Sun Stokes
लू लगाना
गर्मी के मौसम में तापमान बढ़ते ही लू लगने या हीटस्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में तापमान बढ़ना, शरीर में पानी की कमी होना, सिर भारी होना, आंखों में जलन, खून गर्म होना, बुखार, बेहोशी आदि समस्याएं हो सकती हैं। कई बार खून की गति का तेल होना एवं सांस की गति का बदलना एवं शरीर में ऐंठन होना काफी खतरनाक हो जाता है। इससे रोगी की जान भी जा सकती है। जब मनुष्य का शरीर अपनी क्षमता से अधिक गर्म हो जाता है तो इस अवस्था को लू लगना कहते हैं। लू लगने के कारण रोगी के शरीर में पानी की कमी भी हो जाती है जिसके कारण उसके शरीर में कई प्रकार की अन्य बीमारियां भी हो जाती है। इस रोग का प्राकृतिक चिकित्सा से इलाज किया जा सकता है।
लू लगने के लक्षण-
इस रोग के कारण व्यक्ति का शरीर गर्म तथा सुस्त हो जाता है। रोगी को ऐसा लगता है कि उसके शरीर में काम करने की ताकत नहीं रही हैं।
इस रोग के कारण रोगी की आंखे भी गर्म हो जाती हैं जिसके कारण उसकी आंखों से पानी निकलता रहता है।
शरीर में पानी की कमी हो जाती हैं
शरीर में कमजोरी व ऐठन
लू लगने के कारण-
यह रोग व्यक्ति को अधिक देर तक धूप में रहने के कारण तथा अधिक हवा के सम्पर्क में रहने के कारण
लू लगने का होम्योपैथिक उपचार
लू लगने पर Glonoinum 30 की २ बुँदे, दिन में ३ बार १०-१० मिनट के अंतर से लें
Natrum Muriaticum की २ बुँदे दिन में ३ बार लें, (२ बुँदे सवेरे, २ बुँदे दिन में, २ बुँदे शाम को )
Natrum Mur 6x, की ४ गोली दिन में ३ बार लें (४ गोली सवेरे, ४ गोली दिन में, ४ गोली शाम को)
इन दवाओं को लेने के साथ साथ खूब पानी पिए और धुप में न जाये।
ध्यान दे – दवाओं का सेवन बताई गयी विधि और मात्रा में ही करें, आप किसी अन्य बीमारी से ग्रस्त हैं तो दवाओं का उपयोग करने से पूर्व अपने निकटतम विश्वसनीय होमोपथिक विशेषज्ञ से जरुर परामर्श कर लें।