माहवारी बंद होने के बाद समस्या
मेनोपॉज यानी पीरियड्स का बंद होना एक स्वाभाविक शारीरिक बदलाव है। लेकिन अगर मेनोपॉज समय से पहले हो जाए तो क्यों होता है ऐसा और इसका असर अपनी जिंदगी पर कैसे कम से कम होने दें। आमतौर पर 40 या 50 वर्ष की आयु के बाद महिलाओं में मेनोपॉज आता है। मेनोपॉज यानी मासिक धर्म का बंद हो जाना। कुछ महिलाओं को 30 से 40 वर्ष के बीच में मेनोपॉज की स्थिति आ जाती है। इस स्थिति को प्री-मेनोपॉज कहते हैं। समय पूर्व मेनोपॉज बाहरी तत्वों जैसे कीमोथेरेपी, आनुवंशिक बीमारियों, रेडिएशन थेरेपी, सर्जरी, ऑटो-इम्यून बीमारी, धूम्रपान और जेनिटल टीबी की वजह से भी हो सकता है।
आइये जानते है माहवारी बंद होने के लक्षणों को-
सामान्य मासिक धर्म से अलग लग रहा है तो डॉक्टर से संपर्क करें।
बुखार आने के लक्षण भी इसके संकेत है।
मलती आना भी लक्षण है।
उल्टी आना भी बड़ा संकेत है।
सात दिन से अधिक ब्लीडिंग होने से।
माहवारी बंद होने शरीर पर असर-
माहवारी बंद होने से एस्टोजेन हारमोन बनना बंद हो जाता है।
30-35 वर्ष तक हड्डियां बनती हैं फिर धीर-.धीरे हड्डियां बनाने की प्रक्रिया में कमी आने लगती हैं।
महिलाओं को जागरूक रहना होगा।
मौसमी फल, पौष्टिक आहार, दूध के सेवन से करना चाहिए।
विटामिन डी की दवा सेवन से भी लाभ होगा।
हड्डियों की जांच भी कराने से उनकी मजबूती की जानकारी मिलती है।
होम्योपैथिक उपाय-
माहवारी बंद होने के बाद आप समस्या से जूझ रहे है तो इससे बचने के लिए खूब सारा पानी और अन्य तरल पदार्थ पिएं। इसे अलावा आप होम्योपैथिक विधि से अपना उपचार कर सकते है। अधिक जानकारी के लिए आप ऊपर दिये गये वीडियो पर क्लीक कर पूरी जानकारी देख सकते है। इससे आपको बेहतर उपचार मिल सकता है।