Psoriasis

सोरायसिस

सोरायसिस त्वचा या चर्म रोग हैं जो त्वचा की ऊपरी सतह पर होता है। सोरायसिस को एक संकर्मित रोग भी कहा गया हैं ये एक वंशानुगत बीमारी है लेकिन यह कई अन्य कारणों से भी हो सकता है। सोरायसिस में त्वचा पर एक मोटी परत जम जाती है। त्वचा पर सोरायसिस की बीमारी सामान्यतः हमारी त्वचा पर लाल रंग की सतह के रूप में उभरकर आती है और स्केल्प (सिर के बालों के पीछे) हाथ-पांव अथवा हाथ की हथेलियों, पांव के तलवों, कोहनी, घुटनों और पीठ पर अधिक होती है। यह बीमारी कभी भी किसी भी उम्र में और किसी को भी हो सकती है। । गर्मियों की तुलना में सर्दियों के मौसम में यह बीमारी ज्यादा होती है। सोरायसिस को छाल रोग भी कहा जाता है, इसमें त्वचा पर लाल दाग पड़ जाते हैं, कई बार इस रोग से पहले त्वचा पर बहुत अधिक खुजली होने लगती है।

सोरायसिस के कारण :
सोराइसिस के वैसे तो कई सामन्य या मुख्य कारण नहीं हैं, लेकिन देखा गया हैं की सोरायसिस अनुवांशिक कारण से मुख्य रूप से होता हैं.
इसके साथ ही बैक्टीरिया संक्रमण के कारण , जरूरत से ज्यादा ब्यूटी प्रोडक्ट का उपयोग, तनाव और पोषण युक्त आहार की कमी के कारण।

सोराइसिस के लक्षण:
सोरायसिस में त्वचा पर कई लक्षण दिखाई देते है जैसे त्वचा का लाल होना, त्वचा में खुजली, सूजन और त्वचा खुष्क होना, कभी कभी तो त्वचा से खून भी निकलने लगता है.
त्वचा की छाल निकलना, और त्वचा में धब्बे बनना।
सोरायसिस के कारण गठिया रोग होने का खतरा रहता हैं

सोरायसिस का होम्योपैथिक उपचार :
Azadirchata Q की 10 बुँदे, दिन में 3 बार (१० बुँदे सवेरे, १० बुँदे दिन में, १० बुँदे शाम को )
Natrum Sulp 6x , की ६ गोली दिन में ३ बार लें, (६ गोली सवेरे, ६ गोली दिन में, ६ गोली शाम को )
साथ ही azadirchata q को नारियल के तेल के साथ मिला कर प्रभावित स्थान पर लगाए।

सोराइसिस होने पर इन दवाओं का सेवन करें और अपना टॉवल कपडे और कंघा किसी को न दे न ही किसी और का सामान उपयोग करें। साथ ही खूब पानी पिए और अपने आहार में फलों और सब्जियों को शामिल करें,
ध्यान दे – दवाओं का सेवन बताई गयी विधि और मात्रा में ही करें, आप किसी अन्य बीमारी से ग्रस्त हैं तो दवाओं का उपयोग करने से पूर्व अपने निकटतम विश्वसनीय होमोपथिक विशेषज्ञ से जरुर परामर्श कर लें।

Headache

सर दर्द

ऊपरी सिर, गर्दन या कभी-कभी पीठ के उपरी भाग के दर्द की अवस्था को सर दर्द कहा जाता हैं , सर में दर्द होना कोई रोग नहीं बल्कि किसी रोग का लक्षण है, वैसे सर दर्द के कई कारण हैं जैसे माइग्रेन का सर दर्द , आंखे कमजोर होने की वजह से होने वाला सरदर्द आदि. सुबह-सुबह सिर दर्द के साथ उठना मतलब पूरा दिन बर्बाद हो जाना. सिर दर्द एक बहुत सामान्य समस्या है पर कई बार ये इतना तेज होता है कि बर्दाश्त कर पाना मुश्‍क‍िल हो जाता है.यूं तो बाजार में कई तरह की दवाइयां मौजूद हैं जो सिर दर्द में राहत के लिए ली जाती हैं लेकिन हर बार दवाई लेना भी सही नहीं है. शरीर में बहुत अधिक बाहरी लवण का जाना दूसरी बीमारियों का कारण बन सकता है. कभी कभी उठने वाले सिर दर्द को नजरअंदाज किया जा सकता हैं परन्तु अगर सिर दर्द बार बार हो तो हो सकता है की ये किसी गंभीर बीमारी का लक्षण हो और ऐसे में आपको जल्द ही होम्योपैथिक चिकित्सक को दिखने की आवश्यकता होती हैं.

सिर दर्द के कारण:
सिरदर्द के कई कारण है , जिनमे से कुछ मुख्य कारण निम्न हैं :

मानसिक तनाव
माइग्रेन का सिर दर्द
अधिक समय तक धुप में घूमना
पूरी नींद न लेना
ब्रेन ट्यूमर
अधिक शराब का सेवन
हार्मोन्स के बदलाव के कारण
पीठ व गर्दन में दर्द के कारण
मिर्गी
मानसिक व शारीरिक थकावट
ज्यादा देर तक फ़ोन या लैपटॉप आदि का इस्तेमाल करना
जरुरत से ज्यादा सोचना
आँखों की दृष्टि का कमजोर होना आदि कई कारणों से सिर में दर्द होता हैं

सिर दर्द के लक्षण :

जानते हैं सिर में दर्द के कुछ सामान्य लक्षण
सिर के ऊपरी हिस्से में दर्द होना
सिर में दबाव पड़ना
नींद न आना
गर्दन या पीठ पर दर्द होना आदि लक्षण सिर दर्द में आम हैं

सिर दर्द के लिए होम्योपैथिक उपचार:
सबसे पहले आप Belladonna 30 में 2 बुँदे सुबह, दोपहर, शाम (अगर दर्द ज्यादा है तो आप इसे 6 बार भी ले सकते है )। इसके साथ आप B.C 12 इसे आप 4 गोली सुबह, दोपहर, शाम को तीन लें ( इसे भी आप दर्द ज्यादा होने पर 3 से 6 बार तक ले सकते है ), इसके साथ आप SBL कंपनी का Relaxhead tab, की 2 गोली सुबह, दोपहर, शाम को लें ।

सिर में दर्द होने पर इन होम्योपैथिक दवाओं का उपयोग सही मात्रा में और सही समय पर करें इन दवाओं से आपको सिर दर्द में बेहद लाभ मिलेगा। साथ ही सिर दर्द से बचने के लिए योग करे और तनाव न लें.

ध्यान दे – दवाओं का सेवन बताई गयी विधि और मात्रा में ही करें, आप किसी अन्य बीमारी से ग्रस्त हैं तो दवाओं का उपयोग करने से पूर्व अपने निकटतम विश्वसनीय होमोपथिक विशेषज्ञ से जरुर परामर्श कर लें।

Bone Fracture

बोन फ्रैक्चर जिसे हड्डी का टूटना भी कहा जाता हैं, जब शरीर की हड्डी में दरार पड़ जाती हैं या हड्डी खिसक जाती हैं उसकी बनावट में दरार पड़ जाती हैं तो उसे हड्डी का फ्रैक्चर कहा जाता हैं। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में रोजाना सुनने को आता हैं, रोड दुर्घटना के बारे में जो अक्सर हड्डियों के टूटने का कारण बन जाती हैं इसके साथ ही कही फिसल जाने के कारण, चक्कर आने के कारण या चोट लगने के कारण हड्डी खिसक जाती हैं। हड्डी टूटने के कारण बेहद दर्द होता है और सूजन आ जाती हैं साथ ही अंग हिलने में दिक्कत होती हैं. ज्यादातर हड्डिया टूटी है हड्डियों में दबाव पड़ने के कारण।

जानते हैं बोन फ्रैक्चर के कारण

हड्डी टूटने के कई कारण होते हैं. जिनमे कुछ कारण निम्न हैं:-
चोट लगने के कारण
फिसलने के कारण
कही ऊंचाई से गिरने के कारण
किसी सड़क दुर्घटना के कारण
ओस्ट्रोपेरोसिस के कारण
हड्डियों में दबाव पड़ने के कारण

जानते हैं बोन फ्रैक्चर के लक्षण

जानते हैं हड्डी टूटने के कुछ लक्षण :
हड्डी के फ्रैक्चर होने पर हड्डी के आसपास सूजन , दर्द, लाली आ जाती है
सूजन होने के साथ साथ उस जगह पर नीला भी पद जाता है
इसके अलावा हड्डी के टूटने पर कभी कभी हड्डी मांस के बाहर आ जाती है

जानते हैं बोन फ्रैक्चर का होम्योपैथिक उपचार

Calcarea Phos की ४ गोली , दिन में ३ बार (४ गोली सवेरे, ४ गोली दिन में, ४ गोली शाम को )
Symphytum Q, 10-15 बुँदे, दिन में ३ बार (१०-१५ बुँदे सवेरे, १०-१५ बुँदे दिन में, १०-१५ बुँदे शाम को)
Symphytum Plus, २० बुँदे, दिन में ३ बार (२० बुँदे सवेरे,२० बुँदे दिन में, २० बुँदे शाम को)

इन दवाओं को उचित मात्रा में सेवन और सही समय पर इन दवाओं का सेवन करने पर आपको बोन फ्रेक्चर में आपको आराम मिलेगा और हड्डी को मजबूती मिलेगी इसके साथ ही आप गाड़ी ध्यान से चलाये और हड्डी को मजबूत बनाने के लिए उचित मात्रा में कैल्शियम लें, पोषण युक्त आहार लें , और शारीरिक गतिविधियां करें।

ध्यान दे – दवाओं का सेवन बताई गयी विधि और मात्रा में ही करें, आप किसी अन्य बीमारी से ग्रस्त हैं तो दवाओं का उपयोग करने से पूर्व अपने निकटतम विश्वसनीय होमोपथिक विशेषज्ञ से जरुर परामर्श कर लें।

Burning Feet Syndrome

पैरों में जलन होना एक बहुत ही आम समस्या है और ये समस्या किसी भी व्यक्ति को किसी भी उम्र में प्रभावित कर सकती हैं । जलन की भावना हल्‍के से लेकर गंभीर और तीव्र या क्रोनिक प्रकृति की हो सकती है। अक्सर, पैरों में जलन तंत्रिका तंत्र में नुकसान , कमी, किसी रोग या शिथिलता के कारण होती है।
देखा ये भी गया है की जिन लोगों में विटामिन, कैल्शियम, फोलिक एसिड आयरन , या थाइरोइड की कमी होती है उनमे ये समस्या आम होती है इसके अलावा किसी गंभीर बीमारी के कारण भी पैरों में जलन होती हैं.
यह समस्या कभी-कभी मधुमेह, शराब के अधिक सेवन और विषाक्त पदार्थों के जोखिम के साथ भी जुड़ी होती है।

पैरों में जलन के कारण

तंत्रिका तंत्र की कमी व किसी नुकसान के कारण पैरों में जलन होती है. पैरों में जलन के कई कारण हैं जानते है इसके कुछ सामान्य कारण :
गुर्दे से जुड़ी बीमारी
रक्तचाप
किसी गंभीर बीमारी के कारण जैसे मधुमेह, किडनी की समस्या
विटामिन, कैल्शियम और आयरन की कमी
रक्त वाहिकाओं में संक्रमण
शराब, धूम्रपान या किसी नशीले प्रदार्थ का सेवन करने के कारण
दवाओं के दुष्प्रभाव के कारण

पैरों में जलन के लक्षण
पैरों में जलन होने पर व्यक्ति में कुछ लक्षण देखने को मिलते है जैसे :
पैरों में लाली , सूजन, जलन, झनझनाहट
शारीरिक कमजोरी
बदन में दर्द आदि लक्षण हाथ पैरों की जलन में दिखाई देते हैं

पैरों की जलन का होम्योपैथिक उपचार

पैरों की जलन होने पर कुछ होम्योपैथिक दवाओं का सेवन कर आप हाथ पाव की जलन से राहत पा सकते हैं.
Sulphur 6c, २ बुँदे सवेरे सवेरे निहार मुँह
Ferrum Metallicum 3x की 2 गोली दिन में 3 बार लें (२ गोली सवेरे, २ गोली दिन में, २ गोली शाम को )
Bio-Combination 1, ४ गोली दिन में ३ बार (४ गोली सवेरे, ४ गोली दिन में, ४ गोली शाम को )

इन दवाओं को उचित मात्रा में सेवन और सही समय पर इन दवाओं का सेवन करने पर आपको हाथ पाव की जलन में लाभ मिलेगा। साथ ही शराब का सेवन न करें और खाने में विटामिन की मात्रा बढ़ाये।

Cervical Spondylosis

सर्वाइकल का दर्द गर्दन की दर्द को कहा जाता हैं। गर्दन की हड्डी शरीर में उपयुक्त होने अली वाली एक महत्वपूर्ण हड्डी है। कभी कभी ये दर्द खुद ही ठीक हो जाता हैं लेकिन कभी कभी ये बिना डॉक्टर परामर्श व इलाज के बिना ठीक नहीं होता ये समस्या हड्डियों से जुडी हुई होती हैं और इस समस्या से हड्डियों में असहनीय दर्द होता हैं.
आज के दौर में अव्यवस्थित दिनचर्या और अनियमितताओं के कारण लगभग हर तीसरे व्यक्ति को सर्वाइकल की परेशानी सहनी पडती हैं। घंटों बैठे रहना, खराब पोश्चर, झुक कर बैठना और कई अन्य गलत आदतों की वजह से इस परेशानी का सामना बड़ी तादाद में लोगों को करना पड़ता है.

सर्वाइकल का दर्द के कारण :-
सर्वाइकल के दर्द के अनेक कारण हैं, जिनमे से कुछ कारण निम्न है, :-
बढ़ती उम्र के साथ सर्वाइकल का दर्द
किसी गंभीर बीमारी के कारण
किसी दुर्घटना के कारण हड्डियों में दर्द होना ‘
बैठने, उठने, सोने की गलत पोजीशन
गर्दन को झुका कर काम करना
शारीरिक व मानसिक तनाव
भारी वजन के हेलमेट का उपयोग करना
सोने के लिए ऊँचे या बड़े तकिये का इस्तेमाल
भरी सामान उठाने के कारण

सर्वाइकल का दर्द के लक्षण:-

सर्वाइकल दर्द के कई लक्षण देखे गए हैं जिनमे से कुछ सामान्य लक्षण निम्न हैं :-
शरीर में दर्द
चक्कर आना
सर में दर्द
उठने बैठने चलने या सोने में शरीर में दर्द
कमजोरी महसूस करना
मांसपेशियों में अकड़न
शरीर में ऐठन
शरीर के अंग का सुन्न हो जाना

सर्वाइकल के दर्द का होम्योपैथिक उपचार :-

Conium 30 की 5 बुँदे दिन में 3 बार, (5 बुँदे सवेरे, 5 बुँदे दिन में, 5 बुँदे शाम को )
Spondylitis की 5 गोली, दिन में 3 बार (5 गोली सवेरे, 5 गोली दिन में, 5 बुँदे शाम को )
Mag. Phos. 6x की 4 गोली , दिन में 3 बार (4 गोली सवेरे , 4 गोली दिन में, 4 गोली शाम को )
Theridon 30, चक्कर आने पर (4-4 गोली जल्दी-जल्दी लें)

सर्वाइकल के दर्द होने पर बताई गयी होम्योपैथिक दवाओं का सेवन करें, साथ ही भारी सामान न उठाये, बैठने चलने और सोने का सही तरीका अपनाये।

ध्यान दे – दवाओं का सेवन बताई गयी विधि और मात्रा में ही करें, आप किसी अन्य बीमारी से ग्रस्त हैं तो दवाओं का उपयोग करने से पूर्व अपने निकटतम विश्वसनीय होमोपथिक विशेषज्ञ से जरुर परामर्श कर लें।

Nightfall Treatement

स्वपनदोष

कई बार देखा गया हैं की अधिकतर पुरुष जब सवेरे उठते हैं तो उनको अपने अंडरवियर में चिपचिपा व गिला प्रदार्थ देखने को मिलता हैं ये स्वप्नदोष के कारण होता हैं
सोते समय स्वप्न में यौन क्रीड़ा या सेक्स संबंधी दृश्य देखने पर जननेन्द्रिय में उत्तेजना आती है और शुक्राशय में एकत्रित हुआ शुक्र निकल जाता है, इसे स्वप्नदोष (नाइट फाल) होना कहते हैं, स्वप्नदोष में व्यक्ति के दिमाग में कई तरह के यौन विषय उत्पन होते हैं जिस कारण उसका वीर्य निकल जाता हैं
यौन रोग विशेषज्ञों के मुताबिक़ नाईट फॉल अनेक कारणों से होता है जैसे हस्तमैतुन, मानसिक मैथुन, प्राकृतिक विरुद्ध मैथुन, अश्लील वातावरण और मादक चीज़ो का अधिक सेवन से नाईट फॉल हो जाता है।

स्वपन दोष के कारण
जानते हैं स्वप्न दोष के कुछ मुख्य कारण :-
ख़राब या मसालेदार खाना पीना
पेट में कब्ज
हार्मोन्स में बदलाव
विचारों में संयम नहीं कर पाना
साथी से दुरी के कारण
देर से शादी
मानसिक तनाव
यौन क्रीड़ा या सेक्स संबंधी कल्पनाएं

स्वप्नदोष के लक्षण
इस रोग के लक्षण वैसे तो कई है जो रोगी को महसूस होते है. चलिए जानते है कुछ सामान्य लक्षण:-
चेहरे का मुरझाना या चमक खत्म होना
शारीरिक कमजोरी , बैचनी
भूख न लगाना
नींद न आना
रात को नींद में वीर्य निकल जाना
कमर में दर्द
वीर्य में पतलापन
शीघ्रपतन
हाथ पैरों में जलन व कमजोरी जैसे लक्षण स्वप्नदोष में देखे जाते हैं

स्वप्नदोष का होम्योपैथिक उपचार :-
स्वप्नदोष का होमियोपैथी में कुशल उपचार उपलब्ध हैं. चलिए जानते हैं कुछ होम्योपैथिक दवाये जो स्वप्नदोष में काफी उपयोगी हैं.
Lycopodium Clavatus 30ch की २ बुँदे, दिन में ३ बार
Acidum Phosphoricum Q की 15 बुँदे, दिन में ३ बार लें
Bio-Combination 16 की 4 गोली, दिन में ३ बार लें

इन होम्योपैथिक दवाओं को समय से लें और दिमाग में अच्छे विचार लाये, इसके लिए आप योगा या ध्यान कर सकते हैं

Impotency Treatment

नपुंसकता

शारीरिक सम्बन्ध बनते समय कोई समस्या आये तो रिश्ते बिगड़ जाते है, और रिश्तो में तनाव आने लगता है। कई पुरुष एक बार के सेक्स में असफल हो जाने के कारण अपने आप को नपुंसक मानकर वे अपना मानसिक संतुलन खो बैठते हैं और वे अपने मन में नपुंसकता का डर पैदा करके बुरी तरह से बेचैन और तनाव से भर जाते हैं।
मेडिकल के अंदर नपुंसकता को इंपोटेंसी भी कह सकते हैं। इस रोग में व्यक्ति मन के अंदर सेक्स के बारे में गलत विचार बनाए रखने की वजह से अपनी स्त्री को पूरी तरह से संतुष्ट नहीं कर पाता है। इस समय में युवा पुरुष सबसे ज्यादा इंपोटेंसी जैसे रोग से ही पीड़ित हैं। दूसरी तरह की नपुंसकता को इनफर्टिलिटी यानि नपुंसकता कहा जा सकता है। इसके अंदर पुरुष अपनी स्त्री को संभोग क्रिया करके उनको संतुष्ट तो कर देगें मगर उन पुरुषों के वीर्य में शुक्राणुओं की मात्रा कम होने की वजह से या बिल्कुल भी न होने की वजह से वे संतान पैदा नहीं कर सकते हैं या वे संतान पैदा करने में नाकाम रहते हैं।

नपुंसकता के कारण व लक्षण
नपुंसकता के वैसे तो कई कारण व लक्षण हैं पर इसका कोई मुख्य कारण बता पाना थोड़ा मुश्किल हैं. चलिए जानते है कुछ सामान्य कारण व लक्षण :-
हार्मोन्स में बदलाव
बहुत जल्दी डिस्चार्ज हो जाना
सही तरीके से यौन क्रियाएं नहीं कर पाना
लिंग में कठोरता कम हो जाना या न हो पाना
बढ़ती उम्र
व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता कम होना
बांझपन
कुछ गंभीर बीमारियाँ
अधिक मात्रा में शराब , धूम्रपान या किसी नशीले प्रदार्थ का सेवन करना
अधिक स्वपनदोष के कारण

नपुंसकता के लिए होम्योपैथिक उपचार :-

नपुंसकता के लिए होमियोपैथी में कुशल उपचार उपलब्ध हैं, जानते हैं होमियोपैथी में उपलब्ध नपुंसकता के लिए कुछ दवाये :-
Lycopodium 200, 5 बुँदे दिन में 2 बार (5 बुँदे सुबह, 5 बुँदे शाम को )
Acid Phos 30 की २ बुँदे, दिन में 3 बार (सवेरे, दिन में, शाम को )
Caladium S Q, 10-15 बुँदे दिन में 3 बार (सवेरे, दिन में, शाम को)

इन दवाओं को सही समय पर व सही मात्रा में लेने पर आप नपुंसकता से छुटकारा पा सेक्स लाइफ को एन्जॉय कर पाएंगे।

Stomatitis

stomatitis
मुँह या जीब में छोटे दाने या छालों को stomatitis कहा जाता है. ये छाले बेहद दर्दनाक होते है और इनके होने पर व्यक्ति अच्छे से खाना खाने में, पानी पिने में या बोलने में असमर्थ होता हैं हलाकि मुँह में छाले होना एक सामान्य तकलीफ है, जो कुछ समय बाद अपने आप ठीक हो जाती है। कुछ लोगों को ये छाले बार-बार होते हैं और परेशान करते हैं। ऐसे लोगों को अपनी पूरी डॉक्टरी जाँच करानी चाहिए, ताकि उनके कारणों का पता लगाकर उचित इलाज किया जा सके।

जानते है मुँह के छालों के कारण :-

मुँह में छालों के वैसे तो अनेको कारण हैं। पर मुख्य रूप से ये शरीर की अंदुरुनी समस्या के कारण होते हैं जिसे पेट की गड़बड़ी या पेट की गर्मी के कारण ।
सख्त या मासलेदार खाने का सेवन करने के कारण ।
बदहजमी या पेट की समस्याओं के कारण ।
बुखार के कारण, खराब खाने के कारण
हार्मोन्स में बदलाव
अधिक शराब, धूम्रपान का सेवन करने के कारण भी मुँह में छाले हो जाते हैं
किसी बीमारी के कारण या अंग्रेजी दवाओं के सेवन करने के कारण।
अधिक मात्रा में एंटीबॉयोटिक दवाओं का इस्तेमाल करने से हमारी आंतों में लाभदायक कीटाणुओं की संख्या घट जाती है। नतीजतन मुँह में छाले पैदा हो जाते हैं।

मुँह में छाले होने के लक्षण

मुँह में छाले होने के कई लक्षण होते हैं जिनमे से कुछ सामन्य लक्षण निम्न हैं :
मुँह में लाल व दर्दनाक छाले
बोलने में, खाने में और पानी पिने में दिक्कत होना
छालो में जलन, झनझनाहट
मुँह या गले में इन्फेक्शन होना
बुखार आना आदि लक्षण मुँह में छाले होने में दिखाई देते हैं।

मुँह में छालों का होम्योपैथिक उपचार
Ranunculus Bulbosus 30ch, २-२ बुँदे,1-1 घंटे के अंतर से लें
Bio-combination 25, 4 गोली दिन में 3 बार ज्यादा होने पर आप इसे ६-७ बार भी ले सकते है

इन दवाओं के साथ मुँह के छाले होने पर मसालेदार खाना नहीं खाये, शराब व धूम्रपान का सेवन न करे, और खूब पानी पिए.

Irritable Bowel Syndrome (IBS)

Irritable Bowel Syndrome

इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम एक आम बीमारी है और यह बड़ी आंत को प्रभावित करती है। इस समस्या को कई अन्य नामो से भी जाना जाता हैं जैसे स्पैस्टिक कोलन, इर्रिटेबल कोलन, म्यूकस कोइलटिस जैसे नामों से भी जाना जाता है। यह आंतों को खराब तो नहीं करता लेकिन खराब होने के संकेत देने लगता है। इस समस्या से पीड़ित व्यक्ति को पेट में दर्द एवं मरोड़ होना, सूजन, गैस, कब्ज और डायरिया होना इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (आईबीएस) के मुख्य लक्षण हैं। अधिकतर रोगियों में तनाव के समय यह समस्या अधिक रहती है। तनाव होने पर आम तौर पर एड्रिनल ग्रंथियों से एड्रेनैलिन और कॉर्टिसॉल नाम के हार्मोनों का स्राव होता है। तनाव की वजह से पूरे पाचन तंत्र में जलन होने लगती है जिससे पाचन नली में सूजन आ जाती है और इस सबका नतीजा यह होता है कि पोषक तत्वों का शरीर के काम आना कम हो जाता है। तनाव होने पर आम तौर पर एड्रिनल ग्रंथियों से एड्रेनैलिन और कॉर्टिसॉल नाम के हार्मोनों का स्राव होता है। तनाव की वजह से पूरे पाचन तंत्र में जलन होने लगती है जिससे पाचन नली में सूजन आ जाती है और इस सबका नतीजा यह होता है कि पोषक तत्वों का शरीर के काम आना कम हो जाता है।

इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम के लक्षण

इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम के कई लक्षण हैं, जानते हैं इसके कुछ सामान्य लक्षण :-
कब्ज के साथ डायरिया भी होना।
सामान्य से अधिक पतला या सूखा मल निकलना।
पेट चिपक जाना।
पेट में दर्द व ऐठन ।
पेट के निचले हिस्से में दर्द और मरोड़ होना, भोजन करने के बाद पेट में मरोड़ और दर्द अधिक बढ़ जाना।
पेट में कब्ज होना।
गंभीर रूप से डायरिया से पीड़ित होना।
पेट में अधिक गैस बनना और सूजन होना
पेट में अलग-अलग तरह से मरोड़ और दर्द होना।
मल में श्लेष्म निकलना।
इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम से पीड़ित कुछ लोगों को पेशाब या यौन संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम के कारण
इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम के कई कारण हैं, अलग अलग व्यक्तियों में इसके अलग अलग कारण देखे जाते हैं, जानते हैं इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम के कुछ समान्य कारण :-
तनाव इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम का एक मुख्य कारण हैं
हार्मोन्स में बदलाव के कारण भी ये समस्या हो सकती हैं
कई गंभीर बिमारियों के कारण भी ये समस्या आती हैं

इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम का होम्योपैथिक उपचार :-

Nux Vomica की आधे कप पानी में 5 बुँदे रात में लीजिये,
इसके साथ Sulphur 30 की आधे को पानी में 5 बुँदे सवेरे खली पेट लें
Bio Combination 9 की 4 गोली, दिन में 3 बार ( सुबह , दोपहर और शाम ) लें
Holarrhena anti Q की आधे कप पानी में 15 बुँदे सुबह शाम को लें।

इन दवाओं को समय पर ले और सही मात्रा में लें साथ ही भरपूर्ण मात्रा में पोषण आहार ले, भोजन समय पर करें और चबा चबा कर करें , भोजन के तुरंत बाद सोये नहीं और खूब पानी पिए।

Alopecia Treatment

Alopecia
स्पॉट बाल्डनेस (सर के कुछ हिस्सों में बालों का नहीं होना) जिसको अलोपेसिया कहा जाता हैं, यह एक ऑटोइम्यून रोग हैं इसको गंजापन भी कहा जाता हैं I जिसमे सर के कुछ या संपूर्ण हिस्से से बाल झड़ जाते हैं। इसमें बाल ज्यादातर सिर की त्वचा से ही झड़ते हैं क्यूंकि इसमें शरीर, स्वयं को ही पहचानना छोड़ देता हैं एवं अपने ही ऊतकों को नष्ट कर डालता हैं, जैसे की वो कोई आक्रमणकारी हो। इस रोग के होने पर सिर पर एक या एक से अधिक गोल धब्बे में बालों के झड़ने शामिल है ये रोग एक फंगल रोग हैं और किसी रोगी का कंघा उपयोग करने से ये रोग आप तक भी पहुंच सकता हैं

अलोपेसिया के कारण :
एलोपेशीया एरेटा यानी अलोपेसिया की बीमारी होने के कई कारण हैं। जिनमे से कुछ कारण निम्न हैं ‘
आनुवांशिक कारण
मेनोपॉज, प्रेगनेंसी और थॉयराइड की समस्या होने पर हार्मोन में बदलाव होने से।
सिर की त्वचा में संक्रमण और रिंगवर्म होने के कारण।
कैंसर, अर्थराइटिस, हृदय रोग, गाउट (gout) और उच्च रक्तचाप की दवाओं के साइड इफेक्ट्स के कारण।
अलग-अलग हेयर स्टाइल बनाने और हॉट हेयर ऑयल ट्रीटमेंट के कारण
वजन घटने के कारण
अधिक तनाव एवं डिप्रेशन के कारण
उम्र बढ़ने के कारण
डायबिटीज की दवाएं खाने के कारण

अलोपेसिया के लक्षण :

सिर में जगह-जगह धब्बे के आकार से बाल पूरी तरह साफ हो जाना और गंजापन दिखना।
शरीर के विभिन्न अंगों और चेहरे के बाल झड़ना।
सिर के बालों का अधिक टूटना।
दाढ़ी और पलकों के बाल टूटना
सिर में सफेद स्पॉट और लाइन दिखायी देना।
नाखून टूटना और नाखून की चमक खत्म हो जाना।
नाखून पतले होकर टूटने लगना।
बाल झड़ने से पहले आमतौर पर सिर में खुजली और जलन होती है। ऐसा भी देखा गया है कि एलोपेशीया एरेटा या अलोपेसिया से पीड़ित करीब 30 प्रतिशत लोगों लगातार बाल झड़ने की समस्या का सामना करते रहते हैं।
अलोपेसिया का होम्योपैथिक उपचार:

Phosphorus की ३ dose २, 10 -10 मिनट के अंतर से 3 बार लें
Arnica ३०,की २ बुँदे दिन में ३ बार लें ,( सवेरे दिन में शाम को )(१५ दिन तक )
Arnica ३० लेने के 15 दिन बाद Pix Liquida 30ch, २ बुँदे दिन में ३ बार लें (१५ दिन तक ), और फिर से १५ दिन बाद Arnica ३० लें
Hair Mont Internal & External
Internal: २० बुँदे दिन में ३ बार आधे कप पानी के साथ
External : जहाँ बाल झड़ रहे हो उस जगह पर लगाए
Jaborandi q से प्रभावित एरिया को साफ करें।
बताई गयी दवाओं को सही समय और सही मात्रा में लें , साथ ही अपना कंघा न किसी को दे और न ही किसी और का कंघा इस्तेमाल करें।