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फेफड़ों में पानी भरना

कभी यह भी सुनने में आता है कि छाती में नली डलवाकर पानी पूरा निकलवाना। किसी मरीज की छाती से एक बार पानी पूरा निकलवा देने के बाद भी दोबारा से पानी भर गया जिसे फिर से निकलवाना पड़ा। कभी यह भी सुनने में आया होगा कि किसी व्यक्ति की छाती में बार-बार पानी का जमाव हो जाता है और फेफड़े पर दबाव की वजह से साँस फूलने लगती है। फेफड़े और छाती की दीवार के बीच खाली जगह होती है जिसमें फेफड़ा स्वतंत्र रूप से सांस लेने के समय नियमित रूप से फैलता और सिकुड़ता है। इस खाली जगह को मेडिकल भाषा में प्ल्यूरल स्पेस कहते हैं। सामान्यत: फेफड़े की ऊपरी सतह से पानी नियमित रूप से रिसता रहता है, कभी-कभी पानी पेट से भी छेदों के जरिये छाती के अन्दर पहुँचता रहता है।

फेफड़ों में पानी भरने के लक्षण-

शाम को बुखार तेज आना
वजन में गिरावट
साँस फूलना
साँस लेने में छाती में दर्द होना
बलगम का आना

आइये जानते है फेफड़ों में पानी भरने के कारण-

स्वस्थ व्यक्ति में फेफड़े की ऊपरी सतह से पानी का नियमित रिसाव जारी रहता है, कभी-कभी यह पानी पेट से भी छिद्रों के जरिये छाती के अंदर पहुंचता है। छाती की अंदरूनी दीवार इस रिसाव से जमा हुए अतिरिक्त पानी को सोखकर बैलेंस बनाती है। जब व्यक्ति टीबी, कन्जेस्टिव हार्ट फेलियर, लीवर सिरोह्सिस, पुलमोनरी इम्बोलिज्म, ओपन हार्ट सर्जरी के कॉम्प्लीकेशन, निमोनिया, गंभीर किडनी डिसीस और लूपस तथा रह्यूमेटाइड आर्थराइटिस इत्यादि बीमारियों में से किसी से पीडि़त होता है तो इस अतिरिक्त पानी को सोखने की प्रक्रिया बाधित होती है।

होम्योपैथिक उपचार-

अगर आप भी फेफड़ों में पानी भरने की समस्या से जूझ रहे है तो आप होम्योपैथिक दवाओं के सेवन से इस समस्या से छुटकारा पा सकते है। आप अपने नजदीकी होम्योपैथिक डॉक्टर से संपर्क कर फेफड़ों में पानी भरने की समस्या से छुटकारा पा सकते है। और होम्योपैथिक दवाइयों का उपयोग करें तो इन बीमारियों से बच सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए आप साहस होम्योपैथिक क्लीनिक के विशेषज्ञ डॉ. एनसी पाण्डेय से संपर्क कर सकते है।