी वायरस या फिर बैक्टीरिया के कारण ऐसा होता है

आइये जानते है इसके कारण-

अधिक बीड़ी-सिगरेट पीने, शराब पीने, या ठंडे पदार्थों के बाद तुरन्त गरम पदार्थों का सेवन करने या गरम पदार्थ के बाद ठंडे पदार्थों का प्रयोग करने के कारण गले का स्वर भंग हो जाता है। इसके अलावा कुछ अन्य कारण नीचे दिये गये है।

अगर आपकी ज्यादा तेज चिल्लाने की आदत हो।
वायरस के कारण आवाज बैठ जाती है।
उत्तेजक पदार्थ का सांस के जरिए शरीर में प्रवेश करने से।
धूम्रमान करने से।
तंबाकू का ज्यादा सेवन करने से।
सर्दी-जुकाम से आवाज का बैठना।
लगातार खांसी का प्रकोप से।

लेरिन्जाइटिस के लक्षण –

आवाज बैठ जाने पर
ज्यादा खांसी।
गले में सूजन।
खांसी के साथ खून निकलना।
आवाज बंद हो जाना।
बोलने समय गले में दर्द होना।
बुखार आना।
सांस लेने में परेशानी होना।
निगलने में दर्द।
गले में खराश रहना।

कैसे करें इसका उपचार-अगर आपकी आवाज बैठ गई है तो घबराने की कोई जरूरत नहीं है। आप डॉक्टर की सलाह पर होम्योपैथिक विधि से इसका बड़ी आसानी से उपचार कर सकते है। अगर आपको होम्योपैथिक विधि को लेकर कोई समस्या या परेशानी है तो आप इसके लिए हमारी वेबसाइट पर दिये गये नंबर पर संपर्क कर जानकारी ले सकते है।

अनिंद्रा से है परेशान तो आजमाये ये उपाय

अनिंद्रा का मतलब है सोने में मुश्किल होना या रात को नींद न आना। स्लीप-मेंटीनेंस इन्सोम्निया, यानी सोये रहने में कठिनाई या बहुत जल्दी जाग जाना और दोबारा सोने में मुश्किल होनरा। या पर्याप्त नींद न मिलने पर चिंता बढ़ जाती है, जिससे नींद में हस्तक्षेप होता है और यह दुष्चक्र चलता रहता है। उच्च रक्तचाप, कंजेस्टिव हार्ट फेल्योर, डायबिटीज व अन्य बीमारियों से भी अनिद्रा का सीधा संबंध है। दिनभर की थकान के बाद भी सो ही न पाएं। अगर आप मानसिक तनाव, दबी हुई इच्छाएं और मन में तीव्र कड़वाहट लिए हुए बिस्तर पर लेटे हैं तो आप अनिद्रा का शिकार हो सकते है। क्या आप भी अनिद्रा रोग का उपचार तलाश रहे है। आइये सबसे पहले जानते है इसके लक्षण और कारण-

आइये जानते है अनिंद्रा के कारण-

कई बार कब्ज का होना।
अपच होना।
चाय का सेवन
कॉफी और शराब का अधिक सेवन
पर्यावरण में परिवर्तन।

आइये जानते है नींद न आने के लक्षण-

स्लीप एपनोया-यह नींद से जुड़ा एक गंभीर समस्या है।
रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम की समस्या।
स्लिप पैरालिसिस की समस्या।
सर्कैडियन रिदम डिसऑर्डर
इंसोमेनिया

कैसे करें इसका उपचार-

अगर आपकों नींद नहीं आ रही है तो सबसे पहले आप अपने दिमाग में सकारात्मक भाव लाने के प्रयास करें। मन की बातों को किसी करीबी से शेयर करें। इस समस्या को समय रहते ठीक करना बहुत जरुरी है। रात में सोते समय आप अच्छी किताब पडऩे की आदत डाले। इसके अलावा आप होम्योपैथिक विधि से नींद न आने की समस्या को दूर कर सकते है। ऊपर दिये गये वीडियो को देखकर आपकों पता चल जायेगा कि एक मरीज कैसे नींद न आने की समस्या से परेशान था। डॉक्टर की सलाह पर उसे होम्योपैथिक उपचार किया तो वह इस बीमारी से बच सका।

चेहरे पर झुर्रियां व दाग-धब्बे

चेहरे पर झुर्रियां आने से आपकी उम्र झलकने लगती है। झुर्रियां आने के कई कारण हो सकते हैं। उम्र बढऩे के साथ ही चेहरे पर झुर्रियां साफ दिखाई देने लगती हैं। मगर अफसोस यह है कि कम उम्र में भी लड़कियां इस परेशानी से जूझऩे लगती हैं। समय से पहले झुर्रियां होने के कई कारण हो सकते हैं। वैसे तो बाजार में ढेर सारी क्रीम मिलते हैं जो दावा करते हैं कि वो हफ्तेभर में चेहरे की झुर्रियों का सफाया कर देंगे। मगर असल में इनमें कोई दम नहीं होता। आप होम्योपैथिक विधि से झुरियों का बेहतर उपचार कर सकते है। आइये जानते है सबसे पहले इसके लक्षण क्या है।

चेहरे पर झुर्रियों के लक्षण-
त्वचा का अधिक पतला होना भी झुर्रियों को जन्म देता है।
आंखे मुंह और गर्दन के चारों ओर महीन रेखाएं दिखाई देना।
चेहरे और गर्दन पर त्वचा का ढीला होना।

झुर्रियों के कारण –

आनुवंशिक कारण के चलते झुर्रियां होती है।
बढ़ती उम्र के कारण त्वचा में बदलाव आता है।
धूम्रपान करने से भी झुर्रियां होती है।
अधिक समय तक धूप में रहने के कारण

उपचार-
झुर्रियों का मुख्य कारण बिगड़ी दिनचर्या और अनियमित खान-पान के अलावा अनिद्रा, चिंता और तनाव भी माना जाता है। ऐसे में अगर आपको भी असमय इस समस्या का सामना करना पड़ रहा है, तो परेशान होने की जरूरत नहीं है। आप डॉक्टर की सलाह पर होम्योपैथिक विधि से झुर्रियों का उपचार कर सकते है। अधिक जानकारी के लिए आप ऊपर दिया गया वीडियो देख सकते है।

मोतियाबिंद से परेशान

आंख हमारे शरीर के सबसे खास और नाजुक अंगों में से एक होती हैं। अगर इनका ख्‍याल न रखा जाए तो छोटी-सी परेशानी जिंदगी भर की तकलीफ बन सकती है। लेकिन लोग आंखों की सेहत पर उतना ध्‍यान नहीं देते जितना उन्‍हें देना चाहिए। यही वजह है कि 40 की उम्र तक कईं लोग आंखों की गंभीर समस्याओं के शिकार हो जाते हैं, उनमें से मोतियाबिंद एक है। मोतियाबिंद आंख की वह स्थिति है जहां पर आंखों में दूधिया प्रभाव के कारण आप की दृष्टि धुंधली हो जाती है। मोतियाबिंद से ग्रसित लोगों की आंखो पर धुंधला बिंब बनता है। आइये जानते है इसके लक्षण और कारण-

आइये जानते है मोतियाबिंद लक्षण

आंखों और सिर में तेज दर्द।
नजऱ कमजोर होना।
धुंधला दिखाई देना।
आंखें लाल होना।
रोशनी के चारों ओर रंगीन छल्ले दिखाई देना।
जी मचलाना।
उल्टी होना।

मोतियाबिंद कारण-

40 साल से अधिक के उम्र के लोगों को खतरा रहता है।
काला मोतिया आनुवांशिक।
हाइपरथायरॉइडिज़्म,
मधुमेह
हृदय रोग
उच्च रक्त दाब
सिकल सेल एनीमिया
माइग्रेन आदि।
निकट दृष्टिदोष।
आंखों की सर्जरी।

उपचार-

मोतियाबिंद से ग्रसित होने का पता चलने के बाद इसका सही इलाज कराना भी नितांत आवश्यक होता है। ढेरों ऐसे नेत्र चिकित्सालय हैं जो कि हजारों मरीजों की आंखों की समस्याओं का इलाज करते हैं। अगर आप मोतियाबिंद से परेशान है तो होम्योपैथिक विधि से इसका उपचार कर सकते है। अधिक जानकारी के लिए आप ऊपर दिये गये वीडियो को देखकर पूरी जानकारी ले सकते है।

क्या आपकी सांस फूलती है?

सांस फूलने की बीमारी अक्सर लोगों में देखने को मिलती है। जो काफी आम है। मरीज परेशान रहता है एवं भयभीत रहता है कि कहीं जान चली जाए। कई बार तो काफीी जांच बावजूद पता नहीं चलता कि आखिर सांस क्यों फूल रही है। मरीज एक डॉक्टर से दूसरे डॉक्टर भटकता रहता है, इलाज नहीं हो पाता। सांस फूलना या सांस ठीक से लेने का अहसास होना, संक्रमण, सूजन, एलर्जी, चोट मेटावोलिक परिस्थितियां एवं अन्य कई कारणों की वजह से हो सकता है।

आइये जानते है इसके कारण-

फेफड़े का इन्फैक्शन।
निमोनिया व टीबी बीमारी।
श्वास नली व शाखाओं में सूजन ।
छाती में ट्यूमर का दबाव ।
किसी दुर्घटना में छाती की चोट ।
खून या मवाद जमा होना।

सांस फूलने के लक्षण-

खांसी का होना।
सांस की गति तेज होना।
धडक़न तेज होना।
थकावट
ब्लड प्रेशर कम होना।
बुखार आना।
सांस में दिक्कत आना।
छाती दर्द होना।

उपचार-

इस बीमारी से छुटकारा पाने के लिए नियमित सुबह की सैर व व्यायाम करना चाहिए। मोटापे को नियंत्रित किया जाए तो सांस फूलने की समस्या से छुटकारा मिल सकता है। आप होम्योपैथिक विधि से इसका बेहतर उपचार कर सकते है। ऊपर दिये गये वीडियो पर क्लीक कर पूरी जानकारी ले सकते है।

मधुमेह (डायबिटीज) की समस्या और समाधान

मधुमेह (डायबिटीज) एक ऐसी बीमारी है, जो शरीर की इंसुलिन का उत्पादन या उपयोग करने की क्षमता को प्रभावित करती है। इंसुलिन एक प्रकार का हार्मोन होता हैए जो भोजन को उर्जा में बदलता है। हाई ब्लड शुगर लेवल को हम डायबिटीज यानी मधुमेह कहते है। अगर इसकी जांच न की जाए, तो इससे त्वचा और आंखों से जुड़ी आम परेशानियों से लेकर ब्रेन स्ट्रोक और नर्वस सिस्टम से जुड़ी गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। आइर्य जानते है मधुमेह (डायबिटीज) क्यों होती है। क्या कारण है मधुमेह (डायबिटीज) बीमारी के।

सबसे पहले मधुमेह (डायबिटीज) के लक्षण-

अगर बार-बार पेशाब आती है।
प्यास लगना भी इसके लक्षण है।
भोजन करने के बाद भी तुरंत ही भूख लग जाती है।
अत्याधिक थकावट महसूस होना।
वजन का कम हो जाना।

आइये जानते है क्या कारण है-

इंसुलिन का न बनना।
उच्च रक्त शर्करा स्तर इसका कारण है।
गर्भवती महिलाओं में मधुमेह ।
आनुवंशिक भी इसका कारण है।
जीवन-शैली का अनियमित का आना।
अगर आप मोटापे के शिकार हो या वजन का अधिक होना।

उपचार-

मधुमेह (डायबिटीज) की बीमारी बहुत सारे लोगों में देखने को मिल रही है। इसी कारण उनमें इसे लेकर बहुत सारी शंकाएं रहती हैं। इस बीमारी से छुटकारा पाने के लिए लोग बहुत सारे तरीकों जैसे व्यायाम करनाए डाइट प्लान को बदलना, मेडिकल उत्पादों का सेवन करना इत्यादि को अपनाते हैं। लेकिन जब उन्हें इन तरीकों से कोई भी लाभ नहीं पहुंचता है। ऐसे में आप होम्योपैथिक विधि से उपचार कर इस बीमारी का इलाज कर सकते है।