Hiccups Treatment in Homeopathy
हिचकी का रोग अपने आप में कोई बहुत बड़ा रोग नहीं है लेकिन फिर भी हिचकी किसी भी इंसान को बहुत परेशान कर सकती है जैसे अगर भोजन करते समय हिचकी आना शुरू हो जाती है तो व्यक्ति का भोजन करना मुश्किल हो जाता है। छाती और पेट की मांसेपेशियां सिकुड़ने के कारण फेफड़े तेजी से हवा खिंचने लगते हैं और सांस लेने में दिक्कत होने लगती है, जिस कारण हिचकियां शुरू हो जाती है। कई बार गर्म खाने के एकदम बाद कुछ ठंडा खाने से भी हिचकी आना शुरू हो जाती हैं। हिचकी वैसे तो कुछ देर बाद अपने आप ही बंद हो जाती है लेकिन फिर भी अगर ये रोग पुराना हो जाए तो काफी भयंकर हो सकता है इसलिए समय पर ही इसकी चिकित्सा कर लेनी चाहिए।
कारण- हिचकी आने के रोग का अभी तक सही कारण तो पता नहीं चल पाया है
लेकिन हिचकी के कुछ देखे गए कारण है
ये अक्सर ज्यादा भोजन करने से,
शराब पीने से,
गुर्दें के खराब हो जाने से,
मधुमेह (डायबिटीज), आदि के कारण हो जाता है।
जानते है हिचकी के लिए होम्योपैथिक उपचार
Nux Vomica 30 की 5 बुँदे, रात को लें
Ginseng 30, की 2 बुँदे दिन में 3 बार लें (2 बुँदे सवेरे , 2 बुँदे दिन में ,2 बुँदे शाम को )
Kali Phosphoricum 6x की 4 गोली, दिन में तीन बार ( 4 गोली सवेरे, 4 गोली दिन में, 4 गोली शाम को )
हिचकी होने पर बताई गयी दवाओं को सही मात्रा में और सही समय लेने से हिचकी से आराम मिलता हैं । इसके साथ ही हिचकी आने पर एक गिलास पानी में शक्कर मिलाकर पीना चाहिए। हिचकी आने पर सांस को रोककर खाली घूंट निगल जाना चाहिए। हिचकी आने वाले व्यक्ति की कमर पर अचानक एक थपकी लगाकर उस पर ठण्डा पानी गिराकर उसको चौंका दें। बच्चों को हिचकी आने पर थोड़ा दूध या पानी पिलाने से हिचकी तुरंत ही बंद हो जाती है।