क्यों होती है आंखों में जलन

आंखें सबसे महत्वपूर्ण और संवेदनशील अंग हैं।थोड़ी परेशानी पर हम विचलित हो जाते है। रोज की भागदौड़ और ट्रैफिक में धूल-धूप का कारण से आंखों में खुजली और जलन हो सकती है। ये तकलीफ देने के साथ-साथ आंखों को नुकसान भी पहुंचा सकती है। अब आप भी आंखों की खुजली से परेशान है तो घबराने की कोई जरूरत नहीं है। आज हम आपकों बतायेंगे कैसे आप इस समस्या से छुटकारा पा सकते है और आंखों में खुजली या जलन जैसी गंभीर समस्याओं से कैसे बच सकते है। आइये सबसे पहले जानते है इसके कारण-

आंखों में खुजली या जलन के कारण-

आंखों में सूखापन का होना।
रायनाइटिस की परेशानी के चलते।
आंखों में संक्रमण भी इसका कारण है।
कांटेक्ट लेंस का फिट न बैठना भी कारण है।
आंखों में कचरा फंस जाना।
एक्जिमा का होना।

आंखों में खुजली के लक्षण-

सांस लेने में परेशानी।
आंखों में सूजन आना।
आंखों से पानी आना।
आंख का लाल होना।
आंख की पलक सूज जाना।
छींक आना।
धुंधना नजर आना।

उपचार-

आंखों के उपचार को लेकर किसी तरह की लापरवाही न करें। आप चिकित्सक के परामर्श के बाद ही उपचार करें। होम्योपैथिक विधि से आप आंखों में खुजली की समस्या से बच सकते है। अधिक जानकारी के लिए आप ऊपर दिये गये वीडियो को देखकर डॉक्टर की सलाह के बाद उपचार करें।

खांसते-खांसते उल्टी होना

क्या आपको खांसते-खांसते उल्टी हो जाती है। इस बीमारी को गंभीरता से ले। काली खांसी एक श्वसन संबंधी बीमारी है। काली खांसी बच्चों की बीमारी है लेकिन ऐसा नहीं है। यह बड़ों को भी हो जाती है। यह खतरनाक बीमारी है क्योंकि यह संक्रामक होती है यानी इस बीमारी के वायरस हवा के जरिये एक इंसान से दूसरे तक पहुंचते हैं। यह खांसी रात और दिन में बढ़ जाती है। कई बार मरीज का खांसते-खांसते दम फूलने लगता है। आंखें लाल हो जाती हैं। इस खांसी को कुक्कुर खांसी भी कहते हैं। इसके बाद उल्टी भी हो जाती है। आइये जानते है इसके कारण और लक्षण-

सबसे पहले इसके लक्षण-

जुकामनुमा, कुकर खांसी
नाक से द्रव का बहना।
छींक आना।
सूखी और उत्तेजित खाँसी का होना।
हल्का बुखार आना।
आँखों से पानी आना।
गले में खराश पैदा होना।

आइये जानते है इसके कारण-

गाड़े बलगम के साथ खांसी के तीव्र और लम्बे दौर।
सांस लेते समय स्वर की खों-खों की आवाज।
खांसी के बाद उल्टी होना।
थकावट और लालिमा।
सांस लेने की कठिनाई।

उपाय-
अगर आप भी खांसते समय उल्टी आने से परेशान है तो आपकों घबराने की जरूरत नहीं है। आप डॉक्टर की सलाह पर होम्योपैथिक विधि से इसका उपचार कर सकते है। अधिक जानकारी के लिए आप ऊपर दिये गये वीडियो को देखकर डॉक्टर के अनुसार अपना उपचार करा सकते है।

सर्दी-जुकाम और बुखार से है परेशान

सर्दी-जुकाम हर बदलते मौसम के साथ आने वाली समस्या है। खांसी बैक्टीरियल या वायरल इन्फेक्शन, ऐलर्जी, साइनस इन्फेक्शन या ठंड के कारण हो सकती है हालांकि जुकाम वैसे तो बेहद आम बीमारी है लेकिन यह आपकी दिनचर्या को अस्त-व्यस्त कर देता है। कंजेशन की वजह से सांस लेने में भी तकलीफ होती है और हर समय थकान महसूस होता है। आइये सबसे पहले जानते है इसके लक्षण और क्या कारण है।

खांसी-जुकाम लक्षण-

बार-बार सर्दी हो, खांसी, जुकाम, गला खराब होना
छींक का से सही समय पर इलाज न हो
एडेनोइडाइटिसए साइनस

आइये जानते है इसके कारण-

बहुत ठंडी चीज खा लेने पर।
रोगप्रतिरोधक क्षमता का कम हो जाना।
ठंडा- गरम हो जाना।
वायरस व बैक्टीरिया से इन्फेक्शन होना।
धुल- धुंए से एलर्जी का होना।
मिट्टी वाली जगहों पर रहना।
सर्दी से बचाव न करना।

उपाय-
अगर आप सर्दी -जुकाम से परेशान है तो आप यहां बताये गये टिप्स को अपनाये इससे आपका नजला, खांसी, सर्दी व जुकाम बहुत ही जल्दी ठीक हो जायेगा और आपको आराम मिलेगा। आप होम्योपैथिक विधि से अपना उपचार कर सकते है। अधिक जानकारी के लिए आप ऊपर दिये गये वीडियो को देखकर डॉक्टर की सलाह पर अपना उपचार कराये।

घुटनों से कट-कट की आवाज

कभी-कभी अचानक से जब हम उठते-बैठते समय हमारे घुटनों से कट-कट की आवाज आती है जिसे हम सुन कर भी अनसुना कर देते हैं घुटनों में दर्द नहीं होता है और न ही सूजन। वैसे तो ये कोई बीमारी नहीं है लेकिन बीमारी का संकेत जरूर है। अगर आपकी हड्डियां कमजोर हैं या हड्डियों में आवाज आती है तो आप ऑस्टियोपीनिया बीमारी से पीडि़त हो सकते हैं। ऑस्टियोपीनिया हड्डियों की एक बीमारी है जिसमें हड्डियां कमजोर होने लगती है। उम्र के साथ जोड़ों में या हड्डियों में आवाज आना या दर्द होना आम बात हो सकती है लेकिन कम उम्र में भी कई लोगों इस समस्या से परेशान रहते हैं। आइये जानते है इसका कारण-

हड्डियां कमजोरी के कारण-

अंगुलियां चटकाना मनोवैज्ञानिक रूप से व्यक्ति से जुड़ी होती है जो तनाव, अतिउत्साह, जिज्ञासा आदि की अवस्था में हमें राहत देती है।अंगुली चटकाते हैं, फिर दूसरी और फिर एक-एक करके सभी अंगुलियां। ऐसे में हमें सुकून मिलता है लेकिन धीरे-धीरे यह आदत बन जाता है। हड्डियों के कमजारे होने से जोड़ों में दर्द रहने लगता है। कई बार तो सर्दी में भी इनमें दर्द होना शुरू हो जाता है।

आइये जानते है इसके लक्षण-

कमर या जोड़ों में दर्द, मामूली चोट लगने पर भी हड्डियों में फ्रैक्चर, रह-रहकर न सहे जाने वाला दर्द, हड्डियों को दबाने पर मुलायम लगना और उनमें दर्द होना, ये सब ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षण हैं। यह हड्डियों की ऐसी परेशानी है, जिससे हड्डियां धीरे-धीरे कमजोर हो जाती हैं।

उपचार-
अगर आपके घुटनों से कट-कट की आवाज आती है जिससे आप लगातार परेशान है तो आपको घबराने की जरूरत नहीं है। आप डॉक्टर की सलाह पर होम्योपैथिक विधि से इसका उपचार कर सकते है। अधिक जानकारी के लिए ऊपर दिये गये वीडियो को देखें।

पेचिश से परेशान है तो आजमाये ये उपाय

पेचिश आंतों का संक्रमण है। इसकी वजह से गंभीर दस्‍त और मल में खून आने की समस्‍या हो जाती है। कुछ मामलों में मल में म्‍यूकस भी आ सकता है। आमतौर पर पेचिश तीन से सात दिनों तक रहता है। यदि आप दूषित भोजन करते हैं या भोजन के परजीवी या बैक्‍टीरिया से के संपर्क में हाथों के आने पर उन्‍हीं गंदे हाथों से खाना खाने पर पेचिश हो सकता है। दूषित पानी में स्‍विमिंग करने से भी पेचिश हो सकता है। वही संक्रमित व्‍यक्ति से बाकी लोगों को भी पेचिश हो सकता है। आप होम्योपैथिक विधि द्वारा इसका उपचार कर सकते है।

आइये जानते है इसका कारण-

दूषित पानी का पीना।
दूषित भोजन करना।
संक्रमित मल का आना।
संक्रमित व्यक्ति से संपर्क आना।

पेचिश के लक्षण –

दस्त लगना।
बुखार आना।
पेट में दर्द होना।
मल के साथ रक्त का आना।

उपचार-
अगर का पेचिश की समस्या से परेशान है तो घबराये नहीं। आप डॉक्टर की सलाह पर होम्योपैथिक विधि से इसका उपचार कर सकते है। अधिक जानकारी के लिये आप ऊपर दिये गये वीडियो को देखकर पेचिश से जुड़ी समस्या का समाधान कर रहे है।

गुर्दे में पथरी की समस्या

गुर्दे में पथरी की समस्या आजकल बहुत सारे लोगों में देखने को मिल रही है। किडनी स्टोन आपकी सेहत पर बुरा प्रभाव डाल सकते हैं। कई बार गलत खान-पान की आदत किडनी को नुकसान पहुंचा सकती है। जिससे किडनी से जुड़ी कई समस्याएं हो सकती हैं। इन्हीं में से एक है किडनी स्टोन या गुर्दे की पथरी किडनी स्टोन आपको कभी न भुला, जाने वाला दर्द दे सकता है। और इसके होने पर सर्जरी या चीरे के बाद ही इसे ऑपरेशन के दौरान निकाला जाता है। आप होम्योपैथिक विधि से गुर्दे की पथरी का उपचार कर सकते है। आइये सबसे पहले जानते है इसके लक्षण और कारण-

गुर्दे की पथरी के लक्षण-

पेशाब करते समय दर्द का होना।
बार-बार पेशाब आना।
उल्टी का आना।
बुखार आना।
पेशाब का रूक-रूक कर होना।
पेशाब में खून का आना।

आइये जानते है इसके कारण-
अधिक मात्रा में प्रोटीन, नमक या ग्लूकोश युक्त डाइट करना।
थायराइड की समस्या।
वजन का अधिक बढ़ जाना।
बाइपास सर्जरी कराना पर।
डिहाइड्रेशन का होने पर।

आइये जानते है इसका उपचार-

जब पथरी रोग का उपचार किसी अन्य तरीके से नहीं होता है, तब डॉक्टर ऑपरेशन का पथरी हटाने की सर्जरी कराने की सलाह देते हैं। लेकिन आप होम्योपैथिक विधि से पथरी का बड़ी आसानी से उपचार कर सकते है। अधिक जानकारी के लिए आप ऊपर दिये गये वीडियो को देखकर डॉक्टर की सलाह से उपचार करा सकते है।

बाल झडऩे की समस्या से परेशान

अक्सर लोगों में बाल झडऩे की शिकायत रहती है। बाल झडऩे को डॉक्‍टरी भाषा में एलोपेशीया कहा जाता है। आज ए‍क-तिहाई पुरुष और महिलाओं में ये बीमारी पाई जाती है। एलोपेशीया का दूसरा प्रकार जिसे एलोपेशीया एरेटा कहा जाता है अस्‍थायी होता है। इस समस्‍या से पीडि़त लोगों के सिर और अन्‍य अंगों से बाल झडऩे लगते हैं। कई लोग अपने बालों पर टिंट, ब्लीच, स्‍ट्रेटनर, डाई जैसे कैमिकल ट्रीटमेंट अपनाते है। इस तरह के ट्रीटमेंट को अगर सही तरीके से अप्‍लाई किया जाए तो इनसें बालों को कोई नुकसान नहीं होता। हालांकि, इनसे आपके बाल कमजोर हो सकते हैं। आइये जानते है इसके कारण और लक्षण-

बाल झडऩे के कारण-

वजन का बढऩा।
दवाईयों के सेवन से
थायराइड जैसे बीमारी का होना
डायबटिज जैसी बीमारी का होना
पीसीओसी

 आइये जानते है इसके लक्षण-

सिर के बीच वाले हिस्से से बालों का कम हो जाना।
बालों का पतला होना भी लक्षण।
शैंपू करते समय बालों का झडऩा।
बालों को कंघी करते समय बालों का झडऩा।
अचानक से बालों का झडऩा

उपचार-
यदि आप बालों के झडऩे की समस्या से परेशान तो इसमें बालों की मालिश करना बेहतर विकल्प साबित हो सकता है।जब बालों का झडऩा किसी अन्य तरीकों से नहीं

रूकता है तब डॉक्टर महिला को दवाई खाने की सलाह देते हैं। आप होम्योपैथिक विधि से बालों का झडऩा रोक सकते है। अधिक जानकारी के लिए ऊपर दिये गये वीडियो को देखें।

क्या आपका ब्लैड प्रेशर बार-बार बढ़ जाता है?

उच्च रक्तचाप केवल बुढ़ापे की बीमारी है, परंतु अब स्थिति तेजी से बदल रही है। 30 साल का युवक भी आज यह कहता सुनाई दे सकता है कि उसे ब्लड प्रेशर है यानी उसका रक्तचाप सामान्य से अधिक है। हाई ब्लड प्रेशर आजकल काफी आम समस्या बनती जा रही है। ज्यादातर लोगों के इसे गंभीरता से न लेने के कारण वे आसानी से इसका शिकार बन जाते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में 8 लोगों में से एक व्यक्ति उच्च रक्तचाप के शिकार हैं। 140-159/90-99 और इससे ज्यादा प्रेशर हाई ब्लड प्रेशर माना जाता है। आमतौर पर ब्‍लड प्रेशर को 85 से ऊपर जाते ही चेतावनी का संकेत माना जाता है लेकिन वहीं युवाओं में सामान्य ब्लड प्रेशर की सीमा 120/80 तक होती है।आइये जानते है सबसे पहले इसके लक्षण और कारण-

उच्च रक्तचाप के लक्षण –

सिर दर्द होना।
चक्कर आना
शिथिलता
घबराहट महसूस करना।
धूंधला दिखाई देना।
कमजोरी महसूस करना
सांस में परेशानी होना।
नींद न आना होना।
जरा सी मेहनत करने पर सांस फूल जाना।
नाक से खून निकलना ।
उल्‍टी महसूस होना।
बेचैनी सी होना।

ब्लैड प्रेशर बढऩे के कारण-

धूम्रपान करने से ब्लैड प्रेशर बढ़ जाता है।
वजन का अधिक होना भी इसका कारण है।
अगर आप व्यायाम नहीं करते है।खाने में ज्यादा नमक खाने से ब्लैड प्रेशर बढ़ जाता है।
अगर आप ज्यादा तनाव में रहते है।

आइये जानते है कैसे करें इसका उपचार-

ब्लैड प्रेशर की बीमारी अधिकांश लोगों में देखने को मिलती है और उनमें से कुछ लोगों की मौत इसकी वजह से भी हो जाती है। ऐसा केवल इस वजह से होता है क्योंकि लोग इसे लाइलाज बीमारी समझते हैं। आप को इससे घबराने की जरूरत नहीं है। आप होम्योपैथिक विधि से इसका उपचार कर सकते है। अधिक जानकारी के लिए ऊपर दिये गये वीडियो को देखें।

आवाज का बैठ जाना

गला बैठना या कर्कश आवाज, जिसे डिस्फोनिया भी कहा जाता है। जब आवाज अनैच्छिक रूप से सांस, कर्कश या तनावपूर्ण लगती है, आवाज बैठने से व्यक्ति को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है क्योंकि गले से शब्द नहीं निकल पाते। व्यक्ति समझता है कि उसका गला रुंध रहा है। अक्सर गले के बैठने का कारण गला सूखना या फिर गले में सूजन होती है या कई बार सर्दी-जुकाम के कारण इस तरह की समस्या पैदा होती है। गले के बैठने से आवाज में बदलाव देखने को मिलता है। अगर किसी वायरस या फिर बैक्टीरिया के कारण ऐसा होता है

आइये जानते है इसके कारण-

अधिक बीड़ी-सिगरेट पीने, शराब पीने, या ठंडे पदार्थों के बाद तुरन्त गरम पदार्थों का सेवन करने या गरम पदार्थ के बाद ठंडे पदार्थों का प्रयोग करने के कारण गले का स्वर भंग हो जाता है। इसके अलावा कुछ अन्य कारण नीचे दिये गये है।

अगर आपकी ज्यादा तेज चिल्लाने की आदत हो।
वायरस के कारण आवाज बैठ जाती है।
उत्तेजक पदार्थ का सांस के जरिए शरीर में प्रवेश करने से।
धूम्रमान करने से।
तंबाकू का ज्यादा सेवन करने से।
सर्दी-जुकाम से आवाज का बैठना।
लगातार खांसी का प्रकोप से।

लेरिन्जाइटिस के लक्षण –

आवाज बैठ जाने पर
ज्यादा खांसी।
गले में सूजन।
खांसी के साथ खून निकलना।
आवाज बंद हो जाना।
बोलने समय गले में दर्द होना।
बुखार आना।
सांस लेने में परेशानी होना।
निगलने में दर्द।
गले में खराश रहना।

कैसे करें इसका उपचार-अगर आपकी आवाज बैठ गई है तो घबराने की कोई जरूरत नहीं है। आप डॉक्टर की सलाह पर होम्योपैथिक विधि से इसका बड़ी आसानी से उपचार कर सकते है। अगर आपको होम्योपैथिक विधि को लेकर कोई समस्या या परेशानी है तो आप इसके लिए हमारी वेबसाइट पर दिये गये नंबर पर संपर्क कर जानकारी ले सकते है।

अनिंद्रा से है परेशान तो आजमाये ये उपाय

अनिंद्रा का मतलब है सोने में मुश्किल होना या रात को नींद न आना। स्लीप-मेंटीनेंस इन्सोम्निया, यानी सोये रहने में कठिनाई या बहुत जल्दी जाग जाना और दोबारा सोने में मुश्किल होनरा। या पर्याप्त नींद न मिलने पर चिंता बढ़ जाती है, जिससे नींद में हस्तक्षेप होता है और यह दुष्चक्र चलता रहता है। उच्च रक्तचाप, कंजेस्टिव हार्ट फेल्योर, डायबिटीज व अन्य बीमारियों से भी अनिद्रा का सीधा संबंध है। दिनभर की थकान के बाद भी सो ही न पाएं। अगर आप मानसिक तनाव, दबी हुई इच्छाएं और मन में तीव्र कड़वाहट लिए हुए बिस्तर पर लेटे हैं तो आप अनिद्रा का शिकार हो सकते है। क्या आप भी अनिद्रा रोग का उपचार तलाश रहे है। आइये सबसे पहले जानते है इसके लक्षण और कारण-

आइये जानते है अनिंद्रा के कारण-

कई बार कब्ज का होना।
अपच होना।
चाय का सेवन
कॉफी और शराब का अधिक सेवन
पर्यावरण में परिवर्तन।

आइये जानते है नींद न आने के लक्षण-

स्लीप एपनोया-यह नींद से जुड़ा एक गंभीर समस्या है।
रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम की समस्या।
स्लिप पैरालिसिस की समस्या।
सर्कैडियन रिदम डिसऑर्डर
इंसोमेनिया

कैसे करें इसका उपचार-

अगर आपकों नींद नहीं आ रही है तो सबसे पहले आप अपने दिमाग में सकारात्मक भाव लाने के प्रयास करें। मन की बातों को किसी करीबी से शेयर करें। इस समस्या को समय रहते ठीक करना बहुत जरुरी है। रात में सोते समय आप अच्छी किताब पडऩे की आदत डाले। इसके अलावा आप होम्योपैथिक विधि से नींद न आने की समस्या को दूर कर सकते है। ऊपर दिये गये वीडियो को देखकर आपकों पता चल जायेगा कि एक मरीज कैसे नींद न आने की समस्या से परेशान था। डॉक्टर की सलाह पर उसे होम्योपैथिक उपचार किया तो वह इस बीमारी से बच सका।