dengu

Dengue

डेंगू एक बीमारी हैं जो एडीज इजिप्टी मच्छरों के काटने से होती है। इस रोग में तेज बुखार के साथ शरीर के उभरे चकत्तों से खून रिसता हैं। डेंगू बुखार धीरे-धीरे एक महामारी के रूप में फैल रहा है। यह ज्यादातर शहरी क्षेत्र में फैलता है। यदि डेंगू बुखार के लक्षण शुरूआत में पता चल जाएं तो इस बीमारी से बचा जा सकता है। आइये जानते हैं डेंगू को किस तरह से पहचाना जा सकता है। डेंगू से बचने के लिये आपको मादा एडीज इजिप्टी मच्छर से बचना पडेगा, इसको पहचानने के लिये देखिये कि इनके शरीर पर चीते जैसी धारियां तो नहीं हैं। ये ज्यादातर शरीर पर घुटने के ऊपर हमला करते हैं।

लक्षण

ऎसे में ठंड लगती है और तेज बुखार होता है। शरीर पर लाल चकते भी बन जाते है जो सबसे पहले पैरों पे फिर छाती पर तथा कभी कभी सारे शरीर पर फैल जाते है।

पेट खराब हो जाना, उसमें दर्द होना, दस्त लगना, ब्लेडर की समस्या, लगातर चक्कर आना, भूख ना लगना। रक्त मे प्लेटलेटस की संख्या कम हो जाना और नब्ज का दबाव कम होना 20 मिमी एच जी दबाव से लगातार सिरदर्द, चक्कर आना, भूख ना लगना।

खूनी द्स्त लगना और खून की उल्टी आना जब डेंगूहैमरेज ज्वर होता है तो ज्वर बहुत तेज हो जाता है रक्तस्त्राव शुरू हो जाता है, रक्त की कमी हो जाती है, थ्रोम्बोसाटोपेनिया हो जाता है, कुछ मामलों में तो मृत्यु हो जाती है।

जानते हैं डेंगू के लिए कुछ होम्योपैथिक दवाइयां :
Eupatorium Per. की २ से ३ बुँदे, दिन में ३-६ बार लें
Carica papaya Q की १०-१५ बुँदे दिन में ३-६ बार लें
Ocimum San., १०-१५ बुँदे दिन में ३-६ बार
Cinchona Q की की १०-१५ बुँदे दिन में ३ बार लें
Dengumar टॉनिक की २.५ ml , दिन में ३ बार लें

इन दवाओं को लेने के साथ साथ आप गिलोई का सेवन करें और साथ ही अपने आस पास साफ़ सफाई बनाये रखे.

sleepness

Sleeplessness

यदि हमारे अच्छे स्वास्थ्य के लिए हम अपने अच्छे खान-पान पर, व्यायाम परए काम पर ध्यान देते है उसी तरह हमारे अच्छे स्वास्थ्य के लिए हमरा अच्छे से पूरी नींद लेना भी बहुत जरुरी है। हमारा यह कहना गलत नहीं होगा कि अच्छे भोजन का संबंध अच्छी नींद से है और अच्छी नींद का संबंध सुंदरता से। गहरी नींद आपको खूबसूरत बनाती हैं। नींद न आना एक बीमारी है। इससे प्रभावित व्यक्ति ठीक से सो नहीं पाता है। वह थोड़ी-सी आवाज या रोशनी से जग जाता है, जिसका उसकी सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

हमारी अच्छी सेहत के लिए हमारी नींद का पूरा होना जरुरी है। कुछ लोग नींद न आने के कारण नींद की गोलियों का सेवन करते है, जो कि स्वास्थ्य के लिए बहुत नुकसानदायक हो सकता है। अच्छी नींद लेने से शारीरिक एवं मानसिक थकान दूर होती है। प्रत्येक व्यक्ति के लिए उसके अच्छे स्वास्थ्य के लिए कम से कम 7.8 घंटे सोना जरुरी होता है। अच्छी नींद आने के बाद व्यक्ति तरोताजा महसूस करता है, साथ ही उसे नई स्फूर्ति का एहसास होता है।

नींद न आने के कारण

ऐसे कई कारण होते हैं जिससे हम अपनी पूरी नींद नहीं ले पाते है और इसी कारण सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ने लगता है।
नींद ना आने के कुछ सामान्य कारण है :
मानसिक तनाव व अधिक क्रोध,
चिंतन करना,
अधिक उत्तेजना,
कब्ज,
धूम्रपान व नशीले प्रदार्थ का सेवन
चाय-कॉफी का अत्यधिक सेवन,
आवश्यकता से कम या अधिक खाना या गरिष्ठ मसालेदार भोजन का सेवन करना।

नींद ना आने के लक्षण :

दिन में सुस्ती आना
थकान महसूस करना
नींद का बार बार टूट जाना
चिड़चिड़ापन आदि.

नींद न आने के लिए होम्योपैथिक उपचार

नींद न आने पर कुछ होम्योपैथिक दवाओं का सेवन कर आप अनिंद्रा में लाभ पा सकते हैं
Coffea Cruda 200 की २ बुँदे दिन में ३ बार लें, (२ बुँदे सवेरे, २ बुँदे दिन में , २ बुँदे शाम को )
Omeo Sleep Drop की २० बुँदे दिन में ३ बार लें (२० बुँदे सवेरे, २० बुँदे दिन में, २० बुँदे शाम को )
इन दवाओं को लेने के साथ ही खूब पानी का सेवन करें और पोषण युक्त आहार लें , साथ ही व्यायाम करें।

swineflu

Swine flu treatment

स्वाइन फ्लू श्वसन तंत्र से जुड़ी बीमारी है, जो ए टाइप के इनफ्लुएंजा वायरस से होती है। यह वायरस एच1 एन1 के नाम से जाना जाता है और मौसमी फ्लू में भी यह वायरस सक्रिय होता है। 2009 में जो स्वाइन फ्लू हुआ था, उसके मुकाबले इस बार का स्वाइन फ्लू कम पावरफुल है, हालांकि उसके वायरस ने इस बार स्ट्रेन बदल लिया है यानी पिछली बार के वायरस से इस बार का वायरस अलग है। जब आप खांसते या छींकते हैं तो हवा में या जमीन पर या जिस भी सतह पर थूक या मुंह और नाक से निकले द्रव कण गिरते हैं, वह वायरस की चपेट में आ जाता है। यह कण हवा के द्वारा या किसी के छूने से दूसरे व्यक्ति के शरीर में मुंह या नाक के जरिए प्रवेश कर जाते हैं। मसलन, दरवाजे, फोन, कीबोर्ड या रिमोट कंट्रोल के जरिए भी यह वायरस फैल सकते हैं, अगर इन चीजों का इस्तेमाल किसी संक्रमित व्यक्ति ने किया हो। नॉर्मल फ्लू से कैसे अलग सामान्य फ्लू और स्वाइन फ्लू के वायरस में एक फर्क होता है। स्वाइन फ्लू के वायरस में चिड़ियों, सूअरों और इंसानों में पाया जाने वाला जेनेटिक मटीरियल भी होता है। सामान्य फ्लू और स्वाइन फ्लू के लक्षण एक जैसे ही होते हैं, लेकिन स्वाइन फ्लू में यह देखा जाता है कि जुकाम बहुत तेज होता है। नाक ज्यादा बहती है। पीसीआर टेस्ट के माध्यम से ही यह पता चलता है कि किसी को स्वाइन फ्लू है।

स्वाइन फ्लू के लक्षण
नाक का लगातार बहना, छींक आना, नाक जाम होना।
मांसपेशियां में दर्द या अकड़न महसूस करना।
सिर में भयानक दर्द।
कफ और कोल्ड, लगातार खांसी आना।
उनींदे रहना, बहुत ज्यादा थकान महसूस होना।
बुखार होना, दवा खाने के बाद भी बुखार का लगातार बढ़ना।
गले में खराश होना और इसका लगातार बढ़ते जाना।

स्वाइन फ्लू के लिए होम्योपैथिक उपचार
स्वाइन फ्लू होने पर होमियोपैथी की इन दवाओं का सेवन करें, साथ ही कही भी बाहर जाने पर फेस मास्क का प्रयोग करें और ऐसे व्यक्ति के संपर्क में आने से बचे जिसे स्वाइन फ्लू हों, जानते हैं स्वाइन फ्लू के लिए होम्योपैथिक दवाएं :-

Arsenicum Album 200ch की ५ बुँदे, दिन में ३ बार लें (५ बुँदे सवेरे, ५ बुँदे दिन में , ५ बुँदे शाम को )
Swainil की २० बुँदे, दिन में ३ बार ( २० बुँदे सवेरे, २० बुँदे दिन में , २० बुँदे शाम को )

इन दवाओं के सेवन से आपको स्वाइन फ्लू में लाभ मिलेगा।

dama

Allergy Bronchitis

आस्थमा जिसे दमा भी कहा जाता हैं, ये श्वसन तंत्र की बीमारी है जिसके कारण सांस लेना मुश्किल हो जाता है। क्योंकि श्वसन मार्ग में सूजन आ जाने के कारण वह संकुचित हो जाती है। इस कारण छोटी-छोटी सांस लेनी पड़ती है, छाती मे कसाव जैसा महसूस होता है, सांस फूलने लगती है और बार-बार खांसी आती है। इस बीमारी के होने का विशेष उम्र बंधन नहीं होता है। किसी भी उम्र में कभी भी ये बीमारी हो सकती है। आम तौर पर अगर परिवार में आनुवांशिकता के तौर पर अस्थमा की बीमारी है तो इसके होने की संभावना बढ़ जाती है। अस्थमा कभी भी ठीक नहीं हो सकता है लेकिन कई प्रकार के ट्रीटमेंट के द्वारा इसके लक्षणों को नियंत्रण में लाया जा सकता है या बेहतर रहने की कोशिश की जा सकती है। फेफड़ों में हवा के प्रवाह में रुकावट होने पर अस्थमा अटैक होता है।

अस्थमा के कारण –
अस्थमा के कई कारण है, जानते हैं कुछ सामान्य कारण :

अधिक दवाओं का सेवन
किसी गंभीर बीमारी के कारण
एलर्जी
वायु प्रदूषण
धूम्रपान और तंबाकू
श्वसन संक्रमण
जेनेटिक्स (आनुवांशिक)
मौसम के कारण
मोटापा
तनाव

अस्थमा (दमा) के लक्षण –

अस्थमा के कुछ सामान्य लक्षण निम्न हैं :-

खाँसी
घरघराहट
साँस लेने में तकलीफ
सीने में जकड़न या दर्द
लगातार सर्दी और खांसी
नींद में बेचैनी
थकान

अस्थमा के लिए कुछ होम्योपैथिक दवाएं :
Arsenicum Album 30ch की 2-2 बुँदे, दिन में 3 बार ( २ बुँदे सवेरे, २ बुँदे दिन में, २ बुँदे शाम को )
Blatta Orientalis Q की २० बुँदे, दिन में ३ बार आधे कप गुनगुने पानी के साथ (२० बुँदे सवेरे, २० बुँदे दिन में, २० बुँदे शाम को )
ADEL 10 की १५-२० बुँदे, दिन में ३ बार आधे कप गुनगुने पानी के साथ (२० बुँदे सवेरे, २० बुँदे दिन में, २० बुँदे शाम को )
साथ ही तली भुनी चीज़ो का सेवन न करें और ज्यादा मसालेदार खाना न खाये, भाँप लें और व्यायाम या योग करें ।