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Hyperhidrosis treatment through homeopathy

Hyperhidrosis (Excessive Sweating), treatment in homeopathy

शरीर से पसीना आना एक सामान्य प्रक्रिया है , परन्तु जब पसीना बहुत ज्यादा आने लगता है , तो इन्सान कही भी रहे कुछ भी करें यदि पसीना ज्यादा आये तो ये एक समस्या बन जाती हैं। मौसम चाहे गर्म हो या ठंडा हो पसीने की समस्या बनी रहती हैं । होमियोपैथी में इस समस्या से छुटकारा पाने के लिये कारगर दवाईयाँ उपलब्ध हैं ।

पसीना ज्यादा आने पर यह त्वचा संक्रमण का कारण बन सकता हैं , पसीना ज्यादा आने पर शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से असहजता होती है , विशेषज्ञ बताते है की पसीना निकलने की कोई निश्चित सीमा या मात्र नहीं होती हैं, पसीना शरीर को नुकसान पहुचने वाले पर्दार्थो को बाहर निकालने का कार्य करता हैं । पसीना आने की प्रक्रिया का सम्बन्ध केवल बाहरी नही , आतंरिक भी हो सकता है। डर, चिंता व तनाव आदि में भी त्वचा से पसीना निकलता है , कई बार गर्मियों में ज्यादा पसीना निकलने पर निर्जलीकरण (dehydration ) का शिकार होना पड़ सकता हैं

दवाईयाँ :
होम्योपैथिक में ज्यादा पसीना आने पर आप Merc. Sol. 30 की 2-2 बुँदे दिन में 3 बार लें, इसके साथ Natr. Sulph 6x (Natrum Sulphuricum 6x) की 4-4 गोली दिन में 3 बार , इसके साथ Psoralea Cor. Q की 10-15 बुँदे दिन में 3 बार लें इन दवाओं को आप लगातार कुछ समय तक लेते रहेंगे तो आपका फायदा होगा

  • Merc. Sol 30 :  2-2 बुँदे 3 बार
  • Natr. Sulph 6x : 4-4 गोली 3 बार
  • Psoralia Cor Q : 10-15 बुँदे 3 बार

 

 

 

 

homeopathic Treatment for Low Blood Pressure

Low Blood Pressure, लो ब्लड प्रेशर का होम्योपैथिक उपचार

निम्न रक्तचाप इसे लो बीपी या हाइपोटेंशन भी कहा जाता है जब रक्तचाप सामान्य से बहुत कम हो जाता है तब यह स्थिति उत्पन्न होती है इसका अर्थ है कि रक्त शरीर के हृदय मस्तिष्क और अन्य भागों तक नहीं पहुंच प् रहा हैं सही रूप से एक स्वस्थ व्यक्ति का रक्तचाप 120/80 (सिस्टोलिक डायस्टोलिक )होना चाहिए सामान्य भाषा में जब रक्तचाप 120 सिस्टोलिक से ऊपर होता है तो उसे हाई बीपी और जब 80 डायस्टोलिक  से नीचे होता है तो उसे लो बीपी माना जाता है बिना किसी लक्षण या संकेत के लो बीपी अस्वस्थ नहीं होता चक्कर आना, बेहोशी, दोनों ही लो बीपी के मुख्य लक्षण है, यह लक्षण सबसे आम है कई बार इस  स्थिति के कई गंभीर परिणाम भी हो सकते हैंइससे बचने के लिए आप अपने खाने पर ध्यान दें खूब पानी पिएं और साथ में होम्योपैथिक दवाइयां लें


लक्षण : लो bp के कुछ खास लक्षण नजर नहीं आते सिर दर्द, कमजोरी महसूस होना , नाडी का तेज तेज से चलना, आदि कुछ सामान लक्षण है

दवाइयां:  बीपी लो होने पर सबसे पहले होम्योपैथिक की Glonoinum 30 की दो बुँदे, सुबह,दोपहर, शाम को ले, इस दवा को केवल 1 हफ्ते तक लें इसके साथ Natrum Muriaticum 30 की 4 गोली तीन से 6 बार लें (सुबह, दोपहर, शाम ) इसके साथ R नंबर 44 को आधा कप पानी में 20 बुँदे सुबह, दोपहर, शाम को ले  इसके साथ आप अपनी डाइट का ख्याल रखें खाने में नमक की मात्रा थोड़ी बढ़ा ले, व्यायाम व योगा करें ताकि यह परेशानी कभी हो ही ना और साथ में होम्योपैथिक की दवाइयां लेते रहें

Gall bladder stones, गालब्लैडर की पथरी

पित्ताशय से मानव शरीर का महत्वपूर्ण अंग है, जो पाचन क्रिया में सहायता करता है। अक्सर पित्त की थैली या जिसे अंग्रेजी में Gall Bladder भी कहा जाडनी स्टोन के साथ-साथ गॉल ब्लैडर की पथरी को भी निकाल सकती है। 80 प्रतिशत गालब्लैडर की पथरी कोलेस्ट्रॉल के जमने या सख्त होने के कारण होती है। पित्ताशय की पथरी से पीड़ित कई लोगों में शुरुवात में प्रकार का कोई लक्षण नहीं नजर आता। लक्षण तब नजर आते हैं जब एक या एक से पथरी पित्ताशय में जमा हो जाती है या जब पित्ताशय से निकलकर पित्त नाली में आ जाती है।
लक्षण : दाहिनी तरफ पेट के पास व पीछे पीठ की तरफ तेज दर्द होना ,मिट्टी के रंग का मल होना, जी मचलना, उल्टी होना, खाना पचाने में दिक्कत होना, गैस बनना, पित्ताशय में सूजन आन, त्वचा में पीलापन, आदि।
पथरी होने पर खाने का विशेष ख्याल रखना चाहिए तली हुई और चिकनाई युक्त व वसायुक्त भोजन ना करें। पालक, टमाटर, भिंडी आदि ना खाएं और साथ में होम्योपैथिक की दवा लें । यदि पथरी का आकार बढ़ रहा है या बड़े आकार की है तो आप इसे ऑपरेशन द्वारा भी निकलवा सकते हैं अन्यथा अधिकांश रोगियों का बिना ऑपरेशन होम्योपैथिक दवाइयों द्वारा सफल इलाज है।
दवाइयां: सबसे पहले Lachesis 1m की चार पुड़ियाँ ( 10-10 मिनट के अंतर से लें) और अगले दिन से Fel Tauri 3x ( यदि 3x में ना मिले तो नहीं मिले तो 6x
में ले ) 2 गोली दिन में तीन बार सुबह, दोपहर, शाम को लें। इस दवाई को खाता है, पित्त की थैली में यदि पथरी हो जाए तो यही कहा जाता है कि यह बिना ऑपरेशन के नहीं निकलेगी पर होमियोपैथी में ऐसी दवाई है जो किने के एक माह बाद cholestrinum 3x या 6x की 2 गोली दिन में तीन बार लें।इसके साथ एसबीएल कंपनी का Liv T syrup को आधे कप पानी में 2.5 मिलीलीटर तीन बार लें। इसके साथ Berbaria Vulgaris Q की 10 बूदे आधा कप पानी में मिलाकर तीन बार लें सुबह दोपहर शाम ।

Homeopathic treatment in homeopathy

Motion Sickness | मोशन सिकनेस , यात्रा सम्बन्धी मतली का होम्योपैथिक उपचार

मोशन सिकनेस , यात्रा सम्बन्धी मतली का होम्योपैथिक उपचार

घूमना फिरना और सफ़र करना हर किसी को पसंद होता है परंतु, किसी किसी को सफल करने के नाम से भी डर लगता है । सफर में जी घबराना चक्कर आना और उल्टियां परेशान कर देती है, विशेष तौर पर बस या कार का लंबा सफर ।किसी किसी को चक्कर आते हैं या सिर में दर्द हो जाता है कई बार तो पेट्रोल डीजल की तेज गति से भी मोशन सिकनेस ( उल्टियां )होती हैं। बच्चों और महिलाओं में यह देखने को मिलता है कि किसी किसी के रेल के सफर में भी जी घबराता है ।

मोशन सिकनेस का प्रभाव हर किसी पर अलग-अलग हो सकता है। किसी को पसीना अधिक आता है किसी को बेचैनी सिर दर्द उबासियां सांस लेने में तकलीफ सी होती है। सामान्य तौर पर उल्टी होना या जी मचलना अधिकतर लोगों को होता है। किसी किसी को तो बस या कार में बैठने के नाम से ही जी मचलना शुरू हो जाता है।
आज मैं आपको होमियोपैथी की दवा बताने जा रहा हूं, आप सफर में जाने से पहले इन दवाओं का सेवन करें, आपकी उल्टी या जी मचलना आदि मोशन सिकनेस में लाभ होगा ।

दवाइयां: सफर में जाने से एक दो दिन पहले होमियोपैथी की Cocculus Indicus 30 की 5 बुँदे सुबह, दोपहर, शाम को लें । आप इस दवा को सफर के दौरान भी दो-दो बूंद जल्दी-जल्दी ले सकते हैं, इसके साथ आप WSI कंपनी की Alpha MS की 1 गोली जल्दी जल्दी ले सकते हैं।

wrist_pain_homeopathy_treatment

Wrist Pain Treatment in homeopathy, कलाई के दर्द का होम्योपैथिक उपचार

दर्द शरीर में कही भी हो परेशानी तो सभी से होती हैं परन्तु दर्द जब कलाई पर होने लगे तो तकलीफ और बढ़ जाती हैं, वैसे कलाई में दर्द होना एक आम बात हैं , अक्सर लोग अधिकतर समय कंप्यूटर और लैपटॉप पर काम करते हैं। जिसके कारण अंगुलियों में अक्सर दबाव पढता है और इस कारण कलाई में दर्द होने लगता हैं, कलाई में दर्द होने पर व्यक्ति न तो कोई कम कर पाता हैं न ही कोई भार उठा पाता हैं । कई बार मांसपेशिया कमजोर होने लगती है जिस कारण भी दर्द होता हैं।

दर्द के कई कारण हो सकते हैं:-

जब भी अंगूठे के पिछले हिस्से में दर्द होने लगे तो
कलाई के बाहरी भाग में
दर्द व सुजन होना
कभी तेज व कभी हल्का दर्द होना
अचानक से चुभन वाला तेज दर्द होना
अंगूठे पर दवाब पड़ने से

आदि कई लक्षण हो सकते हैं

आप कलाई में दर्द होने पर इस विडियो में डॉ पाठक जी द्वारा जो व्यायाम बताया गया हैं उसे शुरू करे पर ध्यान रहे की यदि दर्द वाले हिस्से में सुजन ज्यादा है तो आप व्यायाम न करे और दर्द होने पर व्यायाम तो कर सकते है परन्तु सहन कर सकने योग्य ही दर्द सहन करें अन्यथा यदि आपने दर्द होने पर ज्यादा व्यायाम किया तो दर्द कम होने की जगह और बढ़ सकता है

दवाईयाँ
कई बार शरीर में दर्द कैल्शियम कम होने के कारण भी हो सकता हैं इसके लिए आप सबसे पहले Calcarea Phosopherica 6x की 4 गोली सवेरे, दिन में और शाम को 3 बार ले यदि इससे आराम न मिले तो आप Dr Reckeweg का R. No. 11 की आधे कप पानी में 20बुँदे सुबह, दोपहर और शाम को लें

बच्चों के देर से बोलने का होमियोपैथी उपचार

बच्चों के देर से बोलने का होमियोपैथी उपचार

इस वीडियो में मैंने जो बच्चें देर तक बोल नहीं पाते हैं, कितनी कोशिश करने के बावजूद बच्चों को बोलने में परेशानी होती हैं उनके लिए इसमें दवाई बतायी गयी हैं होम्योपैथिक में बच्चों की इस परेशानी बहुत ही उच्च उपचार होता हैं  सामान्य तौर पर सभी बच्चे एक से नहीं होते यानि कुछ जल्दी बोलना शुरू कर देते हैं ,कुछ थोड़ा देर में शुरू करते हैं , परन्तु यदि बच्चों के बोलने में ज्यादा देर होती है , तो आप बिना देर किये होम्योपैथिक की ये दवाईया खिलाइये उन्हें लाभ होगा

दवाइयाँ : Syphilinum 1m की 6 पुड़िया बनवा कर सवेरे 10 -10 मिनट के अंतर से 3 पुड़िया खिलानी है , उसी तरह से बची हुई 3 पुड़िया को शाम को खिलाना है दूसरे दिन से five phos 6x की 4 -4 गोली दिन में 3 बार दे और इसके साथ Calc Phos 6x की भी 4 -4 गोली दिन में 3 बार दें , और यदि 60 दिन तक भी बच्चा नहीं बोलना शुरू करते है तो दुबारा Syphilinum 1m की 6 पुड़िया दे सकते है

Syphilinum 1m: 6 पुड़िया
five phos 6x : 4 -4 गोली 3 बार
Calc Phos 6x: 4 -4 गोली 3 बार

Ulcer treatment

Ulcer, Homeopathic treatment | Sahas Homeopathic

पेप्टिक अलसर के बारे में हम पहले बता चुके है । सामान्य, भाषा में पेट में होने वाले घावों या छालों को पेप्टिक अलसर कहा जाता है । यदि समय पर इसका सही उपचार नही कराया गया तो आने वाले समय में ये और भी परेशानी उत्पन कर सकते है ।

लक्षण : पेट में लगातार दर्द रहना
भूख का कम लगना
गैस बनना , उल्टी होना
वजन का लगातार कम होना
पेट फूलना आदि
पेप्टिक अलसर के दिखने वाले सामान्य लक्षण है

कारण : ज्यादे मसाले युक्त भोजन करना , मदिरा पान का सेवन करना, पानी कम पीना .

Mumps treatment

Mumps Homeopathic treatment

कनफेड जिसे मम्प्स या गलसुआ भी कहते है। यह रोग एक वायरस से होने वाला एक संक्रमण रोग है, यह मुख्य रूप से व्यक्ति की लार ग्रंथि को प्रभावित करती है । सामान्य भाषा में कान के पीछे पेरोटीड ग्रंथि में सुजन आ जाती है। यह मुख्य रूप से 5 से 15 वर्ष में ज्यादा पाया जाता है । इसमें दर्द भी होता है, यदि किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में व्यक्ति आ जाये तो संभवतः बात करते समय उस व्यक्ति के मुँह से निकलने वाले जीवाणु सामने वाले व्यक्ति में भी प्रवेश कर जाये तो वह भी इस रोग का शिकार हो सकता है ।

इस रोग के मुख्य लक्षण है :- भूख न लगना , गला खराब होना, बुखार, मुँह खोलते समय दर्द होना, कान के पीछे दर्द होना , खाना खाते समय या पानी पीते समय दर्द होना ।

चिकित्सा : इस रोग के होने पर आप होम्योपैथिक की Paroticlium 30 की २-dram बनवा कर 4-4 गोली 3 बार ले , इसके साथ Silicea 6x और Calc. Flour. 6 की 4-4 गोली मिला कर दिन में 3 बार ले , आप Paroticlium 30 को केवल २ dram ही खाए, परन्तु silicea 6x और Calc. Flour. 6 को लगातार कुछ समय तक खाए, आपको फायदा जरुर होगा ।

दवा के साथ साथ व्यक्ति को थोड़े धर्य की आवश्यकता भी होती है और यदि आप किसी इसे व्यक्ति के संपर्क में आ जाये तो अपनी सुरक्षा के लिए मास्क का प्रयोग करे और यदि आपके घर पर कोई इस रोग से पीड़ित है तो उसे भी मास्क जरुर पहना के रखे ताकि उसके मुँह के जीवाणु किसी अन्य व्यक्ति को संक्रमित न हो सके.

Mental and Physical pressure

Mental Stress, Homeopathic treatment

वर्तमान समय में ऐसे व्यक्ति की कल्पना करना असंभव सा है , जो मानसिक तनाव का अनुभव नही करता हो , चाहे वह , बच्चा हो या जवान या  वृद्धा हर कोई मानसिक तनाव से ग्रस्त है

किसी को पढाई का टेंशन, किसी को नौकरी का , नौकरी वालो को काम का टेंशन, किसी को शादी का , ऐसे कई सामाजिक व व्यक्तिगत कारण है जो हर व्यक्ति को अपनी गिरफ्त में ले रहा है , नौकरी न मिल पाने से आर्थिक कारण  से तनाव ग्रस्त भी  अधिकांश लोग देखे जा रहे है

अन्यं रोगों की तरह ही मानसिक तनाव भी तन और मन दोनों पर बुरा असर डालता है जिससे की अनेक शारीरिक रोग भी उत्पन हो जाते है जैसे डायबिटीज , पेप्टिक अलसर , सर दर्द , माइग्रेन, डिप्रेशन, उच्च रक्तचाप आदि

कारण : ईर्ष्या, जो व्यक्ति चाहे वो काम न हो पाना , आर्थिक समस्या , गृह कलेश, भय , चिंता, काम का बोझ बढ़ना

लक्षण : मानसिक थकान , सर दर्द , काम में मन न लग पाना , एक्काग्रता का अभाव, नींद न आना या कम आना , उत्साह में कमी, थकान महसूस करना , उदासीनता , आत्म-विस्वास में कमी आना आदि (

चिकित्सा : इस स्थिति के होने पर आप होमियोपैथी में Adel 85 सिरप को आधा कप पानी में २-२ चम्मच , दिन में 3 बार ले , इससे आपको बहुत जल्द आराम मिलना शुरू हो जायेगा

Acne and Pimple treatment

Acne/ Pimple : Homeopathic treatment

Pimples की समस्या से बहुत से लोग परेशान रहते है ।  सामान्यतः यह तैलिय त्वचा वालो में ज्यादा होता है, पर ऐसे भी कई लोग है जिनकी तवचा तैलीय न होने के बाद भी उन्हें मुहासों की समस्या होती है, युवास्था में मुहांसे होना स्वाभाविक है।

मुहांसे ,त्वचा की सामान्य स्थिति है, जो लड़के व लडकियों दोनों में हो सकती है , कभी तो यह सामान्य से दिखने वाले कील, मुंहासे से होते है परन्तु कई केस में चेहरे पर सामान्य से बड़े दाने होने लगते है साथ इनमें दर्द व पस भी भर जाता है, जिस कारण चेहरा लाल-लाल सा दिखाई देने लगता है, चेहरे की सफाई उचित तरह से न करना, जंक फ़ूड, ज्यादा मिर्च मसाले के प्रयोग से भी यह और बढ़ सकते है, ऐसी स्थति में व्यक्ति को जो भी मिलता है उसे अपनी सलाह या राय देता है., की ये लगा लो परन्तु इन सब से परेशानी कम होने के बजाय और बढ़ जाती है

चिकित्सा :  आप सबसे पहले तो बहुत पानी पीये, खट्टे फलो का सेवन करें साथ ही सादे पानी से मुँह बार बार धोते रहे। सबसे पहले sepia 30 की 2 dram लें , 4-4 गोली दिन में 3 बार लें , साथ में Calendula Q से चेहरे की सुबह-शाम दो बार सफाई जरुर करें , इसके साथ Bio-Combination -20 की 4-4 गोली 3 बार ले, और Ber. Aqui. Q की 10-10 बुँदे, 3 बार लेते रहे, इनसे आपको फायदा होगा।

(Sepia 30 2dram, Calendula Q, B.C. 20, Berb. Aqui Q )