क्या आप एलर्जी के परेशान है?

आमतौर पर एलर्जी होने का कोई मौसम नहीं होता है, लेकिन गर्मियों में तेज धूप और उमस के कारण एलर्जी के मामले काफी बढज़ाते हैं। इस मौसम में वायु हल्की होने के कारण तेज चलती है, जिससे परागकण, धूल, मिट्टी और दूसरे प्रदूषक अधिक मात्रा में एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंच जाते हैं। एलर्जी वास्तव में हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता का ऐसा असर है। जिस पदार्थ या रसायन की वजह से शरीर में एलर्जी होती है उसे एलर्जेन कहा जाता है और एलर्जेन्स कहीं भी पाए जा सकते हैं। भोजन, पेय पदार्थों से लेकर पेड़. पौधों और यहां तक कि दवाओं में भी इन्हें देखा जा सकता है। ज्यादातर एलर्जेन हानिकारक नहीं होते है। लेकिन जिनका शरीर एलर्जेन्स के प्रति संवेदनशील होता है, उनके लिए एलर्जी की समस्या बेहद घातक हो सकती है।

एलर्जी के लक्षण-

उल्टी और दस्त की समस्या एलर्जी के लक्षण।
भूख न लगना एलर्जी के लक्षण।
मुंह, गला, आंख, त्वचा में खुजली एलर्जी के संकेत।
पेट में दर्द एलर्जी के लक्षण।
रक्त का दबाव कम होना एलर्जी के लक्षण।

आइये जानते एलर्जी किन-किन चीजों से होती है-

डेयरी उत्पाद, मूंगफली, मक्का, अंडा, मछली, सोयाबीन आदि से एलर्जी होती है।
टेट्रा साइक्लीन, पेनिसिलिन, डिलानटिन, सल्फोनामाइड्स आदि से एलर्जी होती है।
परागकण, फफूंद, धूल, आद्र्रता आदि से एलर्जी होती है।
कुत्ते और बिल्ली समेत अनेक पालतू जानवर आदि से एलर्जी होती है।
कोबाल्ट, निकिल, क्रोमियम समेत अनेक रसायन आदि से एलर्जी होती है।

होम्योपैथिक उपचार-

पहले किसी भी उपचार पद्धति में एलर्जी का स्थायी उपचार नहीं था, लेकिन अब होम्योपैथिक में उपचार उपलब्ध है, जिसके द्वारा एलर्जी को जड़ से दूर किया जा सकता है। हम होम्योपैथिक विधि से एलर्जी का बेहतर उपचार कर सकते है। अधिक जानकारी के लिए आप होम्योपैथिक डॉक्टर से संपर्क कर इस बीमारी का उपचार कर सकते है।

बदन दर्द से है परेशान तो ये होम्योपैथिक उपाय

लोगों में अक्‍सर बदन दर्द की शिकायत रहती है। ऑफिस में शाम तक आप बहुत ही थका हुआ महसूस करने लगते है। इसके पीछे की वजह दिन भर की थकान मानी जाती है और लोग बदन दर्द की टेबलेट कही जाने वाली कोई दवा लेकर इसे अनदेखा कर देते हैं। इसके बाद थोड़े दिनों में बुखार और बदन दर्द की दवा लेते हैं या शरीर दर्द की दवा आपके बैग में हमेशा रहती है। कई अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि अवसाद व्यक्ति के दिमाग में दर्द पैदा करने वाले हिस्सों को ऐक्टिव कर देता है, जिससे मसल्स पेन, जाइंट पेन, चैस्ट पेन, हैडेक आदि हो सकता है।

बदन दर्द के कारण-

अगर आपको फ्लू है।
थायरॉइड भी शरीर में थकान पैदा करता है।
अगर आपका ब्‍लड प्रेशर का सामान्‍य न हो।
तनाव भी बॉडी में दर्द का एक कारण है।
विटामिन डी की कमी भी बदन दर्द होता है।
देर बैठने का काम करने से।
गलत तरीके से वजन उठाने से।
बहुत ज्‍यादा व्‍यायाम करना।

लक्षण-

लंबे समय तक कंप्यूटर अथवा मोबाइल पर काम करने से
पोस्चर भी ठीक नहीं रखते।
कमर दर्द और गरदन में दर्द की समस्या।
दिन-रात बिस्तर में दुबके रहना
शरीर और जोड़ों में दर्द

उपाय-
अक्सर लोगों में लगातार घर-ऑफिस में काम करने को लेकर बदन दर्द की शिकायत रहती है। वह अपने इस दर्द से छुटकारा पाने के लिए कई तरह के जुगत में लगा रहता है। अगर आप भी बदन दर्द से परेशान है तो डॉक्टर से सलाह लेकर होम्योपैथिक विधि से उपचार करें। अगर आपको किसी तरह की दिक्कत या परेशानी हो तो आप ऊपर दिये गये वीडियो को देखकर बदन दर्द की समस्या से छुटकारा पा सकते है।

पेट में गैस की समस्या

गैस की समस्या अब आम हो गई है क्यों आजकल का खान-पान ऐसा हो गया है कि पेट में गैस बनना, एसिडिटी जैसी बीमारियों को जन्म देता हैं। सर्दियों में तो खासतौर पर हम तरह-तरह की तली-भुनी चीजें हम खाते रहते हैं जिनसे एसिडिटी के रूपे में पेट में, सीने में या कई बार तो सिर में भी दर्द होता है। वही अगर आप ज्य़ादा खट्टा, तीखा, मसाले वाला खाना खाते है, देर रात तक जागते है, पानी कम पीते है, गुस्सा, चिंता, बहुत देर तक एक ही जगह बैठे रहने आदि से गैस बनने लगती है। कुछ दाल व सब्जयि़ां भी ऐसी होती हैं जो गैस बनाती हैं। ज्य़ादा चाय पीने से भी गैस बनती है। इसके लिए ये घरेलू नुस्खे आपके काम आ सकते हैं। लेकिन होम्योपैथिक विधि आपके लिए कारगार साबित हो सकती है।

आइये जानते है गैस के लक्षण-
अगर आपकों भूख नहीं लग रही है।
अगर आपकी सांसें बदबूदार आ रही है और पेट में सूजन है।
अगर आपकों दस्त और या उलटी हो।
अगर आपका पेट फूल रहा हो।

पेट में गैस बनने के कारण –
अत्यधिक भोजन करना भी पेट में गैस का कारण है।
बैक्टीरिया का पेट में ज्यादा उत्पादन होनापेट में गैस का कारण है।
भोजन करते समय बातें करना पेट में गैस का कारण है।
पेट में अम्ल का निर्माण होना पेट में गैस का कारण है।
किसी-किसी को दूध के सेवन से भी गैस की समस्या हो सकती है।
अधिक शराब पीना से पेट में गैस का कारण है।
मानसिक चिंता या स्ट्रेस पेट में गैस का कारण है।

आइये जानते है इसके उपाय-

गैस की समस्या से हर कोई परेशान है। ऐसे में लोग तुंरत इससे छुटकारा चाहते है। सबसे पहले आपकों अपना खानपान और दिनचर्या बदलनी होगी। इसे अलावा आप डॉक्टर की सलाह पर होम्योपैथिक उपचार कर सकते है।

हथेली पर पसीने से है परेशान

पसीना आने के कई कारण हो सकते है। अक्सर हमारे शरीर के कुछ अंगों में अधि‍क पसीना आता है लेकिन हथेली और तलवों में हर किसी को पसीना नहीं आता। अगर आप भी हथेली में पसीना आने से परेशान है तो यह जानकारी आपके लिए खास हो सकती है। समान्य: तापमान पर भी हथेली और तलवों में पसीना आना बिल्कुल सामान्य प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह किसी स्वास्थ्य समस्या का सूचक भी हो सकता है। सामान्य या कम तापमान पर भी पसीना आना और खास तौर से हथेली व पैर के तलवों में पसीना आने की यह समस्या हाइपरहाइड्रोसिस नामक बीमारी भी हो सकती है। हालांकि कभी-कभी ऐसा होना सामान्य हो सकता है, लेकिन अक्सर इस तरह से पसीना आना हाइपरहाइड्रोसिस की बीमारी से है।

आइये जानत है इसके कारण-

हाइपरहाइड्रोसिस से पीडि़त लोगों में पसीने की ग्रंथियां अधिक सक्रिय हो जाती हैं। इसी कारण पसीना आने लगता है। इसका मुख्य कारण स्वेट ग्लैंड यानी पसीने की ग्रंथियों में गड़बड़ी तनाव, गर्भावस्था, धूम्रपान, रजोनिवृत्ति, मोटापे, कुछ दवाओं के असर और कैफीन युक्त चीजों या फिर मसालेदार भोजन के अधिक करने से हो सकती है। वही अगर किसी अन्य कारण व किशोरावस्था में शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलाव भी पसीने की समस्या बढ़ा सकते हैं। चिंता, डर व तनाव आदि में भी ज्यादा पसीना आता है।

हाइपरहाइड्रोसिस के लक्षण-
जिस इंसान को हाइपरहाइड्रोसिस बीमारी हो जाती है, उसे बिना किसी तनाव या घबराहट के भी बहुत ज्यादा पसीना की समस्या होती है। गर्मी न हो तब भी ऐसा महसूस होता है। अगर बहुत गर्मी लग रही है, खूब पसीना निकलता है। इस बीमारी के मरीज को इतना पसीना आने लगता है कि उसके कपड़े गीले दिखाई देने लगते हैं। इस बीमारी में सबसे ज्यादा पसीना अंडरआर्म, माथा, हथेलियां, पांव और प्राइवेट पार्ट से निकलता है।

आइये जानते है इसके उपाय-
हाइपरहाइड्रोसिस बीमारी से छुटकारा पाने के लिए सर्जरी बेहतर भी कर सकते है। अगर आप यह नहीं करना चाहते है तो होम्योपैथिक दवा आपके लिए बेहतर साबित हो सकती है। आप किसी अच्छे डॉक्टर की सलाह लेने के बाद होम्योपैथिक विधि से अपना उपचार कर सकते है। अधिक जानकारी के लिए आप ऊपर दिये गये डॉ. एनसी पाण्डेय का वीडियो देख सकते है। जिसमें पूरी जानकारी दी गई है।

गले में दर्द, खरास और चुभन की समस्या

अगर आपके गले में दर्द, खरास और चुभन की समस्या है तो आप होम्योपैथिक विधि से इसका उपचार करा सकते है। मौसम के बदलाव के चलते प्रदूषण की मात्रा बढ़ती है ऐसे में गले में दर्द, खरास और चुभन की समस्या लोगों में देखने को मिलती है। लेकिन कई बार यह बैक्टीरिया और वायरस की देन भी होती है। गले का दर्द बहुत ही बीमारियों का लक्षण भी हो सकता है। जब किसी व्यक्ति को बुखार, सर्दी-जुकाम, कान दर्द, गले या मुंह के कैन्सर जैसी गंभीर बीमारी होती है तो उसे भी गले का दर्द होता है। ऐसे में लोगों को गर्म पानी का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करना चाहिए। इस समस्या से निजात पाने के लिए होम्योपैथिक विधि से उपचार कर सकते है।

गले में दर्द के कारण-

खसरा की समस्या
सामान्य जुकाम का होना।
स्ट्रेप गला
डिपथेरिया
काली खांसी या बूथिंग कफ.
चिकन पॉक्स वेरिसेला

आइये जानते है इनके लक्षण

गले में खुजली व खरास होना।
निगलने व बोलते समय दर्द महसूस करना।
दर्द के कारण बुखार भी रहता है।
बार-बार छींकना।
खांसी का होना।
आवाज में कर्कशता आना।
आवाज धीमी होना।
सांस लेने में तकलीफ होना।
खाद्य पदार्थों को निगलने में कठिनाई होना।
गले का सूखना।
गर्दन की ग्रन्थियों में सूजन आना।
टॉन्सिल में सूजन होना।
कान के निचले भाग में भी दर्द रहता है।

आप गले में दर्द का उपचार होम्योपैथिक विधि से कर सकते है। इसके लिए आपको चिकित्सक से सलाह लेने के बाद होम्योपैथिक दवाओं का इस्तेमाल करना होगा जिसके बाद आपको इस बीमारी से छुटकारा मिल सकता है। अधिक जानकारी के लिए आप ऊपर दिये वीडियो में क्लीक कर पूरी जानकारी ले सकते है।

बार-बार पेट दर्द से परेशानी

कभी-कभार खाने पीने या गैस की वजह से पेट में दर्द होना सामान्य हो सकता है, लेकिन अगर बिना वजह आपके पेट के किसी विशेष हिस्से में दर्द हो रहा है, तो यह किसी बीमारी की तरफ इशारा करता है। समय-समय पर खाने या पीने के बाद पेट में गड़बड़ी, अपच, दर्द या ऐंठन का अनुभव करता है।अगर आपकों पेट दर्द की शिकायत लंबे समय से है। ये दर्द कम या तेज हो सकता है। इसकी जगह भी पेट में दाएं या बाएं किनारे हो सकती है। पेट में दर्द आम से लेकर गंभीर स्थिति के हो सकते है।आप होम्योपैथिक विधि से पेट दर्द का उपचार कर सकते है।

सबसे पहले जानते है पेट दर्द के कारण-

कभी-कभी जब हम ज्यादा भोजन करने है तो पेट दर्द हो जाता है।
ज्यादा पानी पीने से भी पेट दर्द हो जाता है।
तेल, मिर्च मसाला वाला खाना अधिक समय तक खाने से पेट दर्द हो जाता है।
अगर आप गंदा पानी पी रहे है तो पेट दर्द हो जाता है।
े पिज्जा, बर्गर, समौसा आदि ज्यादा खाने से पेट दर्द हो जाता है।
अगर आप खाली पेट अधिक समय तक काम कर रहे है तो पेट दर्द हो जाता है।
बासी खाना खाने से पेट दर्द हो जाता है।

पेट दर्द के लक्षण-
पेट दर्द और वजन का गिरना।
पेट दर्दऔर भूख कम लगाना।
पेट दर्द और बुखार आना।
पेट का दर्द और पीठ की तरफ आ जाना।
पेट दर्द और खाना एकदम कम हो जाना।
पेट दर्द और माहवारी चढ़ जाना।
पेट दर्द और कमजोरी महसूस होना।
पेट दर्द और मल का काला होना।

होम्योपैथिक उपचार

अगर आप लंबे समय से पेट दर्द की शिकायत से परेशान है तो आपकों घबराने की कोई जरूरत नहीं है। आप डॉक्टर की सलाह से होम्योपैथिक विधि से उपचार कर सकते है। इसके अलावा डॉक्टर से उचित सलाह ले।

सिर में दर्द से है परेशान

अक्सर लोगों को सिर दर्द की शिकायत रहती है। सिरदर्द मुख्य रूप से तनाव, अत्यधिक शारीरिक और मानसिक परिश्रम, अपर्याप्त नींद और भूख, शोरगुल और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के अधिक प्रयोग के कारण हो सकता हैं। सिरदर्द कई प्रकार का होता हैं और उनमें से प्रत्येक के अपने विशिष्ट कारण, लक्षण और उपचार के विकल्प होते हैं। भिन्न सिरदर्दों का संबंध उनकी विशिष्ट लोकेशन के साथ भी होता हैं। अत्धिक तनाव सिरदर्द जैसी अत्यंत आम प्रकार के सिर दर्द पूरे सिर को प्रभावित कर सकते हैं हैं जबकि अन्य गुच्छा अथवा साइनस सिरदर्द जैसे सिरदर्द एक विशिष्ट क्षेत्र को ही प्रभावित करते हैं। अगर आप भी सिरदर्द से परेशान रहते है तो होम्योपैथिक विधि से इसका बेहतर उपचार कर सकते है।

आइये जानते है सिरदर्द के कारण-

तनाव से सिरदर्द होता है।
अगर आपके मन व शरीर में थकावट हो तो सिरदर्द होता है।
असंतुलित शारीरिक तंत्र सिरदर्द होता है।
सिर में अल्प रक्त प्रवाह के चलते सिरदर्द होता है।
नींद पूरी न होने पर सिरदर्द होता है।
अत्यधिक शोर के चलते सिरदर्द होता है।
ज़रूरत से ज़्यादा सोचने से सिरदर्द हो सकता है।

यह भी पढ़े-क्या आप गठिया रोग की परेशानी से जूझ रहे हैं?

ये है सिरदर्द के लक्षण-

सिर के एक ओर टीस मारने वाला दर्द इसका लक्षण है।
आपके सिर पर सामान्य से अत्यधिक दर्द का होना
धुंधली दृष्टि, टिमटमाती रोशनियां दिखना सिरदर्द का कारण।
रोशनी, सुगंधों अथवा ऊंचे शोर के प्रति संवेदनशीलता में बढ़ोतरी
चक्कर आना सिर दर्द का बड़ा कारण है।
जी मिचलाना अथवा उल्टी आना सिरदर्द के कारण है।

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होम्योपैथिक उपचार-

सिर दर्द को ठीक करने के लिए आप पर्याप्त मात्रा में पानी पियें। इसके अलावा योग और ध्यान करने के अभ्यास के बाद भी कभी-कभी हमें सिरदर्द हो सकता है। सिरदर्द से मुक्ति के लिए आप होम्योपैथिक विधि से अपना उपचार बड़ी आसानी से कर सकते है। इसके लिए आपको चिकित्सक से सलाह लेकर दवाइयों का सेवन करना होगा। जिसके बाद आपकों सिर दर्द से छुटकारा मिल सकता है। पूरी जानकारी के लिए आप ऊपर दिये गये वीडियो को देखकर सिरदर्द से छुटकारा पा सकते है।

क्या आप गठिया रोग की परेशानी से जूझ रहे हैं?

बुजुर्गो में गठिया रोग एक आम बीमारी है। यह बीमारी दिनों दिन बढ़ती जा रही है। शरीर के जोड़, घुटने, कूल्हे, कंधे या फिर पूरे शरीर में बिना किसी वजह से दर्द और सूजन हो तो सतर्क हो जाएं। गठिया बहुत सामान्य समस्या है जो आपके सामने कई रूपों में आ सकती है। कभी-कभी तकलीफ हो जाती है। गठिया के पीछे सबसे बड़ी वजह है, शरीर में यूरिक एसिड का बढ़ जाना। आप होम्योपैथिक विधि से इसका उपचार कर सकते है। इसके लिए आपको किसी अच्छे चिकित्सक से सलाह लेनी की जरूरत है।

गठिया के लक्षण-

आपके पीठ, जोड़ों या मांसपेशियों में दर्द।
मांसपेशियों की कठोरता, सूजन और कोमलता।
थकान महसूस।
त्वचा पर रेश या लाली का आना।
उंगली जोड़ों पर सूजन आना।
त्वचा पर शारीरिक विकृति, पिन और सुइयों की सनसनी है।

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गठिया से बचने के उपाय-

जोड़ों में जरा सा भी दर्द, शरीर में हल्की अकडऩ है तो भी सबसे पहले डॉक्टर को दिखाएं।
दिनचर्या नियमित रखें।
डॉक्टर की सलाह पर नियमित व्यायाम करें।
नियमित मालिश करें।
सीढयि़ां चढ़ते समय, घूमने-फिरने जाते समय छड़ी का प्रयोग करें।
घुटने के दर्द में पालथी मारकर न बैठें।

रूथेटोइड गठिया वाले लोगों में एरिथ्रोसाइट-अवसादन दर या सी प्रतिक्रियाशील प्रोटीन अधिक है। यह शरीर में सूजन की उपस्थिति की ओर इशारा कर सकता है। इसके उपचार के लिए चिकित्सकों से सुझाव ले। चिकित्सक जोड़ों पर दबाव को कम करने के लिए दैनिक कार्यों को करने के तरीकों का सुझाव दे सकते हैं। आप होम्योपैथिक विधि से इसका उपचार कर सकते है। अगर आपको होम्योपैथिक से उपचार में किसी तरह की परेशानी हो तो आप होम्योपैथिक चिकित्सा के विशेषज्ञ डॉ. एनसी पाण्डेय से संपर्क कर अपनी समस्या का समाधान कर सकते है।

त्वचा पर सफेद दाग का होना

विटिलिगो (ल्यूकोडर्मा) एक प्रकार का त्वचा रोग है। इस बीमारी को समाज में कलंक के रूप में भी देखा जाता है। विटिलिगो किसी भी उम्र में शुरू हो सकता है, लेकिन विटिलिगो के आधा से ज्यादा मामलों में यह 20 साल की उम्र से पहले ही विकसित हो जाता है। आपको बता दें कि विटिलिगो एक प्रकार का त्वचा विकार है, जिसे सामान्यत ल्यूकोडर्मा के नाम से जाना जाता है। इसमें शरीर की स्वस्थ कोशिकाएं प्रभावित होती हैं। इस बीमारी का क्रम बेहद परिवर्तनीय है। हालांकि कुछ रोगियों में घाव स्थिर रहता है, बहुत ही धीरे-धीरे बढ़ता है, जबकि कुछ मामलों में यह रोग बहुत ही तेजी से बढ़ता है और कुछ ही महीनों में पूरे शरीर को ढक लेता है। वही कुछ मामलों में, त्वचा के रंग में खुद ब खुद पुनर्निर्माण भी देखा गया है।

सफेद दाग के कारण-

फैमिली हिस्ट्री, यानी अगर माता-पिता सफेद दाग से पीडि़त रहे हैं तो बच्चों में इसके होने की आशंका रहती है।
यह बीमारी, जिसमें छोटे-छोटे गोले के रूप में शरीर से बाल गायब होने लगते हैं।
स्किन का रंग बदलना शुरू कर देता है।
खराब क्वॉलिटी की चिपकाने वाली बिंदी या खराब प्लास्टिक की चप्पल इस्तेमाल करने से।
ज्यादा केमिकल एक्सपोजर यानी प्लास्टिक, रबर या केमिकल फैक्ट्री में काम करने वाले लोगों को खतरा ज्यादा होता है।
कई बार शरीर में जरूरी मात्रा में विटामिन्स व मिनरल्स की कमी से भी सफेद दाग की समस्या हो जाती है।
कई बार किसी फंगल संक्रमण
लीवर रोग।
जलने या चोट लगने से हो सकता है।
पाचन तंत्र खराब होने के कारण।
शरीर में कैल्शियम की कमी के चलते
बच्चों के पेट में कृमि।

पेशाब में झाग आना बीमारी का संकेत

सफेद दाग के घरेलू उपचार-

बथुए का पत्तियां लगाये या सब्जी खाये।
ऐलोवेरा जेल लगाये।
सरसों तेल का इस्तेमाल।
नीम की पत्ती।
अदरक।
छाछ।

होम्योपैथिक उपचार-

अगर आप सफेद दाद से सफेद दाग से परेशान है तो आप इसे होम्योपैथिक उपचार द्वारा खत्म कर सकते है। चिकित्सक के सलाह पर आप होम्योपैथिक दवाइयों का उपयोग कर इस बीमारी से मुक्ति पा सकते है। अगर आपको होम्योपैथिक से उपचार में किसी तरह की परेशानी हो तो आप होम्योपैथिक चिकित्सा के विशेषज्ञ डॉ. एनसी पाण्डेय से संपर्क कर अपनी समस्या का समाधान कर सकते है।

पेशाब में झाग आना बीमारी का संकेत

लोग पेशाब में झाग आने को नजरअंदाज कर देते हैं। हालांकि पेशाब में झाग आना एक आम बात है। लेकिन अगर पेशाब में झाग या बुलबुले आने लगे तो यह कोई सामान्य बात नहीं है। अगर आपके पेशाब में ऐसी कोई समस्या हो तो इसे नजरअंदाज न करें। पेशाब में झाग या बुलबुले आना व्यक्ति के शरीर में किसी भीतरी गड़बड़ी का संकेत है। इसका साफ कारण है कि आपके शरीर में सब कुछ सही नहीं चल रहा है। इसके कई कारण हो सकते हैं और इसके कई नुकसान भी हो सकते हैं। अगर आपके पेशाब में बुलबुले बनना लगातार कई दिनों तक हो रहा है तो ये किसी रोग की वजह से हो सकता है। पेशाब में झाग आना किडनी की किसी खराबी का लक्षण भी हो सकता है इसलिए डॉक्टर को सभी लक्षण जल्द बता देने चाहिए।

विज्ञान की माने तो पेशाब में प्रोटीन आना भी एक बीमारी है जिससे पेशाब में झाग बनने लगता है। अगर आपके पेशाब में लगातार झाग आने के साथ ही ये लक्षण भी दिख रहे हो तो तुरंत चिकित्सक से सलाह लें। पेशाब में झाग आना किस प्रकार की गंभीर बीमारी का संकेत है।

आइये जानते है क्या है ये बीमारियां-

हाथ, पैर, पेट और चेहरे में सूजन का आना।
आपको थकान महसूस होना।
अक्सर भूख न लगना।
जी मिचलाना या फिर उलटी आना।
सोने में दिक्कत होना।
पेशाब मेंं गाज या धुंधला रंग का आना।

पेशाब में झाग आने के कारण-

अक्सर गर्भवती महिला की किडनी बढ़ जाती है जिससे पेशाब में बुलबुले आने लगते है।
डिहाईड्रेशन यानि शरीर में पानी की कमी से भी पेशाब में झाग आने लगता है।
कई बार हम बहुत प्रेशर से या तेजी से पेशाब करते है ऐसे में टॉयलेट में झाग बन जाता है। यह झाग तुरंत ही खत्म हो जाता है। ऐसे में कोई चिंता की बात नहीं है।

होम्योपैथिक उपचार-
अगर आप भी पेशाब में झाग आने से परेशान है तो घबराये नहीं, होम्योपैथिक विधि से आप इसका बेहतर इलाज कर सकते है। होम्योपैथिक विधि से इलाज करने पर आपकी यह समस्या जड़ से खत्म हो जायेंगी। अगर आपको होम्योपैथिक से उपचार में किसी तरह की परेशानी हो तो आप होम्योपैथिक चिकित्सा के विशेषज्ञ डॉ. एनसी पाण्डेय से संपर्क कर अपनी समस्या का समाधान कर सकते है।